NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
चुनाव 2022
विधानसभा चुनाव
भारत
राजनीति
उत्तराखंड चुनाव: एक विश्लेषण: बहुत आसान नहीं रहा चुनाव, भाजपा-कांग्रेस में कांटे की टक्कर
“लोग बह जाते हैं आखिरी समय में। सुनने में आ रहा था कि पैसे-वैसे भी बांटे गए। लोकतंत्र का तो ऐसा ही है। लोगों को शराब और पैसे से गुमराह किया जाता है। लेकिन इस बार यहां भाजपा के साथ कांग्रेस की मज़बूत टक्कर है”।
वर्षा सिंह
15 Feb 2022
उत्तराखंड चुनाव: एक विश्लेषण:  बहुत आसान नहीं रहा चुनाव, भाजपा-कांग्रेस में कांटे की टक्कर
उत्तराखंड में करीब 65 प्रतिशत रहा मतदान। सबसे अधिक ऊंचाई (10,870 फीट) गंगोत्री में स्थित पोलिंग स्टेशन पर मतदान की तस्वीर, सौजन्य- मुख्य निर्वाचन अधिकारी उत्तराखंड

उत्तराखंड के पहाड़ों पर बसे गांवों में दोपहरभर बजने वाले चुनावी गीत थम गए हैं। 70 सीटों वाली विधानसभा के लिए तकरीबन 65 प्रतिशत मतदान के साथ पहाड़ की जनता ने अपना जनादेश सुना दिया है। चुनाव नतीजों में प्रत्याशियों के कामकाज, धर्म-जाति का हिसाब, ज़ोर-शोर से किए गए प्रचार के साथ ही पैसे और शराब की ताकत भी वोटों में तब्दील हुई। राज्य की मुख्य निर्वाचन अधिकारी सौजन्या ने 14 फरवरी की शाम अपने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि 2017 के विधानसभा चुनाव के मुकाबले इस बार तीन गुना पैसा और शराब जब्त की गई।

4 करोड़ 26 लाख 61 हज़ार रुपये कैश और 4 करोड़ 52 लाख 68 हज़ार रुपए की कीमत से अधिक की शराब के साथ चुनाव आयोग की टीमों ने 18 करोड़ 42 लाख 59 हज़ार रुपये से अधिक के गहने, कपड़े और अन्य सामान पकड़े। जबकि 2017 के चुनाव में करीब 6 करोड़ की जब्ती की गई थी। ये वो आंकड़े हैं जो चुनाव आयोग के संज्ञान में आए। पहाड़ के गांवों में कैश-शराब बांटने की जबरदस्त खबरें हैं।

चुनाव में नोट-शराब और वोट!

पौड़ी के चौबट्टाखाल ब्लॉक से सामाजिक तौर पर सक्रिय सुधीर सुंद्रियाल कहते हैं “गांवों में आखिर में वोट नोट और शराब पर पड़ते हैं”। उनके क्षेत्र से भाजपा प्रत्याशी सतपाल महाराज हैं। उनके काम को लेकर सुधीर कहते हैं “सतपाल महाराज पूरे 5 साल गाते रहे कि यहां पर्यटन का सीता माता सर्किट बनाएंगे। वे कई-कई सर्किट गिनाते रहे लेकिन कोई सर्किट नहीं बना। वे हमें झीलों की कहानी सुनाते रहे, जिस पर सैर के लिए पर्यटक आएंगे। 5 साल में वे झीलें नहीं बनी। यहां तक कि तेजी से बंजर हो रहे खेतों को बचाना सबसे जरूरी काम था। लेकिन उन्होंने वो परिस्थितियां नहीं बनाई कि लोग खेती कर सकें”।

सुधीर कहते हैं “ऐसा कोई काम नहीं हुआ जिससे क्षेत्र का विकास होता। यही डेवलपमेंट हुआ कि जिस सड़क के ऊपर खड़ंजा बिछाते हैं, कहीं से फंड आता है तो दोबारा उसी सड़क पर खड़ंजा बिछा देते हैं। हमने वन्यजीवों से बचाव के लिए  जाली लगाकर गांव की घेरबाड़ करने के लिए अपने विधायक (सतपाल महाराज) से लेकर कृषि मंत्री सुबोध उनियाल तक को कई बार पत्र लिखा। लेकिन गांवों की सुरक्षा में उनकी कोई दिलचस्पी नहीं थी। क्योंकि जाली लगाने में 5 लाख का खर्च आता तो उस पर उनके लिए कुछ नहीं बचता। जबकि एक ही सड़क को बार-बार बनाने में वे 10 लाख में से 2 लाख लगाते बाकी नेता-अधिकारी मिलकर बांट लेते”।  इस उदाहरण के साथ उनका आकलन है “मुझे लगता है कि शायद भाजपा ही जीतेगी। लेकिन वो स्थिति नहीं रहेगी जो पहले थी”।

