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ज़ोर पकड़ती  रिहाई की मांग के बीच जूलियन असांज नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामांकित
संयुक्त राज्य अमेरिका में प्रत्यर्पण के ख़िलाफ़ लड़ते हुए एक ब्रिटिश जेल में 1,000 से ज़्यादा दिन बिता चुके विकिलीक्स के संस्थापक को तीसरी बार नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया है।
अनीश आर एम
03 Feb 2022
Julian Assange
(फ़ोटो: विकीलीक्स/ट्विटर)

पत्रकार और विकीलीक्स के संस्थापक जूलियन असांज को नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया है, क्योंकि उनकी बिना शर्त रिहाई और संयुक्त राज्य अमेरिका में उनके प्रत्यर्पण के ख़िलाफ़ आंदोलन ज़ोर पकड़ रहा है। असांज की साथी स्टेला मोरिस के आह्वान के जवाब में संसद के सदस्यों और पूर्व शांति पुरस्कार विजेताओं सहित कई लोगों की ओर से असांजे को नामित किया गया है।

मार्टिन सोनबॉर्न, यूरोपीय संसद  के सदस्य (MEP) और जर्मन बुंडेस्टाग के सदस्य सेविम डैडेलेन जैसे जर्मन राजनेताओं ने 29 जनवरी को यह नामांकन दाखिल किया था।

नोबेल समिति को लिखे अपने पत्र में उन्होंने दलील देते हुए कहा है कि असांज का नामांकन "शांति की तलाश में उनके अनूठे योगदान और सभी के लिए अमन-चैन को बढ़ावा देने को लेकर उनके अपार निजी बलिदानों के सम्मान में है।" उन्होंने आगे इस बात पर रौशनी डाली है कि असांज और विकिलीक्स के काम ने सचाई और इंसाफ़ को लेकर उस अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (ICC) जैसे अंतर्राष्ट्रीय तंत्र में योगदान दिया है,  जिसका मिशन "मानव जाति के प्रति ज्ञात निकृष्टतम नृशंसता",यानी युद्ध अपराध, मानवता के ख़िलाफ़ अपराध और नरसंहार के अपराध पर मुकदमा चलाकर सज़ा से मिलने वाली किसी भी  तरह की छूट को ख़त्म करना है।”

सोनेबॉर्न और डैडेलेन के अलावे मार्केटा ग्रेगोरोवा और पैट्रिक ब्रेयर, पिरेट पार्टी के एमईपी, एक इतालवी एमईपी सबरीना पिग्नेडोली और कई दूसरे लोगों की ओऱ से भी नामांकन दाखिल किये गये हैं।

इन सिफ़ारिशों के साथ-साथ दुनिया भर से जारी किये गये उनके समर्थकों के बयान संयुक्त राज्य अमेरिका और इराक़ और अफ़ग़ानिस्तान में अमेरिका के सहयोगियों की ओर से किये गये युद्ध अपराधों, यातना और मानवाधिकारों के उल्लंघन पर विकीलीक्स के गोपनीय दस्तावेज़ों के प्रकाशन के ज़रिये वैश्विक शांति में असांज के योगदान को सामने लाते हैं।

ये नामांकन असांज को इस पुरस्कार को लेकर उस बनायी जाने वाली सूची में नाम डाले जाने के विचार के योग्य बनाते हैं, जिसे फ़रवरी और मार्च के बीच तैयार किया जायेगा। असांज को नोबेल पुरस्कार दिये जाने पर विचार किये जाने की मांग पिछले एक दशक में कई बार की जा चुकी है।

नोबेल समिति नामांकित व्यक्तियों या पूरी तरह तैयार सूची को सार्वजनिक नहीं करती है, और नामांकन किये जाने के 50 साल बाद ही उन्हें जारी करती है। हाल के सालों में शांति पुरस्कार के लिए नामांकित करने वाले लोग सार्वजनिक रूप से अपनी सिफ़ारिशों और उसकी आधिकारिक पुष्टि का ऐलान करते रहे हैं, जिससे नामांकन प्रक्रिया में जनता और मीडिया का ध्यान बढ़ता रहा है।

