NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
झारखण्ड: भूख से एक और मौत!
झारखंड में पिछले 10 महींनो में 12 लोगों को अपनी जान भूख के कारण गँवानी पड़ी है।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
28 Jul 2018
starvation death jharkhand

झारखंड में भुखमरी के कारण एक और मौत का मामला सामने आया है। झारखंड के रामगढ़ ज़िले के मांडू प्रखंड में 40 वर्षिय आदिवासी राजेंद्र बिरहोर नामक व्यक्ति की मौत भूख के कारण हो गई।

समाचार एजेंसी ‘भाषा’ से बात करते हुए मृत व्यक्ति की पत्नि शांति देवी ने बताया कि तमाम कोशिशों के बावजूद उनके परिवार का राशन कार्ड नहीं बन पाया। वो आगे बताती है  कि उनके पति को पीलिया था और उसके पास इतने पैसे नहीं थे कि वो डॉकटरों द्वारा बतायी गयी खाने की चीज़ें और दवाईयाँ खरीद सकें। राशन कार्ड न होने की वजह से परिवार सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत सबसिडी वाला अनाज भी प्राप्त नहीं मिल पाया।

छह: बच्चों के पिता राजेंद्र बिरोहर परिवार में एकमात्र कमाने वाले सदस्य थे। उन्हें हाल ही में बीमार होने के कारण स्थानीय राजेंद्र  इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस में भर्ती करवाया गया था और इलाज के बाद उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई।

पत्नी के अनुसार उसके पति राजेंद्र के पास आधार कार्ड था उसके बावजूद राशन कार्ड नहीं बन पाया। राजेंद्र के नाम पर एक एकड़ 80 डिसमिल सरकारी जमीन मिली थी लेकिन वह परती (खाली पड़ी) है। इसके अलावा उसकी पत्नी इधर-उधर से भीख मांग बच्चों को खिलाती थी। मगर पति की बीमारी पड़ने के बाद वह भीख मांगने भी नहीं जा पाती थी, घर में अनाज बिल्कुल खत्म हो गया था।

इतना सब हो जाने के बावजूद स्थानीय प्रशासन और झारखंड की भाजपा सरकार इसे भूख से हुई मौत मानने को राज़ी नहीं है। स्थानीय खंड विकास अधिकारी (बी.डी.ओ) मनोज कुमार गुप्ता ने मौत की वजह भूख मानने से साफ इनकार कर दिया है। उन्होंने मृतक़ राजेंद्र के घर का दौरा कर दावा किया कि मौत बीमारी के कारण हुई हैI

हाँलाकि बी.डी.ओ ने यह स्वीकार किया है कि परिवार के पास राशन कार्ड नहीं था। खानापूर्ति करते हुए उन्होंने परिवार को अनाज और 10,000 रूपये दिए है। साथ ही आश्वासन दिया कि इस बात की जाँच की जाएगी कि क्यों परिवार का नाम राशन पाने वालों की सूची में नहीं था।

गौरतलब है कि जहाँ कुपोषित बच्चों का राष्ट्रीय औसत 35.7 फीसदी है, वहीं झारखंड में यह औसत 45.3 फीसद है। वहीं राज्य की शीशू मृत्यू दर 29 है (प्रत्येक 1000 पर)। यह आकड़े दर्शाते हैं कि झारखंड मे कुपोषण की स्थिति कितनी भयावह है।

झारखंड में भूख से मौत का यह कोई पहला मामला नहीं है। राइट टू फूड कैम्पेन नामक संस्थान द्वारा पिछले महिने जारी कि गई रिपोर्ट के अनुसार झारखंड में पिछले 10 महींनो में 12 लोगों को अपनी जान भूख के कारण गँवानी पड़ी है। इन पूरे मामलों पर उचित कार्यवाही करने की बजाए सरकार यह साबित करने में  जुट जाती है कि यह मौत भूख कि वजह से नहीं हुई है।

इससे पहले बीते जून महीनें में भी इसी तरह की घटना सामने आई थी। झारखंड के गिरिडीह जिले के मधुबन थाना क्षेत्र के मगरगढ़ी गांव की रहने वाली सावित्री देवी की मौत हो गई थी। परिजनों के मुताबिक, सावित्री की मौत भूख के कारण हुई थी। उनका कहना था कि सावित्री देवी को तीन दिनों तक खाना नहीं मिला, जिस वजह से मौत हो गई।

सावित्री के परिजनों ने आरोप लगाया था कि प्रशासनिक लापरवाही की वजह से सावित्री का राशन कार्ड नहीं बन पाया। सावित्री इस संबंध में सभी जरूरी कागजात दो महीने पहले ही विभाग को सौंप चुकी थी। 65 वर्षीय सावित्री देवी के दो बेटे हैं जो काम के सिलसिले में बाहर रहते थे। उनकी कमाई इतनी नहीं है कि वे घर पर पैसा भेज सकें। सावित्री देवी को वृद्धावस्था पेंशन भी नहीं मिलती थी।