जो बात सुधीर कह रहे हैं वही तस्वीर लगभग पूरे राज्य की बनती नज़र आ रही है। भाजपा को 2017 के विधानसभा चुनाव में 70 में से 57 सीटें मिली थीं। ज्यादातर लोगों का मानना है कि भाजपा इस इतिहास को तो नहीं दोहरा पाएगी लेकिन ये संभव है कि भाजपा-कांग्रेस दोनों को करीब-करीब बराबर सीटें मिले। कुछ निर्दलीय विधायक चुने गए तो सत्ता को लेकर खींचतान मचेगी।

टिहरी के धनौल्टी विधानसभा क्षेत्र से सामाजिक तौर पर सक्रिय अरुण गौड़ की बात भी सुधीर से मिलती जुलती है। हालांकि अरुण का अनुमान है कि इस बार चुनाव में कांग्रेस का पलड़ा भारी रहेगा। उनके क्षेत्र से इस बार के भाजपा प्रत्याशी पिछली बार (2017) निर्दलीय चुनाव जीत कर आए थे। पिछली बार के भाजपा प्रत्याशी इस बार निर्दलीय हो गए। जबकि कांग्रेस प्रत्याशी जोत सिंह बिष्ट यहां मज़बूत दावेदार माने जा रहे हैं। रुझान के बारे में पूछने पर अरुण कहते हैं “लोग बह जाते हैं आखिरी समय में। सुनने में आ रहा था कि पैसे-वैसे भी बांटे गए। लोकतंत्र का तो ऐसा ही है। लोगों को शराब और पैसे से गुमराह किया जाता है। लेकिन इस बार यहां भाजपा के साथ कांग्रेस की मज़बूत टक्कर है”।

ठीक दो दिन पहले अरुण कह रहे थे “उत्तराखंड के लोगों ने पिछली बार राम के नाम पर वोट दिया। अयोध्या में मंदिर बन गया है। इस बार हम लोग काम के नाम पर वोट दे रहे हैं। हमको अपने गांव की सड़क और युवाओं को रोज़गार चाहिए”।  

 

टिहरी में 12 फरवरी को भाजपा की रैली

टिहरी में चुनाव से दो दिन पहले अमित शाह की जनसभा बिना किसी पूर्व सूचना के की गई। गांव के लोगों को टैक्सियों में बिठाकर जनसभा तक पहुंचाया गया। घर-घर दस्तक दी गई कि रैली में पहुंचना ही है। उस दिन जरूरी काम से कहीं आने जाने वाले या स्कूली बच्चों को टैक्सी नहीं मिली। पहाड़ पर गाड़ियों की लंबी कतार लग गई। इस रूट के सभी यात्रियों को पुलिसवालों ने बड़ी बेरुखी से कई-कई किलोमीटर लंबे रास्तों की ओर डायवर्ट कर दिया। मैं भी उस समय क्षेत्र में मौजूद थी। देहरादून पहुंचने के लिए अगलाड़ नदी के किनारे-किनारे दूसरे रास्ते पर एक गांव में भाजपा के छोटे से कार्यालय के बाहर बड़ा सा ट्रक खड़ा मिला। कुछ पेटियां कार्यालय में रखी जा रही थीं। पता चला कि इन पेटियों में शराब है।    

जब हम देहरादून से टिहरी की सीमा में प्रवेश कर रहे थे तो गाड़ियों की चेकिंग के साथ बाकायदा वीडियो रिकॉर्डिंग की जा रही थी। ऐसे में इतना बड़ा ट्रक चेकिंग और रिकॉर्डिंग को पार कर कैसे पहुंचा होगा?  

