बलात्कार की घटनाएं किसी भी सूरत रुक नहीं रही हैं। कितने आँसू, कितने प्रदर्शन, कितनी मोमबत्तियां?
बलात्कार की घटनाएं किसी भी सूरत रुक नहीं रही हैं। कितने आँसू, कितने प्रदर्शन, कितनी मोमबत्तियां? आख़िर कब तक...अब ये सवाल सबके ज़हन में उठ रहा है और अब इस बारे में गंभीरता से सोचना ही होगा। समाज के स्तर पर भी, सरकार के स्तर पर भी।