NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
राजनीति
अंतरराष्ट्रीय
जब क्लासरूम निशाना बन जाए
चाहे यह बालबेक (लेबनान) का क्लासरूम हो या काबुल के चमन-ए-बाबरक (अफगानिस्तान) का, ये बच्चे (पहले में सीरिया के शरणार्थी और दूसरे में अफगानिस्तान के ग्रामीण इलाकों के शरणार्थी) उनमें एक छोटा सा शरणस्थल तलाशते हैं।
विजय प्रसाद
17 Aug 2018
children in war

बच्चों को स्कूल जाते हुए देखना हमेशा अद्भुत लगता है। एक उम्मीद होती है कि वे जो कुछ पढ़ रहे हैं उसमें कुछ तलाशेंगे या जिस बारे में बात कर रहे हैं उसमें उनकी दिलचस्पी, यह सब उन्हें उस दुनिया में आकर्षित करता है जो उनकी अपनी दुनिया से अलग है, उन्हें एक नया आत्मविश्वास देता और एक नई महत्वाकांक्षा देता है। यहाँ तक कि सबसे कठिन पाठ्यक्रम भी आँख खोलने वाला हो सकता है: एक कहानी जो अज्ञात है, किसी किताब का एक वाक्य जो बच्चे को ऊंची उड़ान भरना सिखाता है।

चाहे यह बालबेक (लेबनान) का क्लासरूम हो या काबुल के चमन-ए-बाबरक (अफगानिस्तान) का, ये बच्चे (पहले में सीरिया के शरणार्थी और दूसरे में अफगानिस्तान के ग्रामीण इलाकों के शरणार्थी) उनमें एक छोटा सा शरणस्थल पाते हैं। संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी यूएनएचसीआर के त्रिपाल वाले अक्सर अस्थायी क्लासरूम होते हैं और, यदि बच्चे भाग्यशाली हैं, तो संयुक्त राष्ट्र की बच्चों की एजेंसी यूनिसेफ से उनके लिए बैग्स मिलते हैं। पिछले सप्ताह स्कूल बस पर हुए हमले के बाद भीड़ भाड़ वाले दहयान शहर के बाज़ार की सड़क पर ये बैग चारों तरफ बिखरे हुए थे।

15 अगस्त को लगभग पांच सौ युवा जिनकी उम्र 16 से 18 वर्ष के बीच थी काबुल के दश्त-ए बरचा के नज़दीक मौऊड एजुकेशन सेंटर में मौजूद थें। वे कॉलेज में दाख़िले के लिए होने वाली परीक्षा की तैयारी के लिए प्राइवेट क्लास ले रहे थें जिससे कि उन्हें मदद मिल सके। इस बुधवार को छात्र अपना काम करने के लिए तैयार ही हो रहे थें कि एक अजनबी आदमी हॉल के अंदर आया और खुद को बम से उड़ा लिया जिसमें लगभग 48 छात्रों की मौत हो गई वहीं 100 के क़रीब घायल हो गए। केवल उन छात्रों की महत्वाकांक्षा समाप्त नहीं हुई जिनकी मौत इस घटना में हुई बल्कि उन छात्रों की भी दब गई जो इस अत्याचार के ज़ख्मों को लंबे समय तक झेलेंगे।

नष्ट हुए हॉल के चारों तरफ भौतिकी की परीक्षा के लिए तैयारी की जाने वाली किताबें, जूते, बैग्स आदि बिखरे हुए हैं।

शिया-विरोधी हिंसा

पश्चिमी काबुल में दश्त-ई-बरचा की ये हिंसा ऐसी कोई नई नहीं है। अफगानिस्तान के विभिनन हिस्सों में युद्ध होने के चलते ग्रामीण इलाकों से भागने वाले लोग काबुल की बढ़ती स्लम आबादी में शामिल होते चले गए। पश्चिमी अफगानिस्तान की हज़ारा आबादी इस इलाक़े में बस गई है। पड़ोस में शिया की बड़ी आबादी दश्त-ई-बरचा अफगानिस्तान के तालिबान की निराशा का लगातार निशाना बनता रहा है और अब इस्लामी स्टेट (आईएसआईएस) का बन रहा है।