 

विकास की उम्मीद में मतदान करते 100 वर्षीय मतदाता, तस्वीर सौजन्य- मुख्य निर्वाचन अधिकारी उत्तराखंड

भाजपा-कांग्रेस में कांटे का मुक़ाबला

उत्तराखंड की राजनीति में कई अंधविश्वास जुड़े हैं। उनमे से एक टोटका ये भी है कि गंगोत्री विधानसभा सीट पर जिस पार्टी का प्रत्याशी जीतता है, सरकार उसी की बनती है। यहां से सामाजिक तौर पर सक्रिय माधवेंद्र रावत कहते हैं “भाजपा और कांग्रेस में बराबर की टक्कर है। गांववाले भाजपा के पक्ष में खड़े हैं तो शहरी क्षेत्र में कांग्रेस का पलड़ा मज़बूत लग रहा है। लेकिन ये सब अंदाजा ही है”।

आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार और मुख्यमंत्री पद का चेहरा कर्नल अजय कोठियाल ने भी गंगोत्री से चुनाव लड़ा है। माधवेंद्र कहते हैं “ कर्नल को लोग बहुत पसंद कर रहे हैं। वे सिर्फ अपनी पार्टी से पीछे रह गए। उन्होंने हर गांव से वोट लिए हैं। लेकिन उनकी जीत मुश्किल लगती है। उनकी जीत यही है कि कांग्रेस या भाजपा किसी भी पार्टी ने कर्नल कोठियाल के खिलाफ़ कोई प्रचार नहीं किया। और तो और लोग ये तक कह रहे हैं कि अगर वे अगली बार लड़े तो उन्हें जिता देंगे”।

रामनगर में भाजपा से जुड़े पॉलिटिकल एक्टिविस्ट गणेश रावत मानते हैं “कुमाऊं में भाजपा की स्थिति पहले की तुलना में कमज़ोर है। पिछली बार जैसा वोट तो नहीं मिलेगा। विरोधी लहर झेलनी पड़ेगी”।

देहरादून में वरिष्ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला कहते हैं “विरोधी लहर के साथ ही इस बार भाजपा को इस बात की भी कीमत चुकानी पड़ेगी कि एक साल में 3-3 मुख्यमंत्री क्यों बदले? इस बार उत्तराखंड के मतदाताओं ने अपने प्रत्याशियों से सवाल पूछे हैं कि हमारे विकास कार्यों का क्या हुआ? दलबदलुओं से जवाब-तलब किया गया है कि वे हर बार दल क्यों बदल लेते हैं? कई जगह दल बदलने वालों को गांवों में घुसने नहीं दिया गया”।

हालांकि गुणानंद मानते हैं कि नरेंद्र मोदी के नाम पर भाजपा को इस चुनाव में भी फायदा मिलेगा। “पर्वतीय क्षेत्र की ग्रामीण पृष्ठिभूमि में मोदी फैक्टर ने भी काम किया है। लोगों को अपने स्थानीय नेताओं से कोई मतलब नहीं है। उन्होंने मोदी के नाम पर वोट डाला है। साथ ही आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस और भाजपा दोनों को नुकसान पहुंचाया है। ख़ासतौर पर ऊधमसिंहनगर, काशीपुर, गदरपुर के किसान बेल्ट में किसान आंदोलन का असर रहा। यहां के पंजाबी वोटर्स ने आप को सपोर्ट किया। क्योंकि किसान आंदोलन के समय आम आदमी पार्टी ने किसानों का साथ दिया”।

मतदान के बाद देररात वीडियो जारी कर हरीश रावत ने उत्तराखंड में परिवर्तन की उम्मीद जतायी

मतगणना का इंतज़ार

मतदान प्रक्रिया के बाद भाजपा और कांग्रेस पार्टियां अपनी-अपनी जीत के दावे कर रही हैं। 10 मार्च तक ये दावे-अनुमान-आकलन-रुझान जारी रहेंगे। कांग्रेस का मुख्यमंत्री चेहरा हरीश रावत ने वीडियो जारी कर “थैंक्यू उत्तराखंड” कहा और उम्मीद जतायी कि इस बार राज्य में परिवर्तन की बयार बहेगी।

वहीं खटीमा से आज देहरादून पहुंचे पुष्कर सिंह धामी ने मीडिया से बातचीत में राज्य में भाजपा की सरकार गठन के बाद यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने का बयान दिया। उन्होंने कहा “उत्तराखंड सैनिक बाहुल्य प्रदेश है। यहां हर घर से कोई न कोई सेना में है। दो-दो अंतर्राष्ट्रीय सीमाएं हमारे राज्य की सीमा से लगी हुई है। यहां की कानून-व्यवस्था शांत रहनी चाहिए। हमने संकल्प लिया है कि नई सरकार में शपथ लेते ही हम प्रबुद्धजनों की एक हाईपावर कमेटी बनाएंगे और उस कमेटी के सुझाव पर सभी के लिए एक समान कानून लागू किया जाएगा”।

