NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
शिक्षा
भारत
राजनीति
केन्द्रीय विश्वविद्यालयों में तकरीबन 33% शिक्षण पद खाली 
संसद में कनिष्ठ मानव संसाधन मंत्री के अनुसार केन्द्रीय विश्वविद्यालयों के लिए स्वीकृत 18,905 संकाय पदों में से 1 अक्टूबर 2021 तक 6,333 पद रिक्त पड़े हुए थे।
दित्सा भट्टाचार्य
22 Dec 2021
college

नई दिल्ली: केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री अन्नपूर्णा देवी के द्वारा 20 दिसंबर को लोकसभा में प्रस्तुत किये गए एक आंकड़े के मुताबिक केन्द्रीय विश्वविद्यालयों में 33% से अधिक संकाय पद रिक्त हैं। आंकड़ों के मुताबिक 1 अक्टूबर 2021 तक केन्द्रीय विश्वविद्यालयों में कुल स्वीकृत 18,905 संकाय पदों में से 6,333 शिक्षकों के पद खाली पड़े थे।

प्राध्यापकों के लिए मंजूर 2,544 पदों में से 1,072 पदों यानि 42% पदों को भी भरा जा सका था। एसोसिएट प्रोफेसरों के लिए स्वीकृत 5,098 पदों में से सिर्फ 2,702 यानि 53% पद ही भरे गये थे। सहायक प्रोफेसरों के मामले में स्थिति कुछ बेहतर है, जहाँ पर 11,263 मंजूर पदों में से 8,798 यानि 78% पदों पर नियुक्तियां हुई हैं। 

मंत्री द्वारा इस प्रश्न के जवाब में सदन को यह जानकारी दी गई थी, जिसमें पूछा गया था कि क्या सरकार शिक्षकों की कमी का सामना कर रही है। उन्होंने अपने लिखित जवाब में बताया, “यूजीसी ने सूचित किया है कि शिक्षा की गुणवत्ता को बनाये रखने और शिक्षकों की कमी को पूरा करने के लिए केंद्रीय विश्वविद्यालयों द्वारा अलग-अलग नियमों को अपनाया जा रहा है, जिसमें तदर्थ संकाय की नियुक्ति से लेकर अतिथि संकाय, संविदा संकाय सहित पुनर्नियोजित संकाय शामिल हैं।”

देवी ने कहा, “यूजीसी ने विश्वविद्यालयों और कालेजों में तदर्थ-संकाय के मनोनयन के लिए दिशानिर्देशों को भी तैयार किया है, जिसके जरिये उच्च शिक्षण संस्थाओं में उन लब्ध-प्रतिष्ठ शिक्षकों और शोधार्थियों तक पहुँच बनाना संभव हो सका है, जिन्होंने शिक्षण में भाग लेने के लिए विश्वविद्यालय/कालेज के साथ अपनी औपचारिक सम्बद्धता को पूरा कर लिया है। ऐसे लोगों को एम. फिल और पीएचडी स्तर पर गुणवत्तापूर्ण शोध में अनुसंधान गतिविधियों में सहयोग देने और प्रोत्साहित करने के लिए शामिल किया जा रहा है।” 

सरकार के आंकड़ों के मुताबिक, देश में फिलहाल 48 केंद्रीय विश्वविद्यालय हैं। इन विश्वविद्यालयों में छात्रों की संख्या 7,20,025 है।

हालाँकि, सरकार के आंकड़ों में शिक्षकों की संख्या को लेकर भारी विसंगतियां मौजूद हैं। 2019-2020 के अखिल भारतीय उच्च शिक्षा सर्वेक्षण (एआईएसएचई) में पेश किये गए आंकड़ों में जहाँ 20,815 शिक्षक कार्यरत दिखाए गए हैं, किंतु आंकड़े इस बात को स्पष्ट नहीं करते हैं कि इसमें तदर्थ, अतिथि, संविदा एवं पुनर्नियोजित संकाय भी शामिल हैं या नहीं।

सितंबर 2021 में शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने केंद्रीय विश्वविद्यालयों को दो महीने के भीतर 6,000 से अधिक रिक्त पदों को भरने की समय-सीमा दी थी। 45 केंद्रीय विश्वविद्यालयों के उप-कुलपतियों के साथ अपने पहली मुलाक़ात में उन्होंने कहा था कि, “हमें एक लक्ष्य के साथ काम करने की जरूरत है। शिक्षा पर्व के दौरान,l आइये हम एक अभियान की शुरुआत करते हैं, सितंबर और अक्टूबर के भीतर इन 6,000 सीटों को भरने के लक्ष्य को पूरा करते हैं।” उन्होंने कहा था कि हालाँकि कुछ विश्वविद्यालयों में कतिपय विसंगतियां हो सकती हैं, किंतु सभी संस्थानों को 10 सितंबर तक अपने रिक्त पदों के लिए विज्ञापन दे देना चाहिए।

जिन उप-कुलपतियों ने इस बैठक में हिस्सा लिया था उनका कहना था कि बैठक में उन बैकलॉग रिक्तियों को भरने पर विशेष ध्यान दिया गया था- जो विज्ञापित किये जाने के बावजूद भरा नहीं जा सका है - और साथ ही उन रिक्त पदों को जो अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं अन्य पिछड़ा वर्ग के समुदायों के लिए आरक्षित हैं। प्रधान ने कहा था कि उनमें से 6,229 रिक्त पदों में से, 1,767 ओबीसी वर्ग के लिए, 1,012 अनुसूचित जातियों के लिए और 592 पद अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षित थे। 

