NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
झारखंड : कोयला का काला कारोबार; सभी हैं हिस्सेदार
न्याय की आशा के लिहाज से हाईकोर्ट के नए निर्देश थोड़ा सुकून देनेवाले हो सकते हैं लेकिन झारखंड जैसे कोयला बाहुल्य क्षेत्र वाले प्रदेश में कौन नहीं जानता है कि यहाँ बरसों बरस से जारी कोयले के काले व्यापार का विस्तार कितना अपार और अपरंपार है।
अनिल अंशुमन
21 Jan 2019
सांकेतिक तस्वीर
सांकेतिक तस्वीर। साभार : प्रभात खबर

झारखंड हाईकोर्ट ने 18 जनवरी को राज्य की कोयला परियोजनाओं में धड़ल्ले से हो रहे अवैध कारोबार को रोकने की दिशा में झारखंड सरकार को उच्च स्तरीय समिति बनाने का निर्देश दिया है। हाईकोर्ट का यह निर्देश उस याचिका की सुनवाई के बाद दिया गया है जिसमें याचिकाकर्ता ने पलामू प्रमंडल स्थित चतरा ज़िले की कोयला परियोजनाओं में सीसीएल के अधिकारियों, पुलिस–प्रशासन और तथाकथित नक्सलियों के गठजोड़ से हो रहे कोयले के अवैध कारोबार की जांच कर रोक लगाने की मांग की है।

मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ की ओर से सरकार को दिये गए निर्देशनुसार इस उच्च स्तरीय कमेटी को उस इलाके में जारी कोयले के अवैध कारोबार और इस पर दर्ज़ मामलों की सही जांच के लिए इनपर दायर मुकदमों पर नज़र रखनी होगी, ताकि सभी प्रक्रियाएँ समय पर हो सकें। इस मामले में चतरा एसपी की रिपोर्ट के बाद लगभग दर्जन भर लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज़ किया जा चुका है।

न्याय की आशा करने के लिहाज से हाईकोर्ट का यह निर्देश थोड़ा सुकून देनेवाला हो सकता है। लेकिन झारखंड जैसे कोयला बाहुल्य क्षेत्र वाले प्रदेश में कौन नहीं जानता है कि यहाँ बरसों बरस से जारी कोयले के काले व्यापार का विस्तार कितना अपार और अपरंपार है। माननीय हाईकोर्ट ने तो चतरा जैसे छोटे ज़िले के कोयला इलाके में जारी अवैध कारोबार को रोकने के लिए सरकार को कमेटी बनाने का निर्देश जारी किया है। लेकिन इससे ज़्यादा बड़े इलाकों में तो इससे भी बड़े पैमाने पर और ऊपर से नीचे तक संस्थाबद्ध ये कारोबार बड़े मजे से फल–फूल रहा है। चतरा ज़िले में हर दिन होने वाले करोड़ों के अवैध कोयला व्यापार में टीपीसी जैसे जिन नक्सलियों के शामिल होने की बात सामने आ रही है दरअसल वे सभी आपराधिक उग्रवादी गिरोह हैं। जिनका माओवाद–नक्सलवाद या किसी वाम विचारधारा से दूर–दूर का भी रिश्ता नहीं है। इस सच को राज्य का शासन – प्रशासन सुविचारित राजनीतिक योजना के तहत कभी सामने आने ही नहीं देना चाहता है। क्योंकि इससे राज्य में ‘माओवाद उन्मूलन’ के नाम पर होने वाला सारा खेल ही चौपट हो जाएगा। आज इस प्रदेश में माओवाद धारा को छोड़कर शेष जितने भी तथाकथित नक्सली दस्ते सक्रिय और प्रभावी हैं उनके निर्माण व संचालन में, सत्ता व राज्य पुलिस–प्रशासन तंत्र की मुख्य भूमिका रही है। 2003 में ही भाकपा माले के विधायक महेंद्र सिंह ने राज्य विधानसभा में इस मामले पर तत्कालीन भाजपा गठबंधन सरकार को घेरा था तो सरकार कोई ठोस जवाब नहीं दे पायी थी। जिसका ताज़ा उदाहरण चतरा से सटे लातेहार ज़िले के ‘बकोरिया फर्जी मुठभेड़ कांड’ के मामले में देखा जा सकता है। जिसमें राज्य पुलिस पर जेजेएमपी नामक तथाकथित उग्रवादी गिरोह के इस्तेमाल का सीधा आरोप लगा है।

