NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
अपराध
भारत
राजनीति
यूपी में मीडिया का दमन: 5 साल में पत्रकारों के उत्पीड़न के 138 मामले
उत्तर प्रदेश में मीडिया के दमन पर CAAJ ने अपनी रिपोर्ट जारी की है जिससे काफी भयावह तस्वीर उभऱती है और पता चलता है कि प्रेस अधिकारों के हनन के मामले में कश्मीर के साथ उत्तर प्रदेश अव्वल रहा है।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
11 Feb 2022
यूपी में मीडिया का दमन: 5 साल में पत्रकारों के उत्पीड़न के 138 मामले

पत्रकारों पर हमले के विरुद्ध समिति यानी कमेटी अगेंस्ट असॉल्ट ऑन जर्नलिस्ट (CAAJ) ने उत्तर प्रदेश में मीडिया के दमन पर ' मीडिया की घेराबंदी ' नाम से रिपोर्ट प्रकाशित की है। इस रिपोर्ट में साल 2017 से लेकर अब तक उत्तर प्रदेश में मीडिया के दमन की दास्तान दर्ज की गई है। यह रिपोर्ट कोरोना काल में स्वास्थ्य तंत्र के कुप्रबंधन, संसाधनों के अभाव, बेरोजगारी और भ्रष्टाचार का शिकार हुए 600 से ज्यादा भारतीय पत्रकारों को समर्पित है।

इस रिपोर्ट की पृष्ठभूमि का जिक्र करते हुए CAAJ के सदस्य अभिषेक श्रीवास्तव ने इस रिपोर्ट में लिखा है कि CAAJ ने अपनी आखिरी रिपोर्ट मार्च 2020 में जारी की थी। जिसका शीर्षक ' रिपब्लिक इन पेरिल' था। इस रिपोर्ट में दिसंबर 2019 से मार्च 2020 के बीच दिल्ली में पत्रकारों पर हुए हमलों का ब्योरा दर्ज किया गया था।

उत्तर प्रदेश सत्ता के गलियारों के लिहाज से महत्वपूर्ण तो है ही लेकिन साथ में इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह राज्य भारत सरकार के नवीनतम प्रयोगों की प्रयोगशाला है। कोरोना के काल में नागरिक अधिकारों पर सबसे अधिक डंडा उत्तर प्रदेश में ही चलाया गया। प्रेस के अधिकारों से जुड़े जितनी भी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय रिपोर्ट आईं हैं, उन सब में प्रेस अधिकारों के हनन के मामले में कश्मीर के साथ उत्तर प्रदेश अव्वल रहा है। क्योंकि उत्तर प्रदेश में चुनाव भी जारी हैं इसलिए उत्तर प्रदेश में प्रेस अधिकारों के हनन को लेकर पिछले 5 साल में अभिव्यक्ति की आजादी पर हुए हमले को देखना जरूरी है। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हुए हमले की प्रकृति और वारदातें उत्तर प्रदेश में इतनी अधिक हैं कि इसका ठीक-ठाक पता लगा पाना बहुत मुश्किल काम है कि उत्तर प्रदेश में कितने पत्रकारों पर हमले हुए? फिर भी हत्या, शारीरिक हमला, मुकदमेबाजी/गिरफ्तारी, जासूसी/हिरासत/ का आधार बनाकर CAAJ ने पत्रकारों पर हुए उत्पीड़न के आंकड़े को जारी किया है।

CAAJ ने उत्तर प्रदेश में 2017 से लेकर के फरवरी 2022 के बीच पत्रकारों पर उत्पीड़न के कुल 138 मामले दर्ज किए हैं। यह मामले वास्तविक संख्या से काफी कम हो सकते हैं। उन्हीं मामलों को यहां पर दर्ज किया गया है जिनका प्राथमिक और द्वितीयक साक्ष्य मौजूद है। जिसे किसी ना किसी मीडिया संस्थान में रिपोर्ट किया गया है। योगी सरकार के 5 साल के कार्यकाल के दौरान सबसे अधिक तकरीबन 75 फ़ीसदी हमले कोरोना काल में हुए है। कुल 12 पत्रकारों के हत्याओं के आंकड़े सामने आए हैं। हालांकि इससे ज्यादा हत्या की संभावना से भी इनकार नहीं किया जा सकता। सबसे अधिक हमला राज्य प्रशासन की तरफ से हुआ है। यह हमले कानूनी नोटिस, एफ आई आर, जासूसी, धमकी और हिंसा के रूप में सामने आए हैं।

इस रिपोर्ट में अपने निष्कर्ष में लिखा है कि 2019 की जितनी भी घटनाएं रिपोर्ट की गई हैं, उनमें से ज्यादातर साल के अंत के आसपास की हैं, जब नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) विरोधी आंदोलन देश में जोर पकड़ चुका था। दिल्ली के जामिया मिलिया से शुरू हुए आंदोलन की अनुगूंज उत्तर प्रदेश में आजमगढ़ से लेकर के अलीगढ़ तक सुनाई दे रही थी। इस आंदोलन को कवर करने वाले पत्रकारों के साथ पुलिस और इलाकाई लोगों की बदसलूकी की खबर आ रहीं थी। यह पहला ऐसा मौका रहा जब पत्रकारों के उनका धर्म और आईडी कार्ड देख कर बख्शा जा रहा था। इसी तरह से उत्तर प्रदेश में जब भी केंद्र और राज्य की सरकार के खिलाफ कोई घटना सामने आ रही  थी तो उसके साथ पत्रकारों के उत्पीड़न का मामला भी सामने आ रहा था। ऐसे कई मामलों को इस रिपोर्ट में दर्ज किया गया है।

