NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
जम्मू-कश्मीर के कर्मचारियों के लिए रिलायंस हेल्थ इंश्योरेंस को अनिवार्य क्यों ?
मासिक चिकित्सा भत्ता खत्म करने के बाद, अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस से बीमा खरीदने के लिए विभिन्न श्रेणियों के कर्मचारियों को प्रीमियम की वही राशि शुल्क के रुप में देनी पड़ रही है।
सुबोध वर्मा
03 Oct 2018
Translated by महेश कुमार
narendra modi

मोदी सरकार अनिल अंबानी के रिलायंस समूह के घटते खजाने को भरने में मदद करने के लिए अपनी हदों को पार कर रही है - जैसा हाल ही में राफले घोटाले में आरोप लगाया गया है।अब, केंद्र ने जम्मू-कश्मीर (जम्मू-कश्मीर) के सभी सरकारी कर्मचारियों के लिए रिलायंस जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड से स्वास्थ्य बीमा खरीदना अनिवार्य बना दिया है। इससे भी बदतर, सरकार ने वह सरकारी मासिक चिकित्सा भत्ता खत्म कर दिया है जिसे कर्मचारियों को का भुगतान किया जाता था।

जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल के शासन ने 20 सितंबर को सभी राज्य कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के लिए समूह मेडिक्लेम बीमा पॉलिसी की घोषणा की है।यह कहा गया है कि फैसले में बजाय सरकार की स्वामित्व वाली बीमा कंपनी के साथ समझौते के रिलायंस जनरल इंश्योरेंस के साथ "पॉलिसी को तय कर दिया गया है, क्योंकि कम से कम राज्य कर्मचारियों सरकारी योजना से अपेक्षा करते थे कि यह उनकी अपनी कंपनी है।

जम्मू-कश्मीर सरकार के आदेश में कहा गया है कि "पॉलिसी को मैसर्स रिलायंस जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड के साथ 8,777 रुपये और 22,229 रुपये (कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के लिए क्रमशः) के वार्षिक प्रीमियम से जोड़ दिया है।"
"सभी राज्य सरकारी कर्मचारियों (राजपत्रित और गैर राजपत्रित), राज्य विश्वविद्यालयों, आयोगों, स्वायत्त निकाय और पीएसयू के लिए यह नीति अनिवार्य है।"हालांकि, पॉलिसीधारकों, मान्यता प्राप्त पत्रकारों, और कर्मचारियों की अन्य श्रेणियों के लिए नीति वैकल्पिक होगी।
 
पॉलिसी सामयिक मज़दूर के आधार पर पांच आश्रित परिवार के सदस्यों के साथ प्रति वर्ष 6 लाख रुपये प्रति कर्मचारी / पेंशनभोगी के स्वास्थ्य बीमा का कवरेज प्रदान करेगी।

रिलायंस की नई चढ़ाई के लिए बाजार सुनिश्चित करना?

जम्मू-कश्मीर में आदेश जारी होने से दो दिन पहले 18 सितंबर को अनिल अंबानी की रिलायंस ने आधिकारिक तौर पर घोषणा की थी कि वह रिलायंस जनरल इंश्योरेंस से अलग एक स्टैंडअलोन स्वास्थ्य बीमा कंपनी, रिलायंस हेल्थ इंश्योरेंस की स्थापना कर रही है।स्वास्थ्य बीमा को समर्पित यह नई कंपनी – जो बढ़ता बाज़ार बनाने के लिए तैयार है, मोदी की आयुषमान भारत स्वास्थ्य बीमा योजना के साथ - इस वित्तीय वर्ष के भीतर ही अगले वर्ष की शुरुआत में शुरू होने की उम्मीद है।

जम्मू-कश्मीर में स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी के लिए, यह एक साल के लिए 1 अक्टूबर को लागू हुआ था - और बीमा कंपनी या कर्ता के "संतोषजनक प्रदर्शन" के आधार पर इसे तीन साल तक सालाना विस्तारित किया जा सकता है, जैसा कि प्रधान सचिव वित्त नविन के चौधरी ने भाषा से कहा।तो मोदी सरकार पहले से ही रिलायंस हेल्थ इंश्योरेंस के लिए जम्मू-कश्मीर के बाज़ार को सुरक्षित कर रही थी  - यही कारण है कि उसने सभी सेवा राज्य कर्मचारियों के लिए नीति अनिवार्य कर दी है?

