NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
स्वास्थ्य
विज्ञान
वातावरण में ग्रीनहाउस गैसों का कंसंट्रेशन रिकॉर्ड स्तर पर : रिपोर्ट
वर्ल्ड मीटियोरॉलॉजिकल ऑर्गेनाइज़ेशन बुलेटिन के मुताबिक़, कार्बन डाईऑक्साइड का वैश्विक औसत संकेंद्रण 2017 के 405.5 PPM से बढ़कर 2018 में 407.8 PPM पहुँच गया है।
संदीपन तालुकदार
27 Nov 2019
ग्रीनहाउस गैसों का कंसंट्रेशन

डबल्यूएमओ (वर्ल्ड मीटिरियोरॉलॉजिकल आर्गेनाइज़ेशन) द्वारा जारी किए गए 'ग्रीनहाउस गैस बुलेटिन' से कई चिंताएं उभरकर सामने आई हैं। इस रिपोर्ट को ग्रीनहाउस गैस की वैश्विक स्थिति परखने के लिए जारी किया गया है। बता दें ग्रीनहाउस गैस, ग्लोबल वार्मिंग का प्राथमिक कारण है। बुलेटिन के मुताबिक़, वातावरण में ग्रीनहाउस गैसों के स्तर ने एक नए पायदान को छू लिया है। 2018 में कार्बन डाइऑक्साइड का ''ग्लोबल एवरेज कंसंट्रेशन (औसत वैश्विक संकेंद्रण)'' 407.8 PPM (पार्ट्स पर मिलियन) पहुंच चुका है। 2017 में यह 405.5 PPM था। 

2017-18 में 2016-17 की तरह ही बढ़ोत्तरी हुई है। यहां बताना ज़रूरी है कि 2015 में ही कार्बन डाइऑक्साइड ने 400 PPM की बेहद अहम हद पार कर ली थी।  हाल के नतीज़ों से पता चलता है कि 2015 से ग्रीनहाउस गैस के स्तर में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है। कार्बन डाइऑक्साइड वातावरण या समुद्र में कई सदियों या उससे भी ज़्यादा वक़्त तक रह सकती है। ग्रीनहाउस गैसों में हो रही बढ़ोत्तरी से पता चलता है कि आगे ग्लोबल वार्मिंग और बढ़ेगी। मौसम में बड़े पैमाने पर बदलाव देखने को मिलेगा, जिसमें वातावरण ज़्यादा ख़राब होता जाएगा और समुद्र का जल स्तर बढ़ने, जंगल की आग जैसी परिघटनाएं होंगी।

ध्यान दें कि तीन से पांच मिलियन साल पहले पृथ्वी ने इस स्तर का कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन देखा था। उस वक़्त जो भयावह चीजें हुईं, उनका अंदाज़ा हम बदलते मौसम के परिणामों में लगाते हैं। जैसे तब का तापमान आज से दो-तीन डिग्री सेल्सियस ज़्यादा हो गया था। वहीं समुद्र जल का स्तर आज के स्तर से 10-20 मीटर ज़्यादा पहुंच गया था। 

कार्बन डाइऑक्साइड एक ऐसी गैस है, जो ताप को थाम कर रखती है, क्योंकि यह बहुत लंबे वक़्त तक बनी रहती है। तापमान बढ़ाने के लिए ज़िम्मेदार गैसों में 80 फ़ीसदी हिस्सा कार्बन डाइऑक्साइड का है। बुलेटिन के मुताबिक़ जीवाश्म ईंधन को जलाना कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन की सबसे बड़ी वजह है। इसके मुताबिक़, ''जीवाश्म ईंधन लाखों साल पहले के पेड़-पौधों से बना है। इसमें रेडियोकॉर्बन नहीं होते। इसे जलाने से 'रेडियोकार्बन मुक्त कार्बन डाइऑक्साइड' की मात्रा बढ़ेगी। कार्बन डाइऑक्साइड में भी बढ़ोत्तरी होगी और इसकी रेडियोकार्बन सामग्री कम होगी। हाल के पैमानों के मापन से भी इसी बात का पता चला है।''

wmo.jpg

मीथेन

दूसरा सबसे बड़ा कारण मीथेन है। बुलेटिन के मुताबिक़ वातावरण में मौजूद मीथेन अब 1,869 पार्ट्स पर बिलियन (PPB) के नए स्तर पर पहुंच चुका है। यह पूर्व-औद्योगिक काल का 259 फ़ीसदी है। 2016 और 2017 में जितना मीथेन स्तर बढ़ा और पिछले दशक में जितना औसत मीथेन स्तर बढ़ा, 2017-18 में मीथेन का स्तर इन दोनों से ज़्यादा रहा। क़रीब 40 फ़ीसदी मीथेन आर्द्रभूमि जैसे प्राकृतिक स्त्रोतों से पैदा होती है। वहीं 60 फ़ीसदी मीथेन पशुपालन, चावल उत्पादन, जीवाश्म और बॉयोमास को जलाने जैसी मानवीय गतिविधियों से पैदा होती है। 

