NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
आख़िर क्यों विधायक और सांसद पार्टियां बदल रहे हैं?
एडीआर की ताज़ा जारी रिपोर्ट कांग्रेस के लिए तो चिंताजनक है ही, साथ ही देश के लोकतंत्र के लिए भी हानिकारक नज़र आती है। रिपोर्ट के मुताबिक विधायकों-सांसदों के पार्टियां बदलने के सबसे प्रमुख कारणों में मूल्य आधारित राजनीति का नहीं होना, पैसे और सत्ता की लालसा, धन और ताकत के बीच सांठगांठ है।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
13 Mar 2021
आख़िर क्यों विधायक और सांसद पार्टियां बदल रहे हैं?
चित्र साभार: न्यूज़ बाइट

चुनावी विश्लेषण संस्था एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स यानी एडीआर ने बीते पांच सालों के विश्लेषण के आधार पर दल बदलने वाले विधायकों और सांसदों से जुड़ी एक रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट के अनुसार साल 2016 से 2020 के दौरान हुए चुनावों में कांग्रेस के 170 विधायक दूसरे दलों में शामिल हुए जबकि बीजेपी के सिर्फ़ 18 विधायकों ने दूसरी पार्टियों का दामन थामा।

आपको बता दें कि एडीआर चुनावी और राजनीतिक सुधारों के क्षेत्र में काम करने वाली संस्था है जिसका उद्देश्य शासन में सुधार कर लोकतंत्र को मजबूत करना है। एडीआर द्वारा गुरुवार, 11 मार्च को जारी इस रिपोर्ट में उन 443 विधायकों और सांसदों के चुनावी हलफनामों का विश्लेषण किया गया, जिन्होंने उन पांच वर्षों में पार्टियों को छोड़ दिया और फिर से चुनावी मैदान में उतरे।

इस रिपोर्ट में क्या-क्या है?

*  एडीआर की रिपोर्ट के मुताबिक 2016 से 2020 के दौरान पाला बदलकर फिर से चुनावी मैदान में उतरने वाले 405 विधायकों में से 182 बीजेपी (44.9 प्रतिशत) में शामिल हुए तो 38 विधायक (9.4 प्रतिशत) कांग्रेस और 25 विधायक तेलंगाना राष्ट्र समिति का हिस्सा बने।

*  साल 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान पांच लोकसभा सदस्य भाजपा को छोड़कर दूसरे दलों में शामिल हुए तो वहीं 2016-2020 के दौरान कांग्रेस के सात राज्यसभा सदस्यों ने दूसरी पार्टियों का हाथ थामा।

*  2016 से 2020 के दौरान हुए चुनावों में कांग्रेस के 170 विधायक (42 प्रतिशत) दूसरे दलों में शामिल हुए तो इसी अवधि में बीजेपी के सिर्फ 18 विधायकों (4.4 प्रतिशत) ने दूसरी पार्टियों को ज्वाइन किया।

* रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि मध्य प्रदेश, मणिपुर, गोवा, अरुणाचल प्रदेश और कर्नाटक में सरकार का बनना-बिगड़ना विधायकों का पाला बदलने की बुनियाद पर हुआ यानी विधायकों के पाले बदलने से सरकारें गिरी।

*  इस रिपोर्ट के अनुसार, 2016 से 2020 के दौरान पार्टी बदलकर राज्यसभा चुनाव फिर से लड़ने वाले 16 राज्यसभा सदस्यों में से 10 बीजेपी में शामिल हुए।

* 2016 से 2020 के बीच कुल 12 लोकसभा सांसदों ने पार्टी बदलकर दोबारा चुनाव लड़ा। इनमें से पांच (41.7 फीसदी) सांसद 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा छोड़कर दूसरी पार्टी में शामिल हो गए। लगभग इतने ही लोकसभा सांसद कांग्रेस में शामिल हुए।

*  पार्टी बदलने वाले 16 राज्यसभा (43.8 फीसदी) सांसदों ने 2016 से 2020 के दौरान कांगेस छोड़कर दूसरी पार्टी से चुनाव लड़ा।

विश्लेषण क्या है इस रिपोर्ट का?

एडीआर की रिपोर्ट में कहा गया कि लोकतंत्र लोगों की सरकार, लोगों द्वारा और लोगों के लिए सरकार पर निर्भर करती है, जहां नागरिकों के हित हमारे नेताओं के निजी हितों की तुलना में सर्वोपरि हैं।

रिपोर्ट में लिखा गया है, "अब वक्त आ गया है कि हमारी राजनीतिक पार्टियां और नेता सुविधा और खुद के लाभ की राजनीति को खत्म कर दृढ़ विश्वास, साहस और आम सहमति की राजनीति शुरू करे।"

रिपोर्ट के मुताबिक, “भारत के संसदीय लोकतंत्र के नैतिक गुणों के पतन की वजह से मौलिक सिद्धांत पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। आया राम, गया राम सिंड्रोम और पैसे और सत्ता के लिए कभी खत्म नहीं होने वाली भूख अब हमारे सांसदों और राजनीतिक दलों के लिए आम बात हो गई है।”

आख़िर क्यों पार्टियां बदल रहे नेता?

