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भारत
राजनीति
यूपी : आख़िरकार टूट गया सपा और बसपा का गठबंधन!
बसपा प्रमुख मायावती ने ट्वीट किया है, ‘हमने पार्टी और आंदोलन के हित में फैसला लिया है कि बसपा भविष्य में होने वाले सभी छोटे-बड़े चुनाव अपने बूते पर लड़ेगी’
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
24 Jun 2019
Mayawati

लोकसभा चुनाव 2019 और उससे पहले संसदीय सीटों पर हुए उपचुनावों के लिए सपा के साथ किए गए गठबंधन से नाता तोड़ते हुए बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो मायावती ने सोमवार को कहा कि भविष्य में पार्टी सभी छोटे-बड़े चुनाव अपने बूते पर लड़ेगी।

गौरतलब है कि आम चुनावों का परिणाम आने के बाद मायावती ने सिर्फ उत्तर प्रदेश में विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव अकेले लड़ने की बात कही थी, लेकिन सोमवार के बयान ने महागठबंधन को लगभग समाप्त ही कर दिया है।

मायावती ने ट्वीट किया है कि जगजाहिर है कि हमने सपा के साथ सभी पुराने गिले-शिकवे भुला दिए, यहां तक कि 2012-2017 तक सपा सरकार में किए गए बसपा एवं दलित विरोधी फैसलों, पदोन्नति में आरक्षण की राह में रोड़े अटकाना और खराब कानून-व्यवस्था को भी हमने दरकिनार कर दिया। सबकुछ भुला कर हमने देश और जनहित में सपा के साथ गठबंधन धर्म को पूरी निष्ठा के साथ निभाया।

वैसे भी जगजाहिर है कि सपा के साथ सभी पुराने गिले-शिकवों को भुलाने के साथ-साथ सन् 2012-17 में सपा सरकार के बीएसपी व दलित विरोधी फैसलों, प्रमोशन में आरक्षण विरूद्ध कार्यों एवं बिगड़ी कानून व्यवस्था आदि को दरकिनार करके देश व जनहित में सपा के साथ गठबंधन धर्म को पूरी तरह से निभाया।

— Mayawati (@Mayawati) June 24, 2019

उन्होंने लिखा है कि लोकसभा चुनाव के बाद सपा का व्यवहार बसपा को यह सोचने पर मजबूर करता है कि क्या ऐसा करके भविष्य में भाजपा को हरा पाना संभव होगा? हमारे हिसाब से तो संभव नहीं होगा।

परन्तु लोकसभा आमचुनाव के बाद सपा का व्यवहार बीएसपी को यह सोचने पर मजबूर करता है कि क्या ऐसा करके बीजेपी को आगे हरा पाना संभव होगा? जो संभव नहीं है। अतः पार्टी व मूवमेन्ट के हित में अब बीएसपी आगे होने वाले सभी छोटे-बड़े चुनाव अकेले अपने बूते पर ही लड़ेगी।

— Mayawati (@Mayawati) June 24, 2019

उन्होंने लिखा है, ‘इसलिए हमने पार्टी और आंदोलन के हित में फैसला लिया है कि बसपा भविष्य में होने वाले सभी छोटे-बड़े चुनाव अपने बूते पर लड़ेगी।’

सपा-बसपा गठबंधन को लेकर कल से आ रही खबरों पर मीडिया को आड़े हाथों लेते हुए मायावती ने कहा कि बसपा की कल तमाम बैठकें हुई, जिनमें मीडिया मौजूद नहीं था।

उसके बाद हमने प्रेस विज्ञप्ति जारी की थी, इसके बावजूद बसपा प्रमुख के बारे में खबरें चलायी गईं। उन खबरों में कोई सच्चाई नहीं है।

आपको बता दें कि खबर आई थी कि मायावती ने पार्टी की एक बैठक में अखिलेश यादव को ‘मुस्लिम विरोधी’ भी बताया था। उन्होंने बैठक के दौरान खुलासा किया, ‘अखिलेश ने मुझसे मुस्लिमों को टिकट न देने के लिए कहा था। उनकी दलील थी कि इससे धार्मिक आधार पर ध्रुवीकरण होगा। लेकिन मैंने उनकी बात नहीं सुनी।’

