NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
यूपी 2018 : सपा-बसपा का एकसाथ आना सबसे बड़ी राजनीतिक घटना
इसे इस बीतते वर्ष की उत्तर प्रदेश की सबसे बड़ी राजनैतिक घटना माना गया क्योंकि इसने दशकों से एक-दूसरे की दुश्मन जैसे रहीं बसपा और सपा के बीच मतभेदों को कम करने की कोशिश की।
मोहित दुबे, आईएएनएस
31 Dec 2018
सांकेतिक तस्वीर

राजनीति में एक वर्ष का समय लंबा होता है। उत्तर प्रदेश में, 2017 से 2018 के दौरान राजनैतिक परिदृश्य में दूरगामी बदलाव हुए। 

इनमें एक बदलाव तो ऐसा रहा जिसने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और इसके कार्यकर्ताओं को स्तब्ध कर दिया। यह बदलाव 2 जून 1995 को समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं द्वारा एक गेस्ट हाउस में जानलेवा हमले का शिकार बनने के बाद इस पार्टी (सपा) की कट्टर दुश्मन बनीं बहुजन समाज पार्टी (बसपा) नेता मायावती द्वारा पुरानी बातों को भुलाने और सपा के साथ हाथ मिलाने के रूप में सामने आया।

इसे इस बीतते वर्ष की उत्तर प्रदेश की सबसे बड़ी राजनैतिक घटना माना गया क्योंकि इसने दशकों से एक-दूसरे की दुश्मन जैसे रहीं बसपा और सपा के बीच मतभेदों को कम करने की कोशिश की। 

भाजपा को दोनों पार्टी के बीच मतभेदों का हमेशा फायदा मिलता रहा था और पार्टी हमेशा यह सोचती थी कि 'दोनों पार्टियां कभी एकसाथ नहीं होंगी'। इसी वजह से भाजपा की सीट में चुनाव दर चुनाव इजाफा होता चला गया। लेकिन, इनके साथ आने के साथ ही गोरखपुर, कैराना और फूलपुर की संसदीय सीट उपचुनाव में भाजपा के हाथ से निकल गई।

मायावती और अखिलेश यादव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपनी राजनैतिक दूरी की वजह से एक-दूसरे से जुड़े हैं। इसके अलावा दोनों 2019 में मोदी के दोबारा सत्ता में वापसी को लेकर भी आशंकित हैं। 

यहां के राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि 'यह क्षेत्रीय छत्रपों के लिए एकमात्र विकल्प है, क्योंकि इन्होंने पहले खुद को बचाने के लिए चुनाव लड़ा और सफलता नहीं मिली।' 2014 के लोकसभा चुनाव में जब मोदी को यहां जबरदस्त जीत मिली थी, तो बसपा को एक भी सीट प्राप्त नहीं हुई थी और सपा को केवल 4 सीट प्राप्त हुई थी। वहीं विधानसभा चुनाव में सपा को केवल 50 सीट मिलीं और बसपा 19 सीटों पर सिकुड़ गई थी।

दोनों पार्टियों के बीच गठजोड़ से उन्हें मतदाताओं का साथ भी मिला, सपा को गोरखपुर, फुलपूर और इसकी समर्थित राष्ट्रीय लोकदल को कैराना उप-चुनाव में जीत हासिल हुई। 

उप चुनाव में हाथ आजमाने के बाद, दोनों पार्टी 2019 लोकसभा चुनाव के लिए सीट बंटवारे के समझौते पर कमोबेश तैयार हैं। अखिलेश यादव जानते हैं कि मायावती को अपने पाले में बनाए रखना आसान काम नहीं है, लेकिन उनका रवैया अपने पिता मुलायम सिंह यादव से अलग है और वह बसपा से गठबंधन के लिए थोड़े बहुत समझौते के लिए भी तैयार हैं।

यहां तक की भाजपा अध्यक्ष अमित शाह भी कह चुके हैं कि सपा व बसपा के साथ आने से पार्टी को उत्तर प्रदेश में हानि होगी। भाजपा कैंप के शीर्ष नेता हालांकि ऐसा न हो, यह सुनिश्चित करने के लिए काम कर रहे हैं।

