NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
सोशल मीडिया
भारत
राजनीति
हेट स्पीच और भ्रामक सूचनाओं पर फेसबुक कार्रवाई क्यों नहीं करता?
फेसबुक के रिसर्चर्स द्वारा तैयार की गई एक रिपोर्ट से पता चला है कि फरवरी 2020 के दिल्ली दंगों के दौरान वॉट्सऐप पर ‘हिंसा के लिए उकसाने और अफवाहों’ भरे मैसेजेस की बाढ़ आई गई थी और फेसबुक को स्पष्ट रूप से ये जानकारी थी कि उसकी सेवाओं का इस्तेमाल हिंसा भड़काने के लिए किया जा रहा है, लेकिन उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हो रही है।
सोनिया यादव
25 Oct 2021
fb

सोशल मीडिया साइट फेसबुक बीते कुछ दिनों से अपने कंटेंट को लेकर फिर विवादों में है। कंपनी पर भारत में भ्रामक सूचनाएं, नफ़रत वाले भाषण और हिंसा को लेकर जश्न मनाने वाले साम्रगी को नहीं रोक पाने का आरोप लग रहा है, तो वहीं फ़र्ज़ी अकाउंट के जरीए देश के चुनावों को भी प्रभीवित करने का इल्ज़ाम है। ताज़ा विवाद में फ़ेसबुक पर भारत की सत्तारूढ़ पार्टी के कुछ नेताओं की ‘हेट-स्पीच’ को ‘नज़रंदाज़ करने’ और ‘हेट-स्पीच’ के नियमों को ताक पर रखने से जुड़ा हुआ है।

बता दें कि अंतरराष्ट्रीय समाचार पत्रिका वॉल स्ट्रीट जर्नल ने इसी साल अगस्त महीने में अपनी एक रिपोर्ट 'फ़ेसबुक हेट-स्पीच रूल्स कोलाइड विद इंडियन पॉलिटिक्स' में इस बात का दावा किया कि फ़ेसबुक ने आरएसएस (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) और वैचारिक रूप से संघ के क़रीब मानी जाने वाली सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी की मदद की है।

फेसबुक के रिसर्चर्स द्वारा तैयार की गई एक रिपोर्ट से पता चला है कि फरवरी 2020 के दिल्ली दंगों के दौरान वॉट्सऐप पर ‘हिंसा के लिए उकसाने और अफवाहों’ भरे मैसेजेस की बाढ़ आई गई थी और फेसबुक को स्पष्ट रूप से ये जानकारी थी कि उसकी सेवाओं का इस्तेमाल हिंसा भड़काने के लिए किया जा रहा है, लेकिन उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हो रही है।

फ़र्ज़ी खबरें, अफवाएं और हेट स्पीच

वॉल स्ट्रीट जर्नल के मुताबिक ‘भारत में सांप्रदायिक संघर्ष भाग-1’ नाम से तैयार किए गए जुलाई, 2020 के दस्तावेज में शोधकर्ताओं ने पाया किया साल 2019 से 2020 के बीच भारत में तीन ऐसी बड़ी घटनाएं हुईं, जिसने फेसबुक के प्लेटफॉर्म पर फेक न्यूज की भरमार ला दी।

इसमें से पहली घटना विवादित नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ विरोध प्रदर्शन था। इस दौरान फर्जी खबरें या अफवाहों, हेट स्पीच इत्यादि की संख्या ‘पिछले के मुकाबले 300 फीसदी’ बढ़ गई थी। इसके बाद दिल्ली दंगों के दौरान भी यही स्थिति रही। इस दौरान खासतौर पर वॉट्सऐप के जरिये अफवाह और हिंसा भड़काने की बातों की पहचान की गई।

तीसरी घटना की बात करें तो कोविड-19 महामारी की शुरुआत के समय फेसबुक की सेवाओं पर इस तरह की सामग्री की संख्या काफी बढ़ गई, जहां भारत में कोरोना फैलने के लिए मुसलमानों, विशेषकर तबलीगी जमात, को जिम्मेदार ठहराकर भय का माहौल बनाया गया था।

वॉल स्टीट जर्नल ने अपनी रिपोर्ट में ‘प्रतिकूल हानिकारक नेटवर्क- भारत केस स्टडी’ नामक एक अन्य दस्तावेज का उल्लेख किया है, जिसके आधार पर हौगेन ने अमेरिका की प्रतिभूति और विनिमय आयोग (एसईसी) में शिकायत दायर किया था।

फेसबुक हिंसा फैलाने का माध्यम बन गया है?