बीमा राशि अनुचित, भत्ता रद्द करना 

बीमा प्रीमियम (ऊपर उल्लिखित) सभी कर्मचारियों के लिए सालाना 8,777 रुपये है – सभी श्रेणियों और स्तरों के लिए।
इसलिए, कश्मीर प्रशासन सेवा (केएएस) के अधिकारियों और वर्ग IV की श्रेणी के कर्मचारी सभी प्रीमियम के समान राशि का भुगतान करेंगे - जो उनके वेतन से अनिवार्य रूप से काट लिया जाएगा।इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि एक चपरासी को भुगतान किया गए मामूली वेतन के मुकाबले एक केएएस अधिकारी का वेतन कितना ज्यादा है।

और राज्य के कर्मचारियों ने आदेश का विरोध किया है। स्थानीय प्रकाशन डेली एक्सेलसियर द्वारा रिपोर्ट के अनुसार, कर्मचारी संयुक्त कार्य समिति (ईजेएसी) ने प्रीमियम को "अनुचित और अस्वीकार्य" होने के रूप में विरोध किया है।
न्यूज़क्लिक से बात करते हुए, सेन्टर ऑफ़ इंडियन ट्रेड यूनियन (सीआईटीयू) के जम्मू-कश्मीर इकाई के राज्य खजांची श्याम प्रसाद केसर ने कहा,"जम्मू-कश्मीर के राज्य कर्मचारियों को प्रति माह 300 रुपये का चिकित्सा भत्ता मिलता था, जिस पर रोक लगा दी गयी थी। यह श्रमिकों को दवा खरीदने और डॉक्टरों के पास दौरे पर जाने में उनके छोटे खर्चों में कुछ राहत देने के लिए प्रयोग किया जाता था। वास्तव में, कर्मचारी मांग कर रहे थे कि चिकित्सा भत्ता 1000 रुपये तक बढ़ाया जाए। केसर ने कहा
"लेकिन इस स्वास्थ्य बीमा के साथ, कर्मचारियों के अस्पताल में भर्ती होने के बाद ही अंतरंग रोगी के उपचार के नियमित खर्चों के लिए दावा कर पाएंगे, न कि बाह्य रोगी उपचार के लिए दावा करने में सक्षम होंगे।"

उन्होंने कहा कि यह तथ्य अनिवार्य है कि इस योजना को अनिवार्य बनाना गलत है, क्योंकि कुछ ऐसे कर्मचारी हैं जिन्होंने स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी पहले से ही ले रखी है। "इसके परिणामस्वरूप ऐसे कर्मचारियों को प्रीमियम का दोहरा भुगतान करना पड़ेगा। इसलिए, इस नीति को वैकल्पिक रखा जाना चाहिए था, "उन्होंने कहा Iजैसा कि हर श्रेणियों के कर्मचारियों से एक ही प्रीमियम या शुल्क लिया जा रहा है, केसर ने कहा कि यह सिर्फ "बिल्कुल अन्यायपूर्ण" ही नहीं बल्कि "भेदभावपूर्ण" भी है।

"सरकार सभी वर्गों के लिए एक ही प्रीमियम कैसे लगा सकती है? इसका मतलब है कि जिन कर्मचारियों को 20,000 रुपये का भुगतान किया जाता है और साथ ही जिन्हे 1.5 लाख रुपये का भुगतान किया जाता है  तो उन सभी कर्मचारियों को 8,777 रुपये का समान भुगतान करना पड़ेगा। जबकि वेतन समान नहीं होता है, तो वेतन से समान प्रीमियम की कटौती किस आधार पर की जाएगी? "उन्होंने कहा।
 "यह बिल्कुल भेदभावपूर्ण है। सरकार को विभिन्न श्रेणियों के कर्मचारियों के वेतन को ध्यान में रखना चाहिए था और कम से कम प्रीमियम को उसके आधार पर (ग्रेडेड) तरीके से तय करना चाहिए था। " 

केसर ने यह भी कहा कि यह एक "त्रासदी" है कि पेंशनभोगियों के लिए वार्षिक उच्च प्रीमियम 22,229 रुपये तय किया गया है।
 "सबसे पहले, सरकार एक निजी बीमा कंपनियों के साथ हाथ मिलाती है, जिन्हें बाज़ार में अविश्वसनीय माना जाता है। जैसा कि कोई भी वर्तमान समय में बता सकता है, कॉर्पोरेट घरानों पर भरोसा नहीं किया जा सकता है। और फिर सरकार इस बोझ को कम वेतन वाले कर्मचारियों पर डाल रही है, जबकि मासिक चिकित्सा भत्ता खत्म कर रही है। " 

