NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
उत्तर-पश्चिमी दिल्ली: स्वच्छता, अनाधिकृत कॉलोनियाँ और प्रवासी तय करेंगे चुनावी रुख
नई दिल्ली की सभी सात लोकसभा सीटों पर कई समान मुद्दे हैं, लेकिन सबके अपने-अपने स्थानीय मुद्दे भी बहुत महत्वपूर्ण हैं। उत्तर-पश्चिमी लोकसभा सीट की बात करें तो यहाँ चुनाव में स्वच्छता, रोज़गार के अवसरों की कमी, अनाधिकृत कॉलोनियाँ, क़ानून-व्यवस्था से जुड़ी दिक़्क़तें और प्रवासियों की आबादी बड़े मुद्दे हैं।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
09 May 2019
उत्तर-पश्चिमी दिल्ली: स्वच्छता, अनाधिकृत कॉलोनियाँ और प्रवासी तय करेंगे चुनावी रुख

उत्तर-पश्चिम दिल्ली सीट पर लोकसभा चुनाव 2019 के लिए 12 मई को मतदान होना है। दिल्ली में सबसे ज़्यादा मतदाता इसी संसदीय क्षेत्र में हैं, जबकि यहाँ उम्मीदवारों की संख्या सबसे कम है। 2008 में बनी यह संसदीय सीट सुरक्षित है।

नरेला, बादली, रिठाला, बवाना, मुंडका, किराड़ी, सुल्तानपुर माजरा, नांगलोई, मंगोलपुरी और रोहिणी विधानसभा क्षेत्रों को मिलाकर बने इस संसदीय क्षेत्र में 23,78,984 मतदाता पंजीकृत हैं।

इस संसदीय क्षेत्र में राजधानी दिल्ली का बड़ा ग्रामीण इलाक़ा आता है यहाँ तीन तरह के लोग रहते हैं- स्थानीय मूल निवासी जिनका काम खेती और मवेशी पालन है, प्रवासी आबादी जिनमें ज़्यादातर रिक्शा चालक और फ़ैक्टरियों में काम करने वाले मज़दूर हैं। और तीसरा वर्ग है पिछले कुछ वर्षों में रोहिणी में बनी हाऊसिंग सोसायटियों में रहने वालों का।

इन तीनों तबकों की परेशानियाँ भी अलग-अलग हैं। प्रवासी मज़दूरों की शिकायत है कि उनके पास काम/रोज़गार, बच्चों के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी है। हाऊसिंग सोसायटी में रहने वालों को आसपास होने वाली आपराधिक घटनाओं, झपटमारी/छिनैती से दिक़्क़त है। वहीं स्थानीय मूल निवासी आसपास तेज़ी से बदल रहे माहौल और ख़ुद को मेट्रोपॉलिटन लाइफ़स्टाइल में ढालने की जद्दोजहद में जुटे हैं। इसके लिए वे ना सिर्फ़ अपनी ज़मीनें बेच रहे हैं बल्कि उनके बच्चे अपराध का रास्ता भी पकड़ रहे हैं।

तमाम कारणों से यहाँ क़ानून-व्यवस्था की हालत ख़राब है। दिल्ली में सबसे ज़्यादा अपराध इसी क्षेत्र में होते हैं।

लेकिन, पुलिस उपायुक्त (बाहरी उत्तर) गौरव शर्मा का कहना है, ‘‘हम शराब की आपूर्ति और हथियारों का इस्तेमाल करने वाले अपराधियों के ख़िलाफ़ बहुत सख़्त हैं। शराब और मादक पदार्थों की तस्करी के ख़िलाफ़ कड़ी कार्यवाही हो रही है। हमारे प्रयासों से लूट-पाट की घटनाओं में 45 प्रतिशत की कमी आयी है।’’

 रोहिणी सेक्टर 14 में रहने वाले मीडियाकर्मी उमेश शर्मा कहते हैं, ‘‘साफ़ पानी की दिक़्क़त है। यहाँ अक्सर ख़राब पानी आता है। कई बार तो नलके से आने वाला पानी खाना बनाने लायक भी नहीं होता है। घर में आरओ के बग़ैर आप पानी नहीं पी सकते हैं। सड़कें ख़राब हैं, झपटमारी की वारदात बहुत ज़्यादा है।’’

उत्तर-पश्चिमी दिल्ली में नरेला और बवाना दो औद्योगिक क्षेत्र हैं जहाँ राजस्थान, उत्तर प्रदेश और बिहार से आने वाले लाखों लोग फ़ैक्टरियों में काम करते हैं।

श्यामा प्रसाद मुखर्जी इंडस्ट्रीयल वेलफ़ेयर एसोसिएशन के कोषाध्यक्ष मुकेश अग्रवाल का कहना है, ‘‘बवाना में क़रीब 1,600 छोटी-बड़ी फ़ैक्टरियाँ हैं। लेकिन हाईवे तक कोई संपर्क रोड नहीं है, ट्रकों को गांवों से होकर जाना पड़ता है। ख़ुदा-न-खास्ता फ़ैक्टरी में किसी के साथ दुर्घटना हो जाए तो, यहाँ कोई डिस्पेंसरी भी नहीं है। सबसे क़रीबी डिस्पेंसरी 15 किलोमीटर दूर रोहिणी सेक्टर 15 में है और वहाँ जाने में ट्रैफ़िक बहुत ज़्यादा है।’’

