NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
संस्कृति
फिल्में
कला
रंगमंच
भारत
“वह कह सकते हैं कि उन्हें अमोल पालेकर की नाक पसंद नहीं, इसलिए इसे काट दो”
वरिष्ठ, अनुभवी थियटर पर्सन और फिल्म अभिनेता, निर्देशक अमोल पालेकर के भाषण को आयोजकों ने उस वक्त बीच में ही रोक दिया जब वे मुंबई में अतिथि वक्ता के रूप में, सरकार द्वारा किए जा रहे नीतिगत बदलावों के बारे में अपनी चिंता व्यक्त कर रहे थे।
सुभाष के. झा, आईएएनएस
12 Feb 2019
Translated by महेश कुमार
Actor filmmaker Amol Palekar
Photo: Ravi Shankar Vyas/IANS (File)

मुंबई: वरिष्ठ, अनुभवी अभिनेता-निर्देशक अमोल पालेकर द्वारा उठाए गए सवालों के जवाब के लिए राष्ट्रीय गैलरी ऑफ़ मॉडर्न आर्ट (एनजीएमए) से बेहतर कोई मंच नहीं हो सकता था, जिन्हें उन्होंने उठाया भी लेकिन आयोजकों ने उनकी सरकार द्वारा लाए जा रहे नीतिगत बदलावों की आलोचना से नाराज़ होकर उनका भाषण बीच में ही रोक दिया।

पिछले हफ्ते, एनजीएमए में, पालेकर को कलाकार प्रभाकर बर्वे की स्मृति में एक प्रदर्शनी के उद्घाटन में अतिथि वक्ता के रूप में आमंत्रित किया गया था। अपने भाषण में जब उन्होंने नीतिगत बदलावों पर चिंता व्यक्त की जो केंद्र में संस्कृति मंत्रालय को पूरा अधिकार देते हैं कि वह मुंबई और बेंगलुरु में एनजीएमए के तहत होने वाली प्रदर्शनियों की सामग्री और विषयों को तय करें, तो उनके भाषण को बीच में रोक दिया गया।

पालेकर ने कहा कि जो हुआ उसके बारे में "हैरान" होने की कोई बात नहीं है।

पेश हैं उनसे किए गए साक्षात्कार के कुछ अंश:

प्र. जब आपको मंच पर एक तरह से चुप रहने को कहा गया, तो आपकी क्या प्रतिक्रिया थी?

उ. मैं स्तब्ध रह गया था। शालीनता के सभी मानदंडों को तोड़ दिया गया... इसलिए मैं परेशान था। लेकिन मैंने अपने शांत भाव और शोभा को बनाए रखा, हालाँकि मंच पर शालीनता की रेखा को पार कर दिया गया था।

प्र. इस असभ्य हस्तक्षेप की पृष्ठभूमि क्या है जिसका आपको मंच पर सामना करना पड़ा?

उ. क्या आपने मेरा पूरा भाषण सुना और देखा है? यह नेट पर उप्लब्ध है। कृपया इसे पढ़ें और सुनें। मुझे केवल उन आधी चीजों को कहने की अनुमति दी गई थी जो मैं मंच पर कहना चाहता था।

प्र. क्या यह स्वस्थ बहस के अनुकूल माहौल नहीं है?

उ. बिल्कुल नहीं है। बोलने से रोकने के बाद मैं यही कहना चाह रहा था। मुझे बाधित करने के लिए उनकी ओर से कोई औचित्य नहीं था... और वे जोर देकर कहते हैं कि वे मेरे भाषण को बाधित नहीं कर रहे थे, बल्कि मुझसे अनुरोध कर रहे थे... क्या इस तरह इन मुद्दों को एक मंच पर उठाना मेरे लिए अनुचित था। लेकिन मेरा तर्क है, वास्तव में इन मुद्दों को उठाने के लिए यही सही मंच है क्योंकि मैं एनजीएमए की कार्यप्रणाली से संबंधित प्रश्न उठा रहा था।

मैंने बर्वे के बारे में बोलना शुरू किया कि मैं कैसे उन्हें व्यक्तिगत रूप से जानता था और एक कलाकार और उनकी कला के बारे मैं उनके बारे में क्या सोचता था। मैं निर्विवाद रूप से कह सकता हूं कि मैं उस कार्यक्रम में एकमात्र वक्ता था जिसने बर्वे की कला के बारे में बात की थी।

प्र. फिर क्या हुआ?

उ. तब मैंने कहा कि यह अंतिम रेट्रोस्पेक्टिव्स कार्यक्रम है जो एनजीएमए के पाक-साफ़ परिसर में होने की संभावना थी, और फिर मैंने इस बारे में कहा कि सलाहकार समिति को कैसे भंग कर दिया गया था। अंत में, मैंने यह सोचकर निष्कर्ष निकाला कि बर्वे होते तो वे इस बारे में क्या सोचते (समिति को भंग करने और कलाकारों के आगे के रेट्रोस्पेक्टिव्स को रद्द करने के फैसले के लिए)।

प्र. वे तर्क देंगे कि ऐसा कहने के लिए तो आपको आमंत्रित नहीं किया गया था?

