NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
जम्मू-कश्मीर: राजनीतिक दलों ने नए डोमिसाइल नियमों का विरोध किया
इसे कश्मीर के लोगों को बेदख़ल करने का आदेश क़रार देते हुए, क्षेत्रीय राजनीतिक दलों ने नए डोमिसाइल नियमों को "अलोकतांत्रिक" और "मनमाना" बताया है।
अनीस ज़रगर
20 May 2020
Translated by महेश कुमार
j&k

श्रीनगर: भारत सरकार ने जम्मू-कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेश में किसी भी पद पर नियुक्ति के लिए डोमिसाइल प्रमाण पत्र जारी करने के लिए नए नियमों को अधिसूचित किया है, जिसे राजनीतिक दलों के बड़े पैमाने पर विरोध का सामना करना पड़ रहा है जो नए क़ानून को रद्द करने की मांग कर रहे हैं।

18 मई के अपने नए आदेश में, सरकार ने कहा कि क्षेत्र के स्थायी निवासी डोमिसाइल प्रमाण पत्र हासिल करने के लिए योग्य होंगे। इस प्रमाण पत्र को सरकार द्वारा नामित प्राधिकारी द्वारा जारी किया जाएगा जो सरकार द्वारा अधिसूचित तहसीलदार या अन्य अधिकारी होंगे। आदेश में आगे कहा गया है कि डोमिसाइल प्रमाण पत्र 15 काम के दिनों के भीतर जारी किया जाएगा और यदि निर्धारित समय के भीतर प्रमाण पत्र जारी नहीं किया जाता है, तो आवेदक एक उच्च प्राधिकारी से अपील करने के लिए स्वतंत्र होगा। यदि आवेदक अपीलकर्ता प्राधिकरण को अपील करने में सफल हो जाता है और जारीकर्ता प्राधिकारी सात दिनों की अवधि के भीतर प्रमाण पत्र जारी करने में विफल रहता है तो आवेदक को उस नामित अधिकारी के वेतन से 50,000 रुपये की राशि मिलेगी।

इसे कश्मीर के लोगों को बेदखल करने का आदेश क़रार देते हुए, क्षेत्र के क्षेत्रीय राजनीतिक दलों ने इस निर्णय को "अलोकतांत्रिक" और "मनमाना" कहा है।

एक बयान में, जम्मू-कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस ने कहा कि ये डोमिसाइल नियम "स्वीकार्य" नहीं होंगे क्योंकि पिछले साल अगस्त में अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के खिलाफ पार्टी का रुख सबको पता है। पार्टी प्रवक्ता, इमरान नबी ने कहा कि ये उपाय जम्मू-कश्मीर के लोगों के अधिकारों को कम करने के उपाय हैं, और जनसांख्यिकीय परिवर्तन को प्रभावित करेंगे।

"पार्टी ने जम्मू, कश्मीर और लद्दाख के लोगों की राजनीतिक आकांक्षाओं को हासिल करने के अपने इरादी को दोहराते हुए अपने विरोध को शांतिपूर्ण साधनों के माध्यम से जारी रखने का संकल्प लिया है और भारत सरकार से डोमिसाइल ऑर्डर और प्रक्रिया को तुरंत रद्द करने को कहा है। “इमरान ने न्यूज़क्लिक को बताया कि ये उपाय जम्मू-कश्मीर के लोगों और देश के बाकी हिस्सों के बीच बड़ी खाई पीड़ा करने का काम करेंगे और उनके बीच अलगाव पैदा करेंगे।

डोमिसाइल के नियमों को पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) ने भी ख़ारिज कर दिया है, जिन्होंने नेशनल कॉन्फ्रेंस की तरह ही कहा है कि इस आदेश का लोकतांत्रिक और शांतिपूर्ण तरीकों से विरोध किया जाएगा। "जनसांख्यिकी परिवर्तन और अधिकारों के हनन ने जेएंडके मुद्दे को और अधिक जटिल बना दिया है जिसने अब तक हजारों लोगों की जान ले ली है। इसका लोकतांत्रिक, शांतिपूर्ण साधनों के माध्यम से विरोध किया जाएगा। यहां तक कि भारत सरकार को इतनी बड़ी महामारी के बावजूद भी जम्मू-कश्मीर में उनके अधिकारों के हनन की परियोजना को जारी रखने में कोई बाधा नहीं है। डोमिसाइल   प्रमाणपत्रों पर यह आदेश कुछ भी तय नहीं करता है, इसके माध्यम से वे न तो अपनी 5 अगस्त को की गई धोखाधड़ी को ही कवर कर सकते हैं, “पीडीपी ने सोमवार, 18 मई को ट्वीट किया में उक्त बात कही थी।

क्षेत्र के राजनीतिक नेतृत्व ने कोविड़-19 के दुनिया भर में प्रकोप के मद्देनजर इस प्रक्रिया को अपनाने को "अनैतिक" क़रार दिया और इसके समय पर भी सवाल उठाया है, जिस महामारी के कारण कश्मीर सहित एक अभूतपूर्व वैश्विक तालाबंदी हुई है।

विशेषज्ञों ने नए क़ानून के लागू होने के मामले में बड़े विरोध की चेतावनी दी है क्योंकि जम्मू और कश्मीर के लोग दोनों क्षेत्रों में "जनसांख्यिकीय आक्रामकता" के इस क़ानून से आशंकित हैं।

कई लोगों ने कहा है कि यह क़ानून इस क्षेत्र में जनसांख्यिकीय परिवर्तन की आशंकाओं को दर्शाता है और कश्मीर में स्थिति का बिगड़ने का खतरा है।

