NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
केंद्र को SC की फटकारः इकट्ठा किए गए 3,700 करोड़ विनिर्माण श्रमिकों को क्यों नहीं मिले
1996 के अधिनियम के अनुसार श्रमिकों के कल्याणकारी बोर्डों में योगदान के लिए रियल एस्टेट कंपनियों पर लगने वाले उपकर के रूप में 3,700 करोड़ रुपए से ज़्यादा की राशि जुटाई गई लेकिन इस उद्देश्य के लिए राशि का इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है।

न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
22 Jan 2018
constructor workers

विनिर्माण क्षेत्र के श्रमिकों के कल्याण से संबंधित क़ानून लागू न करने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को फटकार लगाया है। शीर्ष अदालत ने सरकार से पूछा कि जिन श्रमिकों के कल्याण के लिए 3,700 करोड़ रुपए इकट्ठा किए गए आख़िर उनको क्यों नहीं मिला।

भवन तथा अन्य विनिर्माण श्रमिक (रोज़गार तथा सेवा शर्तों का नियमन) अधिनियम 1996 पारित किया गया था। इस अधिनियम में भवन तथा अन्य विनिर्माण श्रमिकों के रोज़गार तथा सेवा शर्तों का विनियमित करने के साथ ही उनकी सुरक्षा, स्वास्थ्य और कल्याणकारी उपायों के प्रावधान थे।

इस अधिनियम के तहत कल्याणकारी बोर्ड की स्थापना की गई जिसे भवन तथा अन्य विनिर्माण श्रमिकों का कल्याणकारी बोर्ड कहा जाता था।

इन कल्याण बोर्डों के लिए राशि नियोक्ताओं (विनिर्माण श्रमिकों को रोज़गार देने वाली रियल एस्टेट कंपनियां) द्वारा विनिर्माण पर किए गए व्यय पर लगाए गए उपकर से हासिल होनी थी।

इसलिए कल्याणकारी बोर्डों के संसाधनों को बढ़ाने के मद्देनज़र इस उपकर के लागू करने और वसूलने के लिए भवन तथा अन्य विनिर्माण श्रमिक कल्याण उपकर अधिनियम 1996 पास किया गया।

वर्ष 2006 में नेशनल कैंपेन कमेटी फॉर सेंट्रल लेजिसलेशन ऑन कंस्ट्रक्शन लेबर नाम के एक एनजीओ ने अदालत में जनहित याचिका दाख़िल किया। इस याचिका में संगठन ने आरोप लगाया था कि दो अधिनियमों का उल्लंघन किया जा रहा है।

एनजीओ ने कहा कि रियल एस्टेट फर्मों पर लगाए गए वैधानिक उपकर का विनिर्माण श्रमिकों के कल्याण के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है क्योंकि लाभार्थियों तक लाभ पहुंचाने के लिए उनकी पहचान करने का कोई तंत्र नहीं था।

1996 के अधिनियम के तहत 3,700 करोड़ रुपए से ज़्यादा की राशि वैधानिक उपकर के रूप में इकट्ठा की गई। नियंत्रक तथा महालेखा परीक्षक (सीएजी) ने एक हलफ़नामा अदालत को सौंपा था जिसमें कहा गया था कि इन राशियों का इस्तेमाल लैपटॉप और वॉशिंग मशीन खरीदने में किया जा रहा था।

17 जनवरी को सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) मनिंदर सिंह को न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर और दीपक गुप्ता की पीठ ने कहा था कि "यह पूरी तरह से बेबस स्थिति है।"

"यह पूरी तरह स्पष्ट है कि सरकार गंभीर नहीं है। ज़मीनी स्तर पर क्या हो रहा है वह बहुत साफ़ है कि आप राशि जिन लोगों के लिए इकट्ठा करते हैं उसे उन्हीं लोगों को नहीं देते हैं।”

पीठ ने कहा कि यह साफ़ था कि इस तरह से 'भवन तथा अन्य विनिर्माण श्रमिक (रोज़गार तथा सेवा शर्तों का नियमन) अधिनियम 1996’ को बिल्कुल ही नहीं लागू किया जा सका है।

इस मामले को लेकर नाराज़ हुए न्यायमूर्ति लोकुर ने कहा कि "आप एक हलफ़नामा दर्ज कराते हैं कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए आदेश अर्थहीन हैं और उसे कचरे के डिब्बे में फेंक दिया जाता है, इसलिए कोई भी आदेश अब पारित न करें। हमें बताएं कि आप न्यायपूर्ण क्यों नहीं हो सकते।"

अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के श्रम सचिवों की निगरानी समिति की हालिया बैठक के बारे में न्यायाधीशों को जानकारी दी।

