NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
झारखंड रिपोर्ट : युवा आदिवासी पत्रकार की हत्या से उठते सवाल !
14 दिसंबर की सर्द शाम को युवा आदिवासी पत्रकार अमित टोपनो की हत्या के खिलाफ “ जस्टिस फार अमित “ के लिए प्रदेश की राजधानी रांची की सड़कों पर काली पट्टी बांधकर विरोध प्रकट करते हुए कैन्डल मार्च निकाला गया ।
अनिल अंशुमन
15 Dec 2018
प्रदर्शन

14 दिसंबर की सर्द शाम को युवा आदिवासी पत्रकार अमित टोपनो की हत्या के खिलाफ “ जस्टिस फार अमित “ के लिए प्रदेश की राजधानी रांची की सड़कों पर काली पट्टी बांधकर विरोध प्रकट करते हुए कैन्डल मार्च निकाला गया । विडम्बना है की चंद दिनों पूर्व ही पत्रकारों पर हुए पुलिस लाठी चार्ज के खिलाफ सभी मीडीयाकर्मी व पत्रकार संगठनों ने जो सरगर्मी दिखाई थी , जाने क्यों इस हत्या पर सब खामोश रहे । अधिकांश अखबारों के लिए तो शुरू में यह हत्या ख़बर भी नहीं बनी । ऐसे में नागरिक व मानवाधिकार के वरिष्ठ कार्यकर्त्ता , फिल्मकार , बुद्धिजीवी और विभिन्न आदिवासी व सामाजिक जन संगठनों के सदस्यों तथा आदिवासी छात्र – युवाओं ने इस प्रतिवाद कार्यक्रम के ज़रिये नागरिक समाज से अमित टोपनो की हत्या कांड पर सबसे संज्ञान लेने की अपील की है । कार्यक्रम में शामिल विभिन्न जन संगठनों का साझा मोर्चा एआईपीएफ ने सरकार से हाई कोर्ट के न्यायाधीश की निगरानी में इस हत्या की न्यायिक जांच व दोषियों को अविलंब सज़ा देने की मांग की है । 

अमित टोपनो कुछ माह पूर्व ही खूंटी में चर्चित हुए पत्थलगड़ी अभियान समेत कोचांग दुष्कर्म कांड की सबसे विश्वसनीय रिपोर्टिंग से मीडिया जगत में चर्चा में आए थे । खूंटी में वीडियो वोलंटरी का काम करते हुए वे स्थानीय वेब पोर्टल न्यूज़ कोड के संवादता रहे । जिसके बंद हो जाने के बाद आर्थिक तंगी के संकटों से जूझते हुए वे रांची में ओला कैब के ड्राइवर की नौकरी कर रहे थे । अनुमान के अनुसार 8 नवंबर को इनकी हत्या कर लाश को डोरन्डा थाना के घाघरा बस्ती के पास फेंक दिया गया था । 9 दिसंबर की सुबह जब स्थानीय लोगों ने देखा तो पुलिस को सूचना देकर बुलाया । लाश की तत्काल कोई शिनाख्त न कर पाने के कारण पुलिस ने उसे लावारिस घोषित कर पोस्टमार्ट्म के लिए भेज दिया था । उधर अमित के रात में घर नहीं पहुँचने और मोबाइल बंद मिलने के कारण 8 दिसंबर की रात से ही घर के लोग और मित्रगण सभी चिंतित थे । अज्ञात लाश मिलने की खबर सुनकर घर के लोग आशंका लिए रिम्स पोस्टमार्ट्म रूम पहुंचे जहां अमित की बहन ने उनकी शिनाख्त की । फिर भी अमित की लाश लेने के लिए उन्हें घूस देना पड़ा ।
     
अमित टोपनो को साहस भरी रिपोर्टिंग के लिए आदिवासी समाज का  उभरता हुआ होनहार पत्रकार माना जाता था । वे अपने खर्चे से दुर्गम आदिवासी इलाकों के सुदूर गांवों तक जा जाकर विकास की रौशनी से वंचित जीनेवाले लोगों की पीड़ा और उनके सवालों की वीडियो बनाकर जारी करते थे । आदिवासी समुदाय के विभिन्न सामाजिक सवालों पर भी बढ़ चढ़ कर सक्रिय रहते थे । पत्थलगड़ी के सवाल पर जब प्रदेश की सरकार और आदिवासी समाज का टकराव खड़ा हुआ तो खूंटी के इलाकों में होनेवाले राज्य का दमन और उस समय की ज़मीनी हक़ीक़त की जानकारी अमित की ही रिपोर्टिंग से ही मिलती थी । देश भर में चर्चित हुए कोचांग सामूहिक दुष्कर्म कांड के कई अदृश्य पहलुओं का खुलासा अमित की रिपोर्टिंग ने की थी । साथ ही जंगल क्षेत्र में सत्ता – प्रशासन साँठ गांठ से चल रहे कई अवैध कारोबारों को उजागर करनेवालों में अमित सबसे अधिक सक्रिय थे ।

