NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
कोविड-19
सोशल मीडिया
भारत
राजनीति
कपूर, लौंग, अजवाइन और नीलगिरी तेल ऑक्सीजन लेवल नहीं बढ़ाते, केन्द्रीय मंत्री ने शेयर किया ग़लत दावा
सोशल मीडिया पर एक मेसेज वायरल है जिसके मुताबिक कपूर, लौंग, अजवाइन और नीलगिरी तेल का मिश्रण सूंघने से शरीर में ऑक्सीजन लेवल बढ़ता है और सांस संबंधी तकलीफ़ में भी राहत मिलती है
रौनक बोराणा
27 Apr 2021
fact check

फ़ेसबुक, ट्विटर और व्हाट्सऐप पर एक मेसेज वायरल है जिसके मुताबिक कपूर, लौंग, अजवाइन और नीलगिरी तेल का मिश्रण सूंघने से शरीर में ऑक्सीजन लेवल बढ़ता है और सांस संबंधी तकलीफ़ में भी राहत मिलती है. लेकिन ऑल्ट न्यूज़ साइंस ने पाया कि इस दावे का कोई आधार नहीं है. दावे के उलट, इस मिश्रण को सूंघने से कपूर की पॉइज़निंग (कैम्फ़र पॉइज़निंग) हो सकती है जो शरीर के लिए बेहद ख़तरनाक है.

अल्पसंख्यक मामलों के केन्द्रीय मंत्री मुख़्तार अब्बास नकवी ने बढ़ते कोरोना मामलों के बीच फ़ेसबुक पर ये दावा शेयर किया था.

अमर उजाला ने एक फ़ैक्ट-चेक रिपोर्ट में इस दावे को सच बताया.

ये दावा कई अन्य सोशल मीडिया यूज़र्स ने भी शेयर किया है.

हिंदी और इंग्लिश में वायरल टेक्स्ट में लिखा है, “कपूर, लौंग और अजवाइन का मिश्रण बनाकर इसमें कुछ बूंदे नीलगिरी के तेल की मिलाकर इस तरह की पोटली बना लें और अपने दिन भर के कामकाज के दौरान बीच बीच में सूँघते रहे…यह ऑक्सिजन लेवल बनाये रखने में मदद करता है..! इस तरह की पोटली लद्दाख में पर्यटकों को दी जाती है जब ऑक्सीजन लेवल कम हो..!”

दावे:

1. कपूर, लौंग और अजवाइन और नीलगिरी तेल ऑक्सीजन लेवल बढ़ाते हैं.

2. कपूर, लौंग, अजवाइन और नीलगिरी तेल का मिश्रण सूंघने से सांस संबंधी तकलीफ़ में राहत मिलती है.

ये दावे बिल्कुल ग़लत हैं

फ़ैक्ट-चेक

1. कपूर

कपूर एक ज्वलनशील क्रिस्टलीय पदार्थ होता है जिसकी महक बहुत तेज़ होती है. इसका इस्तेमाल कई बार त्वचा पर दर्द और जलन कम करने के लिए किया जाता है.

सर्दी होने पर जाम हुई नाक ठीक करने वाले विक्स वेपोरब जैसे प्रोडक्ट्स में भी कम मात्रा में (4-5%) इसका इस्तेमाल होता है. इसके प्रभाव का परिणाम भी मिला-जुला है. कई पुराने अध्ययन बताते हैं कि कपूर और नीलगिरी सर्दी से नाक जाम होने पर कोई असर नहीं दिखाते.

और वैसे भी, गंभीर कोविड-19 मरीज़ों में खून में ऑक्सीजन का लेवल फेफड़े और श्वसन तंत्र (respiratory system) के निचले हिस्से में क्षति पहुंचने से कम होता है. इसलिए ऑक्सीजन लेवल में आई कमी की सांस नली को साफ़ करने से दूर नहीं होगी. एक अन्य रिसर्च ये बताती है कि नाक जाम में राहत होने से ऑक्सीजन स्तर में कोई सुधार नहीं होता है.

