NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
अर्थव्यवस्था
आर्थिक मंदी के बीच भारतीय रेलवे धीमी लेन पर रेंग रही है
मासिक वित्तीय समीक्षा के अनुसार इस वर्ष अप्रैल से अगस्त के बीच, रेलवे को अपनी आय में क़रीब 11,852 करोड़ की कमी का सामना करना पड़ा है जबकि इसके ख़र्चों में बढ़ोत्तरी हुई है।
अरुण कुमार दास
12 Oct 2019
indian railway

आर्थिक मंदी के चलते भारतीय रेलवे की कार्य कुशलता पर प्रभाव पड़ा है। रेलवे वैगन की माँग में तीव्र गिरावट के साथ माल और यात्री भाड़े से होने वाली आय में भी गिरावट दर्ज हुई है।

राष्ट्रीय परिवहन ने पूर्व में 10,500 वैगन की ख़रीद का लक्ष्य रखा था, जिसे हावी स्थितियों की समीक्षा को देखते हुए घटाकर 5,000 कर दिया गया और अब वर्तमान में मांग की अनुपस्थिति के चलते इसे एक बार फिर से संशोधित कर 1,860 वैगन तक कर दिया गया है।

चूँकि रेलवे को उसके वैगन के लिए बाज़ार की माँग पर निर्भर रहना पड़ता है, जिसके चलते इसकी ख़रीद में होने वाली भारी गिरावट से इस बाज़ार में 4,000 करोड़ से अधिक की कमी आई है।

मासिक वित्तीय समीक्षा के अनुसार, इस साल अप्रैल से लेकर अगस्त तक, भारतीय रेलवे को आय में कमी का सामना करना पड़ा है, जबकि इसके ख़र्चों में बढ़ोत्तरी हुई है। यात्री भाड़े में बजट में रखे गए लक्ष्य से क़रीब 11,852 करोड़ की कमी दर्ज हुई। जहाँ राज्य संचालित परिवहन यातायात संख्या में क़रीब 1।8% की वृद्धि दर्ज हुई, वहीं कुल मिलाकर 1।3% की गिरावट देखने को मिली है।

यात्री भाड़े से होने वाले 23,584।88 करोड़ रुपये आय के लक्ष्य के विपरीत मात्र 22,384।97 करोड़ रुपये अर्जित हुए, जिससे अनुमानित आय में अगस्त के अंत तक 1,199।91 करोड़ रुपये का अंतर पैदा हो गया है। माल भाड़े की ढुलाई के क्षेत्र में भी, बजट में अनुमानित 55,034।13 करोड़ की तुलना में मात्र 46,433।37 करोड़ रुपये ही अर्जित हुए, जो अनुमानित लक्ष्य में 8,600।76 करोड़ रुपये के कम राजस्व का अंतर दर्शाता है। जहाँ सामान्य कार्य के व्यय में 66,952।35 करोड़ का बजटीय प्रावधान किया गया था, उसकी तुलना में यह ख़र्च बढ़कर 68,779।06 करोड़ हो गया, जो 100% संचालन प्रतिशत के निशान से काफ़ी ऊपर है, और ख़राब होती आर्थिक हालत का सूचक है। 

माल भाड़े की ढुलाई के कार्य को देखने वाले एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार ढुलाई में आई गिरावट एक चिंता का विषय है क्योंकि इसे ही रेलवे में मुख्य कमाई को स्रोत माना जाता है। हालाँकि उनके अनुसार, “कोयला खदानों में पानी भर जाने से कोयले की ढुलाई बुरी तरह प्रभावित हुई है। मंदी के चलते स्टील और सीमेंट क्षेत्र में भी प्रभाव पड़ा है।”

आय में वृद्धि की रफ़्तार के संकेत नहीं मिलने के कारण, रेलवे ने हाल ही में अपने “व्यस्ततम सीज़न” के अधिभार को माफ़ कर दिया है, जिसे माल भाड़े के ग्राहकों से अक्टूबर से जून तक वसूला जाता था, और उसे उम्मीद है कि इसके ज़रिये सड़क क्षेत्र से यातायात को अपनी ओर खींचने में मदद मिलेगी।

जहाँ तक रेल यात्रियों से होने वाली आय का सवाल है, उसमें पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में गिरावट दर्ज हुई है। पिछले वर्ष 1 अप्रैल से लेकर 20 सितम्बर 2019 तक जहाँ 399 करोड़ 97 लाख यात्री टिकटों की बिक्री हुई थी, उसी अवधि की तुलना में इस साल 394 करोड़ 88 लाख यात्री टिकटों की ही बिक्री हुई, जो बिक्री में 1।27% गिरावट को दर्शाता है।

आंकड़ों के अनुसार, पिछले वर्ष की तुलना में इस दौरान उपनगरीय यात्रियों ने कम संख्या में लोकल ट्रेन की सेवाएं लीं। जहाँ पिछले वर्ष 1 अप्रैल से लेकर सितम्बर 2018 तक 224 करोड़ 1 लाख 90 हज़ार यात्रियों ने उपनगरीय ट्रेन सेवाओं का इस्तेमाल किया था; वहीं इसी अवधि के दौरान इस साल यह संख्या घटकर 221 करोड़ 48 लाख 30 हज़ार रह गई है, जो कि 1।13% की नकारात्मक वृद्धि है।

