NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
झारखण्ड रिपोर्ट: सूखे से पीड़ित किसान किससे करें फ़रियाद?
राज्य विधान सभा के मानसून सत्र से किसानों की आशा थी कि उनके माननीय विधायकगण सुखाड़-संकट से निजात दिलाने के लिए कुछ करेंगेI लेकिन पूरे सत्र में सुखाड़ पर कोई चर्चा नहीं हुईI
अनिल अंशुमन
01 Nov 2018
jharkhand farmers crisis

“काश ये चुनाव का समय होता तो हम किसानों का हाल ज़रूर मुद्दा बनता”…ये दर्द है एक पढ़े–लिखे युवा आदिवासी छोटे किसान सानिका मुंडा काI वे गरीबी के कारण आगे की पढाई छोड़कर जीवन-यापन के लिए गाँव में खेती-बाड़ी कर रहे हैंI इन्होंने राज्य में कम बारिश से उत्पन्न सुखाड़ (सूखे) की मार झेल रहे सभी किसानों की दुर्दशा का हाल सोशल साईट में डालकर सबका ध्यान दिलाना चाहाI क्योंकि इस बार मॉनसून के कमज़ोर रहने के कारण पूरे प्रदेश में औसत से काफी कम बारिश ने भयावह सुखाड़ की स्थिति पैदा कर दी हैI हर जगह खेतों में दरार आ पड़ गयी हैं और धान की खड़ी फसलें सूख रहीं हैI इस भयानक स्थिति में भी सरकार की ओर से किसानों की सुध लेने वाला कोई नहींI खासकर गरीब और छोटे किसानों के मन में तो सबसे बड़ा ये भय समाया हुआ है कि जब घर का बचा अनाज भी ख़त्म हो जाएगा तब क्या होगाI पहले तो ऐसी नौबत आने पर बाहर कमाई करने भी लोग चले जाते थे, लेकिन अब तो वह भी संभव नहीं रह गया हैI क्योंकि पिछले दिनों गुजरात–महाराष्ट्र इत्यादी राज्यों से उत्तर भारतीयों को भगाने की घटनाओं ने यहाँ के लोगों को काफी डरा रखा हैI सुखाड़ से जानवरों को चारा नहीं मिलने से उनके जीवन पर भी संकट खड़ा हो गया हैI

झारखण्ड एक कृषि प्रधान प्रदेश है और यहाँ के अधिकांश किसान सिंचाई के लिए पूर्णत: मॉनसून पर ही निर्भर हैंI मौसम विशेषज्ञों के अनुसार हर साल राज्य में जून से लेकर अक्टूबर तक मॉनसून रहता हैI इस बार मॉनसून सीज़न की शुरुआत में ही बारिश ने दगा दे दिया और साथ ही सीज़न का अंत तो और भी बुरा रहाI सूत्रों के अनुसार इस बार पूरे राज्य में 35% से भी कम धान की खेती हो सकी हैI जिसमें चतरा, गढ़वा, खूंटी एवं कोडरमा इत्यादि जिलों में तो 26% से भी कम खेती हो सकी हैI कृषि विभाग ने 17.70 लाख हेक्टेयर भूमि में रोपनी का लक्ष्य घोषित किया था जो 1.51 लाख में ही सिमट कर रह जाने का अंदेशा हैI राज्य के पठारी क्षेत्रों में सिंचाई का सवाल हमेशा से चुनौतीपूर्ण रहा हैI जहाँ सरकार द्वारा कृषि को सर्वोच्च प्राथमिकता देने की घोषणा की ज़मीनी हकीक़त ये है कि आज भी महज 19% ज़मीनों के लिए ही सिंचाई उपलब्ध हैI

मॉनसून की बेरुखी का असर अगस्त माह से ही दिखने लगा थाI जिसके अध्ययन के लिए पिछले 27 अगस्त को केन्द्रीय सूखा राहत दल की टीम भी राज्य में आई थीI जिसकी सिफ़ारिश पर राज्य सरकार ने पहले 16 जिलों को सूखाग्रस्त घोषित किया था लेकिन किसानों व कई जन संगठनों के हंगामे के बाद अन्य 24 ज़िलों को इसमें शामिल कर केंद्र से 2,507 करोड़ रूपये की माँग कीI सरकार की कागज़ी कार्यवाहियों में हर ब्लॉक में ‘सूखा राहत नियंत्रण कक्ष’ बना दिए गए हैंI लेकिन ज़मीनी हकीक़त यही है कि आज भी किसान सरकार की ओर मदद के लिए टकटकी लगाए हुए हैंI उनकी सारी उम्मीदें प्रधान मंत्री की फसल बीमा योजना से क्षतिपूर्ति पर टिकी हुई हैI वहीं कृषि विभाग के अधिकारी किसानों की त्रासद स्थितियों से बेखबर होकर फसलों की कटाई के बाद नुकसान के आकलन के आधार पर भरपाई की बात कह रहे हैंI राज्य विधान सभा के मानसून सत्र से किसानों की आशा थी कि उनके माननीय विधायकगण सुखाड़-संकट से निजात दिलाने के लिए कुछ करेंगे और भारी चिंता में डूबे किसानों को उबारेंगेI लेकिन पूरे सत्र में न तो सुखाड़ पर कोई चर्चा हुई और न ही कृषि व किसानों के खाद्यान्न उपलब्धता को लेकर कोई बहस हो सकीI

