NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
जनसंख्या विस्फोट पर नरेंद्र मोदी की चिंता और संघ का एजेंडा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों को लाल किले से संबोधन के दौरान जनसंख्या विस्फोट को लेकर अपनी चिंता जाहिर की। आपको बता दें कि जनसंख्या नियंत्रण कानून एक 'ख़ास रणनीति' के तहत राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के एजेंडे में भी शामिल रहा है।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
16 Aug 2019
india gate
image courtesy: indian express

भारत के 73वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों को लाल किले से संबोधित किया। इस दौरान प्रधानमंत्री ने जनसंख्या विस्फोट को लेकर अपनी चिंता जाहिर की। पीएम ने कहा कि हमें जनसंख्या नियंत्रण पर ध्यान देने की आवश्यकता है।

नरेंद्र मोदी ने लाल किले से कहा, 'बढ़ती जनसंख्या देश के लिए चिंता का विषय है, जागरूकता के माध्यम से ही, हम इसे नियंत्रित कर सकते हैं।' उन्होंने देशवासियों से छोटे परिवार की अपील की। उन्होंने कहा कि छोटा परिवार रखना भी देशभक्ति है।'

पीएम ने आगे कहा, ‘हमारे यहां बेतहाशा जो जनसंख्या विस्फोट हो रहा है। यह जनसंख्या विस्फोट हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए अनेक संकट पैदा करता है। यह बात माननी होगी कि देश में एक जागरूक वर्ग है, जो इस बात को भली भांति समझता है। वह अपने घर में शिशु को जन्म देने से पहले भली भांति सोचता है कि मैं उसके साथ न्याय कर पाऊंगा।’

हालांकि देश के संसाधनों पर तेजी से बढ़ती जनसंख्या का जिस तरह से दबाव बढ़ रहा है उसके चलते निसंदेह प्रधानमंत्री के इस अभियान का पूरे देश को स्वागत करना चाहिए। लेकिन आपको यह भी जानना चाहिए कि जनसंख्या को नियंत्रित करना राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का पुराना एजेंडा रहा है। जिसे वह मुसलमानों के खिलाफ हथियार के रूप में इस्तेमाल करता रहा है।

संघ का पुराना एजेंडा

नवभारत टाइम्स के मुताबिक, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय कार्यकारिणी मंडल में जनसंख्या नीति का पुनर्निर्धारण कर नीति को सभी पर समान रूप से लागू करने का प्रस्ताव भी पास किया जा चुका है। संघ के प्रस्ताव में कहा गया कि अखिल भारतीय कार्यकारिणी मंडल सभी स्वयंसेवकों सहित देशवासियों का आह्वान करता है कि वे अपना राष्ट्रीय कर्तव्य मानकर, जनसंख्या में असंतुलन उत्पन्न कर रहे सभी कारणों की पहचान करते हुए जनजागरण के जरिए देश को जनसंख्या के असंतुलन से बचाने के सभी कानून सम्मत कोशिश करें।

पिछले साल सितंबर में संघ प्रमुख मोहन भागवत ने तीन दिन की लेक्चर सीरीज के बाद कई सवालों के जवाब दिए। इस दौरान उन्होंने जनसंख्या नियंत्रण से जुड़े सवाल का भी जवाब दिया।

उनसे पूछा गया कि क्या जनंख्या नियंत्रण का कानून आना चाहिए? जिसके जवाब में संघ प्रमुख ने कहा कि जनसंख्या के बारे में जो नीति है उस पर फिर से विचार करना चाहिए कि वह अगले 50 साल के हिसाब से हो। जो भी नीति बनती है उसे सब पर समान रूप से लागू किया जाए किसी को छूट न हो। जहां समस्या है वहां पहले उपाय हो।

जहां बच्चों में पालन करने की क्षमता नहीं है, ज्यादा बच्चे पैदा हो रहे हैं तो पहले वहां लागू हो। कानून के साथ ही सबका मन बनाना पड़ेगा। डेमोग्राफिक असंतुलन मतांतरण की वजह से भी होता है और घुसपैठ की वजह से भी। यह देश की संप्रुभता को चुनौती देता है इसका कड़ाई से बंदोबस्त होना चाहिए।

