NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
शिक्षा
भारत
राजनीति
जेएनयू:फीस वृद्धि आंशिक रूप से वापस, छात्र नाराज़, प्रदर्शन जारी
छात्रों का कहना हैं कि यह कोई फीस वृद्धि की वापसी नहीं बल्कि मामूली कमी की गई हैं। जो उन्हें मंजूर नहीं हैं।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
13 Nov 2019
JNU FEE HIKE

 दिल्ली: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय(जेएनयू) प्रशासन ने 16 दिनों से चले आ रहे छात्रों के विरोध प्रदर्शन के बाद छात्रावास शुल्क में वृद्धि बुधवार को आंशिक रूप से वापस लेने का फैसला किया। यह फैसला विश्वविद्यालय की कार्यकारिणी परिषद् की बैठक में हुआ। छात्रों के आंदोलन की वजह से आखिरी क्षणों में इसके आयोजन स्थल में बदलाव किया गया और इसे परिसर के बाहर आयोजित किया गया।

लेकिन छात्र प्रशासन के इस फैसले से नाखुश हैं, उन्होंने कहा कि फीस बढ़ोतरी में कोई मेजर रोलबैक नहीं हुआ बल्कि अंदोलन को कमजोर करने के लिए सोशल मीडिया पर भ्रामक जानकारी दी जा रही है। जेएनयू छात्र संघ ने भी इस फैसले की निंदा करते हुए  अंदोलन को जारी रखने का निर्णय किया।

छात्रसंघ अध्यक्ष आईसी घोष ने न्यूज़क्लिक से बात करते हुए कहा कि यह अंदोलन तब तक चलेगा जब तक पूरी तरह से बढ़ी फीस बढ़ोतरी वापस नहीं हो जाती हैं। प्रशासन के इस फैसले को केवल एक छलावा बताया और कहा कि वो चाहते हैं कि हम किसी तरह अपना आंदोलन खत्म कर ले ,उसके बाद दुबारा फीस में बढ़ोतरी करे लेकिन हम उनकी इस चाल में नहीं फसेंगे।

आपको बता दे कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय के सचिव आर सुब्रमण्यम ने ट्वीट किया, ‘‘जेएनयू कार्यकारिणी परिषद् छात्रावास शुल्क और अन्य नियमों को बहुत हद तक वापस लेने का फैसला करता है। आर्थिक रूप से कमजोर तबके (ईब्ल्यूएस) के छात्रों के लिये आर्थिक सहायता की एक योजना का भी प्रस्ताव किया गया है। कक्षाओं में लौटने का वक्त आ गया है।’’

कार्यकारिणी परिषद् जेएनयू की फैसला लेने वाली सर्वोच्च संस्था है।

पुरानी प्रस्तावित फीस इस प्रकार थी

jnu fee hike_0.PNG
अब इसमें बदलाव इस प्रकार हैं

JNU NEW.PNG
जेएनयू प्रशासन के मुताबिक अकेले रहने वाले कमरे का किराया, जिसे 20 रुपये से बढ़ा कर 600 रुपये प्रति माह कर दिया गया था, वह अब 300 रुपये होगा। इसी तरह, दो छात्रों के रहने वाले कमरे का किराया जिसे 10 रुपये से बढ़ा कर 300 रुपये प्रति माह किया गया था, वह अब 150 रुपये होगा।’’

जबकि 1700 रुपए की सर्विस चार्ज की जो सबसे बड़ी बढ़ोतरी थी। जो कि पहले शून्य था उसमें अब कहा गया सर्विस चार्ज की जो भी लागत होगी वो अब छात्रों को चुकानी होगी। वो 1700 रूपये से अधिक भी हो सकती है। इसमें केवल बीपीएल छात्रों को 50% छूट दी गई हैं । साथ ही बिजली पानी के बिलो पर कोई रियायत नहीं दी गई हैं।

प्रशासन का कहना हैं कि यह बदलाव छात्रों से मिले सुझावों के आधार पर किया गया हैं। जबकि प्रदर्शन कर रहे छात्रों का कहना हैं कि वो किन छात्रों से मिले और कब मिले ? इसका जबाब देना चाहिए। क्योंकि हम पिछले 15 दिनों से उनसे मिलने का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन कोई भी प्रशासन का आदमी बात तक नहीं कर रहा है ,मिलना तो दूर की बात हैं।

इसलिए छात्रों का कहना हैं कि यह कोई फीस वृद्धि की वापसी नहीं बल्कि मामूली कमी की गई हैं। जो उन्हें मंजूर नहीं हैं।

इससे पहले, बुधवार को विश्वविद्यालय के छात्रों ने छात्रावास शुल्क में वृद्धि वापस लेने की अपनी मांग को लेकर विरोध- प्रदर्शन तेज कर दिया।

वाम दल समर्थित छात्र संगठनों के विद्यार्थी छात्रावास शुल्क में वृद्धि के खिलाफ करीब पखवाड़े भर से प्रदर्शन कर रहे हैं।

छात्र संगठनों का दावा है कि छात्रावास नियमावली मसौदा में छात्रावास शुल्क वृद्धि और ड्रेस कोड आदि के प्रावधान हैं, जिसे इंटर-हॉल प्रशासन ने मंजूरी दी थी।

इस पुरे मामले को लेकर जेएनयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष ऍन साई बालाजी ने फेसबुक पर एक वीडियो जारी किया है। जिसमे उन्होंने प्रशसन के दावों पर कई सवाल खड़े किये है। पूरा वीडियो निचे देखे...

