NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
विज्ञान
भारत
राजनीति
विज्ञान और वैज्ञानिक संस्थाएं मोदी शासन में क्या अस्तित्व बचा पाएंगी?
मोदी के संरक्षण में इंडियन साइंस कांग्रेस ने विज्ञान के रूप में राजनीतिक शक्ति द्वारा समर्थित निरर्थक बयानों की अनुमति दे कर अपने अस्तित्व और प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाया है।
प्रबीर पुरुकायास्थ
11 Jan 2019
modi
Image Courtesy: IANS

इस वर्ष इंडियन साइंस कांग्रेस का आयोजन जालंधर में किया गया। इसमें साइंस कांग्रेस को फिर अपमान झेलना पड़ा जैसा पिछले कुछ वर्षों से होता आ रहा है। नोबेल पुरस्कार से सम्मानित वैज्ञानिक वेंकटरमन रामकृष्णन ने अपने मुंबई सत्र में चर्चा के दौरान इसे एक सर्कस करार दिया। उन्होंने वक्ताओं के प्राचीन भारत में विमान और जेनेटिक इंजीनियरिंग आदि जैसे बयान को अतार्किक बताया। दीनानाथ बत्रा स्कूल से विज्ञान को लेकर निरर्थक बयान देने की शुरू हुई परंपरा अब भी जारी है। इस साइंस कांग्रेस में प्रत्येक वर्ष चौंकाने वाले दावे किए गए।

हमें आश्चर्यचकित नहीं होना चाहिए कि अक्षय ऊर्जा में डिग्री प्राप्त एक इंजीनियर केजे कृष्णन का दावा है कि वह आइंस्टीन, हॉकिंग और न्यूटन से बेहतर है। उनका यह मानना है कि गुरुत्वाकर्षण तरंगों को "नरेंद्र मोदी तरंग" कहा जाना चाहिए, और गुरुत्वाकर्षण लेंस को "हर्षवर्धन" लेंस कहा जाना चाहिए। चौंकाने वाली बात यह है कि क्या आंध्र विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर और रसायनशास्त्री जीएन राव को कौरवों के टेस्ट-ट्यूब बेबी होने और रावण के पास कई प्रकार के विमान होने की बात करनी चाहिए थी।

जो सबसे ज़्यादा निंदनीय है वह यह कि इस तरह के पूरे बकवास तर्क को बच्चों के सामने विज्ञान के रूप में गंभीरता से बताया गया। वे दोनों 'मीट द साइंटिस्ट्स ऑफ द चिल्ड्रन साइंस कांग्रेस' सत्र में बोल रहे थे। निस्संदेह बच्चों में आलोचनात्मक तर्क की अधिक विकसित भावना होती है ऐसे में वे वक्ताओं के तर्कहीन तथा तथ्य से परे विचार को नकार देंगे। हम अभी भी दोषपूर्ण तर्क के साथ रह सकते हैं लेकिन हम क्या करते हैं, जब लोग वैज्ञानिक होने का दावा करते हैं, वे न केवल अप्रमाणिक सिद्धांत बल्कि अप्रमााणिक तथ्य भी प्रस्तुत करते हैं? नरेंद्र मोदी सरकार के संरक्षण में सत्य के बाद की दुनिया विज्ञान के इस प्रकार के चर्चा में प्रवेश कर रही है?

'मोदी तरंग’ का विचार देने वाले केजे कृष्णन तमिलनाडु के अलियार में वर्ल्ड कम्यूनिटी सर्विस सेंटर में एक वरिष्ठ शोध वैज्ञानिक बताए जाते हैं। वर्ल्ड कम्यूनिटी सेंटर की वेबसाइट खंगालने पर पता चला कि विभिन्न लोगों के नाम की तरंगों का वर्णन करना केंद्र की एक पहचान है। इस केंद्र के संस्थापक वेथाथिरी "महर्षि" ने भी"वेथाथिरी तरंगों" की खोज की है। ये केंद्र कुंडलिनी योग सिखाता है, पाठ्यक्रम और अन्य सामग्री बेचता है, और कई अन्य धार्मिक "गुरुओं" के केंद्रों की तरह एक व्यावसायिक उद्यम है।