कोयले के अवैध कारोबार के खेल पर रोक लगाने का जिम्मा हाईकोर्ट द्वारा राज्य सत्ता–राजनीति को दिया जाना सही तो है लेकिन उसकी जमीनी हक़ीक़त में – बिल्ली को दूध की रखवाली का जिम्मा देना– जैसा ही है। तात्पर्य यह है कि न्यायपालिका कोयले के जिस अपार काले कारोबार पर रोक लगाने का जिम्मा विधायिका और कार्यपालिका को दे रही है, उस खेल का जन्म और संचालन इन्हीं के द्वारा हुआ और पूरी मजबूती से चल रहा है। झारखंड हाईकोर्ट जो चतरा जिले की चंद कोयला परियोजनाओं में हो रहे अवैध कारोबार पर सख्त हुआ है – तालाब की छोटी छोटी मछलियों को पकड़ने जैसा ही है। बड़ी मछलियों का सारा खेल तो शीर्ष (केंद्र) से खेला और संचालित किया जाता है। पिछले दिनों का चर्चित ‘कोल ब्लॉक घोटाला’ इसी खेल की एक छोटी बानगी है जो किसी तरह खुलकर सामने आ गया। जिसमें देश के पूर्व कोयला सचिव से लेकर झारखंड प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री तक को सुप्रीम कोर्ट ने जेल और जुर्माने की सज़ा दी है। वहीं इस महाखेल में शामिल कुछ बड़ी व निजी कंपनियाँ द्वारा फर्जी कोयला व्यापार से शेयर बाज़ार में अरबों रुपये कमाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सज़ा सुनाई है। लेकिन क्या इससे यह महाखेल बंद हो गया अथवा काबू कर लिया गया?  बिल्कुल नहीं, वह बड़े आराम से दिन दूनी रात चौगुनी तरक़्क़ी करता जा रहा है और आगे भी जारी रहेगा। क्योंकि देश की शीर्ष सत्ता की राजनीति व अर्थनीति के संचालक इसके निर्माता–निर्देशक बने हुए हैं। जो इन दिनों वर्तमान सरकार के सहयोग और पूर्ण संरक्षण से देश से बाहर ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों तक में कोयला कारोबार का संचालन कर रहें हैं।

देश में खनन क्षेत्र से जुड़े अवैध कारोबारों में कोयला का काला कारोबार हमेशा से ही नंबर वन पर रहा है। सनद रहे कि हिंदुस्तान में ‘माफिया’ शब्द का जन्म और प्रचलन देश की कोयला नगरी कहे जानेवाले धनबाद से ही हुआ है। आज भी इस अवैध कारोबार का महाखेल सत्ता-राजनीति व कंपनी लूट के दो मजबूत पहियों पर संचालित हो रहा है। जो कितने दिनों तक स्थायित्व ग्रहण किए रहेगा, इसकी भविष्यवाणी फिलहाल तो संभव नहीं है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट व हाईकोर्ट जैसे न्यायपालिका के शीर्ष निकायों द्वारा समय समय पर लिये जानेवाले हर छोटे–बड़े  संज्ञान का भी अपना महत्व है। क्योंकि जब तक देश में लोकतन्त्र प्रभावी है, न्यायपालिका को भी इससे संबल मिलता रहेगा। इस लिहाज से झारखंड हाईकोर्ट का वर्तमान कदम राज्य में जारी कोयले के अवैध कारोबार के महाखेल के बेलगाम होने पर प्रतीक के तौर पर ही सही लेकिन एक अंकुश लगाने जैसा प्रभाव तो डालेगा ही, साथ ही इस महाधंधे के शातिर महारथियों में असलियत खुलने का डर पैदा करेगा।