एनजीओ की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ वकील कॉलिन गोन्सालवे ने कहा कि इन मुद्दों पर चर्चा करने के लिए हाल में बैठक हुई थी जो क़रीब दो घंटे से भी कम समय में ख़त्म हो गई और इसका कोई संतोषजनक हल नहीं निकला।

याचिका में प्रार्थी का ज़िक्र करते हुए पीठ ने कहा, "बैठक और विवरणों से यह स्पष्ट है कि इस अधिनियम को लागू नहीं किया जा सकता है।"

अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि इस अधिनियम के क्रियान्वयन को केंद्रीकृत किया जाना था क्योंकि राज्यों के अपने अलग-अलग विचार है।

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने नागरिक समाज (civil society) समूहों को शामिल करने की आवश्यकता पर बल दिया था और विनिर्माण श्रमिकों के कल्याण से संबंधित गैर-सरकारी संगठनों से सहायता लेने के लिए केंद्र से कहा था।

श्रम तथा रोज़गार मंत्रालय के सचिव ने अदालत को बताया था कि विनिर्माण श्रमिकों के कल्याण के लिए एक राष्ट्रीय पोर्टल की स्थापना की जा रही है और योगदान करने के लिए एनजीओ द्वारा इस्तेमाल किया जा सकता है।

construction workers
Modi
working class
building and construction workers act

Related Stories

मोदी का ‘सिख प्रेम’, मुसलमानों के ख़िलाफ़ सिखों को उपयोग करने का पुराना एजेंडा है!

भारत को राजमार्ग विस्तार की मानवीय और पारिस्थितिक लागतों का हिसाब लगाना चाहिए

कटाक्ष: महंगाई, बेकारी भुलाओ, मस्जिद से मंदिर निकलवाओ! 

मुंडका अग्निकांड : क्या मज़दूरों की जान की कोई क़ीमत नहीं?

मज़दूर दिवस : हम ऊंघते, क़लम घिसते हुए, उत्पीड़न और लाचारी में नहीं जियेंगे

ज़रूरी है दलित आदिवासी मज़दूरों के हालात पर भी ग़ौर करना

मई दिवस: मज़दूर—किसान एकता का संदेश

महामारी के मद्देनजर कामगार वर्ग की ज़रूरतों के अनुरूप शहरों की योजना में बदलाव की आवश्यकता  

उत्तराखंड चुनाव: राज्य में बढ़ते दमन-शोषण के बीच मज़दूरों ने भाजपा को हराने के लिए संघर्ष तेज़ किया

टीकाकरण फ़र्जीवाड़ाः अब यूपी-झारखंड के सीएम को भी बिहार में लगाया गया टीका


बाकी खबरें

  • food
    रश्मि सहगल
    अगर फ़्लाइट, कैब और ट्रेन का किराया डायनामिक हो सकता है, तो फिर खेती की एमएसपी डायनामिक क्यों नहीं हो सकती?
    18 May 2022
    कृषि विशेषज्ञ देविंदर शर्मा का कहना है कि आज पहले की तरह ही कमोडिटी ट्रेडिंग, बड़े पैमाने पर सट्टेबाज़ी और व्यापार की अनुचित शर्तें ही खाद्य पदार्थों की बढ़ती क़ीमतों के पीछे की वजह हैं।
  • hardik patel
    भाषा
    हार्दिक पटेल ने कांग्रेस से इस्तीफ़ा दिया
    18 May 2022
    उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को भेजे गए त्यागपत्र को ट्विटर पर साझा कर यह जानकारी दी कि उन्होंने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है।
  • perarivalan
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    राजीव गांधी हत्याकांड: सुप्रीम कोर्ट ने दोषी पेरारिवलन की रिहाई का आदेश दिया
    18 May 2022
    उम्रकैद की सज़ा काट रहे पेरारिवलन, पिछले 31 सालों से जेल में बंद हैं। कोर्ट के इस आदेश के बाद उनको कभी भी रिहा किया जा सकता है। 
  • corona
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में कोरोना मामलों में 17 फ़ीसदी की वृद्धि
    18 May 2022
    देश में कोरोना के मामलों में आज क़रीब 17 फ़ीसदी मामलों की बढ़ोतरी हुई है | स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार देश में 24 घंटो में कोरोना के 1,829 नए मामले सामने आए हैं|
  • RATION CARD
    अब्दुल अलीम जाफ़री
    योगी सरकार द्वारा ‘अपात्र लोगों’ को राशन कार्ड वापस करने के आदेश के बाद यूपी के ग्रामीण हिस्से में बढ़ी नाराज़गी
    18 May 2022
    लखनऊ: ऐसा माना जाता है कि हाल ही में संपन्न हुए उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की जीत के पीछे मुफ्त राशन वित
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License