भूख से मौत का ऐसा ही एक स्तबध कर देने वाला मामला अक्टूबर 2017 में झारखंड के सिम्डेगा से सामने आया था। जब 11 साल की संतोषी कि 4 दिनों से भूखे रहने के कारण मौत हो गई थी। संतोषी की माँ के मुताबिक जिस समय बेटी की मौत हुई तो उसकी ज़ुबां पर भात (उबले हुए चावल) शब्द था। लड़की की माँ को जब राशन लेने के लिए गई तो उसे यह कह कर वापस भेज दिया गया कि उसका राशन कार्ड आधार से लिंक नही है।

इस मामले में भी उचित कदम उठाने के बजाए शर्मसार करने वाली बात यह है कि साशन प्रशासन यह बताने में लग गया कि मौत भूख के ना होकर बीमारी के कारण हुई है।

सार्वजनिक वितरण प्रणाली, खाद्य सुरक्षा कानून जैसी तमाम योजना होने के बावजूद अगर किसी नागरिक की मौत भूख के कारण होती है तो यह पूरी व्यवस्था की नाकामी है। विश्व की छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होने के बावजूद अगर देश के किसी कोने में कोई भूख के कारण मरता है तो यह देश के विकास पर प्रश्न चिह्न लगाता है।

Jharkhand starvation death
Starvation Deaths
Hunger Crisis
PDS system

Related Stories

मनरेगा: ग्रामीण विकास मंत्रालय की उदासीनता का दंश झेलते मज़दूर, रुकी 4060 करोड़ की मज़दूरी

खाद्य मुद्रास्फीति संकट को और बढ़ाएगा रूस-यूक्रेन युद्ध

महंगाई मार गई...: चावल, आटा, दाल, सरसों के तेल से लेकर सर्फ़ साबुन सब महंगा

जनादेश-2022: रोटी बनाम स्वाधीनता या रोटी और स्वाधीनता

विकास की वास्तविकता दर्शाते बहुआयामी गरीबी सर्वेक्षण के आँकड़े

यूपी: आख़िर ''ग़रीबी' बड़ा चुनावी मुद्दा क्यों नहीं है? 

बिहार में सबसे ज़्यादा ग़रीबः नीति आयोग

बढ़ती थोक महंगाई दर और बदहाल होती भारत की अर्थव्यवस्था 

चिंता: ग्लोबल हंगर इंडेक्स को लेकर भी असहिष्णु सरकार

भारत में भूख की अंतहीन छाया


बाकी खबरें

  • covid
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में आज फिर कोरोना के मामलों में क़रीब 27 फीसदी की बढ़ोतरी
    25 May 2022
    देश में पिछले 24 घंटों में कोरोना के 2,124 नए मामले सामने आए हैं। वहीं देश की राजधानी दिल्ली में एक दिन के भीतर कोरोना के मामले में 56 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।
  • weat
    नंटू बनर्जी
    भारत में गेहूं की बढ़ती क़ीमतों से किसे फ़ायदा?
    25 May 2022
    अनुभव को देखते हुए, केंद्र का निर्यात प्रतिबंध अस्थायी हो सकता है। हाल के महीनों में भारत से निर्यात रिकॉर्ड तोड़ रहा है।
  • bulldozer
    ब्रह्म प्रकाश
    हिंदुत्व सपाट है और बुलडोज़र इसका प्रतीक है
    25 May 2022
    लेखक एक बुलडोज़र के प्रतीक में अर्थों की तलाश इसलिए करते हैं, क्योंकि ये बुलडोज़र अपने रास्ते में पड़ने वाले सभी चीज़ों को ध्वस्त करने के लिए भारत की सड़कों पर उतारे जा रहे हैं।
  • rp
    अजय कुमार
    कोरोना में जब दुनिया दर्द से कराह रही थी, तब अरबपतियों ने जमकर कमाई की
    25 May 2022
    वर्ल्ड इकॉनोमिक फोरम की वार्षिक बैठक में ऑक्सफैम इंटरनेशनल ने " प्रोफिटिंग फ्रॉम पेन" नाम से रिपोर्ट पेश की। इस रिपोर्ट में उन ब्यौरे का जिक्र है कि जहां कोरोना महामारी के दौरान लोग दर्द से कराह रहे…
  • प्रभात पटनायक
    एक ‘अंतर्राष्ट्रीय’ मध्यवर्ग के उदय की प्रवृत्ति
    25 May 2022
    एक खास क्षेत्र जिसमें ‘मध्य वर्ग’ और मेहनतकशों के बीच की खाई को अभिव्यक्ति मिली है, वह है तीसरी दुनिया के देशों में मीडिया का रुख। बेशक, बड़े पूंजीपतियों के स्वामित्व में तथा उनके द्वारा नियंत्रित…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License