इस रिपोर्ट को उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 से ठीक पहले लाने का श्रेय पीपल यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज और CAAJ को जाता है। इन दोनों संस्थाओं के सदस्यों ने मिलकर उत्तर प्रदेश के सभी राजनीतिक दलों के सामने ऑनलाइन मीटिंग की। ऑनलाइन मीटिंग के दौरान राज्य में एक पत्रकार सुरक्षा कानून लाने का प्रस्ताव दिया गया था।

रिपोर्ट को तैयार करने में सीपीजे के भारत संवाददाता कुणाल मजमुदार, समिति के संरक्षक आनंद स्वरूप वर्मा, समिति के यूपी प्रभारी विजय विनीत का प्रमुख योगदान है। बनारस स्थित विजय विनीत लंबे समय से स्वतंत्र पत्रकार के तौर पर न्यूज़क्लिक के साथ जुड़े हैं और पत्रकारों पर हमले को लेकर लगातार चिंता जताते और लिखते रहे हैं।

 

media ki gherabandi
attack on journalists
Uttar pradesh
up govt
Yogi govt
media in up

Related Stories

यूपी : महिलाओं के ख़िलाफ़ बढ़ती हिंसा के विरोध में एकजुट हुए महिला संगठन

चंदौली: कोतवाल पर युवती का क़त्ल कर सुसाइड केस बनाने का आरोप

उत्तर प्रदेश: इंटर अंग्रेजी का प्रश्न पत्र लीक, परीक्षा निरस्त, जिला विद्यालय निरीक्षक निलंबित

यूपी: अयोध्या में चरमराई क़ानून व्यवस्था, कहीं मासूम से बलात्कार तो कहीं युवक की पीट-पीट कर हत्या

यूपी: बुलंदशहर मामले में फिर पुलिस पर उठे सवाल, मामला दबाने का लगा आरोप!

पीएम को काले झंडे दिखाने वाली महिला पर फ़ायरिंग- किसने भेजे थे बदमाश?

पत्रकार हत्याकांड- कैसे मेडिकल माफिया का अड्डा बन गया छोटा सा कस्बा बेनीपट्टी?

बिहारः ग़ैर-क़ानूनी निजी क्लिनिक का पर्दाफ़ाश करने वाले पत्रकार की हत्या

यूपी: ललितपुर बलात्कार मामले में कई गिरफ्तार, लेकिन कानून व्यवस्था पर सवाल अब भी बरकरार!

यूपी: आज़मगढ़ में पीड़ित महिला ने आत्महत्या नहीं की, सिस्टम की लापरवाही ने उसकी जान ले ली!


बाकी खबरें

  • भाषा
    ईडी ने फ़ारूक़ अब्दुल्ला को धनशोधन मामले में पूछताछ के लिए तलब किया
    27 May 2022
    माना जाता है कि फ़ारूक़ अब्दुल्ला से यह पूछताछ जम्मू-कश्मीर क्रिकेट एसोसिएशन (जेकेसीए) में कथित वित्तीय अनिमियतता के मामले में की जाएगी। संघीय एजेंसी इस मामले की जांच कर रही है।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    एनसीबी ने क्रूज़ ड्रग्स मामले में आर्यन ख़ान को दी क्लीनचिट
    27 May 2022
    मेनस्ट्रीम मीडिया ने आर्यन और शाहरुख़ ख़ान को 'विलेन' बनाते हुए मीडिया ट्रायल किए थे। आर्यन को पूर्णतः दोषी दिखाने में मीडिया ने कोई क़सर नहीं छोड़ी थी।
  • जितेन्द्र कुमार
    कांग्रेस के चिंतन शिविर का क्या असर रहा? 3 मुख्य नेताओं ने छोड़ा पार्टी का साथ
    27 May 2022
    कांग्रेस नेतृत्व ख़ासकर राहुल गांधी और उनके सिपहसलारों को यह क़तई नहीं भूलना चाहिए कि सामाजिक न्याय और धर्मनिरपेक्षता की लड़ाई कई मजबूरियों के बावजूद सबसे मज़बूती से वामपंथी दलों के बाद क्षेत्रीय दलों…
  • भाषा
    वर्ष 1991 फ़र्ज़ी मुठभेड़ : उच्च न्यायालय का पीएसी के 34 पूर्व सिपाहियों को ज़मानत देने से इंकार
    27 May 2022
    यह आदेश न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति बृजराज सिंह की पीठ ने देवेंद्र पांडेय व अन्य की ओर से दाखिल अपील के साथ अलग से दी गई जमानत अर्जी खारिज करते हुए पारित किया।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    “रेत समाधि/ Tomb of sand एक शोकगीत है, उस दुनिया का जिसमें हम रहते हैं”
    27 May 2022
    ‘रेत समाधि’ अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार जीतने वाला पहला हिंदी उपन्यास है। इस पर गीतांजलि श्री ने कहा कि हिंदी भाषा के किसी उपन्यास को पहला अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार दिलाने का जरिया बनकर उन्हें बहुत…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License