NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
शिक्षा
स्वास्थ्य
भारत
उत्तराखंड : हिमालयन इंस्टीट्यूट के सैकड़ों मेडिकल छात्रों का भविष्य संकट में
संस्थान ने एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहे चौथे वर्ष के छात्रों से फ़ाइनल परीक्षा के ठीक पहले लाखों रुपये की फ़ीस जमा करने को कहा है, जिसके चलते इन छात्रों का भविष्य अधर में लटक गया है।
सोनिया यादव
09 Mar 2022
himalayan
image credit- just mbbs.com

जन औषधि दिवस 7 मार्च को जैसे ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों में आधी सीटों पर सरकारी मेडिकल कॉलेजों के बराबर फीस की बात कही मीडिया में खुशखबरी की हेडलाइन छा गई। कई जगह मोदी है तो मुमकिन है के हैशटैग भी चलने लगे। तो वहीं कई चैनलों पर इसे मोदी सरकार की एक और बड़ी जन उपलब्धि के तौर पर पेश किया जाने लगा। हालांकि इन सब के बीच उत्तराखंड के हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस में एमबीबीएस की पढ़ाई करने वाले 140 छात्रों का भविष्य संकट शायद ही कहीं जगह बना पाया। फाइनल परीक्षा से ठीक पहले इन छात्रों से प्रशासन ने मोटी फीस जमा करने को कहा, जिसके चलते ये छात्र प्रदर्शन को मजबूर हुए।

बता दें कि उत्तराखंड की बीजेपी सरकार ने साल 2017 में एक अधिसूचना जारी की थी। इसके तहत राज्य सरकार की हेमवती नंदन बहुगुणा मेडिकल एजुकेशन यूनिवर्सिटी की ओर से 2017 में नीट परीक्षा पास करने वाले करीब 140 छात्रों को सरकारी कॉलेजों के बराबर फीस पर हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस जौलीग्रांट में एडमिशन लेने का ऑफर दिया गया था।

उस साल जब छात्र इस ऑफर के साथ हिमालयन इंस्टीट्यूट पहुंचे तो उन्हें इतनी कम फीस पर एडमिशन देने से इनकार कर दिया गया। इस पर कुछ छात्रों ने नैनीताल हाई कोर्ट में एक याचिका दायर कर दी। जिसके बाद हाई कोर्ट ने याचिका को सुनवाई के लिए स्वीकार करते हुए हिमालयन इंस्टीट्यूट को हेमवती नंदन बहुगुणा मेडिकल एजुकेशन यूनिवर्सिटी द्वारा तय की गई फीस पर एडमिशन देने का आदेश दिया। लेकिन इस याचिका पर अंतिम फैसला अब तक नहीं आया है। और यही कारण है कि अब संस्थान परीक्षा से पहले अंतिम वर्ष के छात्रों से पुरानी फीस वसूलने पर आमादा है।

क्या है पूरा मामला?

वेब पोर्टल डाउन टू अर्थ के मुताबिक साल 2017 में राज्य सरकार की हेमवती नंदन बहुगुणा मेडिकल एजुकेशन यूनिवर्सिटी द्वारा तय की गई फीस को मेडिकल एजुकेशन की ओर से पास किया गया था। जिसके अनुसार मेडिकल की पढ़ाई करने वाले राज्य के छात्रों से चार लाख प्रति वर्ष से अधिक फीस नहीं ली जा सकेगी। मैनेजमेंट कोटा और बाहरी छात्रों के लिए फीस की सीमा 5 लाख तय की गई थी। लेकिन अब

हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस जौलीग्रांट ने अंतिम वर्ष के छात्रों को बकाया फीस जमा करने का फरमान जारी किया है। नोटिस में कहा गया है कि इस याचिका पर अब तक अंतिम फैसला नहीं हुआ है, इसलिए छात्र-छात्राएं अपनी बकाया फीस जमा कर दें। यह भी कहा गया है कि बिना फीस जमा किये उन्हें अंतिम वर्ष की परीक्षा में बैठने की अनुमति नहीं दी जाएगी।

संस्थान का क्या कहना है?

