NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
अपराध
भारत
राजनीति
इंस्पेक्टर सुबोध के हत्यारोपियों का स्वागत : अपने दाग़ अच्छे हैं!
हाल ही में एक वीडियो और कई तस्वीरें सोशल मीडिया पर फैल रही हैं जिनमें बुलंदशहर में इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह की हत्या मामले के आरोपियों का स्वागत किया जा रहा है, भारत माता की जय और जय श्री राम के नारे लगाए जा रहे हैं। 
सत्यम् तिवारी
26 Aug 2019
bulandshahar case
Image courtesy: The Indian Express

एक फ़िल्म है गैंग्स ऑफ वासेपुर (Gangs Of Wasseypur) जिसका एक सीन है जब फ़ैज़ल ख़ान (नवाज़ुद्दीन सिद्दीक़ी) कई आपराधिक मामलों से छूट कर जेल से बाहर आता है और उसके स्वागत के लिए एक बड़ा सा जश्न मनाया जाता है। फ़ैज़ल अपराधी है सबको पता है लेकिन इस सीन में उसके द्वारा किए गए सभी अपराधों, सभी हत्याओं का जश्न मनाया गया है। ये सीन सिर्फ़ फ़िल्म का सीन नहीं है, ये हक़ीक़त भी है। ये एक सीन इन दिनों दक्षिणपंथी संगठनों द्वारा लगातार दोहराया जा रहा है। जब भी किसी भी सांप्रदायिक मामले का आरोपी जेल से बाहर आता है तो ऐसे तत्व उस अपराधी का स्वागत करते हैं, उसका जश्न मनाते हैं।

हाल ही में एक वीडियो और कई तस्वीरें सोशल मीडिया पर फैल रही हैं जिनमें बुलंदशहर में इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह की हत्या मामले के आरोपियों का स्वागत किया जा रहा है, भारत माता की जय और जय श्री राम के नारे लगाए जा रहे हैं। ये आरोपी एक हिंदुत्ववादी संगठन से ताल्लुक रखते हैं और अभी-अभी बेल पर बाहर आए हैं। 

#WATCH Bulandshahr: Six accused persons in the #BulandshahrViolence case in which Inspector Subodh Kumar was killed last year, were welcomed with garlands after they were released on bail, yesterday. pic.twitter.com/PtuR2eHBsh

— ANI UP (@ANINewsUP) August 25, 2019

आपको मालूम है कि दिसंबर, 2018 में सुबोध कुमार सिंह की भीड़ ने पीट-पीट कर हत्या कर दी थी। दरअसल बुलंदशहर में कई गौ-गुंडे, गौ-कशी रोकने के नाम पर अराजकता फैला रहे थे। इस हिंसा को रोकने इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह गए थे जिसके बाद भीड़ ने उन्हें पीट पीट कर मार डाला। उस समय भी इस घटना का एक वीडियो वायरल हुआ था।

बीजेपी का 'अपराध-प्रेम'!

ये अकेला मामला नहीं है जब किसी मॉब लिंचिंग या सांप्रदायिक हिंसा के मामले में आरोपियों का इस तरह स्वागत किया गया हो। आपको याद है झारखंड में पूर्व केंद्रीय मंत्री जयंत सिन्हा द्वारा अलीमुद्दीन अंसारी के हत्यारोपियों को ज़मानत मिलने पर किस तरह फूल-मालाओं से स्वागत किया गया था। 

ऐसा भी नहीं है कि ऐसे आरोपी पहली बार छोड़े गए हों।

इस मामले में तो शिखर अग्रवाल सहित 2 अन्य आरोपी बेल पर बाहर हुए हैं, लेकिन ऐसे भी मामले देखे गए हैं जब हत्या जैसे मामलों में आरोपियों को छोड़ दिया गया है। हाल ही में पहलू ख़ान की हत्या के सभी आरोपियों को कोर्ट ने निर्दोष बता दिया है।

मौजूदा बीजेपी सरकार के पहले कार्यकाल की शुरुआत 2014 में हुई थी और उस चुनाव से ऐन पहले 2013 में उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में दंगे हुए थे जिसमें कई मुसलमानों पर हिंसा की गई थी। हिंदुवादी संगठनों के लोगों को गिरफ़्तार भी किया गया था, लेकिन हाल ही में उन सब आरोपियों को भी छोड़ दिया गया है।