इस गिरावट को और आगे बढ़ने से रोकने के लिए रेलवे ने कुछ उपायों को लागू करने का प्रस्ताव रखा है, जिसमें रेल और स्टेशन की सफ़ाई कॉर्पोरेट सोशल रिस्पोंसिबिलिटी (CSR) के ज़रिये करने, 50% से कम सीट भरने वाली ट्रेन के संचालन पर समीक्षा करने, उनकी फ़्रीक्वेंसी में कमी या उन्हें अन्य ट्रेन के साथ विलय करने, रेलवे की ज़मीन के व्यावसायिकीकरण द्वारा स्टाफ़ क्वार्टरों की मरम्मत का काम, तेल बचाने के लिए उन डीज़ल इंजनों की छुट्टी करना जो 30 साल पुराने हो चुके हैं, जिससे तेल की खपत में कमी आये, बेहतर कार्य संचालन के ज़रिये तेल की बचत और बेहतर कमाई के लिए मेंटेनेंस के तरीक़ों और दोबारा सुधार वाले कार्यों को आदर्श स्तर पर संचालित कर हासिल किया जा सकता है।

indian railways
Economic slowdown
Slowdown in Indian Railways
Fall in Wagon Procurement
Modi government
Economic Slowdown under Modi Government

Related Stories

भाजपा के इस्लामोफ़ोबिया ने भारत को कहां पहुंचा दिया?

गैर-लोकतांत्रिक शिक्षानीति का बढ़ता विरोध: कर्नाटक के बुद्धिजीवियों ने रास्ता दिखाया

PM की इतनी बेअदबी क्यों कर रहे हैं CM? आख़िर कौन है ज़िम्मेदार?

आख़िर फ़ायदे में चल रही कंपनियां भी क्यों बेचना चाहती है सरकार?

तिरछी नज़र: ये कहां आ गए हम! यूं ही सिर फिराते फिराते

'KG से लेकर PG तक फ़्री पढ़ाई' : विद्यार्थियों और शिक्षा से जुड़े कार्यकर्ताओं की सभा में उठी मांग

मोदी के आठ साल: सांप्रदायिक नफ़रत और हिंसा पर क्यों नहीं टूटती चुप्पी?

कोविड मौतों पर विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट पर मोदी सरकार का रवैया चिंताजनक

ट्रेन में वरिष्ठ नागरिकों को दी जाने वाली छूट बहाल करें रेल मंत्री: भाकपा नेता विश्वम

किसानों और सत्ता-प्रतिष्ठान के बीच जंग जारी है


बाकी खबरें

  • covid
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में आज फिर एक हज़ार से ज़्यादा नए मामले, 71 मरीज़ों की मौत
    06 Apr 2022
    देश में कोरोना के आज 1,086 नए मामले सामने आए हैं। वही देश में अब एक्टिव मामलों की संख्या घटकर 0.03 फ़ीसदी यानी 11 हज़ार 871 रह गयी है।
  • khoj khabar
    न्यूज़क्लिक टीम
    मुसलमानों के ख़िलाफ़ नहीं, देश के ख़िलाफ़ है ये षडयंत्र
    05 Apr 2022
    खोज ख़बर में वरिष्ठ पत्रकार भाषा सिंह ने दिल्ली की (अ)धर्म संसद से लेकर कर्नाटक-मध्य प्रदेश तक में नफ़रत के कारोबारियों-उनकी राजनीति को देश के ख़िलाफ़ किये जा रहे षडयंत्र की संज्ञा दी। साथ ही उनसे…
  • मुकुंद झा
    बुराड़ी हिन्दू महापंचायत: चार FIR दर्ज लेकिन कोई ग़िरफ़्तारी नहीं, पुलिस पर उठे सवाल
    05 Apr 2022
    सबसे बड़ा सवाल तो यही है कि बिना अनुमति के इतना भव्य मंच लगाकर कई घंटो तक यह कार्यक्रम कैसे चला? दूसरा हेट स्पीच के कई पुराने आरोपी यहाँ आए और एकबार फिर यहां धार्मिक उन्माद की बात करके कैसे आसानी से…
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    एमपी : डॉक्टरों की कमी से जूझ रहे 490 सरकारी अस्पताल
    05 Apr 2022
    फ़िलहाल भारत में प्रति 1404 लोगों पर 1 डॉक्टर है। जबकि वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन के मानक के मुताबिक प्रति 1100 लोगों पर 1 डॉक्टर होना चाहिए।
  • एम. के. भद्रकुमार
    कीव में झूठी खबरों का अंबार
    05 Apr 2022
    प्रथमदृष्टया, रूस के द्वारा अपने सैनिकों के द्वारा कथित अत्याचारों पर यूएनएससी की बैठक की मांग करने की खबर फर्जी है, लेकिन जब तक इसका दुष्प्रचार के तौर पर खुलासा होता है, तब तक यह भ्रामक धारणाओं अपना…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License