मीडिया में आई खबरों के मुताबिक मायावती ने रविवार को पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की बैठक के बाद अखिलेश यादव के व्यवहार पर भी सवाल उठाए थे। उन्होंने कहा था कि लोकसभा ‘चुनाव में हार के बाद अखिलेश ने हमें एक फोन तक नहीं किया।

वहीं, महागठबंधन को तोड़कर सभी चुनाव अकेले लड़ने के बसपा प्रमुख के बयान पर सपा के राष्ट्रीय महासचिव रमाशंकर विद्यार्थी ने मायावती पर सामाजिक न्याय की लड़ाई कमजोर करने का आरोप लगाया और कहा कि बसपा प्रमुख घबराहट में सपा के विरुद्ध बयानबाजी कर रही हैं।

उन्होंने बसपा सुप्रीमो मायावती पर सामाजिक न्याय की लड़ाई कमजोर करने का आरोप लगाते हुए कहा, ‘बसपा सुप्रीमो के सपा से गठबंधन तोड़ने के एलान के बाद से दलित समाज तेजी से सपा से जुड़ रहा है। दलित समाज अखिलेश जी में विश्वास करने लगा है, इससे बसपा सुप्रीमो घबरा गई हैं।’

बसपा सुप्रीमो के सपा पर आरोप लगाने को लेकर पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि जनता इस सच्चाई से वाकिफ है कि गठबंधन की मालकिन ने क्या किया है।

आपको बता दें कि लोकसभा चुनाव 2019 के लिए सपा और बसपा ने 37 और 38 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे। दो सीटें कांग्रेस के लिए छोड़ी गईं थी और तीन पर अजित सिंह के राष्ट्रीय लोकदल ने चुनाव लड़ा। चुनाव में जहां सपा सिर्फ 5 सीटों पर जीतने में कामयाब हो सकी, वहीं मायावती पिछले लोकसभा चुनाव में शून्य पर थीं, लेकिन अब 10 सीटों के साथ वे उत्तर प्रदेश से सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी की नेता बन गई हैं।

गौरतलब है कि इस गठबंधन के बारे में मुलायम सिंह यादव ने पहले ही कह दिया था कि गठबंधन करते ही अखिलेश ने आधी पराजय तो पहले ही मोल ले ली है। 

मायावती जून के पहले हफ्ते में भी गठबंधन को लेकर टिप्पणी की थी। उस समय मायावती ने कहा था कि वे स्थायी रूप से गठबंधन नहीं तोड़ रही हैं।

उस समय मायावती ने कहा था, ‘अगर भविष्य में हमें लगा कि सपा अध्यक्ष (अखिलेश यादव) अपने राजनीतिक कार्यों में सफल हो रहे हैं, तो हम फिर से एक साथ काम कर सकते हैं। लेकिन अगर वे सफल नहीं होते, तो हमारे लिए अलग होकर काम करना अच्छा होगा। इसलिए हमने उपचुनाव अकेले लड़ने का फैसला किया है।’

उस समय बसपा प्रमुख ने यह भी कहा था, ‘सपा-बसपा गठबंधन बनने के बाद से सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव और उनकी पत्नी डिंपल यादव ने मुझे बहुत सम्मान दिया है। देशहित में मैं तमाम मतभेद भी भूल गई और उन्हें सम्मान दिया। हमारे संबंध केवल राजनीति के लिए नहीं हैं। ये आगे हमेशा के लिए जारी रहेंगे।’

मायावती ने यह भी कहा था कि लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में सपा के आधार वोट ‘यादव’ समाज से हमें समर्थन नहीं मिला। यहां तक कि सपा के मजबूत उम्मीदवार भी हार गए।

इसके जवाब में सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा था, ‘अगर महागठबंधन (सपा-बसपा का) टूट चुका है तो मैं इस पर गहराई से चिंतन करूंगा। अगर उपचुनाव में महागठबंधन है ही नहीं तो सपा भी अपने बलबूते चुनाव की तैयारी करेगी। राज्य की सभी 11 विधानसभा सीटों पर अकेले उपचुनाव में उतरेगी।’ 

(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)

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