NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
अर्थव्यवस्था
केंद्र सरकार पाँच साल से ज़्यादा से खाली पड़े पदों को खत्म करने की फ़िराक में
यह फैसला ऐसे समय में किया जा रहा है जब देश पहले से ही बढ़ती बेरोज़गारी की चपेट में है I
शिल्पा शाजी
03 Feb 2018
बेरोज़गारी

सालाना 1 करोड़ नए रोज़गार पैदा करने के वायदे की सीढ़ियाँ चढ़ सत्ता तक पहुँचने वाली मोदी सरकार, अब पाँच से ज़्यादा सालों से खाली पड़े सरकारी पदों को ख़त्म करने की फिराक़ में है I सरकार ने सभी मंत्रालयों और विभागों से इस विषय में उनकी विस्तृत रिपोर्ट माँगी हैI लेकिन अचम्भे की बात यह है कि ये पद विभिन्न सरकारों की वजह से खाली पड़ें हैं और उनकी गलतियों की वजह से अब नयी भर्तियों को तिलांजलि दी जा रही है I यह पद इसलिए खाली हैं क्योंकि सरकार ने नियुक्तियाँ नहीं कीं और अब सरकार ही इन खाली पदों को खत्म करने पर आमादा है!   

16 जनवरी 2018 को वित्त मंत्रालय ने एक नए ऑफिस मेमोरेंडम में कहा है कि कुछ मंत्रालयों और विभागों ने 12 अप्रैल 2017 को भेजे गये पुराने मेमोरेंडम का जवाब दिया है लेकिन ज़्यादातर ने विस्तृत रिपोर्ट की बजाये सिर्फ एक ब्यौरा भर दे दिया है I

12 अप्रैल 2017 को वित्त मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले व्यय विभाग ने सभी मंत्रालयों और विभागों से उनकी रिपोर्ट माँगी थी, जिसमें कि उन क़दमों का विस्तार से बयान माँगा गया जो उन्होंने पाँच साल से ज़्यादा से खाली पड़े पदों को ख़त्म करने के लिए उठाये हैं I यह निर्देश सभी मंत्रालयों/विभागों, उनसे सम्बद्ध दफ़्तरों, अधीनस्त दफ़्तरों, संवैधानिक निकायों आदि पर लागू हैंI

मेमोरेंडम में कहा गया कि, “सभी मंत्रालय/विभाग इस विभाग को, तीन महीने के भीतर, अपनी-अपनी कार्यवाही रिपोर्ट भेजें जिनमें उन उपायों का ब्यौरा हो जो मंत्रालयों/विभागों ने अपने प्रशासनिक नियंत्रण में आने वाले पाँच साल से ज़्यादा से खाली पड़े पदों को खत्म करने के लिए किये हैं I साथ ही, किसी भी तरह के नये पदों या पुराने ख़ारिज पदों को पुन: भरने के लिए यदि कोई भी नया प्रस्ताव दिया जाता है, तो इसके साथ एक सर्टिफिकेट भी दिया जाना चाहिए जिससे साबित हो कि पाँच साल से ज़्यादा से खाली पड़े पदों को, प्रस्ताव दाखिल करने की तारीख़ तक, ख़त्म कर दिया गया हैI”

नये मेमोरेंडम से वित्त मंत्रालय ने एक बार फिर पाँच साल से ज़्यादा से खाली पदों को खत्म करने की अपने पुराने निर्णय को पुन: लागू किया है I इस निर्णय को लागू करने के एक प्रयास के रूप में सभी मंत्रालयों/विभागों के वित्तीय सलाहकारों और सह-सचिवों को निर्देश दिया है कि वे इस तरह के सभी पदों की जल्द-से-जल्द पहचान करें और इन्हें ख़त्म करने के लिए रिपोर्ट भेजें I