पीडीपी नेता वहीद उर रहमान पार्रा ने कहा है कि नए नियमों से कश्मीर में राजनीति के मामले में  गंभीर "नतीज़े" होंगे। "जो बात हालात को अनिश्चित बनाती है वह यह कि ये निर्णय यहां के लोगों की सहमति के बिना और एकतरफा लिए गए है। एक महामारी के समय लिए जा रहे ऐसे मनमाने फैसले भी इन आदेशों के पीछे की असुरक्षा को उजागर करते हैं," पार्रा ने बताया।

31 मार्च को दिए गए आदेश ने जम्मू और कश्मीर के डोमिसाइल को फिर से परिभाषित किया है, अगस्त 2019 में राज्य के विशेष दर्जे को छीन लिया गया था, और कहा गया था जो भी जम्मू-कश्मीर में 15 साल की अवधि से रह रहा है, और सभी केंद्र सरकार के कर्मचारियों के बच्चे जो यहाँ सेवा में रह चुके हैं या यहां 10 साल की अवधि से या कक्षा 10 या 12 परीक्षाओं में बैठ चुके हैं, वे सभी अब डोमिसाइल प्रमाण पत्र के हकदार होंगे।

निर्णय के समय पर सवाल उठाते हुए, भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के वरिष्ठ नेता एम॰ यूसुफ़ तारिगामी ने कहा कि डोमिसाइल के मामले में नई अधिसूचना भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा पिछले साल किए गए "असंवैधानिक और अलोकतांत्रिक हमले का ही विस्तार" है।

तारिगामी ने कहा, "पूर्ववर्ती राज्य के भीतर प्रमुख धारणा तो यह है कि नई अधिसूचना भाजपा के हिंदुत्व की राजनीतिक परियोजना को आगे बढ़ाने और जम्मू-कश्मीर के लोगों को राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक रूप से कमज़ोर करने की एक और कोशिश है।"

J&K Domicile Rules
Jammu and Kashmir
National Conference
Modi government
Abrogation of Article 370
yousuf tarigami
Demographic Change in J&K PDP
Kashmir
COVID 19 Lockdown

Related Stories

भाजपा के इस्लामोफ़ोबिया ने भारत को कहां पहुंचा दिया?

कश्मीर में हिंसा का दौर: कुछ ज़रूरी सवाल

कश्मीर में हिंसा का नया दौर, शासकीय नीति की विफलता

कटाक्ष: मोदी जी का राज और कश्मीरी पंडित

धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है

मोहन भागवत का बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को क्लीनचिट

भारत में धार्मिक असहिष्णुता और पूजा-स्थलों पर हमले को लेकर अमेरिकी रिपोर्ट में फिर उठे सवाल

गैर-लोकतांत्रिक शिक्षानीति का बढ़ता विरोध: कर्नाटक के बुद्धिजीवियों ने रास्ता दिखाया

PM की इतनी बेअदबी क्यों कर रहे हैं CM? आख़िर कौन है ज़िम्मेदार?

कश्मीरी पंडितों के लिए पीएम जॉब पैकेज में कोई सुरक्षित आवास, पदोन्नति नहीं 


बाकी खबरें

  • विकास भदौरिया
    एक्सप्लेनर: क्या है संविधान का अनुच्छेद 142, उसके दायरे और सीमाएं, जिसके तहत पेरारिवलन रिहा हुआ
    20 May 2022
    “प्राकृतिक न्याय सभी कानून से ऊपर है, और सर्वोच्च न्यायालय भी कानून से ऊपर रहना चाहिये ताकि उसे कोई भी आदेश पारित करने का पूरा अधिकार हो जिसे वह न्यायसंगत मानता है।”
  • रवि शंकर दुबे
    27 महीने बाद जेल से बाहर आए आज़म खान अब किसके साथ?
    20 May 2022
    सपा के वरिष्ठ नेता आज़म खान अंतरिम ज़मानत मिलने पर जेल से रिहा हो गए हैं। अब देखना होगा कि उनकी राजनीतिक पारी किस ओर बढ़ती है।
  • डी डब्ल्यू स्टाफ़
    क्या श्रीलंका जैसे आर्थिक संकट की तरफ़ बढ़ रहा है बांग्लादेश?
    20 May 2022
    श्रीलंका की तरह बांग्लादेश ने भी बेहद ख़र्चीली योजनाओं को पूरा करने के लिए बड़े स्तर पर विदेशी क़र्ज़ लिए हैं, जिनसे मुनाफ़ा ना के बराबर है। विशेषज्ञों का कहना है कि श्रीलंका में जारी आर्थिक उथल-पुथल…
  • आज का कार्टून
    कार्टून क्लिक: पर उपदेस कुसल बहुतेरे...
    20 May 2022
    आज देश के सामने सबसे बड़ी समस्याएं महंगाई और बेरोज़गारी है। और सत्तारूढ़ दल भाजपा और उसके पितृ संगठन आरएसएस पर सबसे ज़्यादा गैर ज़रूरी और सांप्रदायिक मुद्दों को हवा देने का आरोप है, लेकिन…
  • राज वाल्मीकि
    मुद्दा: आख़िर कब तक मरते रहेंगे सीवरों में हम सफ़ाई कर्मचारी?
    20 May 2022
    अभी 11 से 17 मई 2022 तक का सफ़ाई कर्मचारी आंदोलन का “हमें मारना बंद करो” #StopKillingUs का दिल्ली कैंपेन संपन्न हुआ। अब ये कैंपेन 18 मई से उत्तराखंड में शुरू हो गया है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License