NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
कला
रंगमंच
भारत
कबीर कला मंच के साथियों को मिली जमानत
चार साल का कारावास भी नहीं दबा पाया सामाजिक अन्याय के खिलाफ उठ रही आवाज को
संघर्ष संवाद
05 Jan 2017
कबीर कला मंच के साथियों को मिली जमानत

3 अप्रैल 2013 को कबीर कला मंच के सदस्य शीतल साठे और उनके पति सचिन माली को महाराष्ट्र पुलिस ने नक्सल समर्थक होने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया था। सचिन और उनकी पत्नी लंबे समय से दलित उत्पीड़न और सामाजिक अन्याय के खिलाफ सांस्कृतिक लड़ाई लड़ रहे थे और यही बना उनकी गिरफ्तारी का सबब। एक लंबी लड़ाई के बाद अंततः 3 जनवरी 2017 को सचिन माली को जमानत मिल गई। सचिन की गिरफ्तारी और चार वर्ष का कारावास यह स्पष्ट दिखाता है कि भारतीय राजसत्ता किस तरह जनवादी लड़ाई को कुचलने पर आमादा रहती है। लेकिन तमाम उत्पीड़नों के बावजूद इस लड़ाई में लगे योद्धा अभी भी अपने मोर्चे पर टिके हुए हैं। हम यहां पर आपके साथ शीतल और सचिन की इस लड़ाई पर विनीत तिवारी की यह रिपोर्ट साझा कर रहे है;

शीतल के पति सचिन माली की (3 जनवरी 2016 को) करीब 4 साल के बाद सावित्री बाई फुले के जन्मदिन पर ज़मानत हो जाना बहुत बड़ी उपलब्धि है। जानते हैं कि ज़मानत मिलना लड़ाई ख़त्म हो जाना नहीं है। अभी लड़ाई लंबी है लेकिन सचिन और शीतल का छोटा बच्चा है- चारेक साल का होगा। अभंग नाम है उसका। बहुत प्यारा है। उसे पिता का साथ मिलेगा और सचिन को भी अभंग के नन्हे मगर समझदार बचपन का संग रहेगा। शीतल ने भी बहुत भागदौड़ की है। उसे भी सचिन के पास रहने से लड़ने का नया हौसला मिलेगा, थोड़ी उसकी थकन कम होगी। शीतल और सचिन आर्थिक रूप से संपन्न पृष्ठभूमि से नहीं हैं। बहुत मुश्किल से सब साथियों ने मिलकर लड़ाई लड़ी। सबसे ज़्यादा तो कॉमरेड पानसरे, आनंद पटवर्धन और कॉमरेड प्रकाश रेड्डी, कॉमरेड भालचंद्र कानगो सक्रिय रहे। इनका तो मुझे पता है लेकिन निश्चित ही और भी बहुत लोग इस लड़ाई में शामिल थे। और मुम्बई और सुप्रीम कोर्ट के वकीलों की मेहनत को भी शुक्रिया और सलाम। मराठी के प्रमुख प्रगतिशील प्रकाशन गृह लोकवांग्मय प्रकाशन  सचिन माली की कविताओं की  पुस्तकें प्रकाशित कीं जो सचिन ने जेल में रहते हुए लिखी थीं। अभी तीसरी आने  वाली है।

सचिन के अलावा दो और कलाकार भी बंद थे जिनकी ज़मानत हुई है वे हैं सागर गोरखे और रमेश गैचोर। मैं इन तीनों को ही नहीं जानता लेकिन सचिन की साथी और पत्नी शीतल और बेटे अभंग से, शीतल की माँ से मिलकर जानता हूँ कि बाकी  दोनों के घरवालों की और उनकी खुद की भी हालत भी फर्क नहीं होगी। हम लोग २०१२ से अपनी प्रगतिशील लेखक संघ और इप्टा की अनेक बैठकों में कबीर कला मंच के साथियों की रिहाई के लिए प्रस्ताव पारित करते रहे हैं और इस बार तो इप्टा के राष्ट्रीय सम्मलेन में शीतल और उनके नवगठित समूह विद्रोही जलसा को विशेष रूप से बुलाने का मक़सद ही ये था कि देश के सांस्कृतिक संगठनों को सर्कार की अन्यायपूर्ण कार्रवाई के विरोध में और इन कलाकारों के समर्थन में एकजुट करना। जब वो इंदौर कार्यक्रम के लिए आई तो उनके समूह के सभी साथी सबके दोस्त बन गए। वो सबकी दोस्त, बहन, बेटी बन गयी और अभंग सबका प्यारा बच्चा।  आज सचिन, सागर और रमेश को ज़मानत मिलने से ऐसा लग रहा है कि मेरे बहुत क़रीब के जानने वालों को जैसे ये राहत मिली हो। दिल बहुत खुश है आज। अभंग, शीतल, सचिन, सागर और रमेश के साथ साथ कॉमरेड कानगो, आनंद, प्रकाश, मेघा  तुम्हें बहुत बहुत सारी बधाई साथियो।