वर्तमान छात्र संघ उपध्यक्ष साकेत मून ने न्यूज़क्लिक से बात करते हुए जेएनयू प्रशसन पर कई गंभीर सवाल खड़े किये। उन्होंने कहा कुलपति साहब अपने छात्रों से क्यों नहीं मिलाना चाहते कीहम क्यों प्रदर्शन कर रहे है ? वो कही से एक ट्ववीट कर रहे। हम बाईट कई दिनों से सड़को पर उतरकर प्रदर्शन कर रहे है लेकिन वो किसी से बात नहीं कर रहे है। उन्होंने कहा कि ये मामूली रहत नहीं चलेगी सम्पूर्ण फीस वृद्धि को वापस करना होगा।

इससे पहले प्रदर्शनकारी छात्रों ने बुधवार को प्रशासन खंड के बाहर जेएनयू प्रशासन और कुलपति के खिलाफ नारेबाजी की। उल्लेखनीय है कि छात्रों ने सोमवार को अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद् (एआईसीटीई) के बाहर प्रदर्शन किया था। प्रदर्शन तेज होने पर केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ उसके अंदर करीब छह घंटे तक फंस गये और उन्हें दो कार्यक्रम रद्दे करने को मजबूर होना पड़ा था।

फीसवृद्धि के इस पूरे मामले में देश भर के संस्थानों के छात्र संगठन एकजुट होकर जेएनयू के समर्थन में आ गए थे। जेएनयू मामले को लेकर सोशल मीडिया में भी लोगों ने फीसवृद्धि को गलत ठहराया जबकि कुछ लोग इसके समर्थन में भी थे।   

(समाचार एजेंसी भाषा इनपुट के साथ )

JNU
JNU Fee Hike
JNUSU
#StandWithJNU
Ramesh Pokhriyal Nishank

Related Stories

जेएनयू: अर्जित वेतन के लिए कर्मचारियों की हड़ताल जारी, आंदोलन का साथ देने पर छात्रसंघ की पूर्व अध्यक्ष की एंट्री बैन!

बैठक में नहीं पहुंचे अधिकारी, छात्र बोले- जेएनयू प्रशासन का रवैया पक्षपात भरा है

‘जेएनयू छात्रों पर हिंसा बर्दाश्त नहीं, पुलिस फ़ौरन कार्रवाई करे’ बोले DU, AUD के छात्र

JNU: मांस परोसने को लेकर बवाल, ABVP कठघरे में !

शिक्षाविदों का कहना है कि यूजीसी का मसौदा ढांचा अनुसंधान के लिए विनाशकारी साबित होगा

जेएनयू में छात्रा से छेड़छाड़ के मामले में एक व्यक्ति गिरफ़्तार, GSCASH बहाली की मांग

प्रत्यक्ष कक्षाओं की बहाली को लेकर छात्र संगठनों का रोष प्रदर्शन, जेएनयू, डीयू और जामिया करेंगे  बैठक में जल्द निर्णय

दिल्ली : विश्वविद्यालयों को खोलने की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे छात्रों को पुलिस ने हिरासत में  लिया

“सर्वोत्कृष्टता के संस्थान” या “बहिष्कार के संस्थान”

अंबेडकर विश्वविद्यालय: फ़ीस माफ़ी खत्म करने की योजना के ख़िलाफ़ छात्रों का प्रदर्शन


बाकी खबरें

  • सरोजिनी बिष्ट
    विधानसभा घेरने की तैयारी में उत्तर प्रदेश की आशाएं, जानिये क्या हैं इनके मुद्दे? 
    17 May 2022
    ये आशायें लखनऊ में "उत्तर प्रदेश आशा वर्कर्स यूनियन- (AICCTU, ऐक्टू) के बैनर तले एकत्रित हुईं थीं।
  • जितेन्द्र कुमार
    बिहार में विकास की जाति क्या है? क्या ख़ास जातियों वाले ज़िलों में ही किया जा रहा विकास? 
    17 May 2022
    बिहार में एक कहावत बड़ी प्रसिद्ध है, इसे लगभग हर बार चुनाव के समय दुहराया जाता है: ‘रोम पोप का, मधेपुरा गोप का और दरभंगा ठोप का’ (मतलब रोम में पोप का वर्चस्व है, मधेपुरा में यादवों का वर्चस्व है और…
  • असद रिज़वी
    लखनऊः नफ़रत के ख़िलाफ़ प्रेम और सद्भावना का महिलाएं दे रहीं संदेश
    17 May 2022
    एडवा से जुड़ी महिलाएं घर-घर जाकर सांप्रदायिकता और नफ़रत से दूर रहने की लोगों से अपील कर रही हैं।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में 43 फ़ीसदी से ज़्यादा नए मामले दिल्ली एनसीआर से सामने आए 
    17 May 2022
    देश में क़रीब एक महीने बाद कोरोना के 2 हज़ार से कम यानी 1,569 नए मामले सामने आए हैं | इसमें से 43 फीसदी से ज्यादा यानी 663 मामले दिल्ली एनसीआर से सामने आए हैं। 
  • एम. के. भद्रकुमार
    श्रीलंका की मौजूदा स्थिति ख़तरे से भरी
    17 May 2022
    यहां ख़तरा इस बात को लेकर है कि जिस तरह के राजनीतिक परिदृश्य सामने आ रहे हैं, उनसे आर्थिक बहाली की संभावनाएं कमज़ोर होंगी।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License