इसके बाद गृह मंत्रालय ने अपने सभी अतिरिक्त सचिवों, सह-सचिवों, पेरा-मिलट्री फोर्सेज़ के चीफ़ों और दूसरे सम्बद्ध संगठनों से विस्तृत रिपोर्ट देने के लिए कहा है I यह जानकारी गृह मंत्रालय के एक अफ़सर ने दी है I

केंद्र सरकार के नागरिक कर्मचारियों की आय और भत्तों पर 2016-17 की सालाना रिपोर्ट के मुताबिक 1 मार्च 2016 तक केंद्र सरकार के नियमित नागरिक कर्मचारियों की अधिकृत क्षमता 36.34 लाख थी जबकि असल में कुल 32.21 लाख पदों पर ही लोग काम कर रहे हैं I

इसी रिपोर्ट का हवाला देते हुए, 20 दिसम्बर 2017 को केंद्रीय राज्य मंत्री (कार्मिक) जितेन्द्र सिंह ने संसद को सूचित किया कि विभिन्न मंत्रालय/विभाग मिलाकर 36,33,935 कर्मचारियों की अधिकृत क्षमता में से 4,12,752 पद खाली पड़े हैं I

अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के मुताबिक, हर साल 1 करोड़ नये रोज़गार देने का वायदा करने वाले मोदी जी की सरकार ने पिछले साल अक्टूबर तक कुल 8,23,000 नए रोज़गार ही दिए, इनमें से भी ज़्यादातर नौकरियाँ असुरक्षित ही हैं I मोदी सरकार का नौकरियाँ खत्म करने का यह कदम ऐसे समय में आया है जबकि देश पहले से ही बेरोज़गारी के संकट से जूझ रहा है I  

इंडियन काउन्सिल फॉर रिसर्च ऑन इंटरनेशनल इकॉनोमिक रिलेशंस (ICRIER) की राधिका कपूर के एक हालिया अध्ययन, “Waiting for Jobs” ने इंगित किया है कि पिछले कुछ सालों से देश में नये रोज़गार बहुत सुस्त गति से उत्पन्न हुए हैं Iइस अध्ययन में कुछ आँकड़े दिए गये हैं जिनसे देश में बेरोज़गारी के गहराते संकट की हमारे सामने आती है I

पहला, लेबर ब्यूरो के सालाना हाउसहोल्ड एम्प्लॉयमेंट सर्वे से पता चलता है कि वित्तीय वर्ष 2013-14 के 48.04 करोड़ के कुल रोज़गार के मुक़ाबले वित्तीय वर्ष 2015-16 में कुल रोज़गार घटकर 46.76 करोड़ रह गया I इसी काल में, उत्पादन क्षेत्र (संगठित और असंगठित दोनों) में भी रोज़गार के अवसर 5.14 करोड़ से घटकर 4.81 करोड़ ही रह गये I  

अध्ययन में जो दूसरा विश्लेषण मिलता है वह है एनुअल सर्वेस ऑफ इंडस्ट्रीज (ASI) द्वारा उपलब्ध डेटा का, यह सर्वे संगठित उत्पादन क्षेत्र के उद्यमों में ही किया जाता है I हालांकि, यहाँ रोज़गार के अवसर साल 2013-14 में 1.29 करोड़ से बढ़कर साल 2014-15 में 1.32 करोड़ हो गये, लेकिन इनमें से 85.02% नौकरियाँ ठेके पर थीं I

इस अध्ययन ने हाल ही में शुरू हुए नेशनल करियर सर्विसेज (NCS) सहित विभिन्न प्रशासनिक डेटा को भी अपने विश्लेषण में शामिल किया I मार्च 2016 तक NCS पोर्टल में 3.62 करोड़ लोगों ने खुद को पंजीकृत किया और यह सभी नौकरी की तलाश में थे और अक्टूबर 2017 तक इनकी तादाद बढ़कर 3.92 करोड़ हो गयी I इतनी बड़ी संख्या के बरअक्स नौकरियाँ निकलीं सिर्फ 7.73 लाख I