मुसलमानों की आबादी बढ़ने की दर में हिंदुओं की तुलना में अधिक गिरावट

आपको बता दें कि आरएसएस और भाजपा से जुड़े कई नेता इस मुद्दे को उठाते रहे हैं। कुछ दिनों पहले इस को लेकर बीजेपी सांसद गिरिराज सिंह भी ट्वीट कर चुके हैं। गिरिराज सिंह ने ट्वीट कर कहा था कि जनसंख्या विस्फोट देश में आर्थिक और सामाजिक समरसता और संतुलन बिगड़ रहा है। उन्होंने कहा कि देश में जनसंख्या नियंत्रण को लेकर देश में ऐसा कानून लागू किया जाना चाहिए जिसमें दो से ज्यादा बच्चे पैदा करने वालों का वोटिंग अधिकार छीन लिया जाना चाहिए।

राज्य सभा में बीजेपी सांसद और आरएसएस विचारक राकेश सिन्हा ने 'जनसंख्या विनियमन विधेयक, 2019' प्राइवेट मेम्बर बिल भी पेश किया था। हालांकि इस बिल की आलोचना भी हुई। कुछ लोगों का कहना था कि इससे ग़रीब आबादी पर बुरा प्रभाव पड़ेगा तो कुछ का कहना है कि ये बिल मुसलमान विरोधी है।

दक्षिणपंथी नेताओं द्वारा हमेशा यह भ्रम फैलाया जाता रहा है कि भारत में मुसलमानों की आबादी तेजी से बढ़ रही है और उनके नेताओं द्वारा समय-समय पर हिंदुओं को भी ज्यादा बच्चे पैदा करने की सलाह दी जाती है।

हालांकि 2011 के जनगणना के मुताबिक वास्तविकता यह है कि भारत में पिछले 10 सालों में हिंदुओं और मुसलमानों की आबादी बढ़ने की रफ़्तार में गिरावट आई है। साल 2011 में हुई जनगणना के मुताबिक हिंदुओं की जनसंख्या वृद्धि दर 16.76फीसदी रही जबकि 10 साल पहले हुई जनगणना में ये दर 19.92 फीसदी पाई गई थी।

वहीं, पिछली जनगणना के मुताबिक भारत में मुसलमानों की आबादी 29.5 प्रतिशत की दर से बढ़ रही थी जो अब गिरकर 24.6फीसदी हो गई है।

ये कहा जा सकता है कि भारत में मुसलमानों की दर अब भी हिंदुओं की जनसंख्या वृद्धि दर से अधिक है, लेकिन यह भी सच है कि मुसलमानों की आबादी बढ़ने की दर में हिंदुओं की तुलना में अधिक गिरावट आई है। आंकड़े बताते हैं कि हिंदुओं की वृद्धि दर में 3.16 प्रतिशत की कमी आई तो मुसलमानों की वृद्धि दर में 4.90 प्रतिशत की कमी आई।

सात राज्यों को छोड़कर घट रही प्रजनन दर

अगर आंकड़ों को देखें तो पता चलता है कि देश में प्रजनन दर में लगातार कमी आ रही है।

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया के अन्तर्गत आने वाले सैंपल रजिस्ट्रेशन सिस्टम के साल 2017 के आंकड़ों को देखें तो पता चलता है कि देश में कुल प्रजनन दर 2.2% है, वहीं कुल प्रतिस्थापन दर (रिप्लेसमेंट रेट) 2.1% है।

गौरतलब है कि कुल प्रजनन दर किसी महिला द्वारा पैदा किए गए बच्चों को प्रदर्शित करती है, वहीं रिप्लेसमेंट रेट देश की कुल जनसंख्या को स्थिर रखने के लिए किसी महिला द्वारा पैदा किए गए बच्चों की संख्या को प्रदर्शित करता है।

आंकड़ों के अनुसार, देश के सात राज्यों, जिनमें उत्तर प्रदेश (3.0), बिहार (3.2), मध्य प्रदेश (2.7), राजस्थान (2.6), असम(2.3), छत्तीसगढ़ (2.4) और झारखंड (2.5) को छोड़कर अन्य राज्यों में प्रजनन दर में कमी आयी है। इन राज्यों में प्रजनन दर देश की कुल प्रजनन दर के औसत से ज्यादा है। साल 2011 की जनगणना के अनुसार, इन राज्यों में देश की 45% जनसंख्या निवास करती है।

