NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
झारखंड : सबसे ज़्यादा कुपोषित राज्य में मिड डे मील में अंडों की संख्या बढ़ाने की बजाय घटाई गई
“राज्य में कुपोषण की समस्या को देखते हुए, सरकार को गरीब बच्चों के लिए अंडे की संख्या कम करने के अपने निर्णय को वापस लेना चाहिए, क्योंकि अंडे बढ़ते बच्चों के लिए सुरक्षित, सस्ता, स्वादिष्ट और प्रोटीन और अन्य पोषक तत्वों का एक बढ़िया स्रोत हैं।”
तारिक़ अनवर
22 Jan 2019
Translated by महेश कुमार
सांकेतिक तस्वीर
Image Courtesy : Jharkhand State News

रांची (झारखंड) / नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) शासित झारखंड सरकार ने स्कूल के मध्यान्ह भोजन में साप्ताहिक अंडों की संख्या को तीन से घटाकर दो करने का फैसला किया है। इसे भगवा पार्टी का अंडों के प्रति एक कड़ी नापासंदी कहें या राज्य सरकार द्वारा इस महत्वपूर्ण नीति के लिए अधिक धनराशि आवंटित न कर पाना ताकि इसकी लागत को पूरा किया जा सके, लेकिन सच यह है कि अब प्रारंभिक शिक्षा पर इस नीति का जोर पड़ने लगा है।

अंडों की कीमत में वृद्धि की वजह से राज्य सरकार ने पहले आबंटन को 4 रुपये प्रति अंडे से बढ़ाकर 6 रुपये प्रति अंडे कर दिया है। लेकिन बढ़ती मुद्रास्फीति में अंडे की कीमत को मिलाकर जो कुल बजट सरकार को बढ़ाना चाहिए था उसे न बढ़ाकर उसने इसे सप्ताह के तीन अंडों की बजाय 2 अंडे कर दिया है। राइट टू फूड प्रचारकों ने ऐसा आरोप सरकार पर लगाया है।

वे कहते हैं कि स्कूलों में भोजन में अंडे देना, और बाद में आंगनवाड़ियों में (ग्रामीण बाल देखभाल केंद्र) इसे लागू करना, झारखंड सरकार द्वारा राज्य में बाल पोषण में सुधार करने के लिए उठाए गए कुछ उल्लेखनीय कदमों में से एक है, क्योंकि पूरे देश में यह एक ऐसा राज्य है जिसमें बच्चे सबसे अधिक कुपोषित हैं।

2015-16 में किए गए राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 4 के अनुसार, देश भर में 35.8 प्रतिशत बच्चे कम वजन के हैं। झारखंड में, उस वक्त  इसका अनुपात 47.8 प्रतिशत था।

झारखंड के जन अधिकार अभियान के संयोजक अशरफी नंद प्रसाद ने न्यूज़क्लिक से बातचीत में कहा, “राज्य में कुपोषण की समस्या को देखते हुए, सरकार को गरीब बच्चों के लिए अंडे की संख्या कम करने के अपने निर्णय को वापस लेना चाहिए, क्योंकि अंडे बढ़ते बच्चों के लिए सुरक्षित, सस्ता, स्वादिष्ट और प्रोटीन और अन्य पोषक तत्वों का एक बढ़िया स्रोत हैं। हम मांग करते हैं कि सरकार को आपूर्ति बढ़ानी चाहिए, ताकि बच्चों को इसकी संख्या कम करने के बजाय दोपहर के भोजन में प्रति सप्ताह छह अंडे दिए जा सकें।”

अब तक देश के 12 राज्यों में अंडे दिए जाते हैं। आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु में प्रति सप्ताह पांच अंडे दिए जाते हैं। लेकिन बहुसंख्यक भाजपा शासित राज्यों ने राष्ट्रीय पोषण संस्थान द्वारा झारखंड और त्रिपुरा को छोड़कर मध्यान्ह भोजन योजना के तहत इसे अनिवार्य बनाने के बावजूद अंडे नहीं दिए हैं। तीन अन्य राज्य ऐसे हैं जिनमें भाजपा गठबंधन की सहयोगी हैं और तीन गैर-भाजपा राज्य हैं, जो इस योजना के तहत अंडे नहीं देते हैं।

खाद्य अधिकार अभियान झारखंड, आंगनवाड़ियों में अंडे की आपूर्ति के लिए दिए केंद्रीकृत अनुबंध के लिए भी चिंतित है। वर्तमान इंतजाम के तहत किसान पोल्ट्री फार्म (KPF) के साथ एक केंद्रीकृत अनुबंध है, जो तमिलनाडु में स्थित है। अभियान के अनुसार “यह पता चला है कि किसान पोल्ट्री फार्म (KPF) एक बहुत ही संदिग्ध सी संस्था है। वास्तव में, यह क्रिस्टी फ्रेडग्राम उद्योग की एक नकली कंपनी है, जिसकी तमिलनाडु में इसी तरह के आईसीडीएस से संबंधित अनुबंधों के लिए बड़े पैमाने पर की गई धोखाधड़ी के लिए जांच की जा रही है। और कर्नाटक में भी ऐसी ही जांच जारी है। क्रिस्टी फ्रेडग्राम उद्योग को ब्लैकलिस्ट कर दिया गया है, और सुप्रीम कोर्ट में लोकायुक्त द्वारा दायर केस लंबित पड़ा है।