जुलाई 2016 में हजारों प्रदर्शनकारियों दश्त-ई-बरचा से शहर के केंद्र (और काबुल चिड़ियाघर) के नज़दीक के देह मज़ंग स्क्वायर की तरफ़ रैली निकाली थी। वे सलांग दर्रा के पास अपनी भूमि के पास बिजली ग्रिड के निर्माण का विरोध करने आए थे। इसमें मुख्य रूप से हज़ारा समुदाय के लोग शामिल थे, ये एनलाइटेंमेंट मूवमेंट विरोध त्योहार के समय में हुआ था। प्रदर्शनकारियों की विशाल भीड़ में दो आत्मघाती हमलावरों ने ख़ुद को उड़ा लिया। इस हमले में कम से कम 100 लोगों की मौत हो गई थी और लगभग 300 लोग घायल हो गए थें। आईएसआईएस ने पहले इस हमले की ज़िम्मेदारी ली थी, और फिर जब जनता की राय हज़़ारा के पक्ष में गई तो उसने इनकार कर दिया था। लेकिन यह स्पष्ट था कि एंटी-ग्रिड प्रदर्शनकारियों पर हमले की तुलना में कहीं ज़्यादा यह हज़ारा समुदाय पर ही हमला था।

शिया-विरोधी हिंसा आईएसआईएस के विश्व दृष्टिकोण को परिभाषित करता है जो अफगानिस्तान में नाटो के दख़ल के मुक़ाबले शिया समाज के साथ सैद्धांतिक कठिनाइयों पर अधिक ग्रसित लगती है। अफगानिस्तान में आईएसआईएस द्वारा हिंसा के क्रूर कृत्यों को इराक और सीरिया में ऐसी हिंसा से प्रतिबिंबित किया जाता है। इस हफ्ते आत्मघाती हमलावर ने किसी भी स्कूल को निशाना बनाने के लिए नहीं चुना था। उसने हज़ारा के पड़ोस के एक स्कूल को चुना जो निजी शिक्षण संस्थान था जिसमें मुख्य रूप से हज़ारा समाज के युवा आते थें। पांच महीने पहले एक व्यक्ति ने पास के निजी स्कूल में एक ग्रेनेड फेंक दिया था। इस इलाक़े में स्कूल के बच्चों के ख़िलाफ़ हिंसा के इस तरह के कार्य अब असामान्य नहीं हैं। इस इलाक़े में स्कूल पर यह तीसरा बड़ा हमला है।

शिया-विरोधी हिंसा ने विशेष रूप से विधर्मी समुदाय हज़ारा को ईरानी रूढ़िवादी के बेहद क़रीब लाया है। लेबनान के नाबातिह की तरह दश्त-ई-बरचा पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिए ईरानी व्यवहार की नक़ल करते रहे हैं। ईरान के साथ जुड़ाव हमेशा वहां था लेकिन अब यह महसूस कर रहा है कि ईरान शिया-विरोधी हिंसा के ख़िलाफ़ हज़ारा की रक्षा करेगा जो बढ़ गया है। इसका सांस्कृतिक विध्वंस हैं जो राजनीतिक गठजोड़ से ज़्यादा गहरा है। ऐसा ही लगभग है जैसे मानो कि अफगान राष्ट्रवाद के जो भी अवशेष है उसे आईएसआईएस तोड़ना चाहता है और सांप्रदायिक युद्ध की स्थिति बनाने की कोशिश करता है। यह अब स्थिति नहीं है लेकिन उस दिशा में जाने के लिए लोभ मौजूद है। पहले से ही कोई हज़ारा नेताओं के बीच आत्म-रक्षा की बात सुनता है, ख़ासकर जैसे ही अफगान सुरक्षा सेवाओं में विश्वास कमज़ोर होता है।