इन आंतरिक दस्तावेज़ों से ये जानकारी भी सामने आई है कि भारत में फेसबुक फरेब, भ्रामक खबरें और हिंसा फैलाने का माध्यम बन गया है। फ़ेसबुक के शोधकर्ताओं ने बताया है कि इस प्लेटफ़ॉर्म पर "मुस्लिम विरोधी भड़काऊ और भ्रामक सामग्री से भरे हुए" समूह और पेज भी बने हुए हैं। कंपनी की एक अंदरूनी रिपोर्ट के अनुसार भारत फेसबुक के लिए विश्व का सबसे बड़ा बाजार है, लेकिन कंपनी द्वारा खामियां सुधारने के लिए उठाए गए कदम, लोगों की जान की कीमत पर महज प्रयोग से ज्यादा कुछ नहीं हैं। ये जानकारियां फ़ेसबुक के आंतरिक दस्तावेज में दी गई हैं जो आने वाले दिनों में सार्वजनिक किया जाएगा।

ये दस्तावेज़ डाटा इंजीनियर और व्हिसलब्लोअर फ़्रांसेस हॉगेन की इकट्ठा की गई सामग्री का हिस्सा हैं। फ़्रांसेस हॉगेन फ़ेसबुक की पूर्व कर्मचारी हैं जिन्होंने हाल ही में कंपनी और उसके सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म के बारे में अमेरिकी सीनेट के सामने गवाही दी थी।

रिपोर्ट के मुताबिक आंतरिक दस्तावेज़ों में ये भी बताया गया है कि कैसे "देश की सत्ताधारी पार्टी और विपक्ष की जानी-मानी हस्तियों" से जुड़े बोट और फ़र्ज़ी अकाउंट भारत के राष्ट्रीय चुनावों पर प्रभाव डाल रहे थे। एक अन्य फ़ेसबुक रिपोर्ट में फ़ेसबुक पर मुस्लिम विरोधी बयान डालने के लिए बजरंग दल के प्रयासों के बारे में भी बताया गया है।

दस्तावेज़ में बताया गया है, "फ़ेसबुक बजरंग दल को एक ख़तरनाक संगठन के रूप में नामित करने पर विचार कर रहा है क्योंकि यह फ़ेसबुक पर" धार्मिक हिंसा को उकसा रहा है।" हालांकि, फ़ेसबुक ने अभी तक ऐसा नहीं किया है।

हिंदुस्तान टाइम्स की खबर के मुताबिक एक अमेरिकी अख़बार की रिपोर्ट में फ़ेसबुक के आंतरिक दस्तावेज़ के आधार पर ये कहा गया है कि फ़रवरी 2019 में, एक फ़ेसबुक शोधकर्ता ने यह देखने के लिए एक अकाउंट बनाया कि केरल में रहने वाले एक व्यक्ति के लिए सोशल मीडिया वेबसाइट कैसी दिखेगी। उसने तीन हफ़्तों तक अलग-अलग ग्रुप्स से जुड़ने, वीडियो देखने और नये फ़ेसबुक पेजों तक पहुंचने के लिए केवल फ़ेसबुक के एलगोरिदम से मिल रहे सुझावों पर काम किया। इसका नतीजा यह हुआ कि नफ़रत भरे भाषाण, ग़लत सूचनाओं और हिंसा पर ख़ुशी मनाने वाले कंटेंट की बाढ़ आ गई।

दैनिक भास्कर के मुताबिक एक आंतरिक दस्तावेज का शीर्षक ‘एडवर्सेरियल हार्मफुल नेटवर्क्स: इंडिया केस स्टडी’ है। इसमें लिखा है कि भारत में ऐसे कई समूह और पेज हैं, जिन पर भड़काऊ सामग्री परोसी जाती है। समुदाय विशेष के खिलाफ बयानबाजी, प्रचार सामग्री आदि रहती है। उस समुदाय की तुलना जानवरों से की जाती है। एक धर्म से जुड़ी सामग्री के बारे में भी दुष्प्रचार किया जाता है। यहां तक कहा जाता है कि इस सामग्री में दूसरे धर्म के लोगों को प्रताड़ित करने और उनकी महिलाओं के साथ दुष्कर्म करने का सुझाव दिया गया है।

कुछ संगठनों पर कार्रवाई से डरता है फेसबुक?