wmo1_1.jpg

नाइट्रस ऑक्साइड

एक तीसरे प्रदूषक नाइट्रस ऑक्साइड का ज़िक्र भी बुलेटिन में है। यह गैस स्ट्रैटोस्फ़ेरिक ओज़ोन के क्षरण में अहम किरदार निभाती है। ओज़ोन हमें सूर्य से आने वाली हानिकारक अल्ट्रावॉयलेट किरणों से सुरक्षा प्रदान करती है। नाइट्रस ऑक्साइड का 60 फ़ीसदी हिस्सा प्राकृतिक स्त्रोतों से, वहीं 40 फ़ीसदी हिस्सा मानवजन्य गतिविधियों से पैदा होता है। इसमें समुद्र, मिट्टी, बायोमास दहन, फर्टिलाइज़र का उपयोग और दूसरी औद्योगिक गतिविधियां शामिल हैं।

2018 में इसका वातावरण में संकेंद्रण 331.1 PPB था। यह पूर्व औद्योगिक काल से 123 फ़ीसदी ज़्यादा है। 2017-18 में जो बढ़ोत्तरी हुई है, वो 2016-17 में हुई बढ़ोत्तरी और पिछले दशक की औसत वृद्धि से ज़्यादा है।

wmo2_0.jpg

WMO Greenhouse Gas Bulletin
WMO
global warming
climate change
Sea Level Rise.

Related Stories

गर्म लहर से भारत में जच्चा-बच्चा की सेहत पर खतरा

विश्व जल दिवस : ग्राउंड वाटर की अनदेखी करती दुनिया और भारत

धरती का बढ़ता ताप और धनी देशों का पाखंड

1400 वैज्ञानिकों की चेतावनी : जलवायु परिवर्तन पर क़दम नहीं उठाए तो मानवता झेलेगी 'अनकही पीड़ा'

विकसित देशों के रास्ते पर चलना भारत के लिए बुद्धिमानी भरा नहीं है : प्रो. विक्रम सोनी

संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट: लॉकडाउन से कार्बन उत्सर्जन को कम करने में कोई ख़ास मदद नहीं मिली

उपभोग की आदतों में बदलाव से हो सकती है भू-मंडल और जीव-मंडल की रक्षा!

उत्तराखंड : किसानों ने पहाड़ी क्षेत्रों में बारिश, ओलावृष्टि से हुए फसल के नुक़सान के लिए मांगा मुआवज़ा

टिड्डी कीट संकट : मौसम परिवर्तन हो सकती है वज़ह

जलजमाव और जलवायु परिवर्तन से बिहार में महामारी बना डेंगू!


बाकी खबरें

  • hisab kitab
    न्यूज़क्लिक टीम
    महामारी के दौर में बंपर कमाई करती रहीं फार्मा, ऑयल और टेक्नोलोजी की कंपनियां
    26 May 2022
    वर्ल्ड इकॉनोमिक फोरम की वार्षिक बैठक में ऑक्सफैम इंटरनेशनल ने " प्रोफिटिंग फ्रॉम पेन" नाम से रिपोर्ट पेश की। इस रिपोर्ट में उन ब्यौरे का जिक्र है जो यह बताता है कि कोरोना महामारी के दौरान जब लोग दर्द…
  • bhasha singh
    न्यूज़क्लिक टीम
    हैदराबाद फर्जी एनकाउंटर, यौन हिंसा की आड़ में पुलिसिया बर्बरता पर रोक लगे
    26 May 2022
    ख़ास बातचीत में वरिष्ठ पत्रकार भाषा सिंह ने बातचीत की वरिष्ठ अधिवक्ता वृंदा ग्रोवर से, जिन्होंने 2019 में हैदराबाद में बलात्कार-हत्या के केस में किये फ़र्ज़ी एनकाउंटर पर अदालतों का दरवाज़ा खटखटाया।…
  • अनिल अंशुमन
    बिहार : नीतीश सरकार के ‘बुलडोज़र राज’ के खिलाफ गरीबों ने खोला मोर्चा!   
    26 May 2022
    बुलडोज़र राज के खिलाफ भाकपा माले द्वारा शुरू किये गए गरीबों के जन अभियान के तहत सभी मुहल्लों के गरीबों को एकजुट करने के लिए ‘घर बचाओ शहरी गरीब सम्मलेन’ संगठित किया जा रहा है।
  • नीलांजन मुखोपाध्याय
    भाजपा के क्षेत्रीय भाषाओं का सम्मान करने का मोदी का दावा फेस वैल्यू पर नहीं लिया जा सकता
    26 May 2022
    भगवा कुनबा गैर-हिंदी भाषी राज्यों पर हिंदी थोपने का हमेशा से पक्षधर रहा है।
  • सरोजिनी बिष्ट
    UPSI भर्ती: 15-15 लाख में दरोगा बनने की स्कीम का ऐसे हो गया पर्दाफ़ाश
    26 May 2022
    21 अप्रैल से विभिन्न जिलों से आये कई छात्र छात्रायें इको गार्डन में धरने पर बैठे हैं। ये वे छात्र हैं जिन्होंने 21 नवंबर 2021 से 2 दिसंबर 2021 के बीच हुई दरोगा भर्ती परीक्षा में हिस्सा लिया था
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License