अन्यों के मुकाबले रिलायन्स को तरजीह दी गयी 

उसी दैनिक एक्सेलसियर रिपोर्ट में कहा गया है कि ईजेएसी सदस्यों के मुताबिक, राज्य सरकार ने कर्मचारियों के प्रतिनिधियों और आईसीआईसीआई बैंक के प्रतिनिधियों के बीच इस मेडिक्लेम नीति के संबंध में एक बैठक आयोजित की थी वह भी (प्रधान सचिव वित्त) नवीन चौधरी की अध्यक्षता में।

ईजेएसी ने कहा कि आईसीआईसीआई बैंक के साथ, सालाना प्रीमियम लगभग 5,300 रुपये तय किया गया था, जबकि बीमा कवर की उसी राशि के लिए - लेकिन "अब रिलायंस इंश्योरेंस के साथ एक सौदा किया गया है जिसमें 65 प्रतिशत से अधिक वार्षिक प्रीमियम 8,770 रुपये है जो आईसीआईसीआई बैंक की 5,300 रुपये से काफी अधिक है, हम इस समझौते की सड़ांध को सूंघ सकते हैं। "
रिपोर्ट के मुताबिक, ईजेएसी के सदस्यों ने कहा, "यह सिर्फ एक विशेष कंपनी को लाभ पहुंचाने के लिए किया गया समझौता है और इसके लिए सरकारी कर्मचारियों को बली का बकरा बनाया जा रहा है।"

Modi government
ayushman bharat
Jammu & Kashmir
Reliance

Related Stories

भाजपा के इस्लामोफ़ोबिया ने भारत को कहां पहुंचा दिया?

गैर-लोकतांत्रिक शिक्षानीति का बढ़ता विरोध: कर्नाटक के बुद्धिजीवियों ने रास्ता दिखाया

PM की इतनी बेअदबी क्यों कर रहे हैं CM? आख़िर कौन है ज़िम्मेदार?

आख़िर फ़ायदे में चल रही कंपनियां भी क्यों बेचना चाहती है सरकार?

तिरछी नज़र: ये कहां आ गए हम! यूं ही सिर फिराते फिराते

'KG से लेकर PG तक फ़्री पढ़ाई' : विद्यार्थियों और शिक्षा से जुड़े कार्यकर्ताओं की सभा में उठी मांग

मोदी के आठ साल: सांप्रदायिक नफ़रत और हिंसा पर क्यों नहीं टूटती चुप्पी?

कोविड मौतों पर विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट पर मोदी सरकार का रवैया चिंताजनक

किसानों और सत्ता-प्रतिष्ठान के बीच जंग जारी है

ज्ञानवापी विवाद, मोदी सरकार के 8 साल और कांग्रेस का दामन छोड़ते नेता


बाकी खबरें

  • विजय विनीत
    ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां
    04 Jun 2022
    बनारस के फुलवरिया स्थित कब्रिस्तान में बिंदर के कुनबे का स्थायी ठिकाना है। यहीं से गुजरता है एक विशाल नाला, जो बारिश के दिनों में फुंफकार मारने लगता है। कब्र और नाले में जहरीले सांप भी पलते हैं और…
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में 3,962 नए मामले, 26 लोगों की मौत
    04 Jun 2022
    केरल में कोरोना के मामलों में कमी आयी है, जबकि दूसरे राज्यों में कोरोना के मामले में बढ़ोतरी हुई है | केंद्र सरकार ने कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए पांच राज्यों को पत्र लिखकर सावधानी बरतने को कहा…
  • kanpur
    रवि शंकर दुबे
    कानपुर हिंसा: दोषियों पर गैंगस्टर के तहत मुकदमे का आदेश... नूपुर शर्मा पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं!
    04 Jun 2022
    उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था का सच तब सामने आ गया जब राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के दौरे के बावजूद पड़ोस में कानपुर शहर में बवाल हो गया।
  • अशोक कुमार पाण्डेय
    धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है
    04 Jun 2022
    केंद्र ने कश्मीरी पंडितों की वापसी को अपनी कश्मीर नीति का केंद्र बिंदु बना लिया था और इसलिए धारा 370 को समाप्त कर दिया गया था। अब इसके नतीजे सब भुगत रहे हैं।
  • अनिल अंशुमन
    बिहार : जीएनएम छात्राएं हॉस्टल और पढ़ाई की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन धरने पर
    04 Jun 2022
    जीएनएम प्रशिक्षण संस्थान को अनिश्चितकाल के लिए बंद करने की घोषणा करते हुए सभी नर्सिंग छात्राओं को 24 घंटे के अंदर हॉस्टल ख़ाली कर वैशाली ज़िला स्थित राजापकड़ जाने का फ़रमान जारी किया गया, जिसके ख़िलाफ़…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License