NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
कासगंज के अंदेशे
मुश्किल यह है कि देरसबेर अपराधी तो इतिहास के हाशिये में एक कालिख बन कर रह जायेंगे मगर अवाम की देह पर लगे खून के धब्बों को साफ़ करने में पीढियां गुजर जायेंगी । 
बादल सरोज
29 Jan 2018
communal ism

उन्माद फैलाने के लिए प्रिंट-इलेक्ट्रॉनिक गोदी मीडिया और प्रोफेशनली अनप्रोफेशनल सोशल मीडिया के जरिये झूठ और भड़कावे की जी तोड़ कोशिशों के बावजूद अंततः 26 जनवरी को कासगंज में घटित घटना का असली सच उजागर होकर आ ही गया है । अनेकों वीडियो रिकॉर्डिंग्स के लाइव प्रमाण यहां तक कि पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों के बयानों के बाद जो स्थिति उभर कर आई है उसके मुताबिक़ :
भगवाधारी बाइक गिरोह की कथित झण्डा यात्रा - कासगंज के एडीएम के मुताबिक़ जिसकी न सूचना दी गयी थी न अनुमति ली गयी थी -जब शहीद अब्दुल हमीद चौक पहुंची तब वहां गणतंत्र दिवस मनाया जा रहा था, तिरंगे गुब्बारों से पूरा इलाका सजाया जा चुका था और आई जी पुलिस ध्रुवकान्त ठाकुर के मुताबिक़ "वहां आयोजक झण्डा फहराने ही वाले थे ।"
भगवा झण्डा बाइक गिरोह, ने न केवल उसी जगह से गुजरने की जिद की बल्कि वहां बनी रंगोली पर भी धमाल मचाकर उसे मिटाया । उकसावे में कोई कसर न रह जाये इसके लिए उन्होंने शहीद अब्दुल हमीद चौक के झंडारोहण कार्यक्रम में भाग ले रहे एक बुजुर्ग मुस्लिम नागरिक के साथ मारपीट की और अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ ऐसे नारे लगाये, जिन्हें वीडियोज में सुना जा सकता है, किन्तु लिखा नहीं जा सकता ।
एक बुजुर्ग के पैर में गोली लगी है । अपनी कार में अलीगढ जाते एक व्यक्ति बुरी तरह घायल होकर अस्पताल में हैं ।
गोलियां चलीं । किसने चलाईं ? पुलिस कहती है कि यह जांच बाद पता चलेगा । मगर पुलिस को सौंपे गए एक वीडियो फुटेज में अभाविप के कमल सोनकर के अपनी पिस्तौल से 3 फायर करते हुये दिखने और उसी की एक गोली चन्दन गुप्ता के लगने का दावा किया गया है। जांच के बाद स्थिति ज्यादा साफ़ होगी । बशर्ते जांच निष्पक्ष हो । स्थानीय सांसद राजवीर सिंह का अपनी ही पार्टी की सरकार के कासगंज के अधिकारियों से जांच कराने से इनकार और पुलिस द्वारा हिरासत में लिए गए दो लोगों को छुड़ा लाने का सार्वजनिक एलान विवेचना के प्रति जायज संदेह और आशंकायें उत्पन्न करता है ।

इस बीच जो अफवाहें फैलाई गयीं, जो झूठ बरपाया गया उसे हुआ खामियाजा इन सबसे अलहदा है। 
बहरहाल इन सब जानकारियों के अलावा इस घटना को समझने के लिए इससे जुड़े दो पहलुओं को संज्ञान में लेना जरूरी है । एक तो यह कि पिछली 15 अगस्त को भी शहीद अब्दुल हमीद चौक पर इस भगवा गिरोह ने इसी तरह के हालात पैदा किये थे । उससे सबक लेकर इस बार अल्पसंख्यक बस्ती के गणतंत्र दिवस समारोह में कुर्सियां नहीं लगाई गयी थीं, ताकि यदि हुड़दंगिये आयें तो उन्हें गुजर जाने का रास्ता दिया जा सके । दूसरा यह कि यहीं बिलराम गेट के पास चामुण्डा मन्दिर है, जहां से मुस्लिम आबादी की तरफ जाने वाले तिसरौली मार्ग की सड़क को बन्द करके उसे मन्दिर अपने कब्जे में लेना चाहता है । स्थानीय सांसद मन्दिर के साथ हैं जबकि स्थानीय आबादी सड़क के साथ है ।

 