इतना ही नहीं दंगे के आरोपी विधायक संगीत सोम से सब मुकदमे वापस लेने की तैयारी की जा रही है तो एक दूसरे आरोपी सुरेश राणा को राज्यमंत्री से प्रमोशन कर कैबिनेट मंत्री बना दिया गया है।

आपको ये भी याद होगा कि योगी आदित्यनाथ के रैली में दादरी में अखलाक की हत्या के आरोपी को देखा गया था। इसके अलावा प्रज्ञा सिंह ठाकुर जो कि एक आतंकवादी मामले में आरोपी हैं, उन्हें संसद में पहुंचाने के लिए चुनाव में उतारा गया। 

हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बयान दिया था जिसमें कहा गया था कि हिन्दू कभी धर्म के नाम पर हिंसा नहीं करते। वो अगर 2014 से अब तक की हिंसा का आंकड़ा देख लेते तो उनका ये भ्रम शायद दूर हो जाता।

पुलिस भी सुरक्षित नहीं!

देश में बढ़ रहे इन सांप्रदायिक और लिंचिंग के मामलों से बचने के लिए लोग पुलिस के पास जाएंगे लेकिन पुलिस की सुरक्षा का क्या? सुबोध कुमार सिंह जो कि एक पुलिस इंस्पेक्टर थे, उन्हें भीड़ ने मार दिया, क्या हुआ? कुछ नहीं! कोई ठोस कार्रवाई तक नहीं हुई है।
सुबोध एक इंस्पेक्टर थे और नहीं बच सके। हाल ही में गुजरात के एक मुसलमान हवलदार की कुछ लड़कों ने दाढ़ी खींची, जय श्री राम बोलने को कहा और उन्हें पीटा गया। पुलिस, सुरक्षा बल जिनसे उम्मीद होती है सुरक्षा की, वे ख़ुद असुरक्षित और लाचार नज़र आ रहे हैं।

ये नारों का दौर है

जब कोई इतिहासकार कई साल बाद हिंदुस्तान में इस दौर की कहानी लिख रहा होगा तो उसे काले शब्दों में ये लिखना पड़ेगा कि "ये देश और भगवान के नारों के नाम पर क़त्ल करने का दौर था!”

भारत माता की जय, जय श्री राम, वंदे मातरम, ये सब नारे आजकल भक्ति और देशप्रेम का नहीं, बल्कि हिंसा का प्रतीक बन चुके हैं। लोगों को जय श्री राम न बोलने पर मारा जा रहा, भारत माता की जय न बोलने पर देशद्रोही बताया जा रहा है। ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं जहाँ एक नारा न लगाने के नाम पर अल्पसंखयकों पर हमले किए गए हैं, यहाँ तक कि उनकी हत्या भी की गई है।

लेकिन ये नारे शुरू कहाँ से होते हैं? दंगे, सांप्रदायिक हिंसा और सांप्रदायिक नफ़रत के बारे में एक आम सी बात ये है कि इस सभी मसलों की शुरुआत सड़क पर नहीं होती, संसद में होती है। यानी ये उन नेताओं, उन संगठनों द्वारा शुरू किए जाते हैं जिन्हें इससे कोई निजी राजनीतिक फ़ायदा है। ये नेता इन सब नारों, इस नफ़रत को अपने बयानों, अपनी रैलियों से प्रचलन में लाने का काम करते हैं, वहीं से होता हुआ ये सब कुछ सड़क तक पहुंचता है और कोई रमेश किसी रिज़वान को मारने लगता है।

इस दौर में मीडिया का जितना पतन देखा गया है उतना किसी भी देश में कभी नहीं देखा गया होगा। आज एंकर अपने चैनल पर हिंदुवादी संदेश फैलाने का काम कर रहा है और लोगों को उकसाता हुआ नज़र आ रहा है। इस समय नफ़रत है जिसे फैलाना सबसे आसान काम है।

नफ़रतों के दौर का क्या होगा अंत?