सवाल यह नहीं है कि धोखाधड़ी करने वाले वैज्ञानिक और नीमहकीम हैं, असल मुद्दा यह है कि देश की सबसे बड़ी वैज्ञानिक सभा इस तरह की निरर्थक मेजबानी कैसे करता है? भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन के एक भाग के रूप में स्थापित साइंस कांग्रेस की संस्कृति स्वतंत्र भारत द्वारा आधुनिक राष्ट्र के रूप में इसके मत के आधार के रूप में समर्थित स्व-इच्छुक नीमहकीम को कैसे एक मंच प्रदान करता है? सवाल यह है कि साइंटिस्ट तथा साइंस एक्टिविस्ट के कई संगठन बन गए हैं। यहां तक कि प्रधानमंत्री के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार के विजयराघवन यह कहते हैं कि आंध्र विश्वविद्यालय के चांसलर, वाइस चांसलर जीएन राव के ख़िलाफ़ औपचारिक शिकायत दर्ज करें।

ऑल इंडिया पीपुल्स साइंस नेटवर्क ने अपने बयान में कहा:

...पुराण-विद्या को विज्ञान के साथ जोड़ा जा रहा है, जो न केवल आधारहीन और अवैज्ञानिक है बल्कि प्राचीन भारत की वास्तविक वैज्ञानिक/तकनीकी उपलब्धियों को भी नज़रअंदाज़ करता है। यह विशेष रूप से निंदनीय है कि इन अवैज्ञानिक विचारों को चिल्ड्रेन साइंस कांग्रेस में मौजूद युवा और उनके शिक्षकों को बताया जा रहा है।

 

वर्ष 2014 में प्रधानमंत्री द्वारा भारतीय विज्ञान कांग्रेस में किए गए दावे (गणेश प्लास्टिक सर्जरी के प्रतीक हैं), वर्ष 2018 में विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. हर्षवर्धन (स्टीफन हॉकिंग को उद्धृत करते हुए कहा कि मास इनर्जी इक्वीवैलेंस का संबंध वेदों से है) और अन्य आमंत्रित वक्ता (वर्ष 2015 में आनंद बोडास ने कहा कि प्राचीन भारत में विमान परिचालन होता था; वर्ष 2016 में पांडे ने पर्यावरणविद् के रूप में शिव को बताया, शर्मा ने कहा शंख बजाने से स्वास्थ्य लाभ मिलता है) के दावे वैज्ञानिक सोच को विकसित करने की आवश्यकता के संबंध में संविधान के निर्देशित सिद्धांतों की भावना के ख़िलाफ़ हैं। इसके अलावा भारतीय विज्ञान कांग्रेस का निर्दिष्ट विचार "आम लोगों के बीच वैज्ञानिक सोच को बढ़ाना" है।


इंडियन साइंस कांग्रेस के इस दुरुपयोग को रोकने के लिए ऑल इंडिया पीपुल्स साइंस नेटवर्क ने राष्ट्रपति, पीएमओ के वैज्ञानिक सलाहकार, तीन भारतीय विज्ञान अकादमियों और इंडियन साइंस कांग्रेस एसोसिएशन से मांग की है कि वर्ष 2014 से छद्म विज्ञान और तर्कहीनता फैलाने के लिए इंडियन साइंस कांग्रेस के निरंतर दुरुपयोग को रोकने के लिए क़दम उठाएं…

सार्वजनिक आक्रोश और वैश्विक निंदा से नाराज़ इंडियन साइंस कांग्रेस एसोसिएशन ने सभी आमंत्रित वक्ताओं से ब्योरा मांगते हुए प्रस्ताव पारित किया है कि उन्हें कोई तर्कहीन और अवैज्ञानिक दावा नहीं करना चाहिए, और आमंत्रित वक्ताओं के भाषणों का संक्षिप्त विवरण मांगा है।