सपा के पुष्ट सूत्रों ने कहा, "प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से लेकर सीबीआई (केंद्रीय जांच ब्यूरो) तक सभी काम में लगे हुए हैं, लेकिन हम इसबार भाजपा को हराने के लिए तैयार हैं।"

एक अन्य बड़े घटनाक्रम में सपा से शिवपाल सिंह यादव का अलग होकर प्रगतिशील समाजवादी पार्टी बनाना भी रहा। इस पार्टी के प्रवक्ता दीपक मिश्रा ने आईएएनएस से कहा कि बेहद कम समय में हमारी पार्टी का सांगठनिक ढांचा बन गया है और हम 2019 के आम चुनाव को लेकर उत्साहित हैं।

कुंडा के बाहुबली विधायक राजा भैया द्वारा जनसत्ता नाम से अपनी पार्टी बनाना भी एक बड़ा राजनैतिक घटनाक्रम रहा। वह सवर्णो के पक्ष में एससी-एसटी कानून का विरोध कर रहे हैं।

UP
politics
UP POLITICS
SP
BSP
MAYAWATI
AKHILESH YADAV
BJP
Yogi Adityanath

Related Stories

भाजपा के इस्लामोफ़ोबिया ने भारत को कहां पहुंचा दिया?

कश्मीर में हिंसा का दौर: कुछ ज़रूरी सवाल

सम्राट पृथ्वीराज: संघ द्वारा इतिहास के साथ खिलवाड़ की एक और कोशिश

हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है

मोहन भागवत का बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को क्लीनचिट

मंडल राजनीति का तीसरा अवतार जाति आधारित गणना, कमंडल की राजनीति पर लग सकती है लगाम 

बॉलीवुड को हथियार की तरह इस्तेमाल कर रही है बीजेपी !

गुजरात: भाजपा के हुए हार्दिक पटेल… पाटीदार किसके होंगे?


बाकी खबरें

  • राज वाल्मीकि
    कैसे ख़त्म हो दलित-आदिवासी छात्र-छात्राओं के साथ शिक्षण संस्थानों में होने वाला भेदभाव
    25 Mar 2022
    दलित-आदिवासी छात्र-छात्राओं के साथ होने वाले भेदभाव को ख़त्म करने के विषय पर नई दिल्ली में एक कॉन्फ्रेंस का आयोजन  किया गया।
  • इरिका शेल्बी
    पुतिन को ‘दुष्ट' ठहराने के पश्चिमी दुराग्रह से किसी का भला नहीं होगा
    25 Mar 2022
    रूस की ओर उंगलियों उठाने से कुछ नहीं बदलेगा–दुनिया में स्थायी शांति के लिए यह रवैया बदलने की ज़रूरत है। 
  • ज़ो एलेक्जेंड्रा
    गिउलिअनो ब्रुनेटी: “नाटो के ख़िलाफ़ हमारा संघर्ष साम्राज्यवादी ताकतों के ख़िलाफ़ संघर्ष है”
    25 Mar 2022
    आक्रामक सैन्य गठबंधन हमेशा से ही यूक्रेन में चल रहे संघर्ष का केंद्र रहा है, जिसके चलते कई लोगों ने गठबंधन पर सवालिया निशान लगाकर पूछना शुरू कर दिया है कि इसका हिस्सा बने रहने का क्या मतलब है। पोटेरे…
  • भाषा
    दिल्ली के तीन नगर निगमों का एकीकरण संबंधी विधेयक लोकसभा में पेश
    25 Mar 2022
    सरकार ने दिल्ली के तीन नगर निगमों का एकीकरण करने संबंधी दिल्ली नगर निगम (संशोधन) विधेयक, 2022 को शुक्रवार को विपक्षी दलों के सदस्यों के विरोध के बीच लोकसभा में पेश किया। विपक्षी दलों ने इसका विरोध…
  • न्यूज़क्लिक डेस्क
    गणेश शंकर विद्यार्थी : वह क़लम अब खो गया है… छिन गया, गिरवी पड़ा है
    25 Mar 2022
    गोदी मीडिया के दौर में गणेश शंकर विद्यार्थी को याद करना एक अलग अनुभव, एक अलग चुनौती और एक अलग दायित्व है। आज़ादी के मतवाले क्रांतिकारी भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव की शहादत के दो दिन बाद 25 मार्च,…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License