NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
समाज
भारत
राजनीति
इतवार की कविता : "वह मुसलमानों से डरता था..."
गुरुग्राम में नमाज़ के दौरान हिंदुत्ववादी संगठनों द्वारा किये जा रहे शर्मनाक हंगामे को ध्यान में रखिये और पढ़िये निखिल सचान की यह कविता...
न्यूज़क्लिक डेस्क
28 Nov 2021
इतवार की कविता

गुरुग्राम में पिछले 3 महीनों से अलग-अलग हिंदुत्ववादी संगठनों ने जुमे की नमाज़ में ख़लल डालने का काम किया है। उनके इस शर्मनाक हंगामे को ध्यान में रखिये और पढ़िये निखिल सचान की यह कविता...

मेरा इक दोस्त अक्सर कहता था, कि ये
कौमी एकता की बातें
बस कहने में अच्छी लगती हैं.
कहता था, कि तुम कभी
मुसलमानों के मोहल्ले में
अकेले गए हो ?
कभी जाकर देखो, डर लगता है।

वो मुसलमानों से बहुत डरता था
हालांकि उसे शाहरुख़ खान बहुत पसंद था
उसके गालों में घुलता डिम्पल
और उसकी दीवाली की रिलीज़ हुई फ़िल्में भी
दिलीप कुमार यूसुफ़ है, वो नहीं जानता था
उसकी फिल्में भी वो शिद्दत से देखता था
वो उनसे नहीं डरता था
बस मुसलमानों से डरता था


वो इंतज़ार करता था आमिर की क्रिसमस रिलीज़ का
और सलमान की ईदी का
गर जो ब्लैक में भी टिकट मिले
तो सीटियां मार कर देख आता था
वो उनसे नहीं डरता था
बस मुसलमानों से डरता था

वो मेरे साथ इंजीनियर बना
विज्ञान में उसकी दिलचस्पी इतनी कि
कहता था कि अब्दुल कलाम की तरह
मैं एक वैज्ञानिक बनना चाहता हूं
और देश का मान बढ़ाना चाहता हूं
वो उनसे नहीं डरता था
बस मुसलमानों से डरता था

वो क्रिकेट का भी बड़ा शौक़ीन था
ख़ासकर मंसूर अली खान के नवाबी छक्कों का
मोहोम्मद अज़हरुद्दीन की कलाई का
ज़हीर खान और इरफ़ान पठान की लहराती हुए गेंदों का
कहता था कि ये सारे जादूगर हैं
ये खेल जाएं तो हम हारें कभी न पाकिस्तान से
वो उनसे नहीं डरता था
बस मुसलमानों से डरता था

वो नरगिस और मधुबाला के हुस्न का मुरीद था
उन्हें वो ब्लैक एंड व्हाईट में देखना चाहता था
वो मुरीद था वहीदा रहमान की मुस्कान का
और परवीन बाबी की आशनाई का
वो उनसे नहीं डरता था
बस मुसलमानों से डरता था

वो जब भी दुखी होता था तो मुहम्मद रफ़ी के गाने सुनता था
कहत था कि ख़ुदा बसता है रफ़ी साहब के गले में
वो रफ़ी का नाम कान पर हाथ लगाकर ही लेता था
और नाम के आगे हमेशा लगाता था साहब
अगर वो साहिर के लिखे गाने गा दें
तो ख़ुशी से रो लेने का मन करता था उसका
वो उनसे नहीं डरता था
बस मुसलमानों से डरता था

वो हर छब्बीस जनवरी को अल्लामा इकबाल का
सारे जहां से अच्छा गाता था
कहता था कि अगर
गीत पर बिस्मिल्ला खान की शहनाई हो
और ज़ाकिर हुसैन का तबला
तो क्या ही कहने!
वो उनसे नहीं डरता था
बस मुसलमानों से डरता था

उसे जब इश्क़ हुआ तो लड़की से
ग़ालिब की ग़ज़ल कहता
फैज़ के चंद शेर भेजता
उन्ही उधार के उर्दू शेरों पर पर मिटी उसकी महबूबा
जो आज उसकी पत्नी है
वो इन सब शायरों से नहीं डरता था
बस मुसलमानों से डरता था

