NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
राजनीति
अंतरराष्ट्रीय
इज़रायल में एक साल में तीन बार चुनाव होने के बावजूद त्रिशंकु संसद के गठन की संभावना
पिछले साल सितंबर के चुनावों में सरकार बनाने में पार्टियों और गठबंधन के विफल रहने के बाद 2 मार्च को इजरायल की संसद केसेट के लिए आम चुनाव हुआ था।
पीपल्स डिस्पैच
04 Mar 2020
इज़रायल

प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की अगुवाई वाली लिकुड पार्टी घोषित 2 मार्च के चुनावों के परिणामों के अनुसार इजरायल की संसद केसेट में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। लिकुड को पिछले चुनाव की तुलना में एक सीट ज्यादा यानी 36 सीटें मिली हैं। लिकुड के अगुवाई वाली अति दक्षिणपंथी गठबंधन के अन्य दलों शास, यूनाइटेज तोराह ज्यूडिज्म और यमिनिया को क्रमशः 10, 7 और 6 सीटें मिली हैं।

हालांकि, लिकुड गठबंधन के पास अभी भी सरकार बनाने के लिए आवश्यक बहुमत का अभाव है। सरकार बनाने के लिए 120 सीटों वाली केसेट में एक पार्टी या गठबंधन को 61 सीटों की आवश्यकता है।

बेनी गैंट्ज़ के नेतृत्व वाली मुख्य विपक्षी ब्लू एंड व्हाइट पार्टी को 32 सीटें मिली हैं। इसके संभावित गठबंधन सहयोगियों मेरिट्ज़-लेबर-गेशर गठबंधन को 7 सीटें मिली है।

लिकुड ने कब्जे वाले फिलिस्तीनी क्षेत्रों के अंदर इजरायली बस्ती को शामिल करने के एजेंडे पर ध्यान केंद्रित करना जारी रखा। इसने बीबी (नेतन्याहू) या तिबी (अरब ज्वाइंट लिस्ट के नेता अहमद तिबी) के तरीके पर प्रचार करते हुए मतदाताओं को ध्रुवीकृत करने का प्रयास किया कि गैंट्ज़ अरब ज्वाइंट लिस्ट के समर्थन के बिना सरकार नहीं बना सकते।

वामपंथी अरब ज्वाइंट लिस्ट को 15 सीटें मिलीं, जो स्थापित वाम दलों के परंपरागत वाम मतदाताओं के बढ़ते असंतोष के कारण हैं। हालांकि, वे 1949 के पहले चुनावों के बाद से इज़रायल में किसी भी सरकार में नहीं रहे। इसका कारण यह है कि इज़रायल में अधिकांश पार्टियां अरब पार्टियों को जियोनिज्म-विरोधी मानती हैं, इज़रायल के संस्थापक सिद्धांत इसे विश्व भर के यहूदियों का घर कहते हैं।

एविग्डर लिबरमैन की पार्टी यिसरायल बियेन्तू को 7 सीटें मिलने की उम्मीद है जो किसी भी सरकार के गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

एक साल के भीतर होने वाला ये तीसरा चुनाव था। अप्रैल और सितंबर में केसेट के लिए हुए दो चुनाव में किसी भी पार्टी या गठबंधन को बहुमत नहीं मिलने के तीसरा चुनाव करवाना पड़ा।

2 मार्च को कुल मतदान 71% हुआ था जो 2015 के बाद सबसे अधिक है। अब तक 95% से अधिक मतों की गिनती कर ली गई है। आज अंतिम परिणाम आने की उम्मीद है।

इस सच्चाई के बावजूद कि नेतन्याहू पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए गए हैं और उनका ट्रायल 17 मार्च से शुरू होने जा रहा है इज़रायल में मतदाताओं ने उनके नेतृत्व में अपने भरोसा जताया है।

Israel
israel parliament
Benjamin Netanyahu
Israel elections

Related Stories

न नकबा कभी ख़त्म हुआ, न फ़िलिस्तीनी प्रतिरोध

अल-जज़ीरा की वरिष्ठ पत्रकार शिरीन अबु अकलेह की क़ब्ज़े वाले फ़िलिस्तीन में इज़रायली सुरक्षाबलों ने हत्या की

अमेरिका ने रूस के ख़िलाफ़ इज़राइल को किया तैनात

इज़रायली सुरक्षाबलों ने अल-अक़्सा परिसर में प्रार्थना कर रहे लोगों पर किया हमला, 150 से ज़्यादा घायल

लैंड डे पर फ़िलिस्तीनियों ने रिफ़्यूजियों के वापसी के अधिकार के संघर्ष को तेज़ किया

अमेरिका ने ईरान पर फिर लगाम लगाई

ईरान नाभिकीय सौदे में दोबारा प्राण फूंकना मुमकिन तो है पर यह आसान नहीं होगा

शता ओदेह की गिरफ़्तारी फ़िलिस्तीनी नागरिक समाज पर इस्राइली हमले का प्रतीक बन गया है

141 दिनों की भूख हड़ताल के बाद हिशाम अबू हव्वाश की रिहाई के लिए इज़रायली अधिकारी तैयार

2021: अफ़ग़ानिस्तान का अमेरिका को सबक़, ईरान और युद्ध की आशंका


बाकी खबरें

  • Ayodhya
    रवि शंकर दुबे
    अयोध्या : 10 हज़ार से ज़्यादा मंदिर, मगर एक भी ढंग का अस्पताल नहीं
    24 Jan 2022
    दरअसल अयोध्या को जिस तरह से दुनिया के सामने पेश किया जा रहा है वो सच नहीं है। यहां लोगों के पास ख़ुश होने के लिए मंदिर के अलावा कोई दूसरा ज़रिया नहीं है। अस्पताल से लेकर स्कूल तक सबकी हालत ख़राब है।
  • BHU
    विजय विनीत
    EXCLUSIVE: ‘भूत-विद्या’ के बाद अब ‘हिंदू-स्टडीज़’ कोर्स, फिर सवालों के घेरे में आया बीएचयू
    24 Jan 2022
    किसी भी राष्ट्र को आगे ले जाने के लिए धर्म की नहीं, विज्ञान और संविधान की जरूरत पड़ती है। बेहतर होता बीएचयू में आधुनिक पद्धति के नए पाठ्यक्रम शुरू किए जाते। हमारा पड़ोसी देश चीन बिजली की मुश्किलों से…
  • cartoon
    आज का कार्टून
    कार्टून क्लिक: एक वीरता पुरस्कार तो ग़रीब जनता का भी बनता है
    24 Jan 2022
    बेरोज़गारी, महंगाई और कोविड आदि की मार सहने के बाद भी भारत की आम जनता ज़िंदा है और मुस्कुरा कर पांच राज्यों में फिर मतदान की लाइन में लगने जा रही है, तो एक वीरता पुरस्कार तो उसका भी बनता है...बनता है…
  • genocide
    पार्थ एस घोष
    घर वापसी से नरसंहार तक भारत का सफ़र
    24 Jan 2022
    भारत में अब मुस्लिम विरोधी उन्माद चरम पर है। 2014 में नरेंद्र मोदी के सत्ता में आने के बाद से इसमें लगातार वृद्धि हुई है।
  • bulli bai
    डॉ. राजू पाण्डेय
    नफ़रत का डिजिटलीकरण
    24 Jan 2022
    सुल्ली डील्स, बुल्ली बाई, क्लबहाउस और अब ट्रैड्स के ज़रिये अल्पसंख्यक समुदाय के ख़िलाफ़ नफ़रत फैलाने का काम लगातार सोशल मीडिया पर हो रहा है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License