फेसबुक पर भारत में ऐसे खातों का वर्चस्व है, जिनके पेजों पर पश्चिम बंगाल और पाकिस्तान से लगे सीमाई मुस्लिमों की बढ़ती आबादी के मसले प्रमुखता से उठाए जाते हैं। कथित तौर पर देश में अवैध रूप से रह रहे मुस्लिमों को बाहर निकालने की बातें की जाती हैं।
एक अन्य रिपोर्ट ‘इंडियन इलेक्शन केस स्टडी’ के नाम से तैयार की गई। इसमें बताया गया कि पश्चिम बंगाल से ताल्लुक रखने वाले 40% से अधिक अकाउंट फर्जी या अप्रामाणिक थे। इनमें से एक अकाउंट पर तो 3 करोड़ से ज्यादा लोग किसी न किसी रूप में जुड़े हुए थे। मार्च-2021 की एक अन्य रिपोर्ट में बताया कि फेसबुक को पता है कि कितने अकाउंट फर्जी हैं, लेकिन उन्हें हटाया नहीं जा रहा।

रिपोर्ट में ये भी दावा है कि फेसबुक को भारत में प्रचारित, प्रसारित आपत्तिजनक सामग्री के बारे में पूरी जानकारी है। लेकिन, वह इसे प्रसारित करने वाले संगठनों पर कार्रवाई से डरता है। क्योंकि ऐसे अधिकांश संगठन राजनीतिक तौर पर सक्रिय हैं। उदाहरण के लिए एक रिपोर्ट बताती है कि धर्म के आधार पर बने संगठनों की ओर से प्रचारित-प्रसारित सामग्री पर लंबे समय से नजर रखी जा रही है। फेसबुक ने इसे ‘खतरनाक संगठन’ बताने की तैयारी की है। लेकिन, अब तक इस दिशा में किया कुछ नहीं है।

एनडीटीवी को दिए इंटरव्यू में फेसबुक में बतौर डेटा साइंटिस्ट काम कर चुकी एक पूर्व कर्मचारी सोफी झांग ने कंपनी के सिलेक्टिव रवैये को उजागर करते हुए आरोप लगाया कि भाजपा, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने चुनावों को प्रभावित करने के लिए फर्जी अकाउंट्स का इस्तेमाल किया। हालांकि, सिर्फ भाजपा सांसद से सीधे जुड़े अकाउंट के नेटवर्क को फेसबुक ने नहीं हटाया।

सोफी ने कहा कि हमने 5 नेटवर्क में से 4 को हटा दिया। 5वें नेटवर्क को भी हम हटाने वाले थे लेकिन आखिरी मौके पर हमने महसूस किया कि यह बीजोपी के एक बड़े नेता से जुड़ा था। वे लोकसभा सांसद भी हैं। इसके बाद पता ही नहीं चला कि क्या किया जा रहा है। इस पर मुझे किसी से जवाब नहीं मिला कि इस फर्जी अकाउंट के साथ क्या करने वाले हैं।

फेसबुक की व्यवसायिक प्रथामिकताएं और नागरिकों के अधिकार

गौरतलब है कि दुनिया की सबसे बड़ी सोशल मीडिया कंपनी फ़ेसबुक और विवादों का नाता अब पुराना हो चला है। फ़ेसबुक ने जिस रफ़्तार से लाखों-करोड़ों लोगों तक पहुँचने में कामयाबी हासिल की है वो बेजोड़ कही जाती है। इस बेजोड़ कामयाबी पर सवाल भी उठते रहे हैं और ताज़ा मामला फ़ेसबुक के सबसे बड़े बाज़ार यानी भारत से जुड़ा है, भारतीय लोकतांत्रिक प्रणाली से जुड़ा है और भारतीय संविधान के ज़रिए मिले ‘अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता’ के मौलिक अधिकार से भी जुड़ा है।

शायद आपको याद हो कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 2015 में अमरीका के दौरे पर थे और फ़ेसबुक के संस्थापक-सीईओ मार्क ज़करबर्ग ने अपने मुख्यालय में उनके लिए एक टाउनहॉल आयोजित किया था। 10 साल पहले की अपनी महीने भर की भारत यात्रा को याद करते हुए ज़करबर्ग ने उसी मंच से कहा था कि फ़ेसबुक के इतिहास में भारत का बहुत महत्व है। शायद यही वजह रही होगी कि ज़करबर्ग ने भारत के सबसे अमीर इंसान मुकेश अम्बानी से एक कारोबारी समझौता किया जिससे फ़ेसबुक को भारत में और बड़ा बाज़ार मिल सके।

