NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
इस महाराष्ट्र काण्ड को कैसे पढ़ें?
इसे समझने के लिए आपको हमको शिवसेना-भाजपा की तकरार को समझना होगा। इन दोनों की तकरार को समझने के लिए आपको-हमको गुजराती बनाम मराठी पहचान के साथ ही अडानी-अम्बानी बनाम अन्य पूंजीपति वर्ग की टकराहट एवं अंतर्विरोध को समझना होगा।
राजीव कुंवर
27 Nov 2019
महाराष्ट्र काण्ड
Image Courtesy: Financial Express

हिंदुत्व के महाआख्यान में दरार या हिंदुत्व का अंतर्विरोध आदि आदि का पाठ आप जितनी मर्जी करें- अर्थ तक नहीं पहुँच पाएंगे। आपको क्या लगता है यह अजित पवार का भय था जो समर्पण के लिए तैयार हो गया? इसे मात्र ED, CBI, IB की कहानी बनाना चाहेंगे तब भी नहीं समझ सकते। असल कहानी तो तब समझ आए जब आप यह मान लें कि शरद पवार का संसद में मोदी-शाह से अकेले मिलना महज संयोग नहीं था। तब भी वैसा ही तर्क दिया गया जिसमें किसानों के लिए राहत की खोज में अजित पवार ने फडणवीस के साथ जाना स्वीकार किया।

NCP जो विपक्ष में बैठने की घोषणा कर चुका था आज सत्ता के केंद्र में है। सत्ता के लिए जो किसी भी हद तक जाने की घोषणा और कार्यवाही कर रहे थे आज लज्जित हैं। इस उलटफेर में कांग्रेस का धैर्य कहिए या मजबूरी - मरणासन्न अवस्था में उसे सत्ता रूपी ऑक्सीजन मिल गया है। शिव सेना को एक बार फिर से सबसे बड़े वित्तीय साम्राज्य वाले सूबे की प्रधानी मिल ही गयी है। तो ऐसे में नुकसान किसका हुआ ? क्या भाजपा या मोदी-शाह की जोड़ी का कुछ खोया भी है इस महाराष्ट्र काण्ड में ?

तभी इसे समझने के लिए आपको हमको शिवसेना-भाजपा की तकरार को समझना होगा। इन दोनों की तकरार को समझने के लिए आपको-हमको गुजराती बनाम मराठी पहचान के साथ ही अडानी-अम्बानी बनाम अन्य पूंजीपति वर्ग की टकराहट एवं अंतर्विरोध को समझना होगा।

2014 तक आते आते महाराष्ट्र के गुजराती पूंजीपति का सीधा संबंध मोदी-शाह की सत्ता से हो गया। उससे पहले तक बिचौलिया तो शिवसेना थी। वही शिवसेना जिसने वाम आंदोलन को गुजराती पूंजीपतियों के इशारे पर नेस्तनाबूद किया। पहचान थी मराठी बनाम मद्रासी या फिर मराठी बनाम पुरबिया। हिंदुत्व के दौर में वही मराठी शिवाजी महाराज मुसलमानों के खिलाफ भी इस्तेमाल हुए। तब अयोध्या प्रकरण था। आज वही शिवसेना अडानी-अम्बानी के मोदी-शाह दौर में महत्त्वहीन हो गई। महाराष्ट्र कोई मध्यप्रदेश या राजस्थान नहीं कि उसे भाजपा हाथ से जाने दे। अंतिम सांस तक इसे हथियाने का अभियान जारी रहा। महाराष्ट्र आखिर सबसे बड़े वित्तीय साम्राज्य वाला सूबा जो है।

यहीं हमें उन पूंजीपतियों के दर्द की दास्तान सुनायी देगी जो हयात होटल से चीख चीखकर आ रही थी। अडानी-अम्बानी का यह गुजरात मॉडल आज अधिकांश बड़े गैर-गुजराती पूंजीपतियों के अंदर दहशत पैदा कर रहा है। वही हाल जो गैर गुजराती नौकरशाहों से लेकर गैर गुजराती नेताओं का है।

ऐसे में वैकल्पिक मॉडल इससे तय नहीं होता कि नष्ट होने वाले को इस विकल्प से क्या हासिल होगा ? बल्कि इससे तय होता है कि नष्ट होने से बेहतर है नष्ट करने वाले को कैसे नष्ट किया जाए ! नष्ट करने वाले का नाश होगा तभी तो वैकल्पिक संभावनाएं बनेंगी।