उ. मुझे नहीं लगता कि मैं इस विषय को अनावश्यक रूप उठाया या कुछ भी अप्रासंगिक कहा। मेरे अनुसार, यह मेरे द्वारा उठाए गए सवालों को उठाने का सही मंच था। मेरा मतलब है, अगर मैं एनजीएमए के मंच पर एनजीएमए के कामकाज पर सवाल नहीं उठाता हूं, तो मुझे उन्हें कहां उठाना चाहिए? क्या मुझे उन्हें डाइनिंग टेबल पर एक निजी डिनर पर उठाना चाहिए?

प्र. सच्चे लोकतंत्र के एक योद्धा के रूप में, आप पिछली सरकारों की तुलना में वर्तमान सरकार के रवैये की तुलना कैसे करते हैं?

उ. मैं कहता हूं कि सेंसरशिप अब पहले की तुलना में कई गुना बढ़ गई है। मैं सेंसरशिप के खिलाफ हमेशा से लड़ रहा हूं। मैंने 1960 के दशक के अंत या 1970 के दशक की शुरुआत में सेंसरशिप के खिलाफ अपना पहला केस लड़ा था। अब भी, मैंने सिनेमा में सेंसरशिप के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। मुंबई उच्च न्यायालय में, मैंने थिएटर में सेंसरशिप के खिलाफ याचिका दायर की है। मैं जिंदगी भर सेंसरशिप से लड़ता रहा हूं। और मैं ऐसा करना जारी रखूंगा।

प्र. हमारे देश के सेंसरशिप कानूनों के बारे में आप क्या कहेंगे?

उ. मैं कहता हूं कि किसी भी रूप में सेंसरशिप का होना गलत है। आजकल, कोई भी उठकर यह कह सकता है कि उसकी भावनाओं को ठेस पहुंची है, कि उसके विश्वास को चोट पहुंचायी जा रही है। या वह कह सकते हैं कि उन्हें अमोल पालेकर की नाक का आकार पसंद नहीं है, इसलिए इसे काट दो।

प्र. आपकी नहीं साहब, वे दीपिका पादुकोण की नाक काटना चाहते थे?

उ. रोग तो एक ही है।


बाकी खबरें

  • itihas ke panne
    न्यूज़क्लिक टीम
    मलियाना नरसंहार के 35 साल, क्या मिल पाया पीड़ितों को इंसाफ?
    22 May 2022
    न्यूज़क्लिक की इस ख़ास पेशकश में वरिष्ठ पत्रकार नीलांजन मुखोपाध्याय ने पत्रकार और मेरठ दंगो को करीब से देख चुके कुर्बान अली से बात की | 35 साल पहले उत्तर प्रदेश में मेरठ के पास हुए बर्बर मलियाना-…
  • Modi
    अनिल जैन
    ख़बरों के आगे-पीछे: मोदी और शी जिनपिंग के “निज़ी” रिश्तों से लेकर विदेशी कंपनियों के भारत छोड़ने तक
    22 May 2022
    हर बार की तरह इस हफ़्ते भी, इस सप्ताह की ज़रूरी ख़बरों को लेकर आए हैं लेखक अनिल जैन..
  • न्यूज़क्लिक डेस्क
    इतवार की कविता : 'कल शब मौसम की पहली बारिश थी...'
    22 May 2022
    बदलते मौसम को उर्दू शायरी में कई तरीक़ों से ढाला गया है, ये मौसम कभी दोस्त है तो कभी दुश्मन। बदलते मौसम के बीच पढ़िये परवीन शाकिर की एक नज़्म और इदरीस बाबर की एक ग़ज़ल।
  • diwakar
    अनिल अंशुमन
    बिहार : जन संघर्षों से जुड़े कलाकार राकेश दिवाकर की आकस्मिक मौत से सांस्कृतिक धारा को बड़ा झटका
    22 May 2022
    बिहार के चर्चित क्रन्तिकारी किसान आन्दोलन की धरती कही जानेवाली भोजपुर की धरती से जुड़े आरा के युवा जन संस्कृतिकर्मी व आला दर्जे के प्रयोगधर्मी चित्रकार राकेश कुमार दिवाकर को एक जीवंत मिसाल माना जा…
  • उपेंद्र स्वामी
    ऑस्ट्रेलिया: नौ साल बाद लिबरल पार्टी सत्ता से बेदख़ल, लेबर नेता अल्बानीज होंगे नए प्रधानमंत्री
    22 May 2022
    ऑस्ट्रेलिया में नतीजों के गहरे निहितार्थ हैं। यह भी कि क्या अब पर्यावरण व जलवायु परिवर्तन बन गए हैं चुनावी मुद्दे!
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License