NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
संस्कृति
भारत
राजनीति
जल्द ही जयपुर में आयोजित होगा "जन साहित्य पर्व"
“इस उत्सव की आज के दौर में इसीलिए ज़रुरत है क्योंकि आज साहित्य पूँजी से जुड़कर आम लोगों से दूर हो गया है ,और जो सही में लोगों के सवाल उठाने वाले हैं उनकी आवाज़ लोगों तक नहीं पहुँच पाती I हम चाहते हैं कि आम लोगों का संवाद जन लेखकों से बन पाए I”
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
19 Jan 2018
jan sahitya parv

24 और 25 जनवरी को जयपुर में “साँझा सांस्कृतिक मोर्चा” द्वारा “जन साहित्य पर्व” आयोजित किया जा रहा है I हाल के सालों में जयपुर “जयपुर लिट्रेचर फेस्टिवल”(JLF) के लिए जाना जाता रहा है ,जनवरी के सर्द महीने में यहाँ इसी वजह से चहल पहल देखने को मिलती रही है I पर जन आन्दोलनों से जुड़े लोगों को ये लगने लगा था कि JLF आम लोगों के बुनियादी सवालों से दूर होकर अब सिर्फ एक व्यावसायिक उत्सव बनकर रह गया है I इसमें कुछ समय से कॉर्पोरेट का हस्तक्षेप बहुत ज़्यादा बढ़ जाने की वजह से ,ये आम लोगों की पहुँच से दूर होकर सिर्फ एक सम्पन्न वर्ग का उत्सव बन गया है I

यही वजह है कि बहुत से लोगों को एक ऐसे साहित्यिक संवाद की ज़रुरत होने लगी जो कि आम लोगों मुद्दों पर आधारित हो I आज के दौर में इस आयोजन की प्रासंगिकता के बारे में उत्सव के अयोजक संदीप मील का कहना है “ इस उत्सव की आज के दौर में इसीलिए ज़रुरत है क्योंकि आज साहित्य पूँजी से जुड़कर आम लोगों से दूर हो गया है ,और जो सही में लोगों के सवाल उठाने वाले हैं उनकी आवाज़ लोगों तक नहीं पहुँच पाती I हम चाहते हैं कि आम लोगों का संवाद जन लेखकों से बन पाए I”

साथ ही उन्होंने जोड़ा “आज साहित्य का न सिर्फ बाज़ारिकरण हो गया है बल्कि उसमें साम्प्रदायिकता की बू भी आने लगी है , इसीलिए ज़रुरत है इसके खिलाफ एक वैकल्पिक सांस्कृतिक आन्दोलन की I”

भारत में जनआन्दोलनों से जुड़े साहित्य ने हमेशा से ही आम लोगों की ज़िन्दगी से जुड़े मुद्दों को उठाया है और समानता,सहष्णुता और भाइचारे की आवाज़ बना है I इस धारा में प्रेमचंद,मंटो,राहुल सांकृत्यायन ,यशपाल और नजाने कितने लेखकों के नाम याद आते हैं I पर नवउदारवाद के उदय और वैश्विकरण की संस्कृति ने आज के जनवादी लेखकों को आम जन से दूर कर दिया और साहित्य को बाज़ार की बस एक और वस्तु के सामान बना दिया है I यही वजह है कि आयोजकों ने इस बात पर ज़ोर दिया है कि न सिर्फ आम जन को आज जनवादी साहित्यकारों से बल्की जन आन्दोलनों से भी जोड़ने की ज़रुरत है I ये तब और भी ज़रूरी हो जाता है जब हाल ही में कलबुर्गी ,गौरीलंकेश , रामचंद्र छत्रपति और बाकि लेखकों की हत्या सिर्फ अपनी बात रखने के लिए कर दी गयी I

इस उत्सव में हिंदी,पंजाबी,राजस्थानी में प्रतिरोध का साहित्य ,20वीं सदी के संदर्भ में प्रतिरोध का इतिहास , नाटक सिनेमा और प्रतिरोध एवं समाज के वर्तमान एवं जन आन्दोलन के विषयों पर लेखक , चिंतक, कवि और इतिहासकार हिस्सा लेंगे I इसके आलावा यहाँ बुक स्टॉल, फिल्म प्रदर्शनियाँ , और पोस्टर प्रदर्शनी भी होगी I

राजस्थान विश्वविद्यालय में होने वाले इस आयोजन में हिमांशु पाण्डया, कविता कृष्णपिल्लेई , निखिल डे, कवियित्री भूमि दिवेदी , कवि अनिल जन विजय , प्रो चमनलाल , दुग्गी राजा , अमराराम ,कविता कृष्णन , कविता श्रीवास्तव ,अनीता भार्गव और चित्रकार कुंवार रविंदर के साथ अन्य कई बड़ी हस्तियाँ शामिल होंगी I

जन साहित्य पर्व
JLF
literature festival
jaipur
जनवादी लेखक
फासीवादी
अभिवक्ति की आज़ादी
freedom of expression

Related Stories

"आरएसएस का सिद्धांत भारत के लिए हानिकारक है" - हामिद अंसारी

केदारनाथ सिंह का निधन प्रगतिशील-जनवादी धारा के लिए एक अपूरणीय क्षति है:जनवादी लेखक संघ


बाकी खबरें

  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    छत्तीसगढ़ः 60 दिनों से हड़ताल कर रहे 15 हज़ार मनरेगा कर्मी इस्तीफ़ा देने को तैयार
    03 Jun 2022
    मनरेगा महासंघ के बैनर तले क़रीब 15 हज़ार मनरेगा कर्मी पिछले 60 दिनों से हड़ताल कर रहे हैं फिर भी सरकार उनकी मांग को सुन नहीं रही है।
  • ऋचा चिंतन
    वृद्धावस्था पेंशन: राशि में ठहराव की स्थिति एवं लैंगिक आधार पर भेद
    03 Jun 2022
    2007 से केंद्र सरकार की ओर से बुजुर्गों को प्रतिदिन के हिसाब से मात्र 7 रूपये से लेकर 16 रूपये दिए जा रहे हैं।
  • भाषा
    मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने चंपावत उपचुनाव में दर्ज की रिकार्ड जीत
    03 Jun 2022
    चंपावत जिला निर्वाचन कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार, मुख्यमंत्री को 13 चक्रों में हुई मतगणना में कुल 57,268 मत मिले और उनके खिलाफ चुनाव लड़ने वाल़ कांग्रेस समेत सभी प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो…
  • अखिलेश अखिल
    मंडल राजनीति का तीसरा अवतार जाति आधारित गणना, कमंडल की राजनीति पर लग सकती है लगाम 
    03 Jun 2022
    बिहार सरकार की ओर से जाति आधारित जनगणना के एलान के बाद अब भाजपा भले बैकफुट पर दिख रही हो, लेकिन नीतीश का ये एलान उसकी कमंडल राजनीति पर लगाम का डर भी दर्शा रही है।
  • लाल बहादुर सिंह
    गैर-लोकतांत्रिक शिक्षानीति का बढ़ता विरोध: कर्नाटक के बुद्धिजीवियों ने रास्ता दिखाया
    03 Jun 2022
    मोदी सरकार पिछले 8 साल से भारतीय राज और समाज में जिन बड़े और ख़तरनाक बदलावों के रास्ते पर चल रही है, उसके आईने में ही NEP-2020 की बड़ी बड़ी घोषणाओं के पीछे छुपे सच को decode किया जाना चाहिए।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License