इस साल के नामांकन से पहले असांज को कम से कम दो बार नामांकित होने के लिए जाना जाता है। पहली बार 2011 में उनके नाम की सिफ़ारिश नॉर्वेजियन सांसद स्नोरे वैलेन ने की थी, और दूसरी बार 2021 में उनके नाम की सिफ़ारिश नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मैरेड मैगुइरे ने की थी, जिन्होंने चेल्सी मैनिंग और एडवर्ड स्नोडेन के साथ उनके नाम की सिफ़ारिश की थी।

अपनी सिफ़ारिश में मैगुइरे ने यह दलील दी थी कि "नोबेल कमेटी इन तीनों शांति समर्थकों को 2021 का नोबेल शांति पुरस्कार देकर उनके जिंदगी बचाने में मददगार हो सकती है। ऐसा करके समिति शांति के सच्चे नायकों को स्वीकार करते हुए नोबेल की इच्छा का ही सम्मान करेगी।"

स्नोरे वैलेन ने अपनी सिफ़ारिश में कहा था कि "विकीलीक्स ने विश्व स्तर पर भ्रष्टाचार, युद्ध अपराधों और यातना को उजागर करके उन मूल्यों के लिए संघर्ष में योगदान दिया है,जिन्हें कभी-कभी नॉर्वे के सहयोगियों को भी गुज़रना होता है।"

जैसा कि हम जानते हैं कि यूके की अदालतों में अमेरिकी प्रत्यर्पण की कोशिश जारी है और असांज को बेलमर्श की एक ज़बरदस्त सुरक्षा वाले जेल में बिना किसी आरोप के हिरासत में रखा गया है, ऐसे में समर्थकों ने नोबेल समिति का ध्यान असांज और अमेरिकी युद्ध अपराधों के ख़िलाफ़ जागरूकता फैलाने वालों के इस मामले में बार-बार होने वाली "चूक" की ओर दिलाया है।

जहां अतीत में विभिन्न तरह के पूर्वाग्रहों को लेकर नोबेल शांति पुरस्कार की आलोचना होती  रही है, वहीं नोबेल समिति की ओर से असांज के काम की अनदेखी पिछले साल तब और ज़्यादा उजागर हुई थी, जब नोबेल शांति पुरस्कार फिलीपींस की मारिया रेसा और रूस के दिमित्री मुरातोव को संयुक्त रूप से दिया गया था, जिन्होंने 2021 में "अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की हिफ़ाज़त की कोशिशों" के लिए यह पुरस्कार हासिल किया था।

यहां इस बात का ज़िक़्र किया जाना भी ज़रूरी है कि तीनों उदाहरणों में असांज के नामांकन को मुख्यधारा के मीडिया में तक़रीबन कोई कवरेज नहीं मिला, यहां तक कि इस पुरस्कार को लेकर अन्य प्रमुख नामांकित व्यक्तियों को ज्ञात प्रस्तुतियां पर इन रिपोर्टों में सूचीबद्ध किया गया है।

इस बीच, असांज लंबे समय से चल रही क़ानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं, क्योंकि उन्होंने दिसंबर 2021 में उस ब्रिटिश हाई कोर्ट के फ़ैसले के ख़िलाफ़ अपील की थी, जिसने अमेरिका में उनके प्रत्यर्पण को मंज़ूरी दी थी। अगर असांज को प्रत्यर्पित किया जाता है,तो उन्हें जासूसी और साइबर अपराधों के 18 आरोपों का सामना करना पड़ेगा और उन्हे कुल मिलाकर अधिकतम 175 साल की जेल तक की सज़ा हो सकती है।

साभार-पीपल्स डिस्पैच

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