NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
आंदोलन
भारत
राजनीति
"विमेन मार्च फ़ॉर चेंज" : मोदी सरकार के ख़िलाफ़ महिलाओं ने बुलंद की अपनी आवाज़
"औरतें उट्ठी नहीं तो ज़ुल्म बढ़ता जाएगा" सफ़दर हाशमी की इन पंक्तियों को आत्मसात करते हुए, भारत की महिलाओं ने महिला विरोधी केंद्र में काम करने वाली और दलित विरोधी नरेंद्र मोदी सरकार ख़िलाफ़ वोट करने के लिए सड़कों पर उतरने का संकल्प लिया।
मुकुंद झा
04 Apr 2019
"विमेन मार्च फ़ॉर चेंज" : मोदी सरकार के ख़िलाफ़ महिलाओं ने बुलंद की अपनी आवाज़

आज दिल्ली सहित देश के कई राज्यों में तमाम महिलाओं ने भाजपा और मोदी सरकार से यह सवाल करते हुए मार्च किया कि कहाँ है विकास! रोज़गार में गिरावट क्यों आई है! सरकार और संवैधानिक संस्थाओं में औरतों को प्रतिनिधित्व क्यों नहीं मिला! महिला आरक्षण विधेयक क्यों नहीं पास किया गया!
महिलाओं ने सरकार पर आरोप लगाया कि वो अपने नागरिकों से ही लड़ाई लड़ रही है और अपना अधिकार मांगने और शांतिपूर्ण विरोध करने वालों के ख़िलाफ़ क़ानूनों का नाजायज़ इस्तेमाल करके उन्हें देशद्रोही, राष्ट्रद्रोही, नक्सली बताकर गिरफ़्तार करके जेल में बंद कर के प्रताड़ित कर रहे हैं। इस सरकार ने समाज में अपने अधिकारों के लिए आवाज़ उठाने वाले लोगों को ही अपराधी बना दिया है। 
इन्हीं मांगों के तहत आज दिल्ली "विमेन मार्च फ़ॉर चेंज" के बैनर तले मंडी हाउस से संसद मार्ग तक मार्च किया गया, इसमें हज़ारों की संख्या में महिलाओं ने हिस्सा लिया। 

महिला संगठनों ने कहा, "यह सरकार देश की वास्तविक समस्या को हल करने के बजाए काल्पनिक दुश्मन से लड़ाई का एक वातावरण बनाकर एक  पुरुषवादी उन्माद का निर्माण कर रही है, जो कि हर दृष्टि से महिलाओं के लिए ख़तरनाक है।" आज के मार्च में महिलाएँ केवल अपने मुद्दों को लेकर चिंतित नहीं थीं बल्कि समाज में जिस तरह से नफ़रत और सांप्रदायिक माहौल है, उसे लेकर भी सवाल उठाए गए। 
महिलाओं ने हाथों में प्लेकार्ड्स ले रखे थे जिन पर लिखा था, "चुप्पी तोड़ें! एकजुट हों! झूठ का पर्दाफ़ाश करें!" इनका कहना था कि मोदी सरकार ने केवल झूठ बोला है और ज़मीन पर कुछ नहीं किया है। 

"औरतें उट्ठी नहीं तो ज़ुल्म बढ़ता जाएगा"  सफ़दर हाशमी की इन पंक्तियों को आत्मसात करते हुए, भारत की महिलाओं ने महिला विरोधी केंद्र में काम करने वाली और दलित विरोधी नरेंद्र मोदी सरकार ख़िलाफ़ वोट करने के लिए सड़कों पर उतरने का संकल्प लिया। मंडी हाउस से संसद मार्ग तक हुए इस मार्च में, महिलाओं ने आगामी चुनावों में अपने अधिकारों की लड़ाई लड़ने का समर्थन करने का वादा करते हुए, आज़ादी के नारे लगाए।

IMG_20190404_202418.jpg

न्यूज़क्लिक से बात करते हुए, अनहद से शबनम हाशमी जो दिल्ली के इस मार्च के आयोजकों में से एक हैं, ने कहा, "हम यह मार्च पूरे देश में करने में सक्षम हुए हैं, यह सौ से अधिक स्थानों पर बीस राज्यों में हो रहा है। मार्च एक खुला आह्वान था, जिसमें हमने देश की महिला मतदाताओं से आह्वान किया कि वे हमारे संस्थानों और हमारे लोकतांत्रिक चरित्र को बचाने के लिए भारत के आइडिया पर हो रहे हमलों का मुक़ाबला करें।”
इस मार्च की भावना से साफ़ होता है कि हर वर्ग की महिलाओं - घरेलू कामगारों, गृह आधारित कामगारों, विश्वविद्यालय की छात्राओं और समाज के सदस्यों के लिए मैला ढोने वालों सहित सैकड़ों कामकाजी वर्ग की महिलाओं ने एक दूसरे के साथ मिलकर महिलाओं के अधिकारों के लिए आज यह मार्च निकाला है। एक साथ मार्च कर रही महिलाओं ने एकजुटता में गाते हुए बड़े पैमाने पर मोदी सरकार और अन्य राजनीतिक दलों को एक शक्तिशाली संदेश भेजा है कि इस समय में महिलाओं के मुद्दों को राजनीतिक दलों की प्राथमिकता सूची में जगह मिलनी ही चाहिए। 
अपेक्षा प्रियदर्शिनी ने कहा, "बीजेपी महिलाओं पर हो रहे हमलों को रोकने में नाकाम रही है, बल्कि इस सरकार ने उन राजनीतिक चेहरों का समर्थन किया है जिनके ख़िलाफ़ बलात्कार जैसे संगीन मामले दर्ज हैं।" 