यही नहीं, अगर आम कपूर (जिसका डॉक्टरी इस्तेमाल नहीं होता) कुछ मिनटों तक सूंघने की भूल करते हैं तो लोगों के अंदर ये ज़हर के रूप में प्रवेश होकर जमा होगा, खासकर बच्चों में.

अमेरिकन असोसिएशन ऑफ़ पॉइज़न कंट्रोल सेंट्रल के मुताबिक, अमेरिका में 2018 में कपूर से पॉइज़निंग के करीब 9,500 मामले सामने आये थे. इनमें से 10 मामले जानलेवा थे जिनसे शरीर में गंभीर नुकसान पहुंचा. फ़ूड ऐंड ड्रग ऐडमिनिस्ट्रेशन (FDA) 11% या इससे ज़्यादा कपूर का डोज़ लेने के लिए मना करता है.

अमेरिका के सेंटर फ़ॉर डिज़ीज़ कंट्रोल (CDC) ने भी कपूर से नुकसान पर विस्तृत आंकड़े दिए हैं जिन्हें देखकर मालूम होता है कि इसे शरीर में लेने पर शरीर के अंगों को भारी नुकसान होता है.

CDC की गाइडलाइन के मुताबिक, कपूर सूंघने से नाक, गले और आंखो में परेशानी होती है. ये मिर्गी, दिमागी अस्थिरता, पेट दर्द और ज़्यादा मात्रा में ग्रहण करने से मौत का कारक बन सकता है. भारत में भी कपूर का वाष्प लेने पर पॉइज़निंग होने के मामले सामने आ चुके हैं.

2. लौंग

ये दावा इटली के एक अध्ययन के इकलौते रिव्यु पर आधारित है जिसमें कोविड पर लौंग के असर पर परिकल्पना मात्र की गयी है. हालांकि, इस रिव्यु में जिस रीसर्च का रेफ़रन्स दिया गया है वो हर्पीज़ सिम्पलेक्स वायरस पर की गयी रीसर्च थी न कि SARS-CoV-2 पर. ये रीसर्च यूजिनॉल (eugenol) नाम के कम्पाउंड पर की गयी थी जो लौंग, दालचीनी, जायफल और तुलसी में पाया जाता है और विषाक्त होता है. हालांकि इस रिसर्च में केवल कंपाउंड यूजिनोल के सेवन करने की बात नहीं की गयी है. लेकिन सिर्फ़ लौंग की भाप ज़्यादा मात्रा में लेने से ये ज़हर का काम कर सकती है. ऐसी कोई भी रीसर्च उपलब्ध नहीं है जो दावा करे कि इससे खून में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ती है या सांस संबंधी समस्याओं में राहत मिलती है.

3. अजवाइन और नीलगिरी तेल

इन दोनों के लिए कोई रीसर्च या सबूत नहीं मौजूद हैं जो बताए कि अजवाइन और नीलगिरी तेल से खून में ऑक्सीजन का स्तर बढ़ता है या सांस की तकलीफ़ में राहत मिलती है.

निष्कर्ष

व्हाट्सऐप पर शेयर किये गये कुछ अन्य मेसेज में ऐसे ही दावों का क्रेडिट आयुर्वेदिक चिकित्सक डॉ. प्रयागराज डाभी को दिया गया है जिन्होंने कोविड-19 मरीज़ों का इससे इलाज किया है. लेकिन प्रयागराज डाभी ने फ़ेसबुक पर वायरल मेसेज को फ़र्ज़ी बताया.

यही नहीं, कुछ मेसेज में तो ये तक कहा गया कि एम्बुलेंस में इस मिश्रण का प्रयोग कोविड-19 मरीज़ों पर हो रहा है. लेकिन स्वास्थ्य मंत्रालय के कोविड-19 प्रोटोकॉल में एम्बुलेंस के लिए ऐसी कोई जानकारी नहीं दी गयी है.