इन सबसे अलग किन्तु इस सबसे निकलते हुये कासगंज के अंदेशे कहीं अधिक गंभीर और चिंताजनक और भविष्य में अनिष्ट के संकेत देने वाले हैं । 
इनमे सबसे खतरनाक है जानबूझकर साजिश रचकर इस तरह की घटनाओं को कराया जाना और फिर योजना बनाकर हर तरह के मीडिया का उपयोग करके पूरे देश भर में उन्माद फैलाना और दंगों के लिए उकसाना । सामान्यतः किसी दुश्मन देश में ऐसा करवाने के लिए करोड़ों रूपये खर्च किये जाते हैं । मगर भारत वह देश है जहां के "स्वयंसेवक" खुद इसे अंजाम देने में पूरी शिद्दत से जुटे हैं । इसमें किस तरह उन्होंने अपनी पूरी बटालियन झोंकी हुयी है यह मधु किश्वर की सरासर आपराधिक ट्वीट और कासगंज कवरेज में जहर उगल रहे चैनलों से एक बार फिर सामने आ गया है । करणी सेना और गौरक्षक गिरोहों के नाम से सत्तारूढ़ राजनीति उन्हें प्रोत्साहन दे रही है। 
दूसरा है चन्दन गुप्ता जैसे संभावनावान युवाओं को चारे और शिकार दोनों तरह से इस्तेमाल करना । बेरोजगारी और अंधकारमय भविष्य से बदहवास ऐसे युवाओं की फ़ौज जिन्होंने पैदा की है वे ही उन्हें आत्मघाती बारूद बनाने पर आमादा है । चन्दन गुप्ताओं की शहादत उन्हें इस्तेमाल करने वालों को कितना विचलित करती है , यह इस युवा की श्रद्दांजलि सभा में उनके खिलखिलाते चेहरों से सामने आ गया है । 
मुश्किल यह है कि देरसबेर अपराधी तो इतिहास के हाशिये में एक कालिख बन कर रह जायेंगे मगर अवाम की देह पर लगे खून के धब्बों को साफ़ करने में पीढियां गुजर जायेंगी । 

कासगंज
साम्प्रदायिकता
बीजेपी
ABVP
विश्व हिन्दू परिषद्

Related Stories

कार्टून क्लिक: उनकी ‘शाखा’, उनके ‘पौधे’

अलीगढ़ : कॉलेज में नमाज़ पढ़ने वाले शिक्षक को 1 महीने की छुट्टी पर भेजा, प्रिंसिपल ने कहा, "ऐसी गतिविधि बर्दाश्त नहीं"

दिल्ली: रामजस कॉलेज में हुई हिंसा, SFI ने ABVP पर लगाया मारपीट का आरोप, पुलिसिया कार्रवाई पर भी उठ रहे सवाल

लखनऊ विश्वविद्यालय: दलित प्रोफ़ेसर के ख़िलाफ़ मुक़दमा, हमलावरों पर कोई कार्रवाई नहीं!

लखनऊ विश्वविद्यालय में एबीवीपी का हंगामा: प्रोफ़ेसर और दलित चिंतक रविकांत चंदन का घेराव, धमकी

‘जेएनयू छात्रों पर हिंसा बर्दाश्त नहीं, पुलिस फ़ौरन कार्रवाई करे’ बोले DU, AUD के छात्र

जेएनयू हिंसा: प्रदर्शनकारियों ने कहा- कोई भी हमें यह नहीं बता सकता कि हमें क्या खाना चाहिए

JNU: मांस परोसने को लेकर बवाल, ABVP कठघरे में !

जेएनयू छात्र झड़प : एबीवीपी के अज्ञात सदस्यों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज

जेएनयू में फिर हिंसा: एबीवीपी पर नॉनवेज के नाम पर छात्रों और मेस कर्मचारियों पर हमले का आरोप


बाकी खबरें

  • कुशाल चौधरी, गोविंद शर्मा
    बिहार: रोटी-कपड़ा और ‘मिट्टी’ के लिए संघर्ष करते गया के कुम्हार-मज़दूर
    21 May 2022
    गर्मी के मौसम में मिट्टी के कुल्हड़ और मिट्टी के घड़ों/बर्तनों की मांग बढ़ जाती है, लेकिन इससे ज्यादा रोज़गार पैदा नहीं होता है। सामान्य तौर पर, अधिकांश कुम्हार इस कला को छोड़ रहे हैं और सदियों पुरानी…
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में ओमिक्रॉन के स्ट्रेन BA.4 का पहला मामला सामने आया 
    21 May 2022
    देश में पिछले 24 घंटो में कोरोना के 2,323 नए मामले सामने आए हैं | देश में अब कोरोना संक्रमण के मामलों की संख्या बढ़कर 4 करोड़ 31 लाख 34 हज़ार 145 हो गयी है। 
  • विनीत तिवारी
    प्रेम, सद्भाव और इंसानियत के साथ लोगों में ग़लत के ख़िलाफ़ ग़ुस्से की चेतना भरना भी ज़रूरी 
    21 May 2022
    "ढाई आखर प्रेम के"—आज़ादी के 75वें वर्ष में इप्टा की सांस्कृतिक यात्रा के बहाने कुछ ज़रूरी बातें   
  • लाल बहादुर सिंह
    किसानों और सत्ता-प्रतिष्ठान के बीच जंग जारी है
    21 May 2022
    इस पूरे दौर में मोदी सरकार के नीतिगत बचकानेपन तथा शेखचिल्ली रवैये के कारण जहाँ दुनिया में जग हंसाई हुई और एक जिम्मेदार राष्ट्र व नेता की छवि पर बट्टा लगा, वहीं गरीबों की मुश्किलें भी बढ़ गईं तथा…
  • अजय गुदावर्ती
    कांग्रेस का संकट लोगों से जुड़ाव का नुक़सान भर नहीं, संगठनात्मक भी है
    21 May 2022
    कांग्रेस पार्टी ख़ुद को भाजपा के वास्तविक विकल्प के तौर पर देखती है, लेकिन ज़्यादातर मोर्चे के नीतिगत स्तर पर यह सत्तासीन पार्टी की तरह ही है। यही वजह है कि इसका आधार सिकुड़ता जा रहा है या उसमें…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License