इसी साल के मध्य में, जब दुनिया कोविड-19 के प्रकोप से जूझ रही थी, सोशल मीडिया साइट फ़ेसबुक ने रिलायंस इंडस्ट्रीज़ के डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म रिलायंस जियो में 43,574 करोड़ रुपए का निवेश किया। इस डील के साथ ही फ़ेसबुक रिलायंस जियो में 9.99 प्रतिशत का हिस्सेदार बन गया है। चार साल से कम समय में ही रिलायंस जियो 38.8 करोड़ लोगों को इंटरनेट पर लाने में कामयाब रहा है। तो कुलमिलाकर देखें तो फेसबुक की अपनी व्यवसायिक प्रथामिकताएं हासिल करने की होड़ में देश के नागरिकों के हितों से समझौता करता नज़र आ रहा है। 

Delhi riots
Facebook
Hate Speech
Mark Zuckerberg
BJP
communal polarisation

Related Stories

बीजेपी के चुनावी अभियान में नियमों को अनदेखा कर जमकर हुआ फेसबुक का इस्तेमाल

फ़ेसबुक पर 23 अज्ञात विज्ञापनदाताओं ने बीजेपी को प्रोत्साहित करने के लिए जमा किये 5 करोड़ रुपये

चुनाव के रंग: कहीं विधायक ने दी धमकी तो कहीं लगाई उठक-बैठक, कई जगह मतदान का बहिष्कार

पंजाब विधानसभा चुनाव: प्रचार का नया हथियार बना सोशल मीडिया, अख़बार हुए पीछे

अफ़्रीका : तानाशाह सोशल मीडिया का इस्तेमाल अपनी सत्ता बनाए रखने के लिए कर रहे हैं

मुख्यमंत्री पर टिप्पणी पड़ी शहीद ब्रिगेडियर की बेटी को भारी, भक्तों ने किया ट्रोल

मृतक को अपमानित करने वालों का गिरोह!

सांप्रदायिक घटनाओं में हालिया उछाल के पीछे कौन?

वे कौन लोग हैं जो गोडसे की ज़िंदाबाद करते हैं?

कांग्रेस, राहुल, अन्य नेताओं के ट्विटर अकाउंट बहाल, राहुल बोले “सत्यमेव जयते”


बाकी खबरें

  • डॉ. द्रोण कुमार शर्मा
    तिरछी नज़र: मुझे गर्व करने से अधिक नफ़रत करना आता है
    01 May 2022
    जब गर्व खोखला हो तो नफ़रत ही परिणाम होता है। पर नफ़रत किस से? नफ़रत उन सब से जो हिन्दू नहीं हैं। ….मैं हिंदू से भी नफ़रत करता हूं, अपने से नीची जाति के हिन्दू से। और नफ़रत पाता भी हूं, अपने से ऊंची…
  • न्यूज़क्लिक डेस्क
    मई दिवस ज़िंदाबाद : कविताएं मेहनतकशों के नाम
    01 May 2022
    मई दिवस की इंक़लाबी तारीख़ पर इतवार की कविता में पढ़िए मेहनतकशों के नाम लिखी कविताएं।
  • इंद्रजीत सिंह
    मई दिवस: मज़दूर—किसान एकता का संदेश
    01 May 2022
    इस बार इस दिन की दो विशेष बातें उल्लेखनीय हैं। पहली यह कि  इस बार मई दिवस किसान आंदोलन की उस बेमिसाल जीत की पृष्ठभूमि में आया है जो किसान संगठनों की व्यापक एकता और देश के मज़दूर वर्ग की एकजुटता की…
  • भाषा
    अपने कर्तव्य का निर्वहन करते समय हमें लक्ष्मण रेखा का ध्यान रखना चाहिए: प्रधान न्यायाधीश
    30 Apr 2022
    प्रधान न्यायाधीश ने मुख्यमंत्रियों और उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों के संयुक्त सम्मेलन में कहा न्यायिक निर्देशों के बावजूद सरकारों द्वारा जानबूझकर निष्क्रियता दिखाना लोकतंत्र के स्वास्थ्य के…
  • भाषा
    जनरल मनोज पांडे ने थलसेना प्रमुख के तौर पर पदभार संभाला
    30 Apr 2022
    उप थलसेना प्रमुख के तौर पर सेवाएं दे चुके जनरल पांडे बल की इंजीनियर कोर से सेना प्रमुख बनने वाले पहले अधिकारी बन गए हैं।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License