भारत में देश भर के किसान अब तीनों कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ आंदोलनरत हो चुके हैं। पंजाब या हरियाणा से शुरू हुआ आंदोलन अब देश भर में फैल गया है। दिल्ली के टिकरी, सिंघु और ग़ाज़ीपुर बॉर्डर पर किसान 70 दिन से भी ज़्यादा से बैठे हैं। किसान आंदोलन को अब देश ही नहीं, दुनिया के अलग-अलग कोनों से समर्थन मिल रहा है। हाल ही में मशहूर पॉप सिंगर रिहाना ने किसान आंदोलन की एक फ़ोटो ट्वीट कर लिखा, "हम इसके बारे में बात क्यों नहीं कर रहे हैं?" रिहाना के अलावा पॉर्नस्टार मिया ख़लीफ़ा, युवा पर्यावरण चिंतक ग्रेटा थनबर्ग ने भी किसान आंदोलन के समर्थन में अपनी आवाज़ उठाई है। देश में किसान आंदोलन के समर्थकों ने अंतर्राष्ट्रीय कलाकारों का धन्यवाद किया है, और उनकी तारीफ़ भी की है कि उन्होंने किसान आंदोलन के बारे में बात की। पंजाबी गायक दिलजीत दोसांझ ने 3 फ़रवरी को रिहाना पर के गाना भी बना दिया है।
पर इस पर देश की हस्तियों का क्या कहना है?
रिहाना के ट्वीट के बाद से ही मेनस्ट्रीम मीडिया (पढ़ें गोदी मीडिया) ने रिहाना को 'भारत विरोधी', कांग्रेसी, और न जाने किन किन संज्ञाओं से संबोधित करना शुरू कर दिया है। लेकिन बात आगे तब बढ़ी है, जब विदेश मंत्रालय ने एक नोटिस जारी कर भारतीय कलाकारों से विनती की है कि वह किसान आंदोलन के बारे में कोई भी बात कहने से बचें। बॉलीवुड ने इसके बाद से मानो विदेश मंत्रालय की आज्ञा का पालन करते हुए, रिहाना के ट्वीट के ख़िलाफ़ मोर्चा खोल दिया है। अक्षय कुमार, अनुपम खेर, सुनील शेट्टी, कैलाश खेर, एकता कपूर, करण जौहर, अजय देवगन और अन्य ने विदेश मंत्रालय के इस नोटिस के बाद 'इंडिया टूगेदर' नाम के एक हैशटैग के साथ, लगभग एक जैसे ट्वीट कर कहा है, कि 'इस संकट के समय में भारत को एकजुट होकर रहना चाहिये'। इस तरह का ट्वीट करने वालों की सूची में सचिन तेंदुलकर, सुरेश रैना जैसे क्रिकेटर भी शामिल हैं, गायिका लता मंगेशकर ने भी इस तरह का ट्वीट किया है। कंगना रनौत ने तो रिहाना के कपड़ों को लेकर भद्दी बातें कही हैं, और एक बार फिर से किसानों को आतंकवादी कह दिया है।
आपको मालूम होना ज़रूरी है कि इन सब भारतीय कलाकारों, क्रिकेटरों ने पिछले 2 महीने से सरहदों पर बैठे किसानों के बारे में एक बार भी कोई बयान नहीं दिया है। इनके बयान तब आये हैं, जब विदेशों तक किसानों पर हो रहे ज़ुल्म की कहानी पहुँच रही है।
देखना ज़रूरी है कि क्या इन सभी चर्चित नामों के बयानात किसानों के हक़ की बात का रहे हैं? लगता नहीं है कि यह किसानों की बात है, बल्कि यह उस सरकार की पैरवी कर रहे हैं, जिसने बग़ैर बहस के यह तीनों क़ानून लागू किये हैं, और जिसे किसान लगातार वापस लेने की मांग कर रहे हैं।
दिल्ली के तीन बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे किसानों के इर्द गिर्द पुलिस ने कंटीले तार, सड़कों पर कीलें, और बैरिकेड लगाने का काम किया। पुलिस बल की तैनाती इतनी है, जितनी शायद वाघा बॉर्डर पर भी नहीं होगी। किसानों के मुताबिक पिछले 2 महीने से ज़्यादा समय में 120 से ज़्यादा किसानों की मौत हो गई है। एक से ज़्यादा बार किसानों पर लाठीचार्ज, आंसू गैस से हमला हुआ है। किसान, पत्रकार, लगातार गिरफ़्तार किये जा रहे हैं। मगर इस सब के बावजूद, किसी भी सेलिब्रिटी ने इस मसले पर कोई बयान नहीं दिया। यह सब तब बोले हैं जब रिहाना ने, या ग्रेटा थनबर्ग और तमाम विदेशी सेलिब्रिटी ने किसान आंदोलन की बात की है।
बॉलीवुड इतना डरपोक क्यों है?
यह पहली बार नहीं है जब भारतीय सेलिब्रिटी किसी मसले पर चुप हैं। 2014 के बाद से यह चुप्पी आम सी बात हो गई है। नागरिकता क़ानून के विरोध में देश भर की महिलाएँ 2 महीने तक सड़कों पर थीं, किसी ने कुछ नहीं बोला, दिल्ली में हिंसा हुई तब भी किसी ने कुछ नहीं बोला। नरेंद्र मोदी के समर्थकों में यह डर की भावना दिखती है कि वह किसी मसले पर कुछ बोलते नहीं हैं।
हालांकि कई सितारे, जैसे नसीरुद्दीन शाह, स्वरा भास्कर, ज़ीशान अयूब आदि ने किसान आंदोलन को समर्थन दिया है। पंजाबी कलाकारों में तो लगभग सभी लगातार किसान आंदोलन में शामिल होते रहे हैं।