NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
शिक्षा
भारत
राजनीति
जादवपुर विश्वविद्यालय प्रकरण : कौन है असल ज़िम्मेदार?
'हम छात्रों का सीधा विरोध एनआरसी और तमाम मुद्दों को लेकर था। हम शांतिपूर्ण तरीके से काले झंडे दिखाकर विरोध जता रहे थे। जिसके बाद बाबुल सुप्रियो ने छात्र-छात्राओं को अपमानजनक शब्द कहे।'
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
21 Sep 2019
student protest

जादवपुर विश्वविद्यालय एक बार फिर सुर्खियों में है। ताजा मामला केंद्रीय मंत्री और भाजपा सांसद बाबुल सुप्रियो के साथ विश्वविद्यालय परिसर में हुए विवाद से जुड़ा हुआ है। एक ओर जहां इस पूरी घटना पर सियासत तेज होने के साथ ही सत्तारुढ़ टीएमसी और राज्यपाल के बीच भी ठन गई है, तो वहीं दूसरी ओर इस घटना के विरोध में वामपंथी छात्र संगठनों और एबीवीपी की ओर से शुक्रवार को विरोध रैली का आयोजन भी किया गया।

क्या है पूरा मामला?

वामपंथी छात्र संगठनों का गढ़ समझे जाने वाले जादवपुर विश्वविद्यालय में 19 सितंबर, गुरुवार को अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करने के लिए केंदीय मंत्री बाबुल सुप्रियो को विश्वविद्यालय में आमंत्रित किया गया था। खबरों के अनुसार इसको लेकर विश्वविद्यालय में विरोध भी था। आर्ट फैकल्टी स्टूडेंट्स यूनियन (एएफएसयू) और स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया (SFI) के सदस्यों ने शुरुआत में बाबुल सुप्रियो को करीब डेढ़ घंटे तक परिसर में प्रवेश नहीं करने दिया। इसके बाद उनके परिसर में पहुंचते ही सैकड़ों छात्रों ने उनका घेराव कर, उन्हें काले झंडे दिखाए। जिसके बाद बाबुल सुप्रियो और छात्रों के बीच कहासुनी हो गई।

न्यूज़क्लिक से बातचीत में विश्वविद्यालय के छात्र समन्वय ने बताया, 'हम छात्रों का सीधा विरोध एनआरसी और तमाम मुद्दों को लेकर था। हम शांतिपूर्ण तरीके से काले झंडे दिखाकर विरोध जता रहे थे। जिसके बाद बाबुल सुप्रियो ने छात्र-छात्राओं को अपमानजनक शब्द कहे।'
समन्वय के अनुसार जब वाम छात्र संगठन बाबुल सुप्रियों को छात्राओं को उनके द्वारा कहे गए अपशब्दों के लिए माफी मांगने को कहने लगे। तब सुप्रियो ने इससे इंकार कर दिया, और एबीवीपी के छात्रों ने हंगामा करना शुरू कर दिया।

_108882682_jadavpur-violence-1.jpg

आरोप है कि इसके बाद कुछ छात्रों ने बाबुल सुप्रियो के साथ धक्का-मुक्की और बदसुलूकी की। जिसके बाद मौक़े पर पहुंचे कुलपति सुरंजन दास के साथ भी बाबुल सुप्रियो की कहासुनी हो गई। खबरों के अनुसार बाबुल ने कुलपति पर वामपंथी होने का आरोप लगाते हुए अपने मंत्री होने की धौंस भी दिखाई।

विश्वविद्यालय के छात्र सुदीप्तो ने न्यूज़क्लिक को बताया कि बाबुल ने कुलपति दास से पुलिस बुलाने को भी कहा। लेकिन उन्होंने परिसर में पुलिस बुलाने से साफ़ इनकार कर दिया। यह विवाद लगभग चार घंटे तक जारी रहा। जिसके बाद राज्यपाल जगदीप धनखड़ खुद परिसर में आए और बाबुल सुप्रियो को दूसरे गेट से बाहर ले गए।

बता दें कि केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो ने शुक्रवार दोपहर को ट्वीट कर इस घटना की कुछ तस्वीरें भी पोस्ट की थी।

घटना के समय परिसर में मौजूद छात्रा मोमिता कहती हैं, बाबुल सुप्रियो के विरोध को लेकर एबीवीपी कार्यकर्ताओं ने परिसर के भीतर और बाहर जमकर हंगामा किया। उन्होंने वाम संगठन एसएफ़आई के दफ़्तर में तोड़-फोड़ और आगज़नी की और वहां दीवारों पर अपने संगठन का नाम लिख दिया।'

टेलीग्राफ में छपी खबर के अनुसार तोड़-फोड़ और आगज़नी करने करने वालों में संघ परिवार समर्थक शामिल थे, जिन्होंने परिसर में जय श्री राम के नारे भी लगाए। ये नजारा कुछ वैसा ही था, जैसा कलकत्ता में ईश्वर चंद विद्यासागर की प्रतिमा तोड़ते वक्त का मंजर था।

_108882676_jadavpuruniv-2 (1).jpg

हालांकि एबीवीपी की जादवपुर विश्विवद्यालय शाखा के महासचिव सुमन दास इन आरोपों को निराधार बताते हुए कहा मीडिया से कहा कि वामपंथी समर्थकों ने ही तोड़-फोड़ और आगज़नी की है।

उधर, एसएफ़आई ने भी बाबुल के साथ मार-पीट में हाथ होने से इनकार किया है। एसएफ़आई के एक प्रवक्ता ने कहा, "मार-पीट में हमारे संगठन के सदस्य शामिल नहीं थे।"