* एडीआर के इन आंकड़ों से पता चलता है कि दोबारा चुनाव लड़ने वाले सांसदों और विधायकों की संपत्ति में औसतन 39 प्रतिशत का इजाफा देखने को मिला है।

* रिपोर्ट में बताया गया है कि 357 विधायक जिन्होंने दल बदलकर दोबारा चुनाव लड़ा, उसमें से 170 (48 फीसदी) ने जीत दर्ज की। विधानसभा उपचुनावों में दलबदलुओं की सफलता दर बहुत अधिक थी। 48 दलबदलुओं में से 39 यानी 81 फीसदी का दोबारा चयन किया गया।

रिपोर्ट कहती है कि विधायकों सांसदों के पार्टियां बदलने के सबसे प्रमुख कारणों में मूल्य आधारित राजनीति का नहीं होना, पैसे और सत्ता की लालसा, धन और ताकत के बीच सांठगांठ है।

रिपोर्ट में लिखा गया है कि जब तक इस तरह के ट्रेंड पर रोक नहीं लगती, देश की चुनावी और राजनीतिक स्थिति बदतर होती जाएगी। अगर उन कमियों को दूर नहीं किया जाता, जिनकी वजह से ऐसे पार्टियां बदली जाती हैं तो यह लोकतंत्र का मजाक होगा।

गौरतलब है कि रिपोर्ट में कहा गया है कि जब तक इन प्रवृत्तियों में सुधार नहीं होता, हमारी मौजूदा चुनावी और राजनीतिक स्थिति और बिगड़ेगी। राजनीति को निष्पक्षता, स्वतंत्रता, विश्वसनीयता, समानता, ईमानदारी और विश्वसनीयता की कसौटी पर खरे उतरने की जरूरत है। यह लोकतंत्र का मखौल होगा, अगर हम इन कमियों को दुरुस्त नहीं कर पाए, जिनकी वजह से सांसदों और विधायकों द्वारा दल बदले जा रहे हैं।

इसो भी पढ़ें: राजनीतिक दल आख़िर खुद को मिले चंदे को उजागर क्यों नहीं करते?

ADR Report
Congress
BJP
MPs
MLAs
Party Politics
Corruption in Politics
Democracy in Danger

Related Stories

भाजपा के इस्लामोफ़ोबिया ने भारत को कहां पहुंचा दिया?

कश्मीर में हिंसा का दौर: कुछ ज़रूरी सवाल

सम्राट पृथ्वीराज: संघ द्वारा इतिहास के साथ खिलवाड़ की एक और कोशिश

हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है

मोहन भागवत का बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को क्लीनचिट

मंडल राजनीति का तीसरा अवतार जाति आधारित गणना, कमंडल की राजनीति पर लग सकती है लगाम 

बॉलीवुड को हथियार की तरह इस्तेमाल कर रही है बीजेपी !

गुजरात: भाजपा के हुए हार्दिक पटेल… पाटीदार किसके होंगे?


बाकी खबरें

  • Neha Singh Rathore
    न्यूज़क्लिक टीम
    ‘यूपी में सब बा’ के जवाब में नेहा सिंह राठौर का ‘ यूपी में का बा’
    23 Jan 2022
    यूपी विधानसभा चुनाव में वोटरों को रिझाने के लिए सांसद और अभिनेता रवि किशन भाजपा की तारीफ़ में एक वीडियो लेकर आए, जिसके बोल हैं ‘ यूपी में सब बा’। भाजपा की उपलब्धियों का बखान वाला यह वीडियो घर-घर…
  • pm
    अजय कुमार
    दो टूक: मोदी जी, आप ग़लत हैं! अधिकारों की लड़ाई से देश कमज़ोर नहीं बल्कि मज़बूत बनता है
    23 Jan 2022
    75 वर्षों में हम सिर्फ़ अधिकारों की बात करते रहे हैं। अधिकारों के लिए झगड़ते रहे, जूझते रहे, समय भी खपाते रहे। सिर्फ़ अधिकारों की बात करने की वजह से समाज में बहुत बड़ी खाई पैदा हुई है: प्रधानमंत्री…
  • Ethiopia
    शिरीष खरे
    इथियोपिया : फिर सशस्त्र संघर्ष, फिर महिलाएं सबसे आसान शिकार
    23 Jan 2022
    इथियोपिया, अफ्रीका महाद्वीप का यह देश पिछले दो वर्षों से अधिक समय से सुखिर्यों में है, जहां नवंबर, 2020 से शुरू हुआ सशस्त्र संघर्ष अभी भी जारी है, जहां टिग्रे अलगाववादियों और उनके खिलाफ इथियोपियाई…
  • nehru and subhash
    एल एस हरदेनिया
    नेताजी की जयंती पर विशेष: क्या नेहरू ने सुभाष, पटेल एवं अंबेडकर का अपमान किया था?
    23 Jan 2022
    नरेंद्र मोदी का यह आरोप तथ्यहीन है कि नेहरू ने सुभाष चंद्र बोस, डॉ. अंबेडकर और सरदार पटेल को अपेक्षित सम्मान नहीं दिया।
  • cartoon
    डॉ. द्रोण कुमार शर्मा
    …सब कुछ ठीक-ठाक है
    23 Jan 2022
    "क्यों, क्या सब ठीक-ठाक नहीं हैं? क्या सब ख़ैरियत से नहीं है? क्या हम हिंदू राष्ट्र नहीं बन रहे हैं? ठीक है भाई! बेरोज़गारी है, महंगाई है, शिक्षा बरबाद हो रही है और अस्पताल बदहाल। पर देश में क्या…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License