बीजेपी को सत्ता में आए 6 साल हो गए हैं, इसके अलावा देश के 70 प्रतिशत राज्यों में बीजेपी की सरकार है। बीजेपी की सरकार है मतलब हिंदुवादी संगठन बहुत मज़बूत हैं और धर्म के नाम पर गुंडों का भी बोलबाला है। आज अपराधियों का जश्न मनाना सामान्य हो गया है। सुबोध कुमार सिंह की हत्या के आरोपियों को बेल मिलना, पहलू ख़ान के आरोपियों का छूट जाना, एक बहुत बड़ा सवाल पैदा करता है कि "क्या इस सरकार से पुलिस भी डरी हुई है और असुरक्षित महसूस कर रही है?”

ये सवाल निराश करने वाला लग सकता है लेकिन ये पूछना ज़रूरी है, कि क्या नफ़रतों के इस दौर का अंत हो सकेगा? 

Bulandshahr violence accused
bulandshahar
Inspector Subodh Kumar Singh murder case
Hindutva
BJP
Narendra modi
modi sarkar

Related Stories

हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?

मूसेवाला की हत्या को लेकर ग्रामीणों ने किया प्रदर्शन, कांग्रेस ने इसे ‘राजनीतिक हत्या’ बताया

2023 विधानसभा चुनावों के मद्देनज़र तेज़ हुए सांप्रदायिक हमले, लाउडस्पीकर विवाद पर दिल्ली सरकार ने किए हाथ खड़े

रुड़की से ग्राउंड रिपोर्ट : डाडा जलालपुर में अभी भी तनाव, कई मुस्लिम परिवारों ने किया पलायन

हिमाचल प्रदेश के ऊना में 'धर्म संसद', यति नरसिंहानंद सहित हरिद्वार धर्म संसद के मुख्य आरोपी शामिल 

अब भी संभलिए!, नफ़रत के सौदागर आपसे आपके राम को छीनना चाहते हैं

मुस्लिम जेनोसाइड का ख़तरा और रामनवमी

ग़ाज़ीपुर; मस्जिद पर भगवा झंडा लहराने का मामला: एक नाबालिग गिरफ़्तार, मुस्लिम समाज में डर

बुराड़ी हिंदू महापंचायत: धार्मिक उन्माद के पक्ष में और मुसलमानों के ख़िलाफ़, पत्रकारों पर भी हुआ हमला

लखीमपुर हिंसा:आशीष मिश्रा की जमानत रद्द करने के लिए एसआईटी की रिपोर्ट पर न्यायालय ने उप्र सरकार से मांगा जवाब


बाकी खबरें

  • विजय विनीत
    ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां
    04 Jun 2022
    बनारस के फुलवरिया स्थित कब्रिस्तान में बिंदर के कुनबे का स्थायी ठिकाना है। यहीं से गुजरता है एक विशाल नाला, जो बारिश के दिनों में फुंफकार मारने लगता है। कब्र और नाले में जहरीले सांप भी पलते हैं और…
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में 3,962 नए मामले, 26 लोगों की मौत
    04 Jun 2022
    केरल में कोरोना के मामलों में कमी आयी है, जबकि दूसरे राज्यों में कोरोना के मामले में बढ़ोतरी हुई है | केंद्र सरकार ने कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए पांच राज्यों को पत्र लिखकर सावधानी बरतने को कहा…
  • kanpur
    रवि शंकर दुबे
    कानपुर हिंसा: दोषियों पर गैंगस्टर के तहत मुकदमे का आदेश... नूपुर शर्मा पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं!
    04 Jun 2022
    उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था का सच तब सामने आ गया जब राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के दौरे के बावजूद पड़ोस में कानपुर शहर में बवाल हो गया।
  • अशोक कुमार पाण्डेय
    धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है
    04 Jun 2022
    केंद्र ने कश्मीरी पंडितों की वापसी को अपनी कश्मीर नीति का केंद्र बिंदु बना लिया था और इसलिए धारा 370 को समाप्त कर दिया गया था। अब इसके नतीजे सब भुगत रहे हैं।
  • अनिल अंशुमन
    बिहार : जीएनएम छात्राएं हॉस्टल और पढ़ाई की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन धरने पर
    04 Jun 2022
    जीएनएम प्रशिक्षण संस्थान को अनिश्चितकाल के लिए बंद करने की घोषणा करते हुए सभी नर्सिंग छात्राओं को 24 घंटे के अंदर हॉस्टल ख़ाली कर वैशाली ज़िला स्थित राजापकड़ जाने का फ़रमान जारी किया गया, जिसके ख़िलाफ़…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License