यह अनुबंध यह निर्धारित करता है कि केपीएफ को अच्छी गुणवत्ता वाले अंडों को आंगनवाड़ियों तक पहुंचाने की व्यवस्था करनी होगी। हालाँकि, झारखंड के विभिन्न हिस्सों में खाद्य कार्यकर्ताओं का दावा है कि: (1) कई अंडे सड़े हुए होते हैं, (2) डिलीवरी नियमित नहीं है, और (3) आंगनवाड़ियों के दरवाजे पर अंडे नहीं दिए जाते हैं, इसकी वजह से आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को दूर स्थानों पर छोड़े गए अंडों को इकट्ठा करना होता है।

अभियान ने यह सब मुख्यमंत्री रघुबर दास को लिखा है और मांग की है कि एजेंसी को इस बाबत नोटिस जारी किया जाए।

अभियान के मुताबिक "हम आंगनवाड़ियों में अंडे के लिए केंद्रीकृत अनुबंध को समाप्त करने और दोपहर के भोजन के लिए आपूर्ति व्यवस्था के लिए इस व्यवस्था को बदलने मांग करते हैं।"

राष्ट्रीय पोषण संस्थान, जो केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के तहत भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के तत्वावधान में काम करता है, ने मध्यान्ह भोजन में अंडे का प्रावधान अनिवार्य कर दिया है, क्योंकि अंडे को दूध या केले जैसे विकल्पों की तुलना में सबसे सस्ता, सुरक्षित, अधिक पौष्टिक और आसानी से उत्पादित करने वाला माना जाता है।

mid day meal
mid day meal workers
Jharkhand government
Right to Food
malnutrition in children
. national family heath survey
national institute of nutrition

Related Stories

मिड डे मिल रसोईया सिर्फ़ 1650 रुपये महीने में काम करने को मजबूर! 

झारखंड: भाजपा काल में हुए भवन निर्माण घोटालों की ‘न्यायिक जांच’ कराएगी हेमंत सोरेन सरकार

झारखंड : हेमंत सरकार को गिराने की कोशिशों के ख़िलाफ़ वाम दलों ने BJP को दी चेतावनी

बिहार मिड-डे-मीलः सरकार का सुधार केवल काग़ज़ों पर, हक़ से महरूम ग़रीब बच्चे

मिड-डे मील में व्यवस्था के बाद कैंसर से जंग लड़ने वाले पूर्वांचल के जांबाज़ पत्रकार पवन जायसवाल के साथ 'उम्मीदों की मौत'

लापरवाही की खुराकः बिहार में अलग-अलग जगह पर सैकड़ों बच्चे हुए बीमार

झारखंड : हेमंत सोरेन शासन में भी पुलिस अत्याचार बदस्तूर जारी, डोमचांच में ढिबरा व्यवसायी की पीट-पीटकर हत्या 

मिड-डे-मील में लापरवाहीः बिहार के बाद राजस्थान में खाने के बाद 22 बच्चे बीमार

कम मतदान बीजेपी को नुक़सान : छत्तीसगढ़, झारखण्ड या राजस्थान- कैसे होंगे यूपी के नतीजे?

यूपी चुनाव : माताओं-बच्चों के स्वास्थ्य की हर तरह से अनदेखी


बाकी खबरें

  • शारिब अहमद खान
    ईरानी नागरिक एक बार फिर सड़कों पर, आम ज़रूरत की वस्तुओं के दामों में अचानक 300% की वृद्धि
    28 May 2022
    ईरान एक बार फिर से आंदोलन की राह पर है, इस बार वजह सरकार द्वारा आम ज़रूरत की चीजों पर मिलने वाली सब्सिडी का खात्मा है। सब्सिडी खत्म होने के कारण रातों-रात कई वस्तुओं के दामों मे 300% से भी अधिक की…
  • डॉ. राजू पाण्डेय
    विचार: सांप्रदायिकता से संघर्ष को स्थगित रखना घातक
    28 May 2022
    हिंसा का अंत नहीं होता। घात-प्रतिघात, आक्रमण-प्रत्याक्रमण, अत्याचार-प्रतिशोध - यह सारे शब्द युग्म हिंसा को अंतहीन बना देते हैं। यह नाभिकीय विखंडन की चेन रिएक्शन की तरह होती है। सर्वनाश ही इसका अंत है।
  • सत्यम् तिवारी
    अजमेर : ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ की दरगाह के मायने और उन्हें बदनाम करने की साज़िश
    27 May 2022
    दरगाह अजमेर शरीफ़ के नीचे मंदिर होने के दावे पर सलमान चिश्ती कहते हैं, "यह कोई भूल से उठाया क़दम नहीं है बल्कि एक साज़िश है जिससे कोई मसला बने और देश को नुकसान हो। दरगाह अजमेर शरीफ़ 'लिविंग हिस्ट्री' है…
  • अजय सिंह
    यासीन मलिक को उम्रक़ैद : कश्मीरियों का अलगाव और बढ़ेगा
    27 May 2022
    यासीन मलिक ऐसे कश्मीरी नेता हैं, जिनसे भारत के दो भूतपूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और मनमोहन सिंह मिलते रहे हैं और कश्मीर के मसले पर विचार-विमर्श करते रहे हैं। सवाल है, अगर यासीन मलिक इतने ही…
  • रवि शंकर दुबे
    प. बंगाल : अब राज्यपाल नहीं मुख्यमंत्री होंगे विश्वविद्यालयों के कुलपति
    27 May 2022
    प. बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बड़ा फ़ैसला लेते हुए राज्यपाल की शक्तियों को कम किया है। उन्होंने ऐलान किया कि अब विश्वविद्यालयों में राज्यपाल की जगह मुख्यमंत्री संभालेगा कुलपति पद का कार्यभार।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License