अमृता जौहरी ने कहा, ''मोदी सरकार ने महिलाओं के अधिकारों पर हमला किया है। बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ जैसी योजनाएँ जुमलों के अलावा कुछ नहीं हैं जिन पर सबसे ज़्यादा ख़र्च प्रचार पर किया गया है। उज्ज्वला योजना और ऐसी तमाम योजनाओं से सरकार ये दिखाना चाहती है कि उसने महिलाओं के लिए कोई बहुत बड़ा काम किया है, लेकिन आज महिलाएँ एकजुट हो कर साथ आई हैं और मोदी सरकार के जुमलों का जवाब दे रही हैं। 

अब जबकि आगामी चुनाव बेहद नज़दीक हैं, देश भर की महिलाएँ एक साथ खड़ी हुई हैं और मिल कर ये संकल्प लिया है कि "मनुवादी और महिला विरोधी" मोदी सरकार को इस बार सत्ता से हटाना है।

Women for Change
women’s rights
Dalit and Muslim Women
Women March India
Aurat March
elections 2019
Lok Sabha Elections 2019
Narendra modi
Narendra Modi Government

Related Stories

गैर-लोकतांत्रिक शिक्षानीति का बढ़ता विरोध: कर्नाटक के बुद्धिजीवियों ने रास्ता दिखाया

छात्र संसद: "नई शिक्षा नीति आधुनिक युग में एकलव्य बनाने वाला दस्तावेज़"

दलितों पर बढ़ते अत्याचार, मोदी सरकार का न्यू नॉर्मल!

आईपीओ लॉन्च के विरोध में एलआईसी कर्मचारियों ने की हड़ताल

सार्वजनिक संपदा को बचाने के लिए पूर्वांचल में दूसरे दिन भी सड़क पर उतरे श्रमिक और बैंक-बीमा कर्मचारी

झारखंड: केंद्र सरकार की मज़दूर-विरोधी नीतियों और निजीकरण के ख़िलाफ़ मज़दूर-कर्मचारी सड़कों पर उतरे!

दो दिवसीय देशव्यापी हड़ताल को मिला व्यापक जनसमर्थन, मज़दूरों के साथ किसान-छात्र-महिलाओं ने भी किया प्रदर्शन

देशव्यापी हड़ताल का दूसरा दिन, जगह-जगह धरना-प्रदर्शन

मोदी सरकार की वादाख़िलाफ़ी पर आंदोलन को नए सिरे से धार देने में जुटे पूर्वांचल के किसान

ग़ौरतलब: किसानों को आंदोलन और परिवर्तनकामी राजनीति दोनों को ही साधना होगा


बाकी खबरें

  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    छत्तीसगढ़ः 60 दिनों से हड़ताल कर रहे 15 हज़ार मनरेगा कर्मी इस्तीफ़ा देने को तैयार
    03 Jun 2022
    मनरेगा महासंघ के बैनर तले क़रीब 15 हज़ार मनरेगा कर्मी पिछले 60 दिनों से हड़ताल कर रहे हैं फिर भी सरकार उनकी मांग को सुन नहीं रही है।
  • ऋचा चिंतन
    वृद्धावस्था पेंशन: राशि में ठहराव की स्थिति एवं लैंगिक आधार पर भेद
    03 Jun 2022
    2007 से केंद्र सरकार की ओर से बुजुर्गों को प्रतिदिन के हिसाब से मात्र 7 रूपये से लेकर 16 रूपये दिए जा रहे हैं।
  • भाषा
    मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने चंपावत उपचुनाव में दर्ज की रिकार्ड जीत
    03 Jun 2022
    चंपावत जिला निर्वाचन कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार, मुख्यमंत्री को 13 चक्रों में हुई मतगणना में कुल 57,268 मत मिले और उनके खिलाफ चुनाव लड़ने वाल़ कांग्रेस समेत सभी प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो…
  • अखिलेश अखिल
    मंडल राजनीति का तीसरा अवतार जाति आधारित गणना, कमंडल की राजनीति पर लग सकती है लगाम 
    03 Jun 2022
    बिहार सरकार की ओर से जाति आधारित जनगणना के एलान के बाद अब भाजपा भले बैकफुट पर दिख रही हो, लेकिन नीतीश का ये एलान उसकी कमंडल राजनीति पर लगाम का डर भी दर्शा रही है।
  • लाल बहादुर सिंह
    गैर-लोकतांत्रिक शिक्षानीति का बढ़ता विरोध: कर्नाटक के बुद्धिजीवियों ने रास्ता दिखाया
    03 Jun 2022
    मोदी सरकार पिछले 8 साल से भारतीय राज और समाज में जिन बड़े और ख़तरनाक बदलावों के रास्ते पर चल रही है, उसके आईने में ही NEP-2020 की बड़ी बड़ी घोषणाओं के पीछे छुपे सच को decode किया जाना चाहिए।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License