मेरी तरह दृष्टिहीन न बने

एक विश्वविद्यालय की छात्रा रहा अफगान वूमन्स राइटिंग प्रोजेस्ट के लिए लिखती हैं। वह दश्त-ई-बरचा में कुछ दोस्तों से मिलती हैं। घर जाने के रास्ते में वह एक व्यक्ति के पास से संकरी गलियों में गुज़रती हैं। वह उससे पूछती हैं कि क्या वह अपनी बेटियों को स्कूल भेजते है। व्यक्ति ने उससे कहा 'प्यारी बेटी' 'मैं उन्हें भेजता हूं क्योंकि मैं नहीं चाहता कि वे मेरे जैसी दृष्टिहीन हो जाए। बिना शिक्षा वाले लोग दृष्टिहीन होते हैं। मैं चाहता हूं कि वे अपने ज़िंदगी को बेहतर बनाएं। अब हमारे समय बीत चुके हैं। मैं चाहता हूं कि वे नई दुनिया का आनंद लें।'रहा ने जुलाई 2016 में बम विस्फोट से पहले और इस हफ्ते के बम विस्फोट से पहले निश्चित रूप से मार्च 2016 में इन शब्दों का ज़िक्र किया था। उस व्यक्ति की प्रतिक्रिया ने छात्रा को काफी ख़ुश किया। वह उनकी उम्मीदों से भर गई थी।

NATO
Anti-Shia violence
Kabul’s Chaman-e-Babrak

Related Stories

बाइडेन ने यूक्रेन पर अपने नैरेटिव में किया बदलाव

90 दिनों के युद्ध के बाद का क्या हैं यूक्रेन के हालात

यूक्रेन युद्ध से पैदा हुई खाद्य असुरक्षा से बढ़ रही वार्ता की ज़रूरत

खाड़ी में पुरानी रणनीतियों की ओर लौट रहा बाइडन प्रशासन

फ़िनलैंड-स्वीडन का नेटो भर्ती का सपना हुआ फेल, फ़िलिस्तीनी पत्रकार शीरीन की शहादत के मायने

यूक्रेन में संघर्ष के चलते यूरोप में राजनीतिक अर्थव्यवस्था पर प्रभाव 

नाटो देशों ने यूक्रेन को और हथियारों की आपूर्ति के लिए कसी कमर

रूस ने पश्चिम के आर्थिक प्रतिबंधों का दिया करारा जवाब 

मारियुपोल की जंग आख़िरी पड़ाव पर

यूक्रेन में छिड़े युद्ध और रूस पर लगे प्रतिबंध का मूल्यांकन


बाकी खबरें

  • Modi
    अनिल जैन
    PM की इतनी बेअदबी क्यों कर रहे हैं CM? आख़िर कौन है ज़िम्मेदार?
    01 Jun 2022
    प्रधानमंत्री ने तमाम विपक्षी दलों को अपने, अपनी पार्टी और देश के दुश्मन के तौर पर प्रचारित किया और उन्हें खत्म करने का खुला ऐलान किया है। वे हर जगह डबल इंजन की सरकार का ऐसा प्रचार करते हैं, जैसे…
  • covid
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में पिछले 24 घंटों में 2,745 नए मामले, 6 लोगों की मौत
    01 Jun 2022
    महाराष्ट्र में एक बार फिर कोरोना के मामलों में तेजी से वृद्धि देखी जा रही है। महाराष्ट्र में आज तीन महीने बाद कोरोना के 700 से ज्यादा 711 नए मामले दर्ज़ किए गए हैं।
  • संदीपन तालुकदार
    चीन अपने स्पेस स्टेशन में तीन अंतरिक्ष यात्रियों को भेजने की योजना बना रहा है
    01 Jun 2022
    अप्रैल 2021 में पहला मिशन भेजे जाने के बाद, यह तीसरा मिशन होगा।
  • अब्दुल अलीम जाफ़री
    यूपी : मेरठ के 186 स्वास्थ्य कर्मचारियों की बिना नोटिस के छंटनी, दी व्यापक विरोध की चेतावनी
    01 Jun 2022
    प्रदर्शन कर रहे स्वास्थ्य कर्मचारियों ने बिना नोटिस के उन्हें निकाले जाने पर सरकार की निंदा की है।
  • EU
    पीपल्स डिस्पैच
    रूसी तेल आयात पर प्रतिबंध लगाने के समझौते पर पहुंचा यूरोपीय संघ
    01 Jun 2022
    ये प्रतिबंध जल्द ही उस दो-तिहाई रूसी कच्चे तेल के आयात को प्रभावित करेंगे, जो समुद्र के रास्ते ले जाये जाते हैं। हंगरी के विरोध के बाद, जो बाक़ी बचे एक तिहाई भाग ड्रुज़बा पाइपलाइन से आपूर्ति की जाती…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License