NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
जयपुर में पिछले 73 दिनों से नेशनल हैंडलूम के कर्मचारी क्यों कर रहे हैं हड़ताल ?
कर्मचारियों से 365 दिन काम कराया जा रहा है उन्हें न तो साप्ताहिक अवकाश मिलता है और न ही त्योहारों पर कोई छुट्टी दी जाती है ,साथ ही उन्हें 12 से 13 घंटे काम कराया जाता है जो श्रम कानूनों का उल्लंघन है I
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
25 Jun 2018
national handloom

राजस्थान की राजधानी जयपुर में पिछले 73 दिनों से नेशनल हैंडलूम कॉर्पोरेशन के 145 कर्मचारी CITU (Center Of Indian Trade Unions ) के झंडे तले धरने पर बैठे हुए हैं। ये धरना प्रदर्शन नेशनल हैंडलूम कॉर्पोरेशन के प्रशासन द्वारा लगातार मज़दूर विरोधी नीतियों को लागू किये जाने के विरोध में है। कर्मचारियों का ये आरोप है कि उनसे 365 दिन काम कराया जा रहा है उन्हें न तो साप्ताहिक अवकाश मिलता है और न  ही त्योहारों पर कोई छुट्टी दी जाती है । इसके साथ ही उनका कहना है कि उनसे दिन में 12 -13 घंटे काम कराया जाता है और मुश्किल से 5 से 6 हज़ार रुपये वेतन दिया जाता है। साथ ही प्रोविडेंट फण्ड (पीएफ ) और ESI के पैसे तो वेतन से कट रहे हैं लेकिन उनके खाते नहीं बनाये रखे जा रहे हैं , उनका ये भी कहना है कि उन्हें ESI कार्ड का कोई लाभ नहीं मिल रहा है।  

इसी शोषण से परेशान होकर नेशनल हैंडलूम के कर्मचारियों ने 14 अप्रैल को वैशाली नगर की ब्रांच के सामने धरना देना शुरू किया। नेशनल हैंडलूम  की एक कपड़ों और हस्तशिल्प का व्यापार करती है और इसकी दुकानें गुजरात और राजस्थान के कई शहरों में मौजूद हैं। न्यूज़क्लिक से बात करते हुए CITU राजस्थान सचिव भंवर सिंह ने बताया कि कुल मिलाकर इन दुकानों में 3500 तक कर्मचारी काम करते हैं और हर जगह हैंडलूम प्रशासन श्रम कानूनों को ताक पर रखकर काम कराता है। जयपुर में नेशनल हैंडलूम की 3 दुकानें हैं एक जौहरी बाज़ार में , एक वैशाली नगर में और तीसरी विद्याधर नगर में। तीनों को मिलकार यहाँ 215 कर्मचारी काम करते हैं जिनमें से 145 कर्मचारी हड़ताल पर वैशाली नगर की दूकान के सामने  बैठे हुए हैं। 

36230909_935100339994980_6152530837519728640_n.jpg

कर्मचारियों का ये भी आरोप है कि प्रशासन के साथ पिछले साल इन सभी मुद्दों को लेकर एक समझौता हुआ था, लेकिन उसमें से काफी चीज़ों को अब तक  लागू नहीं किया गया। इस समझौते में PF, ESI , काम के घंटे को कम कराने ,साप्ताहिक अवकाश देने और बाकि मुद्दों के आलावा ग्रेचुटी फॉर्म  देने और वेतन पर्ची देने की माँग भी की गयी थी।

36003190_935100316661649_2366563852390236160_n.jpg

भंवर सिंह का कहना है कि जयपुर में नेशनल हैंडलूम कर्मचारियों के द्वारा CITU के नेतृत्व में 2015 में यूनियन बनायीं थी। उन्होंने बताया कि "यूनियन बनने के बाद से ही प्रशासन लगातार इसे तोड़ने का प्रयास कर रहा है। मार्च में प्रशासन ने यूनियन अध्यक्ष पर ये आरोप लगाया था कि उन्होंने दुकान में हुई चोरी को नहीं रोका और इस आरोप पर मुक़दमा दर्ज़ कर दिया गया। ताजुब्ब की बात ये है कि जिस महिला पर चोरी का आरोप लगाया गया था उसे तो पुलिस ने छोड़ दिया था ,लेकिन अध्यक्ष को जेल में रखा गया था। हमने इसके खिलाफ माणिक चौक थाने का घेराव किया तब जाकर उन्हें छोड़ा गया। ये पुलिस और हैंडलूम प्रशासन की मिली भगत है। दरअसल यूनियन बनने के बाद से मज़दूरों का शोषण इतना आसान नहीं रहा है। अब प्रशासन को कर्मचारियों को उनके कुछ हक़ देने पड़ते हैं ,यही वजह है कि प्रशासन यूनियन को ख़त्म करना चाहता है । लेकिन जब तक हमारी माँगे पूरी नहीं की जाती तब तक ये हड़ताल जारी रहेगी।  "