हालाँकि, सोमवार को लोकसभा में इस प्रश्न का जवाब देते वक्त, राज्य मंत्री इस बात का उल्लेख कर पाने में विफल रहीं कि क्या विश्वविद्यालयों ने इन दिशा-निर्देशों का पालन किया, और क्या वास्तव में रिक्त पदों को भरा गया। जिन आंकड़ों को पेश किया गया था वे 1 अक्टूबर के थे, और यह जानने का कोई तरीका नहीं है कि क्या विश्वविद्यालयों ने आदेश पर कार्यवाई की थी या नहीं। आंकड़े सिर्फ इस बात को दर्शाते हैं कि मंत्री के आदेश और 1 अक्टूबर के बीच में रिक्त पदों की संख्या में कमी आने के बजाय थोड़ी सी बढ़ोत्तरी ही हो गई है।

इससे पहले, 15 दिसंबर को प्रधान ने संसद को बताया था कि सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (आईआईटी) और भारतीय प्रबंधन संस्थानों (आईआईएम) में 10,000 से अधिक संकाय पद रिक्त पड़े हैं। राज्य सभा में एक लिखित जवाब में मंत्री ने बताया था कि कुल 10,814 रिक्तियों में से इग्नू सहित केंद्रीय विश्वविद्यालयों में कुल रिक्त पदों की संख्या 6,535 है, जबकि 403 पद आईआईएम में और 3,876 पद आईआईटी में रिक्त हैं।

जब इस बाबत पूछा गया कि क्या सरकार की विश्वविद्यालयों में नियुक्तियों के लिए पात्रता संबंधी मानदंडों में कुछ रियायत दिए जाने की योजना है, पर राज्य मंत्री का इस बारे में कहना था कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के दिशानिर्देशों के मुताबिक ही विश्वविद्यालयों के द्वारा नियुक्तियां की जा जाती हैं। 

College Teacher
teacher vacancy
education ministry
central university
vacancy in central university

Related Stories

बीएचयू: लाइब्रेरी के लिए छात्राओं का संघर्ष तेज़, ‘कर्फ्यू टाइमिंग’ हटाने की मांग

बीएचयू: 21 घंटे खुलेगी साइबर लाइब्रेरी, छात्र आंदोलन की बड़ी लेकिन अधूरी जीत

केंद्रीय विश्वविद्यालयों में अध्यापक नहीं होंगे तो पढ़ाई कहां से होगी?

मोदी सरकार की नई शिक्षा नीति एक और विनाशकारी दुस्साहस!

परीक्षा का मसला: छात्रों का सोशल मीडिया से लेकर सड़क तक विरोध प्रदर्शन जारी

जामिया में सेमेस्टर परीक्षाओं का ऐलान, छात्रों में अभी भी डर का माहौल

नागरिकता संशोधन विधेयक के खिलाफ सड़कों पर उतरा छात्रों का हुज़ूम, कहीं प्रदर्शन तो कहीं निकाला मशाल जुलूस

जेएनयू के समर्थन में बीएचयू : छात्रों ने किया विरोध प्रदर्शन

दिल्ली से उत्तराखंड तक : पढ़ने की जगह आंदोलन क्यों कर रहे छात्र?

बीएचयू : यौन उत्पीड़न के आरोपी प्रोफ़ेसर की बहाली के ख़िलाफ़ छात्र-छात्राओं का विरोध प्रदर्शन


बाकी खबरें

  • न्यूजक्लिक रिपोर्ट
    संतूर के शहंशाह पंडित शिवकुमार शर्मा का मुंबई में निधन
    10 May 2022
    पंडित शिवकुमार शर्मा 13 वर्ष की उम्र में ही संतूर बजाना शुरू कर दिया था। इन्होंने अपना पहला कार्यक्रम बंबई में 1955 में किया था। शिवकुमार शर्मा की माता जी श्रीमती उमा दत्त शर्मा स्वयं एक शास्त्रीय…
  • न्यूजक्लिक रिपोर्ट
    ग़ाज़ीपुर के ज़हूराबाद में सुभासपा के मुखिया ओमप्रकाश राजभर पर हमला!, शोक संतप्त परिवार से गए थे मिलने
    10 May 2022
    ओमप्रकाश राजभर ने तत्काल एडीजी लॉ एंड ऑर्डर के अलावा पुलिस कंट्रोल रूम, गाजीपुर के एसपी, एसओ को इस घटना की जानकारी दी है। हमले संबंध में उन्होंने एक वीडियो भी जारी किया। उन्होंने कहा है कि भाजपा के…
  • कामरान यूसुफ़, सुहैल भट्ट
    जम्मू में आप ने मचाई हलचल, लेकिन कश्मीर उसके लिए अब भी चुनौती
    10 May 2022
    आम आदमी पार्टी ने भगवा पार्टी के निराश समर्थकों तक अपनी पहुँच बनाने के लिए जम्मू में भाजपा की शासन संबंधी विफलताओं का इस्तेमाल किया है।
  • संदीप चक्रवर्ती
    मछली पालन करने वालों के सामने पश्चिम बंगाल में आजीविका छिनने का डर - AIFFWF
    10 May 2022
    AIFFWF ने अपनी संगठनात्मक रिपोर्ट में छोटे स्तर पर मछली आखेटन करने वाले 2250 परिवारों के 10,187 एकड़ की झील से विस्थापित होने की घटना का जिक्र भी किया है।
  • राज कुमार
    जनवादी साहित्य-संस्कृति सम्मेलन: वंचित तबकों की मुक्ति के लिए एक सांस्कृतिक हस्तक्षेप
    10 May 2022
    सम्मेलन में वक्ताओं ने उन तबकों की आज़ादी का दावा रखा जिन्हें इंसान तक नहीं माना जाता और जिन्हें बिल्कुल अनदेखा करके आज़ादी का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है। उन तबकों की स्थिति सामने रखी जिन तक आज़ादी…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License