संस्थान के मुताबिक नैनीताल हाई कोर्ट का फैसला अभी तक नहीं आया है। ऐसे में अगर बढ़ी हुई फीस के पक्ष में फैसला आया तो वह इन छात्रों से कैसे वसूलेगा, ये तो कालेज से जा चुके होंगे। इसलिए उनसे चेक मांगा जा रहा है कि अभी चेक दे दें और जब फैसला आएगा तब उसे कैश कराया जाएगा।

अमर उजाला की खबर के अनुसार संस्थान का दावा है कि अभिभावकों को सभी मामले से अवगत करा दिया गया है। जिसके बाद कई अभिभावकों ने सहमति जता दी है। अन्य सभी लोगों को बनी सहमति से अवगत कराया जा रहा है। वहीं जन संपर्क अधिकारी अनूप रावत ने बताया कि हिमालयन मेडिकल कालेज फीस प्रकरण को सुलझा लिया गया है। फीस प्रकरण के विरोध में धरने में पर बैठे छात्र अपने हॉस्टल में वापस लौट गए हैं। छात्र छात्राओं के हितों को ध्यान में रखते हुए विश्वविद्यालय प्रशासन ने नो ड्यूज के लिए दो दिनों का समय दिया है।

छात्र क्या कह रहे हैं?

संस्थान के छात्रों का कहना है कि उत्तराखंड के छात्रों को 23 लाख रुपये और बाहरी राज्यों के छात्रों को 27 लाख रुपये जमा करने के लिए कहा गया है। छात्रों का यह भी आरोप है कि यह रकम बिना डेट लिखे चेक के रूप में जमा करने को कहा गया है। ऐसे में बड़ा सवाल है कि क्या कोई औसत भारतीय परिवार इस तरह से 23 लाख या 27 लाख का चेक दे सकता है?

छात्रों का ये भी कहना है कि उनमें से ज्यादातर के परिवार की आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं है कि कुछ ही घंटों में 23 या 27 लाख रुपये (उत्तराखंड के छात्रों के लिए 23 लाख और बाहरी राज्यों के छात्रों के लिए 27 लाख रुपये) की व्यवस्था कर सकें। 5 सालों में उन्होेंने 20 लाख रुपये (उत्तराखंड) और 25 लाख रुपये (दूसरे राज्य) फीस भरी है। ज्यादातर के परिवारों ने यह फीस भी काफी कठिनाई से जुटाई है, ऐसे में कुछ घंटों में 25 लाख और 27 लाख रुपये जुटाना उनके परिवार के लिए किसी भी हालत में संभव नहीं है।

इस नोटिस के विरोध में कॉलेज के अंतिम वर्ष के छात्र रात को ही कॉलेज के बाहर हाईवे के किनारे धरने पर बैठे रहे और सुबह छात्रों ने हेमवती नंदन बहुगुणा मेडिकल एजुकेशन यूनिवर्सिटी से भी संपर्क किया, लेकिन यूनिवर्सिटी ने हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया। इसके बाद लगभग 15 छात्र ने तो फीस का चेक जमा करा दिया, लेकिन बाकी लगभग 125 छात्र परीक्षा से वंचित रह गए। अब सूचना है कि इस पूरे मामले में परीक्षा की समय सारणी में बदलाव किया गया है।

मेडिकल कॉलेजों की स्थिति और फीस का संकट

गौरतलब है कि देश में मेडिकल कॉलेजों की स्थिति और फीस का संकट किसी से छुपा नहीं है। देश में शिक्षा का निजीकरण इतना भयावह हो चुका है कि सस्ती शिक्षा के लिए लोग जहां तहां पलायन कर रहे हैं। युद्ध की विभीषिका के बीच यूक्रेन से मेडिकल की पढ़ाई छोड़कर वापस लौट रहे छात्र इन दिनों देशभर में चर्चा के केन्द्र में हैं। इस छात्रों के पक्ष और विपक्ष में तरह-तरह के तर्क दिये जा रहे हैं। प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों में सरकारी जितनी फीस वाला प्रधानमंत्री का बयान भी इसी संदर्भ में दिया गया है।

जानकारी के मुताबिक देश में क़रीब 88 हज़ार एमबीबीएस की सीटें हैं जिसके लिए क़रीब आठ लाख बच्चे परीक्षा देते हैं। इन सीटों में पचास प्रतिशत सीटें प्राइवेट हैं, जिसमें एडमिशन का खर्चा 70 लाख से 1 करोड़ रुपये है। ऐसे में हर साल हजारों भारतीय छात्र अलग-अलग देशों में मेडिकल की पढ़ाई के लिए जाते हैं।

हालांकि विदेश से मेडिकल की पढ़ाई ख़त्म करने के बाद बच्चों को भारत में फ़ॉरेन मेडिकल ग्रेजुएट एग्ज़ामिनेशन (FMGE) की परीक्षा देनी होती है। इसे पास करने के बाद ही भारत में डॉक्टरी करने का लाइसेंस मिलता है और प्रैक्टिस की जा सकती है। 300 नंबर की इस परीक्षा को पास करने के लिए 150 नंबर लाने पड़ते हैं। आंकड़ों की माने तो विदेश से मेडिकल की पढ़ाई करने वाले सिर्फ पंद्रह प्रतिशत बच्चे ही भारत में फॉरेन मेडिकल ग्रेजुएट एग्जामिनेशन पास कर पाते हैं। ऐसे में देश के भीतर चिकित्सा व्यवस्था और चिकित्सकों की हालात निश्चित ही गंभीर विषय बन जाती है, जो शायद हमारी सरकारें समझना नहीं चाहतीं। महामारी के सबक से दूर देश का शिक्षा और स्वास्थ्य बजट लगातार ढलान पर है, जो आने वाले दिनों में और भयंकर तस्वीर पेश कर सकता है।