गौरतलब है कि राजस्थान में श्रम कानूनों की हालत वैसे भी बहुत ही ज़्यादा ख़राब है। इसका एक उदहारण ये है कि राजस्थान में मासिक न्यूनतम वेतन सिर्फ 6 हज़ार रुपये है। वसुंधरा राजे सरकार ने सत्ता में आने के बाद कानूनों में बदलाव करके इन्हे बद से बदतर बना दिया है। Industrial Disputes Act, Factories Act, Contract Labor act में सभी में एक एक कर बदलाव किये गए हैं। Industrial Disputes Act में ये बदलाव किया कि जहाँ पहले 100 लोगों को फैक्ट्री को बिना इजाज़त बंद किया जा सकता तो अब उससे कई बड़ी यानि 300 मज़दूरों की फैक्ट्री को बंद किया जा सकता है।  इससे मज़दूरों  को कभी भी निकला  जा सकता है, और उनका भविष्य  हमेशा खतरे में रहेगा। इसके आलावा अब किसी फैक्ट्री में 30 % लोगों को यूनियन का सदस्य  होना होगा तभी यूनियन बनायी जा सकती है , पहले फैक्ट्री में यूनियन बनाने के लिए के 15 % लोगों की ज़रुरत होती थी। इसके साथ ही factory act में बदलाव करके अब ये नियम बना दिया गया है कि बिना बिजली के काम करने वाली फैक्टरियाँ में अब 40 लोगों को रखा जा सकता था , पहले ये आँकड़ा 20 था। इसके आलावा बिजली से काम करने वाली फैक्ट्रियों में अब 10 के बजाये 20 मज़दूरों को रखा जा सकता है। इसका अर्थ ये है कि पहले जो फैक्ट्रियां Factories Act और  Contract Labor act  के दायरे  में आती थी, उन्हें अब बाहर कर दिया गया है। इससे हुआ  ये कि इन कानूनों से मज़दूरों को मिलने वाली सुरक्षा को ख़त्म कर दिया गया है साथ ही ठेकाकरण को बढ़ावा दिया गया है।   

jaipur
Rajasthan
natonal handloom
CITU
Labour Laws

Related Stories

भारत में धार्मिक असहिष्णुता और पूजा-स्थलों पर हमले को लेकर अमेरिकी रिपोर्ट में फिर उठे सवाल

मुंडका अग्निकांड: 'दोषी मालिक, अधिकारियों को सजा दो'

मुंडका अग्निकांड: ट्रेड यूनियनों का दिल्ली में प्रदर्शन, CM केजरीवाल से की मुआवज़ा बढ़ाने की मांग

झारखंड-बिहार : महंगाई के ख़िलाफ़ सभी वाम दलों ने शुरू किया अभियान

15 राज्यों की 57 सीटों पर राज्यसभा चुनाव; कैसे चुने जाते हैं सांसद, यहां समझिए...

आशा कार्यकर्ताओं को मिला 'ग्लोबल हेल्थ लीडर्स अवार्ड’  लेकिन उचित वेतन कब मिलेगा?

मुंडका अग्निकांड: सरकारी लापरवाही का आरोप लगाते हुए ट्रेड यूनियनों ने डिप्टी सीएम सिसोदिया के इस्तीफे की मांग उठाई

मुंडका अग्निकांड: लापता लोगों के परिजन अनिश्चतता से व्याकुल, अपनों की तलाश में भटक रहे हैं दर-बदर

इतिहास कहता है- ‘’चिंतन शिविर’’ भी नहीं बदल सका कांग्रेस की किस्मत

कांग्रेस चिंता शिविर में सोनिया गांधी ने कहा : गांधीजी के हत्यारों का महिमामंडन हो रहा है!


बाकी खबरें

  • hafte ki baat
    न्यूज़क्लिक टीम
    मोदी सरकार के 8 साल: सत्ता के अच्छे दिन, लोगोें के बुरे दिन!
    29 May 2022
    देश के सत्ताधारी अपने शासन के आठ सालो को 'गौरवशाली 8 साल' बताकर उत्सव कर रहे हैं. पर आम लोग हर मोर्चे पर बेहाल हैं. हर हलके में तबाही का आलम है. #HafteKiBaat के नये एपिसोड में वरिष्ठ पत्रकार…
  • Kejriwal
    अनिल जैन
    ख़बरों के आगे-पीछे: MCD के बाद क्या ख़त्म हो सकती है दिल्ली विधानसभा?
    29 May 2022
    हर हफ़्ते की तरह इस बार भी सप्ताह की महत्वपूर्ण ख़बरों को लेकर हाज़िर हैं लेखक अनिल जैन…
  • राजेंद्र शर्मा
    कटाक्ष:  …गोडसे जी का नंबर कब आएगा!
    29 May 2022
    गोडसे जी के साथ न्याय नहीं हुआ। हम पूछते हैं, अब भी नहीं तो कब। गोडसे जी के अच्छे दिन कब आएंगे! गोडसे जी का नंबर कब आएगा!
  • Raja Ram Mohan Roy
    न्यूज़क्लिक टीम
    क्या राजा राममोहन राय की सीख आज के ध्रुवीकरण की काट है ?
    29 May 2022
    इस साल राजा राममोहन रॉय की 250वी वर्षगांठ है। राजा राम मोहन राय ने ही देश में अंतर धर्म सौहार्द और शान्ति की नींव रखी थी जिसे आज बर्बाद किया जा रहा है। क्या अब वक्त आ गया है उनकी दी हुई सीख को अमल…
  • अरविंद दास
    ओटीटी से जगी थी आशा, लेकिन यह छोटे फिल्मकारों की उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा: गिरीश कसारावल्ली
    29 May 2022
    प्रख्यात निर्देशक का कहना है कि फिल्मी अवसंरचना, जिसमें प्राथमिक तौर पर थिएटर और वितरण तंत्र शामिल है, वह मुख्यधारा से हटकर बनने वाली समानांतर फिल्मों या गैर फिल्मों की जरूरतों के लिए मुफ़ीद नहीं है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License