15 नवम्बर को इस राज्य के गठन के 18 वर्ष पूरे हो जायेंगेI लेकिन विडंबना है कि आज तक राज्य में सुखाड़ व अकाल की विभीषिका से निपटने के लिए न तो कोई ठोस ज़मीनी योजना बनायी गयी है और न ही जल संचयन के लिए कोई कारगर उपाय किया गए हैंI दिखावे के लिए पिछले वर्ष आनन्-फानन में 4 लाख डोभा (छोटे तालाब) बनाने का दावा कर प्रधान मंत्री से इस कागज़ी कार्यवाही के लिए मुख्यमंत्री जी पीठ ठुकवा चुके हैंI सवाल है कि क्या वास्तव में सरकार कृषि को लेकर चिंतित है! जवाब में वर्तमान समय में सरकार द्वारा उठाये जा रहे कदम ही बता सकते हैं कि उसकी चिंता के केंद्र में क्या हैI चंद माह पूर्व ही माननीय मुख्यमंत्री जी की अगुवाई में अमेरिका से लेकर देश की राजधानी दिल्ली समेत कई बड़े शहरों में ‘रोड शो’ व कई भव्य आयोजन कर बड़ी–बड़ी कंपनियों को राज्य में मनमाना उद्योग लगाने का खुला आमंत्रण दिया गयाI सरकार की सुरक्षा में बिना शर्त सस्ते दर पर ज़मीन और मज़दूर उपलब्ध करवाने की गारंटी भी दी गयीI इतना ही नहीं अंधाधुंध खनन और प्राकृतिक संसाधनों का दोहन करने वाले उद्योग लगाने के लिए ही सरकार कैबिनेट के फैसले से “भूमि अधिग्रहण बिल” भी ला चुकी हैI जिसके बल पर इन दिनों गोड्डा समेत कई आदिवासी बाहुल्य व जंगल क्षेत्रों में आदिवासियों व किसानों को पुलिसिया संगीनों  के साए में उनकी ज़मीनें ली जा रहीं हैंI इन स्थितियों के आधार पर क्या इतना समझना काफी नहीं है कि इस समय सरकार की प्राथमिकता में कृषि और किसान हैं या कुछ और? तभी किसानों की इहलोक दुर्दशा से निर्विकार होकर मख्यमंत्री जी राज्य के लोगों को ‘धरम–करम’ कर पुण्य प्राप्ति के लिए खुद स्टेशन जाकर पूरी और कोणार्क यात्रा पर भेजने के बाद अब लोगों को कुम्भ मेले में भेजने की तैयारियों में पूरे मनोयोग से जुटे हुए हैंI

Farmers crisis
Jharkhand
agricultural crisis
farmers
Jharkhand government
BJP
BJP government

Related Stories

भाजपा के इस्लामोफ़ोबिया ने भारत को कहां पहुंचा दिया?

कश्मीर में हिंसा का दौर: कुछ ज़रूरी सवाल

सम्राट पृथ्वीराज: संघ द्वारा इतिहास के साथ खिलवाड़ की एक और कोशिश

हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है

मोहन भागवत का बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को क्लीनचिट

मंडल राजनीति का तीसरा अवतार जाति आधारित गणना, कमंडल की राजनीति पर लग सकती है लगाम 

बॉलीवुड को हथियार की तरह इस्तेमाल कर रही है बीजेपी !

गुजरात: भाजपा के हुए हार्दिक पटेल… पाटीदार किसके होंगे?


बाकी खबरें

  • विकास भदौरिया
    एक्सप्लेनर: क्या है संविधान का अनुच्छेद 142, उसके दायरे और सीमाएं, जिसके तहत पेरारिवलन रिहा हुआ
    20 May 2022
    “प्राकृतिक न्याय सभी कानून से ऊपर है, और सर्वोच्च न्यायालय भी कानून से ऊपर रहना चाहिये ताकि उसे कोई भी आदेश पारित करने का पूरा अधिकार हो जिसे वह न्यायसंगत मानता है।”
  • रवि शंकर दुबे
    27 महीने बाद जेल से बाहर आए आज़म खान अब किसके साथ?
    20 May 2022
    सपा के वरिष्ठ नेता आज़म खान अंतरिम ज़मानत मिलने पर जेल से रिहा हो गए हैं। अब देखना होगा कि उनकी राजनीतिक पारी किस ओर बढ़ती है।
  • डी डब्ल्यू स्टाफ़
    क्या श्रीलंका जैसे आर्थिक संकट की तरफ़ बढ़ रहा है बांग्लादेश?
    20 May 2022
    श्रीलंका की तरह बांग्लादेश ने भी बेहद ख़र्चीली योजनाओं को पूरा करने के लिए बड़े स्तर पर विदेशी क़र्ज़ लिए हैं, जिनसे मुनाफ़ा ना के बराबर है। विशेषज्ञों का कहना है कि श्रीलंका में जारी आर्थिक उथल-पुथल…
  • आज का कार्टून
    कार्टून क्लिक: पर उपदेस कुसल बहुतेरे...
    20 May 2022
    आज देश के सामने सबसे बड़ी समस्याएं महंगाई और बेरोज़गारी है। और सत्तारूढ़ दल भाजपा और उसके पितृ संगठन आरएसएस पर सबसे ज़्यादा गैर ज़रूरी और सांप्रदायिक मुद्दों को हवा देने का आरोप है, लेकिन…
  • राज वाल्मीकि
    मुद्दा: आख़िर कब तक मरते रहेंगे सीवरों में हम सफ़ाई कर्मचारी?
    20 May 2022
    अभी 11 से 17 मई 2022 तक का सफ़ाई कर्मचारी आंदोलन का “हमें मारना बंद करो” #StopKillingUs का दिल्ली कैंपेन संपन्न हुआ। अब ये कैंपेन 18 मई से उत्तराखंड में शुरू हो गया है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License