बड़ा झूठा था मेरा दोस्त
बड़ा भोला भी
वो अनजाने ही हर मुसलमान से
करता था इतना प्यार

फिर भी न जाने क्यों कहता था, कि वो
मुसलमानों से डरता था
वो मुसलमानों के देश में रहता था
ख़ुशी ख़ुशी, मोहोब्बत से
और मुसलमानों के न जाने कौन से मोहल्ले में
अकेले जाने से डरता था

दरअसल
वो भगवान के बनाए मुसलमानों से नहीं डरता था
शायद वो डरता था, तो
सियासत, अख़बार और चुनाव के बनाए
उन काल्पनिक मुसलमानों से
जो कल्पना में तो बड़े डरावने थे
लेकिन असलियत में ईद की सेंवईयों से जादा मीठे थे

- निखिल सचान

muslims offering namaz
hindutva groups disrupt namaz
vhp gurugram
bajrang dal
gurugram namaz issue

Related Stories

जहांगीरपुरी हिंसा में अभी तक एकतरफ़ा कार्रवाई: 14 लोग गिरफ़्तार

बुलंदशहर मामला: गिरफ़्तार नसीर पूछ रहा है- "ये जूते मैंने बनाए हैं क्या?"

उत्तराखंड : अब देवी जागरण से तय होगी हिन्दुत्व की राजनीति !


बाकी खबरें

  • समीना खान
    ज़ैन अब्बास की मौत के साथ थम गया सवालों का एक सिलसिला भी
    16 May 2022
    14 मई 2022 डाक्टर ऑफ़ क्लीनिकल न्यूट्रीशन की पढ़ाई कर रहे डॉक्टर ज़ैन अब्बास ने ख़ुदकुशी कर ली। अपनी मौत से पहले ज़ैन कमरे की दीवार पर बस इतना लिख जाते हैं- ''आज की रात राक़िम की आख़िरी रात है। " (राक़िम-…
  • लाल बहादुर सिंह
    शिक्षा को बचाने की लड़ाई हमारी युवापीढ़ी और लोकतंत्र को बचाने की लड़ाई का ज़रूरी मोर्चा
    16 May 2022
    इस दिशा में 27 मई को सभी वाम-लोकतांत्रिक छात्र-युवा-शिक्षक संगठनों के संयुक्त मंच AIFRTE की ओर से दिल्ली में राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर आयोजित कन्वेंशन स्वागत योग्य पहल है।
  • आज का कार्टून
    कार्टून क्लिक: किसानों की दुर्दशा बताने को क्या अब भी फ़िल्म की ज़रूरत है!
    16 May 2022
    फ़िल्म सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष प्रसून जोशी का कहना है कि ऐसा माहौल बनाना चाहिए कि किसान का बेटा भी एक फिल्म बना सके।
  • वर्षा सिंह
    उत्तराखंड: क्षमता से अधिक पर्यटक, हिमालयी पारिस्थितकीय के लिए ख़तरा!
    16 May 2022
    “किसी स्थान की वहनीय क्षमता (carrying capacity) को समझना अनिवार्य है। चाहे चार धाम हो या मसूरी-नैनीताल जैसे पर्यटन स्थल। हमें इन जगहों की वहनीय क्षमता के लिहाज से ही पर्यटन करना चाहिए”।
  • बादल सरोज
    कॉर्पोरेटी मुनाफ़े के यज्ञ कुंड में आहुति देते 'मनु' के हाथों स्वाहा होते आदिवासी
    16 May 2022
    2 और 3 मई की दरमियानी रात मध्य प्रदेश के सिवनी ज़िले के गाँव सिमरिया में जो हुआ वह भयानक था। बाहर से गाड़ियों में लदकर पहुंचे बजरंग दल और राम सेना के गुंडा गिरोह ने पहले घर में सोते हुए आदिवासी धनसा…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License