अनेक लोग पूछ रहे हैं कि ये गाने गाते और कवितायेँ लिखते हैं तो इन्हें पुलिस क्यों सताएगी भला ! भोले लोग हैं ये पूछने वाले। इन्हें नहीं पता कि सच कहने - लिखने वाले, सच दिखाने वाले और सच सुनाने वाले, खून चूसने वाली सत्ता के लिए सबसे बड़ा खतरा होते हैं। जैसे कबीर हुए थे। जैसे गैलीलियो हुए थे।  जैसे कॉमरेड पानसरे, प्रोफेसर कलबुर्गी और डॉक्टर दाभोलकर हुए थे।

कबीर कला मंच ये लोग गाने गा गाकर दलितों को गोलबंद करते थे, सोये हुए शोषितों को जागते थे, दलितों के नाम पर पूंजीवादी राजनीति करने वालों के खिलाफ साफ़ साफ़ बोलते थे। ज़ाहिर है, जिन लोगों को दाभोलकर, पानसरे, कलबुर्गी से खतरा था, उनके लिए सचिन और शीतल जैसे लोग भी खतरा हैं।  आज  नवगठित समूह  विद्रोही जलसा के ज़रिये शीतल  शीतल यही करती हैं। हम भी यही करते हैं और करते रहेंगे। हुक्मरानों का काम है सच  और हक़ की लड़ाई कमज़ोर करना। और हमारा काम है इस लड़ाई को जारी रखना। जीत तक।  क्योंकि जीत आखिर में ज़ुल्म के खिलाफ लड़ने वालों की ही होती है।

अभी तक की इत्ती सी कहानी है। बाकी लड़ाई तो लंबी है और लड़ने के हौसले भी कम नहीं हैं।

Courtesy: संघर्ष संवाद
कबीर कला मंच

Related Stories


बाकी खबरें

  • कुशाल चौधरी, गोविंद शर्मा
    बिहार: रोटी-कपड़ा और ‘मिट्टी’ के लिए संघर्ष करते गया के कुम्हार-मज़दूर
    21 May 2022
    गर्मी के मौसम में मिट्टी के कुल्हड़ और मिट्टी के घड़ों/बर्तनों की मांग बढ़ जाती है, लेकिन इससे ज्यादा रोज़गार पैदा नहीं होता है। सामान्य तौर पर, अधिकांश कुम्हार इस कला को छोड़ रहे हैं और सदियों पुरानी…
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में ओमिक्रॉन के स्ट्रेन BA.4 का पहला मामला सामने आया 
    21 May 2022
    देश में पिछले 24 घंटो में कोरोना के 2,323 नए मामले सामने आए हैं | देश में अब कोरोना संक्रमण के मामलों की संख्या बढ़कर 4 करोड़ 31 लाख 34 हज़ार 145 हो गयी है। 
  • विनीत तिवारी
    प्रेम, सद्भाव और इंसानियत के साथ लोगों में ग़लत के ख़िलाफ़ ग़ुस्से की चेतना भरना भी ज़रूरी 
    21 May 2022
    "ढाई आखर प्रेम के"—आज़ादी के 75वें वर्ष में इप्टा की सांस्कृतिक यात्रा के बहाने कुछ ज़रूरी बातें   
  • लाल बहादुर सिंह
    किसानों और सत्ता-प्रतिष्ठान के बीच जंग जारी है
    21 May 2022
    इस पूरे दौर में मोदी सरकार के नीतिगत बचकानेपन तथा शेखचिल्ली रवैये के कारण जहाँ दुनिया में जग हंसाई हुई और एक जिम्मेदार राष्ट्र व नेता की छवि पर बट्टा लगा, वहीं गरीबों की मुश्किलें भी बढ़ गईं तथा…
  • अजय गुदावर्ती
    कांग्रेस का संकट लोगों से जुड़ाव का नुक़सान भर नहीं, संगठनात्मक भी है
    21 May 2022
    कांग्रेस पार्टी ख़ुद को भाजपा के वास्तविक विकल्प के तौर पर देखती है, लेकिन ज़्यादातर मोर्चे के नीतिगत स्तर पर यह सत्तासीन पार्टी की तरह ही है। यही वजह है कि इसका आधार सिकुड़ता जा रहा है या उसमें…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License