इन आँकड़ों से साफ ज़ाहिर होता है की देश में बेरोज़गारी का संकट गहराता ही जा रहा है I ऐसी स्थिति में भी सरकार नौकरियाँ ख़त्म करने से बाज़ नहीं आ रही I

बेरोज़गारी
unemployment
नरेंद्र मोदी
जुमला सरकार
सरकारी नौकरी

Related Stories

डरावना आर्थिक संकट: न तो ख़रीदने की ताक़त, न कोई नौकरी, और उस पर बढ़ती कीमतें

उत्तर प्रदेश: "सरकार हमें नियुक्ति दे या मुक्ति दे"  इच्छामृत्यु की माँग करते हजारों बेरोजगार युवा

मोदी@8: भाजपा की 'कल्याण' और 'सेवा' की बात

UPSI भर्ती: 15-15 लाख में दरोगा बनने की स्कीम का ऐसे हो गया पर्दाफ़ाश

मोदी के आठ साल: सांप्रदायिक नफ़रत और हिंसा पर क्यों नहीं टूटती चुप्पी?

जन-संगठनों और नागरिक समाज का उभरता प्रतिरोध लोकतन्त्र के लिये शुभ है

ज्ञानव्यापी- क़ुतुब में उलझा भारत कब राह पर आएगा ?

वाम दलों का महंगाई और बेरोज़गारी के ख़िलाफ़ कल से 31 मई तक देशव्यापी आंदोलन का आह्वान

सारे सुख़न हमारे : भूख, ग़रीबी, बेरोज़गारी की शायरी

लोगों की बदहाली को दबाने का हथियार मंदिर-मस्जिद मुद्दा


बाकी खबरें

  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    छत्तीसगढ़ः 60 दिनों से हड़ताल कर रहे 15 हज़ार मनरेगा कर्मी इस्तीफ़ा देने को तैयार
    03 Jun 2022
    मनरेगा महासंघ के बैनर तले क़रीब 15 हज़ार मनरेगा कर्मी पिछले 60 दिनों से हड़ताल कर रहे हैं फिर भी सरकार उनकी मांग को सुन नहीं रही है।
  • ऋचा चिंतन
    वृद्धावस्था पेंशन: राशि में ठहराव की स्थिति एवं लैंगिक आधार पर भेद
    03 Jun 2022
    2007 से केंद्र सरकार की ओर से बुजुर्गों को प्रतिदिन के हिसाब से मात्र 7 रूपये से लेकर 16 रूपये दिए जा रहे हैं।
  • भाषा
    मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने चंपावत उपचुनाव में दर्ज की रिकार्ड जीत
    03 Jun 2022
    चंपावत जिला निर्वाचन कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार, मुख्यमंत्री को 13 चक्रों में हुई मतगणना में कुल 57,268 मत मिले और उनके खिलाफ चुनाव लड़ने वाल़ कांग्रेस समेत सभी प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो…
  • अखिलेश अखिल
    मंडल राजनीति का तीसरा अवतार जाति आधारित गणना, कमंडल की राजनीति पर लग सकती है लगाम 
    03 Jun 2022
    बिहार सरकार की ओर से जाति आधारित जनगणना के एलान के बाद अब भाजपा भले बैकफुट पर दिख रही हो, लेकिन नीतीश का ये एलान उसकी कमंडल राजनीति पर लगाम का डर भी दर्शा रही है।
  • लाल बहादुर सिंह
    गैर-लोकतांत्रिक शिक्षानीति का बढ़ता विरोध: कर्नाटक के बुद्धिजीवियों ने रास्ता दिखाया
    03 Jun 2022
    मोदी सरकार पिछले 8 साल से भारतीय राज और समाज में जिन बड़े और ख़तरनाक बदलावों के रास्ते पर चल रही है, उसके आईने में ही NEP-2020 की बड़ी बड़ी घोषणाओं के पीछे छुपे सच को decode किया जाना चाहिए।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License