इन तीन पार्टियों का गठबंधन इसी आधार पर टिका है। इसके लिए हर तरह से अंतर्विरोध की संभावना को पहले नष्ट कर दिया गया। पहले शिवसेना की संभावना को इतना नष्ट किया गया कि अंततः भाजपा ने अपना दावा वापस लिया। फिर उसने एनसीपी के विकल्प भी इस बिंदु पर नष्ट हो जाने दिया जहाँ अब कोई संभावना नहीं बची।

यही पवार जो सत्ता की हर संभावना को टटोल रहे थे भतीजे के साथ- मराठा पहचान की एकता को शिवसेना से जोड़ते हैं। जो पवार कांग्रेस के केंद्रीय चेहरे को साथ लेकर अपने क्षेत्रीय पहचान मराठी के आधार पर गैर गुजराती सत्ता का साझा न्यूनतम चेहरा निर्मित करते हैं। यही है महाराष्ट्र कांड।
(लेखक दिल्ली विश्वविद्यालय में एसोसिएट प्रोफेसर हैं। लेख में व्यक्त विचार निजी हैं।)

maha givt
maharashtra government
constitution
maharashtra govt formation
NCP
BJP
Shiv sena

Related Stories

भाजपा के इस्लामोफ़ोबिया ने भारत को कहां पहुंचा दिया?

कश्मीर में हिंसा का दौर: कुछ ज़रूरी सवाल

सम्राट पृथ्वीराज: संघ द्वारा इतिहास के साथ खिलवाड़ की एक और कोशिश

हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है

मोहन भागवत का बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को क्लीनचिट

मंडल राजनीति का तीसरा अवतार जाति आधारित गणना, कमंडल की राजनीति पर लग सकती है लगाम 

बॉलीवुड को हथियार की तरह इस्तेमाल कर रही है बीजेपी !

गुजरात: भाजपा के हुए हार्दिक पटेल… पाटीदार किसके होंगे?


बाकी खबरें

  • hisab kitab
    न्यूज़क्लिक टीम
    लोगों की बदहाली को दबाने का हथियार मंदिर-मस्जिद मुद्दा
    20 May 2022
    एक तरफ भारत की बहुसंख्यक आबादी बेरोजगारी, महंगाई , पढाई, दवाई और जीवन के बुनियादी जरूरतों से हर रोज जूझ रही है और तभी अचनाक मंदिर मस्जिद का मसला सामने आकर खड़ा हो जाता है। जैसे कि ज्ञानवापी मस्जिद से…
  • अजय सिंह
    ‘धार्मिक भावनाएं’: असहमति की आवाज़ को दबाने का औज़ार
    20 May 2022
    मौजूदा निज़ामशाही में असहमति और विरोध के लिए जगह लगातार कम, और कम, होती जा रही है। ‘धार्मिक भावनाओं को चोट पहुंचाना’—यह ऐसा हथियार बन गया है, जिससे कभी भी किसी पर भी वार किया जा सकता है।
  • India ki baat
    न्यूज़क्लिक टीम
    ज्ञानवापी विवाद, मोदी सरकार के 8 साल और कांग्रेस का दामन छोड़ते नेता
    20 May 2022
    India Ki Baat के दूसरे एपिसोड में वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश, भाषा सिंह और अभिसार शर्मा चर्चा कर रहे हैं ज्ञानवापी विवाद, मोदी सरकार के 8 साल और कांग्रेस का दामन छोड़ते नेताओं की। एक तरफ ज्ञानवापी के नाम…
  • gyanvapi
    न्यूज़क्लिक टीम
    पूजा स्थल कानून होने के बावजूद भी ज्ञानवापी विवाद कैसे?
    20 May 2022
    अचानक मंदिर - मस्जिद विवाद कैसे पैदा हो जाता है? ज्ञानवापी विवाद क्या है?पक्षकारों की मांग क्या है? कानून से लेकर अदालत का इस पर रुख क्या है? पूजा स्थल कानून क्या है? इस कानून के अपवाद क्या है?…
  • भाषा
    उच्चतम न्यायालय ने ज्ञानवापी दिवानी वाद वाराणसी जिला न्यायालय को स्थानांतरित किया
    20 May 2022
    सर्वोच्च न्यायालय ने जिला न्यायाधीश को सीपीसी के आदेश 7 के नियम 11 के तहत, मस्जिद समिति द्वारा दायर आवेदन पर पहले फैसला करने का निर्देश दिया है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License