NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
ईपीएफओ डेटा : लाखों कर्मचारी के भविष्य निधि खाते खतरे में है !
ये कर्मचारियों के लिहाज से बहुत ही चिंताजनक बात है,कि उनके भविष्य निधि के खाते में कंपनी मालिकों के द्वारा पैसा जमा नहीं कराया जा रहा है | जबकि उनके हिस्से का अंश दान उनके मासिक वेतन से काटा जा रहा है|
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
11 Jun 2018
EPFO
image coutesy: Deccan Cronicles

ईपीएफ सदस्यों के बारे में एक चौकाने वाली जानकारी सामने आ रही है, मिडिया रिपोर्टों के अनुसार मई 2018 में कर्मचारी भविष्य निधि यानी ईपीएफ (EPF) में हिस्सा देने वाले ईपीएफ सदस्यों की संख्या में 11 लाख तक की कमी आई है।  जबकि इसके उलट इस अवधि में कर्मचारी भविष्य निधि संगठन यानी ईपीएफओ के पास PF जमा कराने वाली कंपनियों की संख्या में इज़ाफा हुआ है |
 
 भविष्य निधि में हर कर्मचारी अपने मासिक वेतन में से एक हिस्सा भविष्य की वित्तीय सुरक्षा के लिए जमा करते हैं | कर्मचारी  हर माह अपने मूल वेतन और मंहगाई भत्ते का 12 प्रतिशत ईपीएफ में जमा कराता है और उतनी ही राशि उसके नियोक्ता(मालिक ) द्वारा भी जमा कराई जाती है, परन्तु ये पूरी राशी मज़दूर का हिस्सा और मालिक अपना हिस्सा दोनों ही जोड़कर फ़ैक्टरी या उद्योग मालिकों द्वारा ही जमा कराया जाता है | 

एक सत्य यह भी है की कर्मचारी भविष्य निधि या और अन्य श्रम कानूनों का लाभ श्रमिकों के बड़े तबके को नहीं मिलता है | क्योंकि हम जानते है कि  भारत में बहुत बड़ा हिस्सा असंगठित मजदूरों का है जिन्हें इन सुविधाओं का लाभ बहुत कम ही मिल पता है | 

परन्तु अभी आ रही मिडिया रिपोर्ट के अनुसार श्रम मंत्रालय के एक डेटा के अनुसार करीब 11 लाख ईपीएफ सदस्य की कमी है जो कर्मचारी भविष्य निधि संगठन में PF जमा  करतें थे ,जबकी मज़े की बात ये है कि  इस दौरान ईपीएफओ के पास PF जमा कराने वाली कंपनियों की संख्या में इजाफा हुआ है |अब ये सवाल उठता है कि  ये सब क्यों और कैसे हुआ ?

इसका मतलब साफ़ है कि कंपनियों ने अपने ईपीएफ के तहत पंजीकृत कर्मचारियों का PF का पैसा जमा नहीं करवाया | यानी कि डिफॉल्ट करने वाली कंपनियों की संख्या बढ़ गई है। इस वर्ष के अप्रैल 2018 में ईपीएफ के हिस्सेदारी देने वाले सदस्यों, यानी ऐसे जिनका पीएफ ईपीएफ के पास जमा हो रहा था. उनकी संख्या 4,61,06,568 थी | जबकि मई में यह संख्या घट कर 4,50,58,056 हो गई है | यानी एक माह लगभग 11 लाख ईपीएफ सदस्यों कम हो गए हैं|
 
 ईपीएफ के डेटा के अनुसार अभी 62,8 06 कंपनियां डिफाल्टर हैं | जो कर्मचारियों के पीएफ का पैसा ईपीएफ के पास जमा नही करवा रही हैं |  जनवरी 2017 से मार्च 2018 के बीच किसी भी वेतन माह का पीएफ का पैसा तो जमा कराया परन्तु अप्रेल 2018माह का पिएफ का पैसा मई, 2018 में जमा  नहीं कराया है।
जबकी ईपीएफ के नियमनुसार ईपीएफ खाते में पैसा जमा करना सिर्फ कर्मचारी के लिए ही अनिवार्य नहीं है। आपके नियोक्ता (मालिक ) के लिए भी अनिवार्य है। नियमानुसार, कम्पनी को भी आपकी ओर से जमा पैसे के बराबर, खुद भी पैसा मिलाकर जमा करना होता है। यही कारण है कि कंपनी आपके वेतन में अपने ईपीएफ अंशदान को भी दर्शाती है | 
 
