NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
आंदोलन
मज़दूर-किसान
महिलाएं
राजनीति
अंतरराष्ट्रीय
मई दिवस ज़िंदाबाद : कविताएं मेहनतकशों के नाम
मई दिवस की इंक़लाबी तारीख़ पर इतवार की कविता में पढ़िए मेहनतकशों के नाम लिखी कविताएं।
न्यूज़क्लिक डेस्क
01 May 2022
Mayday labor day
तस्वीर सौजन्य : सोशल मीडिया

मई दिवस की इंक़लाबी तारीख़ पर इतवार की कविता में पढ़िए मेहनतकशों के नाम लिखी कविताएं।

जो जीवन की धूल चाट कर बड़ा हुआ है 
तूफ़ानों से लड़ा और फिर खड़ा हुआ है 
जिसने सोने को खोदा लोहा मोड़ा है
जो रवि के रथ का घोड़ा है
वह जन मारे नहीं मरेगा
नहीं मरेगा
 
जो जीवन की आग जला कर आग बना है
फौलादी पंजे फैलाए नाग बना है
जिसने शोषण को तोड़ा शासन मोड़ा है
जो युग के रथ का घोड़ा है
वह जन मारे नहीं मरेगा
नहीं मरेगा

-केदारनाथ अग्रवाल

हाथी-सा बलवान, जहाजी हाथों वाला और हुआ
सूरज-सा इंसान, तरेरी आँखों वाला और हुआ
एक हथौड़े वाला घर में और हुआ

माता रही विचार अंधेरा हरने वाला और हुआ
दादा रहे निहार सवेरा करने वाला और हुआ
एक हथौड़े वाला घर में और हुआ

जनता रही पुकार सलामत लाने वाला और हुआ
सुन ले री सरकार! कयामत ढाने वाला और हुआ
एक हथौड़े वाला घर में और हुआ

-केदारनाथ अग्रवाल

माँ है रेशम के कार-ख़ाने में 
बाप मसरूफ़ सूती मिल में है 
कोख से माँ की जब से निकला है 
बच्चा खोली के काले दिल में है 
जब यहाँ से निकल के जाएगा 
कार-ख़ानों के काम आएगा 
अपने मजबूर पेट की ख़ातिर 
भूक सरमाए की बढ़ाएगा 
हाथ सोने के फूल उगलेंगे 
जिस्म चाँदी का धन लुटाएगा 
खिड़कियाँ होंगी बैंक की रौशन 
ख़ून उस का दिए जलाएगा 
ये जो नन्हा है भोला-भाला है 
सिर्फ़ सरमाए का निवाला है 
पूछती है ये उस की ख़ामोशी 
कोई मुझ को बचाने वाला है

- अली सरदार जाफ़री

सदा आ रही है मिरे दिल से पैहम 
कि होगा हर इक दुश्मन-ए-जाँ का सर ख़म 
नहीं है निज़ाम-ए-हलाकत में कुछ दम 
ज़रूरत है इंसान की अम्न-ए-आलम 
फ़ज़ाओं में लहराएगा सुर्ख़ परचम 
सदा आ रही है मिरे दिल से पैहम 
न ज़िल्लत के साए में बच्चे पलेंगे 
न हाथ अपने क़िस्मत के हाथों मलेंगे 
मुसावात के दीप घर घर जलेंगे 
सब अहल-ए-वतन सर उठा के चलेंगे 
न होगी कभी ज़िंदगी वक़्फ़-ए-मातम 
फ़ज़ाओं में लहराएगा सुर्ख़ परचम

- हबीब जालिब

May Day
1 may
LABOR DAY
chicago 1886
lenin
Marx
revolutionary poetry
ali sardar jafri
laborers
women labor
itwaar ki kavita

Related Stories

बर्तोल्त ब्रेख्त की कविता 'लेनिन ज़िंदाबाद'

आर-पार: लंबी तैयारी के साथ दिल्ली आ रहे हैं पंजाब के किसान

‘दिल्ली चलो’ के आह्वान से घबराई हरियाणा सरकार!, सीमाएं सील, किसान-मज़दूरों ने कहा- ऐतिहासिक होगा प्रदर्शन

मई दिवस एक ज़िन्दा विचार का नाम है

"हम मेहनतकश जब अपना हिस्सा मांगेंगे"

मई दिवस विशेष : तकनीकी क्रांति और मुक्त अर्थव्यवस्था के दौर में मज़दूर आंदोलन


बाकी खबरें

  • BJP
    अनिल जैन
    खबरों के आगे-पीछे: अंदरुनी कलह तो भाजपा में भी कम नहीं
    01 May 2022
    राजस्थान में वसुंधरा खेमा उनके चेहरे पर अगला चुनाव लड़ने का दबाव बना रहा है, तो प्रदेश अध्यक्ष सतीश पुनिया से लेकर केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत इसके खिलाफ है। ऐसी ही खींचतान महाराष्ट्र में भी…
  • ipta
    रवि शंकर दुबे
    समाज में सौहार्द की नई अलख जगा रही है इप्टा की सांस्कृतिक यात्रा
    01 May 2022
    देश में फैली नफ़रत और धार्मिक उन्माद के ख़िलाफ़ भारतीय जन नाट्य संघ (इप्टा) मोहब्बत बांटने निकला है। देशभर के गावों और शहरों में घूम कर सांस्कृतिक कार्यक्रमों के आयोजन किए जा रहे हैं।
  • प्रेम कुमार
    प्रधानमंत्री जी! पहले 4 करोड़ अंडरट्रायल कैदियों को न्याय जरूरी है! 
    01 May 2022
    4 करोड़ मामले ट्रायल कोर्ट में लंबित हैं तो न्याय व्यवस्था की पोल खुल जाती है। हाईकोर्ट में 40 लाख दीवानी मामले और 16 लाख आपराधिक मामले जुड़कर 56 लाख हो जाते हैं जो लंबित हैं। सुप्रीम कोर्ट की…
  • आज का कार्टून
    दिन-तारीख़ कई, लेकिन सबसे ख़ास एक मई
    01 May 2022
    कार्टूनिस्ट इरफ़ान की नज़र में एक मई का मतलब।
  • राज वाल्मीकि
    ज़रूरी है दलित आदिवासी मज़दूरों के हालात पर भी ग़ौर करना
    01 May 2022
    “मालिक हम से दस से बारह घंटे काम लेता है। मशीन पर खड़े होकर काम करना पड़ता है। मेरे घुटनों में दर्द रहने लगा है। आठ घंटे की मजदूरी के आठ-नौ हजार रुपये तनखा देता है। चार घंटे ओवर टाइम करनी पड़ती है तब…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License