इस बात का कोई सबूत नहीं है कि कपूर, लौंग, अजवाइन और नीलगिरी तेल ऑक्सीजन लेवल बढ़ाते हैं या सांस की तकलीफ़ में राहत देते हैं. ये नुस्खे केवल हल्के सांस के संक्रमण या नाक जाम होने पर केवल अच्छा महसूस कराने के काम में आते हैं. कपूर सूंघना शरीर के लिए जानलेवा साबित हो सकता है. लेकिन घरेलू उपायों के ऐसे दावे शेयर किये जाने से लोग मेडिकल हेल्प लेने की बजाय इन नुस्खों पर आश्रित हो जाते हैं.

साभार : ऑल्ट न्यूज़

Social Media
Viral post
Alt news
fact check
Mukhtar Abbas Naqvi

Related Stories

फ़ैक्ट चेक: क्या भारत सचमुच 100 करोड़ टीके लगाने वाला दुनिया का पहला देश है?

फैक्ट चेकः भाजपा राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के कोरोना की दूसरी लहर के बारे में दावों की सच्चाई

महामारी की दूसरी लहर राष्ट्रीय संकट, इंटरनेट पर मदद मांगने पर रोक न लगाई जाए : उच्चतम न्यायालय

‘कोरोना केयर सेंटर’ के तौर पर इस्तेमाल किए जाएंगे राज्यों के हज भवन

तो क्या अब पूरा समाज खुली जेलों में बदल डाला जाएगा?


बाकी खबरें

  • विजय विनीत
    बनारस को धार्मिक उन्माद की आग में झोंकने का घातक खेल है "अज़ान बनाम हनुमान चालीसा" पॉलिटिक्स
    19 Apr 2022
    हनुमान चालीसा एक धार्मिक पाठ है। इसे किसी को जवाब देने के लिए नहीं, मन और आत्मा की शांति के लिए पढ़ा जाता है। अब इसका इस्तेमाल नफ़रती राजनीति के लिए किया जा रहा है। दिक्कत यह है कि बहुत से पढ़े-लिखे…
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    मध्य प्रदेश फसल घोटाला: माकपा ने कहा- 4000 करोड़ के घोटाले में बिचौलिए ही नहीं भाजपाई भी हैं शामिल
    19 Apr 2022
    माकपा ने इस घोटाले का आरोप बीजेपी पर लगाते हुए कहा है कि पिछले डेढ़ दशक से भी लंबे समय से चल रहे गेहूं घोटाले में बिचौलिए ही नहीं प्रशासन और भाजपाई भी बड़े पैमाने पर शामिल हैं। 
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: कई राज्यों में मामले बढ़े, दिल्ली-एनसीआर में फिर सख़्ती बढ़ी 
    19 Apr 2022
    देश के कई राज्यों में कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए राज्य सरकारों ने कोरोना के नियमों का पालन करने जोर दिया है, और मास्क नहीं पहनने वालों पर जुर्माना भी लगाया जाएगा |
  • अजय कुमार
    मुस्लिमों के ख़िलाफ़ बढ़ती नफ़रत के ख़िलाफ़ विरोध में लोग लामबंद क्यों नहीं होते?
    19 Apr 2022
    उत्तर भारत की मज़बूत जनाधार वाली पार्टियां जैसे कि समाजवादी पार्टी, राष्ट्रीय जनता दल, बाकी अन्य दलों के नेताओं की तरफ से ऐसा कुछ भी नहीं कहा गया, जिससे यह लगे कि भारत के टूटते ताने-बाने को बचाने के…
  • संदीप चक्रवर्ती
    केवल आर्थिक अधिकारों की लड़ाई से दलित समुदाय का उत्थान नहीं होगा : रामचंद्र डोम
    19 Apr 2022
    आर्थिक और सामाजिक शोषण आंतरिक रूप से जुड़े हुए हैं। माकपा की पोलिट ब्यूरो में चुने गए पहले दलित सदस्य का कहना है कि सामाजिक और आर्थिक दोनों अधिकारों की लड़ाई महत्वपूर्ण है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License