उत्तराखंड में सड़क, गांव, रोजगार, खेती, जंगली जानवर, पलायन, पर्यटन जैसे जरूरी सवाल तो पूछे गए। लेकिन यूनिफॉर्म सिविल कोड का मुद्दा जनता के बीच से तो नहीं उठा।

देहरादून स्थित वर्षा सिंह स्वतंत्र पत्रकार हैं। 
 

Uttrakhand
Uttrakhand election
BJP
Congress

Related Stories

यूपी : आज़मगढ़ और रामपुर लोकसभा उपचुनाव में सपा की साख़ बचेगी या बीजेपी सेंध मारेगी?

त्रिपुरा: सीपीआई(एम) उपचुनाव की तैयारियों में लगी, भाजपा को विश्वास सीएम बदलने से नहीं होगा नुकसान

उत्तराखंड विधानसभा चुनाव परिणाम: हिंदुत्व की लहर या विपक्ष का ढीलापन?

यूपीः किसान आंदोलन और गठबंधन के गढ़ में भी भाजपा को महज़ 18 सीटों का हुआ नुक़सान

जनादेश-2022: रोटी बनाम स्वाधीनता या रोटी और स्वाधीनता

पंजाब : कांग्रेस की हार और ‘आप’ की जीत के मायने

यूपी चुनाव : पूर्वांचल में हर दांव रहा नाकाम, न गठबंधन-न गोलबंदी आया काम !

उत्तराखंड में भाजपा को पूर्ण बहुमत के बीच कुछ ज़रूरी सवाल

गोवा में फिर से भाजपा सरकार

त्वरित टिप्पणी: जनता के मुद्दों पर राजनीति करना और जीतना होता जा रहा है मुश्किल


बाकी खबरें

  • CARTOON
    आज का कार्टून
    प्रधानमंत्री जी... पक्का ये भाषण राजनीतिक नहीं था?
    27 Apr 2022
    मुख्यमंत्रियों संग संवाद करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्य सरकारों से पेट्रोल-डीज़ल के दामों पर टैक्स कम करने की बात कही।
  • JAHANGEERPURI
    नाज़मा ख़ान
    जहांगीरपुरी— बुलडोज़र ने तो ज़िंदगी की पटरी ही ध्वस्त कर दी
    27 Apr 2022
    अकबरी को देने के लिए मेरे पास कुछ नहीं था न ही ये विश्वास कि सब ठीक हो जाएगा और न ही ये कि मैं उनको मुआवज़ा दिलाने की हैसियत रखती हूं। मुझे उनकी डबडबाई आँखों से नज़र चुरा कर चले जाना था।
  • बिहारः महिलाओं की बेहतर सुरक्षा के लिए वाहनों में वीएलटीडी व इमरजेंसी बटन की व्यवस्था
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    बिहारः महिलाओं की बेहतर सुरक्षा के लिए वाहनों में वीएलटीडी व इमरजेंसी बटन की व्यवस्था
    27 Apr 2022
    वाहनों में महिलाओं को बेहतर सुरक्षा देने के उद्देश्य से निर्भया सेफ्टी मॉडल तैयार किया गया है। इस ख़ास मॉडल से सार्वजनिक वाहनों से यात्रा करने वाली महिलाओं की सुरक्षा व्यवस्था बेहतर होगी।
  • श्रीलंका का आर्थिक संकट : असली दोषी कौन?
    प्रभात पटनायक
    श्रीलंका का आर्थिक संकट : असली दोषी कौन?
    27 Apr 2022
    श्रीलंका के संकट की सारी की सारी व्याख्याओं की समस्या यह है कि उनमें, श्रीलंका के संकट को भड़काने में नवउदारवाद की भूमिका को पूरी तरह से अनदेखा ही कर दिया जाता है।
  • israel
    एम के भद्रकुमार
    अमेरिका ने रूस के ख़िलाफ़ इज़राइल को किया तैनात
    27 Apr 2022
    रविवार को इज़राइली प्रधानमंत्री नफ्ताली बेनेट के साथ जो बाइडेन की फोन पर हुई बातचीत के गहरे मायने हैं।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License