गुजरात और हरियाणा में कुल प्रजनन दर 2.2 है, जो कि देश की औसत प्रजनन दर के बराबर ही है। वहीं देश के दक्षिणी राज्यों में हालात काफी बेहतर हैं।

बता दें कि केरल (1.7), तमिलनाडु (1.6), कर्नाटक (1.7), महराष्ट्र (1.7), आंध्र प्रदेश (1.6) और तेलंगाना (1.7) में प्रजनन दर औसत से कम है। वहीं पश्चिम बंगाल (1.6), जम्मू कश्मीर (1.6) और ओडिशा (1.9) में भी प्रजनन दर राष्ट्रीय औसत के मुकाबले कम है।

गौरतलब है कि देश की प्रजनन दर में लगातार कमी देखी जा रही है। साल 2017 की रिपोर्ट के अनुसार, साल 1971 से लेकर साल 1981 के बीच देश की प्रजनन दर 5.2 से घटकर 4.5 हो गई थी।

वहीं साल 1991 से लेकर साल 2017 के बीच प्रजनन दर 3.6 से घटकर 2.2 हो गई है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि अनपढ़ महिलाओं में प्रजनन दर 2.9 है, वहीं पढ़ी-लिखी महिलाओं में यह आंकड़ा 2.1 है।

Indian independence day
Narendra modi
population explosion
Red Fort
RSS
Muslim population
BJP-RSS
birth rate

Related Stories

सम्राट पृथ्वीराज: संघ द्वारा इतिहास के साथ खिलवाड़ की एक और कोशिश

तिरछी नज़र: सरकार जी के आठ वर्ष

कटाक्ष: मोदी जी का राज और कश्मीरी पंडित

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है

भारत के निर्यात प्रतिबंध को लेकर चल रही राजनीति

गैर-लोकतांत्रिक शिक्षानीति का बढ़ता विरोध: कर्नाटक के बुद्धिजीवियों ने रास्ता दिखाया

बॉलीवुड को हथियार की तरह इस्तेमाल कर रही है बीजेपी !

PM की इतनी बेअदबी क्यों कर रहे हैं CM? आख़िर कौन है ज़िम्मेदार?

छात्र संसद: "नई शिक्षा नीति आधुनिक युग में एकलव्य बनाने वाला दस्तावेज़"


बाकी खबरें

  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    डिजीपब पत्रकार और फ़ैक्ट चेकर ज़ुबैर के साथ आया, यूपी पुलिस की FIR की निंदा
    04 Jun 2022
    ऑल्ट न्यूज के सह-संस्थापक मोहम्मद ज़ुबैर पर एक ट्वीट के लिए मामला दर्ज किया गया है जिसमें उन्होंने तीन हिंदुत्व नेताओं को नफ़रत फैलाने वाले के रूप में बताया था।
  • india ki baat
    न्यूज़क्लिक टीम
    मोहन भागवत का बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को क्लीनचिट
    03 Jun 2022
    India की बात के इस एपिसोड में वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश, अभिसार शर्मा और भाषा सिंह बात कर रहे हैं मोहन भागवत के बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को मिली क्लीनचिट के बारे में।
  • GDP
    न्यूज़क्लिक टीम
    GDP से आम आदमी के जीवन में क्या नफ़ा-नुक़सान?
    03 Jun 2022
    हर साल GDP के आंकड़े आते हैं लेकिन GDP से आम आदमी के जीवन में क्या नफा-नुकसान हुआ, इसका पता नहीं चलता.
  • Aadhaar Fraud
    न्यूज़क्लिक टीम
    आधार की धोखाधड़ी से नागरिकों को कैसे बचाया जाए?
    03 Jun 2022
    भुगतान धोखाधड़ी में वृद्धि और हाल के सरकारी के पल पल बदलते बयान भारत में आधार प्रणाली के काम करने या न करने की खामियों को उजागर कर रहे हैं। न्यूज़क्लिक केके इस विशेष कार्यक्रम के दूसरे भाग में,…
  • कैथरिन डेविसन
    गर्म लहर से भारत में जच्चा-बच्चा की सेहत पर खतरा
    03 Jun 2022
    बढ़ते तापमान के चलते समय से पहले किसी बेबी का जन्म हो सकता है या वह मरा हुआ पैदा हो सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि गर्भावस्था के दौरान कड़ी गर्मी से होने वाले जोखिम के बारे में लोगों की जागरूकता…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License