Jharkhand
jharkhand high court
coal mines
Coal mining
BJP Govt
Raghubar Das
PALAMU
chatra palamu

Related Stories

"हसदेव अरण्य स्थानीय मुद्दा नहीं, बल्कि आदिवासियों के अस्तित्व का सवाल"

कोयले की कमी? भारत के पास मौजूद हैं 300 अरब टन के अनुमानित भंडार

झारखंड: बोर्ड एग्जाम की 70 कॉपी प्रतिदिन चेक करने का आदेश, अध्यापकों ने किया विरोध

झारखंड : नफ़रत और कॉर्पोरेट संस्कृति के विरुद्ध लेखक-कलाकारों का सम्मलेन! 

झारखंड की खान सचिव पूजा सिंघल जेल भेजी गयीं

झारखंडः आईएएस पूजा सिंघल के ठिकानों पर छापेमारी दूसरे दिन भी जारी, क़रीबी सीए के घर से 19.31 करोड़ कैश बरामद

खबरों के आगे-पीछे: अंदरुनी कलह तो भाजपा में भी कम नहीं

आदिवासियों के विकास के लिए अलग धर्म संहिता की ज़रूरत- जनगणना के पहले जनजातीय नेता

‘मैं कोई मूक दर्शक नहीं हूँ’, फ़ादर स्टैन स्वामी लिखित पुस्तक का हुआ लोकार्पण

चारा घोटाला: झारखंड उच्च न्यायालय ने लालू यादव को डोरंडा कोषागार मामले में ज़मानत दी


बाकी खबरें

  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    मुंडका अग्निकांड के खिलाफ मुख्यमंत्री के समक्ष ऐक्टू का विरोध प्रदर्शन
    20 May 2022
    मुंडका, नरेला, झिलमिल, करोल बाग से लेकर बवाना तक हो रहे मज़दूरों के नरसंहार पर रोक लगाओ
  • रवि कौशल
    छोटे-मझोले किसानों पर लू की मार, प्रति क्विंटल गेंहू के लिए यूनियनों ने मांगा 500 रुपये बोनस
    20 May 2022
    प्रचंड गर्मी के कारण पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे गेहूं उत्पादक राज्यों में फसलों को भारी नुकसान पहुंचा है।
  • Worship Places Act 1991
    न्यूज़क्लिक टीम
    'उपासना स्थल क़ानून 1991' के प्रावधान
    20 May 2022
    ज्ञानवापी मस्जिद से जुड़ा विवाद इस समय सुर्खियों में है। यह उछाला गया है कि ज्ञानवापी मस्जिद विश्वनाथ मंदिर को तोड़कर बनाई गई थी। ज्ञानवापी मस्जिद के भीतर क्या है? अगर मस्जिद के भीतर हिंदू धार्मिक…
  • सोनिया यादव
    भारत में असमानता की स्थिति लोगों को अधिक संवेदनशील और ग़रीब बनाती है : रिपोर्ट
    20 May 2022
    प्रधानमंत्री आर्थिक सलाहकार परिषद की रिपोर्ट में परिवारों की आय बढ़ाने के लिए एक ऐसी योजना की शुरूआत का सुझाव दिया गया है जिससे उनकी आमदनी बढ़ सके। यह रिपोर्ट स्वास्थ्य, शिक्षा, पारिवारिक विशेषताओं…
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    हिसारः फसल के नुक़सान के मुआवज़े को लेकर किसानों का धरना
    20 May 2022
    हिसार के तीन तहसील बालसमंद, आदमपुर तथा खेरी के किसान गत 11 मई से धरना दिए हुए हैं। उनका कहना है कि इन तीन तहसीलों को छोड़कर सरकार ने सभी तहसीलों को मुआवजे का ऐलान किया है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License