गौरतलब है कि जादवपुर विश्वविद्यालय परिसर में गुरुवार दोपहर ढाई बजे लेकर रात करीब 8.30 बजे तक हुई घटना के बाद शुक्रवार को दिनभर में जादवपुर थाने में कुल चार एफआइआर दर्ज करायी गई हैं।

मुख्यमंत्री ममता के मना करने के बावजूद राज्यपाल के मौक़े पर जाने को लेकर टीएमसी ने इसकी आलोचना की है। तो दूसरी ओर राज्यपाल ने अपने एक बयान में गुरुवार की घटना के लिए राज्य में क़ानून और व्यवस्था की स्थिति और सुरक्षा एजेंसियों को पर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने वाइस चांसलर के कामकाज पर भी सवाल उठाए हैं।

इस मुद्दे पर बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष ने भाजपा कार्यालय में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में जादवपुर विश्वविद्यालय के खिलाफ जमकर बोला, और विश्वविद्यालय में सर्जिकल स्ट्राइक तक की वकालत कर दी।

दूसरी ओर मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) पोलित ब्यूरो सदस्य मोहम्मद सलीम ने दावा किया कि उनके पास सबूत है कि केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो ने जादवपुर विश्वविद्यालय में छात्राओं पर अपमानजनक और विचारोत्तेजक टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि सुप्रियो ने गुरुवार को विश्वविद्यालय परिसर में महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार किया। जो उकसावे वाला कृत्य था।

Jadavpur University
NRC
Student Protests
BJP
TMC
ABVP
SFI
CPM

Related Stories

कर्नाटक पाठ्यपुस्तक संशोधन और कुवेम्पु के अपमान के विरोध में लेखकों का इस्तीफ़ा

अलविदा शहीद ए आज़म भगतसिंह! स्वागत डॉ हेडगेवार !

कर्नाटक: स्कूली किताबों में जोड़ा गया हेडगेवार का भाषण, भाजपा पर लगा शिक्षा के भगवाकरण का आरोप

लखनऊ विश्वविद्यालय: दलित प्रोफ़ेसर के ख़िलाफ़ मुक़दमा, हमलावरों पर कोई कार्रवाई नहीं!

लखनऊ विश्वविद्यालय में एबीवीपी का हंगामा: प्रोफ़ेसर और दलित चिंतक रविकांत चंदन का घेराव, धमकी

दिल्ली : पांच महीने से वेतन व पेंशन न मिलने से आर्थिक तंगी से जूझ रहे शिक्षकों ने किया प्रदर्शन

उत्तराखंड : ज़रूरी सुविधाओं के अभाव में बंद होते सरकारी स्कूल, RTE क़ानून की आड़ में निजी स्कूलों का बढ़ता कारोबार 

NEP भारत में सार्वजनिक शिक्षा को नष्ट करने के लिए भाजपा का बुलडोजर: वृंदा करात

बैठक में नहीं पहुंचे अधिकारी, छात्र बोले- जेएनयू प्रशासन का रवैया पक्षपात भरा है

ऑस्ट्रेलिया-इंडिया इंस्टीट्यूट (AII) के 13 अध्येताओं ने मोदी सरकार पर हस्तक्षेप का इल्ज़ाम लगाते हुए इस्तीफा दिया


बाकी खबरें

  • itihas ke panne
    न्यूज़क्लिक टीम
    मलियाना नरसंहार के 35 साल, क्या मिल पाया पीड़ितों को इंसाफ?
    22 May 2022
    न्यूज़क्लिक की इस ख़ास पेशकश में वरिष्ठ पत्रकार नीलांजन मुखोपाध्याय ने पत्रकार और मेरठ दंगो को करीब से देख चुके कुर्बान अली से बात की | 35 साल पहले उत्तर प्रदेश में मेरठ के पास हुए बर्बर मलियाना-…
  • Modi
    अनिल जैन
    ख़बरों के आगे-पीछे: मोदी और शी जिनपिंग के “निज़ी” रिश्तों से लेकर विदेशी कंपनियों के भारत छोड़ने तक
    22 May 2022
    हर बार की तरह इस हफ़्ते भी, इस सप्ताह की ज़रूरी ख़बरों को लेकर आए हैं लेखक अनिल जैन..
  • न्यूज़क्लिक डेस्क
    इतवार की कविता : 'कल शब मौसम की पहली बारिश थी...'
    22 May 2022
    बदलते मौसम को उर्दू शायरी में कई तरीक़ों से ढाला गया है, ये मौसम कभी दोस्त है तो कभी दुश्मन। बदलते मौसम के बीच पढ़िये परवीन शाकिर की एक नज़्म और इदरीस बाबर की एक ग़ज़ल।
  • diwakar
    अनिल अंशुमन
    बिहार : जन संघर्षों से जुड़े कलाकार राकेश दिवाकर की आकस्मिक मौत से सांस्कृतिक धारा को बड़ा झटका
    22 May 2022
    बिहार के चर्चित क्रन्तिकारी किसान आन्दोलन की धरती कही जानेवाली भोजपुर की धरती से जुड़े आरा के युवा जन संस्कृतिकर्मी व आला दर्जे के प्रयोगधर्मी चित्रकार राकेश कुमार दिवाकर को एक जीवंत मिसाल माना जा…
  • उपेंद्र स्वामी
    ऑस्ट्रेलिया: नौ साल बाद लिबरल पार्टी सत्ता से बेदख़ल, लेबर नेता अल्बानीज होंगे नए प्रधानमंत्री
    22 May 2022
    ऑस्ट्रेलिया में नतीजों के गहरे निहितार्थ हैं। यह भी कि क्या अब पर्यावरण व जलवायु परिवर्तन बन गए हैं चुनावी मुद्दे!
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License