UTTARAKHAND
Private Medical Education
Private Medical College
Student Protests

Related Stories

उत्तराखंड : ज़रूरी सुविधाओं के अभाव में बंद होते सरकारी स्कूल, RTE क़ानून की आड़ में निजी स्कूलों का बढ़ता कारोबार 

उत्तराखंड: तेल की बढ़ती कीमतों से बढ़े किराये के कारण छात्र कॉलेज छोड़ने को मजबूर

यूपी चुनाव : छात्र संगठनों का आरोप, कॉलेज यूनियन चुनाव में देरी के पीछे योगी सरकार का 'दबाव'

उत्तराखंड में ऑनलाइन शिक्षा: डिजिटल डिवाइड की समस्या से जूझते गरीब बच्चे, कैसे कर पाएंगे बराबरी?

अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे गोरखपुर विश्वविद्यालय के शोध छात्र, अचानक सिलेबस बदले जाने से नाराज़

डीयू: कैंपस खोलने को लेकर छात्रों के अनिश्चितकालीन धरने को एक महीना पूरा

उत्तराखंड: NIOS से डीएलएड करने वाले छात्रों को प्राथमिक शिक्षक भर्ती के लिए अनुमति नहीं

नहीं पढ़ने का अधिकार

मेडिकल छात्रों की फीस को लेकर उत्तराखंड सरकार की अनदेखी

डीयू: एनईपी लागू करने के ख़िलाफ़ शिक्षक, छात्रों का विरोध


बाकी खबरें

  • srilanka
    न्यूज़क्लिक टीम
    श्रीलंका: निर्णायक मोड़ पर पहुंचा बर्बादी और तानाशाही से निजात पाने का संघर्ष
    10 May 2022
    पड़ताल दुनिया भर की में वरिष्ठ पत्रकार भाषा सिंह ने श्रीलंका में तानाशाह राजपक्षे सरकार के ख़िलाफ़ चल रहे आंदोलन पर बात की श्रीलंका के मानवाधिकार कार्यकर्ता डॉ. शिवाप्रगासम और न्यूज़क्लिक के प्रधान…
  • सत्यम् तिवारी
    रुड़की : दंगा पीड़ित मुस्लिम परिवार ने घर के बाहर लिखा 'यह मकान बिकाऊ है', पुलिस-प्रशासन ने मिटाया
    10 May 2022
    गाँव के बाहरी हिस्से में रहने वाले इसी मुस्लिम परिवार के घर हनुमान जयंती पर भड़की हिंसा में आगज़नी हुई थी। परिवार का कहना है कि हिन्दू पक्ष के लोग घर से सामने से निकलते हुए 'जय श्री राम' के नारे लगाते…
  • असद रिज़वी
    लखनऊ विश्वविद्यालय में एबीवीपी का हंगामा: प्रोफ़ेसर और दलित चिंतक रविकांत चंदन का घेराव, धमकी
    10 May 2022
    एक निजी वेब पोर्टल पर काशी विश्वनाथ मंदिर को लेकर की गई एक टिप्पणी के विरोध में एबीवीपी ने मंगलवार को प्रोफ़ेसर रविकांत के ख़िलाफ़ मोर्चा खोल दिया। उन्हें विश्वविद्यालय परिसर में घेर लिया और…
  • अजय कुमार
    मज़बूत नेता के राज में डॉलर के मुक़ाबले रुपया अब तक के इतिहास में सबसे कमज़ोर
    10 May 2022
    साल 2013 में डॉलर के मुक़ाबले रूपये गिरकर 68 रूपये प्रति डॉलर हो गया था। भाजपा की तरफ से बयान आया कि डॉलर के मुक़ाबले रुपया तभी मज़बूत होगा जब देश में मज़बूत नेता आएगा।
  • अनीस ज़रगर
    श्रीनगर के बाहरी इलाक़ों में शराब की दुकान खुलने का व्यापक विरोध
    10 May 2022
    राजनीतिक पार्टियों ने इस क़दम को “पर्यटन की आड़ में" और "नुकसान पहुँचाने वाला" क़दम बताया है। इसे बंद करने की मांग की जा रही है क्योंकि दुकान ऐसे इलाक़े में जहाँ पर्यटन की कोई जगह नहीं है बल्कि एक स्कूल…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License