इंडियन साइंस कांग्रेस उन कई सार्वजनिक संस्थानों में से एक है जिसे मोदी सरकार द्वारा कमज़ोर या नष्ट किया गया है। तीस के दशक में जर्मनी में नाजी से सहानुभूति रखने वाले सैंकड़ों वैज्ञानिकों ने यहूदी षड्यंत्र के रूप में सापेक्षता के सिद्धांत की निंदा करते हुए एक बयान जारी किया था। आइंस्टीन ने जवाब दिया: काश यह सच होता तो एक वैज्ञानिक पर्याप्त होता। विज्ञान को रक्षा की आवश्यकता नहीं है; इसकी वैधता को भाषणों या बयानों के माध्यम से अस्वीकार या स्थापित नहीं किया जा सकता है। लेकिन वैज्ञानिक संस्थान करते हैं। दुर्भाग्य से इंडियन साइंस कांग्रेस ने विज्ञान के रूप में राजनीतिक शक्ति द्वारा समर्थित निरर्थक बयानों की अनुमति दे कर अपने अस्तित्व और प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाया है।

 

 

Indian Science Congress 2019
Narendra modi
Modi government

Related Stories

…सब कुछ ठीक-ठाक है

कोविड: मोदी सरकार के दो पर्याय—आपराधिक लापरवाही और बदइंतज़ामी

आख़िर कोवैक्सीन को लेकर सवाल क्यों उठ रहे हैं?

सबसे पहले टीका बनाने की होड़ हो सकती है ख़तरनाक, वैज्ञानिकों ने चेताया, सतर्क रहने को कहा

COVID-19 : सार्वजनिक स्वास्थ्य और निजी फ़ायदा

कोरोना के ख़िलाफ़ लड़ाई वैज्ञानिक चेतना के बिना नहीं जीती जा सकती

चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर चंद्रमा की कक्षा में सुरक्षित है: इसरो

मीडिया को मिले डर से आज़ादी 

चुनाव 2019: निर्वाचन आयोग की साख सबसे निम्न स्तर पर

क्या 2012 में ही सफल हो गया था 'मिशन शक्ति'?


बाकी खबरें

  • MGNREGA
    सरोजिनी बिष्ट
    ग्राउंड रिपोर्ट: जल के अभाव में खुद प्यासे दिखे- ‘आदर्श तालाब’
    27 Apr 2022
    मनरेगा में बनाये गए तलाबों की स्थिति का जायजा लेने के लिए जब हम लखनऊ से सटे कुछ गाँवों में पहुँचे तो ‘आदर्श’ के नाम पर तालाबों की स्थिति कुछ और ही बयाँ कर रही थी।
  • kashmir
    सुहैल भट्ट
    कश्मीर में ज़मीनी स्तर पर राजनीतिक कार्यकर्ता सुरक्षा और मानदेय के लिए संघर्ष कर रहे हैं
    27 Apr 2022
    सरपंचों का आरोप है कि उग्रवादी हमलों ने पंचायती सिस्टम को अपंग कर दिया है क्योंकि वे ग्राम सभाएं करने में लाचार हो गए हैं, जो कि जमीनी स्तर पर लोगों की लोकतंत्र में भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए…
  • THUMBNAIL
    विजय विनीत
    बीएचयू: अंबेडकर जयंती मनाने वाले छात्रों पर लगातार हमले, लेकिन पुलिस और कुलपति ख़ामोश!
    27 Apr 2022
    "जाति-पात तोड़ने का नारा दे रहे जनवादी प्रगतिशील छात्रों पर मनुवादियों का हमला इस बात की पुष्टि कर रहा है कि समाज को विशेष ध्यान देने और मज़बूती के साथ लामबंद होने की ज़रूरत है।"
  • सातवें साल भी लगातार बढ़ा वैश्विक सैन्य ख़र्च: SIPRI रिपोर्ट
    पीपल्स डिस्पैच
    सातवें साल भी लगातार बढ़ा वैश्विक सैन्य ख़र्च: SIPRI रिपोर्ट
    27 Apr 2022
    रक्षा पर सबसे ज़्यादा ख़र्च करने वाले 10 देशों में से 4 नाटो के सदस्य हैं। 2021 में उन्होंने कुल वैश्विक खर्च का लगभग आधा हिस्सा खर्च किया।
  • picture
    ट्राईकोंटिनेंटल : सामाजिक शोध संस्थान
    डूबती अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए अर्जेंटीना ने लिया 45 अरब डॉलर का कर्ज
    27 Apr 2022
    अर्जेंटीना की सरकार ने अपने देश की डूबती अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ़) के साथ 45 अरब डॉलर की डील पर समझौता किया। 
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License