यूनियन के नेताओं का कहना है कि “ये कर्मचारियों के लिहाज से बहुत ही चिंताजनक बात है,की उनके भविष्य निधि के खाते में कंपनी मालिकों  के द्वारा पैसा जमा नहीं  कराया जा रहा है | जबकि उनके हिस्से का अंश दान उनके मासिक वेतन से काटा जा रहा है| ये श्रमिकों के भविष्य  साथ कंपनीयाँ   खिलवाड़ कर रही है”|
सरकारें अपने इन फ़ैसलों से केवल औपचारिकता  पूरी करती हैं | वो कभी भी इसे गंभीरता से लागू नहीं करतींI इसी करण इसका लाभ ग़रीब कामगारों को नहीं मिलता |  चाहे वो देश  में न्यूनतम मज़दूरी देने के नियम को लागू  करने की बात हो या फिर कई अन्य महत्वपूर्ण श्रम क़ानूनों को लागू करने की बात हो  | इन सब में सरकारें हमेशा ही विफल दिखाई देती है |

EPFO
PF

Related Stories

वित्त अधिनियम के तहत ईपीएफओ फंड का ट्रांसफर मुश्किल; ठेका श्रमिकों के लिए बिहार मॉडल अपनाया जाए 

ईपीएफओ ब्याज दर 4-दशक के सबसे निचले स्तर पर, केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने आम हड़ताल से पहले खोला मोर्चा 

क्या श्रम मंत्रालय अपने श्रम सुविधा पोर्टल के जरिये सुप्रीम कोर्ट को ठग रहा है?

बुरा न मानो... : 'अच्छे दिनों' की एक और सौगात ईपीएफ पर ब्याज दर घटी!

UPPCL पीएफ घोटाला : क्या है डीएचएफएल और बीजेपी का कनेक्शन!

ईपीएफ़ओ: कर्मचारियों ने काम के बढ़ते दबाव और पदोन्नति न मिलने को लेकर की सांकेतिक हड़ताल

चिन्मयानंद मामला, कश्मीर मुद्दे पर याचिका और अन्य ख़बरें

चुनावों के बीच 'बेरोज़गारी संकट गहराया’

प्रधानमंत्री मोदी ने संसद में फिर दोहराए रोजगार वृद्धि के मिथक

रोज़गार - सरकार का उलझा जाल


बाकी खबरें

  • aaj ki baat
    न्यूज़क्लिक टीम
    धर्म के नाम पर काशी-मथुरा का शुद्ध सियासी-प्रपंच और कानून का कोण
    19 May 2022
    ज्ञानवापी विवाद के बाद मथुरा को भी गरमाने की कोशिश शुरू हो गयी है. क्या यह धर्म भावना है? क्या यह धार्मिक मांग है या शुद्ध राजनीतिक अभियान है? सन् 1991 के धर्मस्थल विशेष प्रोविजन कानून के रहते क्या…
  • hemant soren
    अनिल अंशुमन
    झारखंड: भाजपा काल में हुए भवन निर्माण घोटालों की ‘न्यायिक जांच’ कराएगी हेमंत सोरेन सरकार
    18 May 2022
    एक ओर, राज्यपाल द्वारा हेमंत सोरेन सरकार के कई अहम फैसलों पर मुहर नहीं लगाई गई है, वहीं दूसरी ओर, हेमंत सोरेन सरकार ने पिछली भाजपा सरकार में हुए कथित भ्रष्टाचार-घोटाला मामलों की न्यायिक जांच के आदेश…
  • सोनिया यादव
    असम में बाढ़ का कहर जारी, नियति बनती आपदा की क्या है वजह?
    18 May 2022
    असम में हर साल बाढ़ के कारण भारी तबाही होती है। प्रशासन बाढ़ की रोकथाम के लिए मौजूद सरकारी योजनाओं को समय पर लागू तक नहीं कर पाता, जिससे आम जन को ख़ासी दिक़्क़तों का सामना करना पड़ता है।
  • mundka
    न्यूज़क्लिक टीम
    मुंडका अग्निकांड : क्या मज़दूरों की जान की कोई क़ीमत नहीं?
    18 May 2022
    मुंडका, अनाज मंडी, करोल बाग़ और दिल्ली के तमाम इलाकों में बनी ग़ैरकानूनी फ़ैक्टरियों में काम कर रहे मज़दूर एक दिन अचानक लगी आग का शिकार हो जाते हैं और उनकी जान चली जाती है। न्यूज़क्लिक के इस वीडियो में…
  • inflation
    न्यूज़क्लिक टीम
    जब 'ज्ञानवापी' पर हो चर्चा, तब महंगाई की किसको परवाह?
    18 May 2022
    बोल के लब आज़ाद हैं तेरे के इस एपिसोड में अभिसार शर्मा सवाल उठा रहे हैं कि क्या सरकार के पास महंगाई रोकने का कोई ज़रिया नहीं है जो देश को धार्मिक बटवारे की तरफ धकेला जा रहा है?
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License