उनका कहना है कि आप सरकार ने फ़ैक्टरी कामगारों के हित के लिए कुछ नहीं किया है। हम उस पार्टी के लिए वोट करना चाहते हैं जिसने कम से कम राष्ट्रीय स्तर पर तो कुछ काम किया है।

फ़ैक्टरी कामगार रमेश का कहना है कि यहाँ पीने को पानी तक उपलब्ध नहीं है।

बिहार से आए प्रवासी मज़दूर मनोज कुमार का कहना है, ‘‘दिल्ली सरकार सिर्फ़ ई-रिक्शा वालों के भले का सोचती है। उसे हमारी कोई परवाह नहीं। मैं एक छोटे कमरे में रहता हूँ जिसका किराया 2,500 रुपये है। रिक्शे का भी मुझे रोज़ 50 रुपये किराया देना होता है। हाल ही में मैंने 1,000 रुपये में रिक्शा ख़रीदा था, लेकिन वह चोरी हो गया। मैं दिल्ली कमाने आया था, लेकिन यहाँ तो जीना भी मुश्किल हो रहा है।’’

 इस सीट से कुल 11 उम्मीदवार मैदान में हैं लेकिन असली मुक़ाबला भाजपा के हंस राज हंस, कांग्रेस के राजेश लिलौठिया और आप के गगन सिंह के बीच है।

aam aadmi party
delhi government
north west delhi
2019 loksabha elsctions
Arvind Kejriwal
basic facilities

Related Stories

मुंडका अग्निकांड: 'दोषी मालिक, अधिकारियों को सजा दो'

मुंडका अग्निकांड: ट्रेड यूनियनों का दिल्ली में प्रदर्शन, CM केजरीवाल से की मुआवज़ा बढ़ाने की मांग

PM की इतनी बेअदबी क्यों कर रहे हैं CM? आख़िर कौन है ज़िम्मेदार?

धनशोधन क़ानून के तहत ईडी ने दिल्ली के मंत्री सत्येंद्र जैन को गिरफ़्तार किया

ख़बरों के आगे-पीछे: MCD के बाद क्या ख़त्म हो सकती है दिल्ली विधानसभा?

‘आप’ के मंत्री को बर्ख़ास्त करने से पंजाब में मचा हड़कंप

मुंडका अग्निकांड: सरकारी लापरवाही का आरोप लगाते हुए ट्रेड यूनियनों ने डिप्टी सीएम सिसोदिया के इस्तीफे की मांग उठाई

मुंडका अग्निकांड के लिए क्या भाजपा और आप दोनों ज़िम्मेदार नहीं?

ख़बरों के आगे-पीछे: राष्ट्रपति के नाम पर चर्चा से लेकर ख़ाली होते विदेशी मुद्रा भंडार तक

मुंडका अग्निकांड: लापता लोगों के परिजन अनिश्चतता से व्याकुल, अपनों की तलाश में भटक रहे हैं दर-बदर


बाकी खबरें

  • विकास भदौरिया
    एक्सप्लेनर: क्या है संविधान का अनुच्छेद 142, उसके दायरे और सीमाएं, जिसके तहत पेरारिवलन रिहा हुआ
    20 May 2022
    “प्राकृतिक न्याय सभी कानून से ऊपर है, और सर्वोच्च न्यायालय भी कानून से ऊपर रहना चाहिये ताकि उसे कोई भी आदेश पारित करने का पूरा अधिकार हो जिसे वह न्यायसंगत मानता है।”
  • रवि शंकर दुबे
    27 महीने बाद जेल से बाहर आए आज़म खान अब किसके साथ?
    20 May 2022
    सपा के वरिष्ठ नेता आज़म खान अंतरिम ज़मानत मिलने पर जेल से रिहा हो गए हैं। अब देखना होगा कि उनकी राजनीतिक पारी किस ओर बढ़ती है।
  • डी डब्ल्यू स्टाफ़
    क्या श्रीलंका जैसे आर्थिक संकट की तरफ़ बढ़ रहा है बांग्लादेश?
    20 May 2022
    श्रीलंका की तरह बांग्लादेश ने भी बेहद ख़र्चीली योजनाओं को पूरा करने के लिए बड़े स्तर पर विदेशी क़र्ज़ लिए हैं, जिनसे मुनाफ़ा ना के बराबर है। विशेषज्ञों का कहना है कि श्रीलंका में जारी आर्थिक उथल-पुथल…
  • आज का कार्टून
    कार्टून क्लिक: पर उपदेस कुसल बहुतेरे...
    20 May 2022
    आज देश के सामने सबसे बड़ी समस्याएं महंगाई और बेरोज़गारी है। और सत्तारूढ़ दल भाजपा और उसके पितृ संगठन आरएसएस पर सबसे ज़्यादा गैर ज़रूरी और सांप्रदायिक मुद्दों को हवा देने का आरोप है, लेकिन…
  • राज वाल्मीकि
    मुद्दा: आख़िर कब तक मरते रहेंगे सीवरों में हम सफ़ाई कर्मचारी?
    20 May 2022
    अभी 11 से 17 मई 2022 तक का सफ़ाई कर्मचारी आंदोलन का “हमें मारना बंद करो” #StopKillingUs का दिल्ली कैंपेन संपन्न हुआ। अब ये कैंपेन 18 मई से उत्तराखंड में शुरू हो गया है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License