आज खूंटी और राजधानी के आदिवासी समाज के लोग अमित की की इस प्रकार की गयी हत्या से काफी आशंकित हैं । पोस्टमार्टम रिपोर्ट में अमित के सिर में गोली मारने के आलवे अन्य शरीर पर और कोई निशान नहीं होने की रिपोर्ट से सबका का यही शक है कि हत्या सुनियोजित तरीके से कहीं और की गयी है । रांची में जिस ओला कैब को अमित चला रहे थे उसकी भी अबतक बरमदगी नहीं हुई है । हालांकि स्थानीय प्रशासन ने भरोसा दिलाया है कि वे इस मामले पर कोई कसर नहीं रखेगा । लेकिन अमित के परिजनों और मित्रों का कहना है कि यह साफ तौर पर सुनियोजित ह्त्या है इसलिए हमारी मांग है कि इस हत्या की गहराई से जांच पड़ताल कर दोषी को जल्द से जल्द पकड़ा जाय । राज्य के मीडिया जगत में अमित की हत्या को महत्व नहीं दिये जाने से भी आदिवासी समाज के लोग मर्माहित और क्षुब्ध हैं । सबको यही लग रहा है कि अमित के आदिवासी होने के कारण ही किसी ने संज्ञान नहीं लिया है । मुख्य धारा के समाज से आनेवाले पत्रकारों पर हुए छोटे हमले तक को बड़ी सुर्खियों में लाया जाता है लेकिन अमित टोपनो की हत्या जैसी संगीन घटना को कोई महत्व दिया गया ।
 
14 दिसंबर के प्रतिवाद कैन्डल मार्च में शामिल मानवाधिकार , आदिवासी व सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने मीडिया के सामने आदिवासी हित की दुहाई देनेवाली राज्य सरकार की और चुप्पी पर सवाल उठाते हुए आरोप लगाया है कि वह राज्य के लोगों को सुरक्षा देने में पूरी तरह विफल है । वर्तमान सरकार का शासन अराजक और दमनकारी हो गया है । ऐसे में राज्य का नागरिक समाज अब और तमाशाई नहीं बना रहेगा । आनेवाले दिनों में अमित टोपनो की हत्या समेत राज्य में बढ़ रही अन्य हत्याओं के साथ साथ बढ़ते महिला उत्पीड़न , लोगों की सामाजिक सुरक्षा , भूमि लूट और सरकार की दमनकारी नीतियों जैसे सवालों पर बड़ा जन दबाव खड़ा कर सरकार को घेरा जाएगा । 

Jharkhand
adivasi reporter
murder
amit topano

Related Stories

झारखंड: बोर्ड एग्जाम की 70 कॉपी प्रतिदिन चेक करने का आदेश, अध्यापकों ने किया विरोध

झारखंड : नफ़रत और कॉर्पोरेट संस्कृति के विरुद्ध लेखक-कलाकारों का सम्मलेन! 

झारखंड की खान सचिव पूजा सिंघल जेल भेजी गयीं

झारखंडः आईएएस पूजा सिंघल के ठिकानों पर छापेमारी दूसरे दिन भी जारी, क़रीबी सीए के घर से 19.31 करोड़ कैश बरामद

खबरों के आगे-पीछे: अंदरुनी कलह तो भाजपा में भी कम नहीं

आदिवासियों के विकास के लिए अलग धर्म संहिता की ज़रूरत- जनगणना के पहले जनजातीय नेता

‘मैं कोई मूक दर्शक नहीं हूँ’, फ़ादर स्टैन स्वामी लिखित पुस्तक का हुआ लोकार्पण

झारखंड: पंचायत चुनावों को लेकर आदिवासी संगठनों का विरोध, जानिए क्या है पूरा मामला

झारखंड : हेमंत सोरेन शासन में भी पुलिस अत्याचार बदस्तूर जारी, डोमचांच में ढिबरा व्यवसायी की पीट-पीटकर हत्या 

झारखंड रोपवे दुर्घटना: वायुसेना के हेलिकॉप्टरों ने 10 और लोगों को सुरक्षित निकाला


बाकी खबरें

  • blast
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    हापुड़ अग्निकांड: कम से कम 13 लोगों की मौत, किसान-मजदूर संघ ने किया प्रदर्शन
    05 Jun 2022
    हापुड़ में एक ब्लायलर फैक्ट्री में ब्लास्ट के कारण करीब 13 मज़दूरों की मौत हो गई, जिसके बाद से लगातार किसान और मज़दूर संघ ग़ैर कानूनी फैक्ट्रियों को बंद कराने के लिए सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रही…
  • Adhar
    अनिल जैन
    ख़बरों के आगे-पीछे: आधार पर अब खुली सरकार की नींद
    05 Jun 2022
    हर हफ़्ते की तरह इस सप्ताह की जरूरी ख़बरों को लेकर फिर हाज़िर हैं लेखक अनिल जैन
  • डॉ. द्रोण कुमार शर्मा
    तिरछी नज़र: सरकार जी के आठ वर्ष
    05 Jun 2022
    हमारे वर्तमान सरकार जी पिछले आठ वर्षों से हमारे सरकार जी हैं। ऐसा नहीं है कि सरकार जी भविष्य में सिर्फ अपने पहनावे और खान-पान को लेकर ही जाने जाएंगे। वे तो अपने कथनों (quotes) के लिए भी याद किए…
  • न्यूज़क्लिक डेस्क
    इतवार की कविता : एरिन हेंसन की कविता 'नॉट' का तर्जुमा
    05 Jun 2022
    इतवार की कविता में आज पढ़िये ऑस्ट्रेलियाई कवयित्री एरिन हेंसन की कविता 'नॉट' जिसका हिंदी तर्जुमा किया है योगेंद्र दत्त त्यागी ने।
  • राजेंद्र शर्मा
    कटाक्ष: मोदी जी का राज और कश्मीरी पंडित
    04 Jun 2022
    देशभक्तों ने कहां सोचा था कि कश्मीरी पंडित इतने स्वार्थी हो जाएंगे। मोदी जी के डाइरेक्ट राज में भी कश्मीर में असुरक्षा का शोर मचाएंगे।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License