सरकार को असल परेशानी किसानों के आंदोलन से उभरती उस नयी राजनीति से है, जो अपने साथ नयी संस्कृति, नया विचार और नया चेहरा लेकर सामने आयी है. पूरे प्रकरण का विश्लेषण कर रहे हैं वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश:
सरकार और किसानों के बीच वर्ष की आखिरी वार्ता आज बाइस दिनों के अंतराल पर हुई। इस सातवीं बैठक में भी सरकार अपने तीन कृषि क़ानूनों पर अड़ी रही। किसानों की कुछ अन्य मांगो पर वह आसानी से राजी हो गयी. इसमें पराली से सम्बंधित कानून में किसानों पर आपराधिक मामले चलाने और जुर्माने के तौर पर मोटी रकम वसूलने जैसे प्रावधानों के खत्म करने की मांग शामिल है. सरकार किसान-आंदोलन की मुख्य मांगों पर ठोस कदम उठाने की बजाय अब अपनी मुलायमियत का प्रचार करने में जुटी है. सरकार को असल परेशानी किसानों के आंदोलन से उभरती उस नयी राजनीति से है, जो अपने साथ नयी संस्कृति, नया विचार और नया चेहरा लेकर सामने आयी है. पूरे प्रकरण का विश्लेषण कर रहे हैं वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश:
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