NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
केरल : 3 विश्वविद्यालयों में लाल परचम, छात्रों ने सांप्रदायिकता और शिक्षा के निजीकरण को नकारा
केरल के तीन मुख्य विश्वविद्यालयों के चुनावों में वामपंथी छात्र संगठन स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ़ इंडिया (एसएफआई) ने शानदार प्रदर्शन किया है।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
12 Sep 2018
sfi

केरल के तीन मुख्य विश्वविद्यालयों के चुनावों में वामपंथी छात्र संगठन स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ़ इंडिया (एसएफआई) ने शानदार प्रदर्शन किया है। पिछले 15 दिनों में हुए छात्र संघ चुनावों में स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ़ इंडिया सबसे बड़ा दल बनकर उभरा है। केरल में कुल 13 विश्वविद्यालय हैं जिनके अंतर्गत हज़ारों कॉलेज हैं। यहाँ हर साल चुनाव होते हैं और इनमें से तीन विश्वविद्यालयों के चुनाव हुए हैं। चुनावों का तरीका यह है कि 1000 छात्रों पर हर कॉलेज से एक कॉउंसलर चुना जाता है और फिर यह कॉउंसलर मुख्य पैनल को चुनते हैं।

इस चरण के चुनावों में कन्नूर विश्वविद्यालय,  कैलीकट विश्वविद्यालय और महात्मा गाँधी विश्वविद्यालय में मतदान हुए। कन्नूर विश्वविद्यालय में 57 कॉलेज आते हैं जहाँ एसएफआई 54 कॉलेजों में मुख्य सीटों पर जीती है। कन्नूर का इलाका केरल के उत्तर में स्थित है और यह एसएफआई का गढ़ माना जाता है।

दूसरा चुनाव कैलिकट विश्वविद्यालय में 3 सितम्बर को हुआ जहाँ 190 कॉलेजों में से 140 में एसएफआई मुख्य पदों पर जीता। बाकी 50 कॉलजों में एबीवीपी 2 कॉलेजों में और 47 कॉलेजों में केरला स्टूडेंट्स यूनियन (जो कि एनएसयूआई से जुड़ा हुआ है) और मुस्लिम स्टूडेंट्स फेडरेशन का गठबंधन विजयी रहा। कैलिकट विश्विद्यालय केरल के सबसे बड़े विश्विद्यालयों में आता है और यहाँ के चुनावों का असर पूरे केरल में होता है। यह केरल के दक्षिणी मालाबार क्षेत्र में स्थित है।

इसी तरह महात्मा गांधी विश्विद्यालय में 144 कॉलेज आते हैं जहाँ से एसएफआई 137 कॉलेजों में जीता। यह केरल के केंद्र में आता है।

बता दें कि कन्नूर विश्वविद्यालय में करीब 1 लाख 50 हजार छात्र हैं, कैलिकट विश्वविद्यालय में करीब 4 लाख छात्र हैं और महात्मा गाँधी विश्वविद्यालय में करीब 3 लाख छात्र हैं। यहाँ जीत इस बात को स्थापित करती है कि हर कॉलेज में 9 मुख्य सीटों में से 5 से ज़्यादा कौन जीता है।

इन चुनावों की एक ख़ास बात यह रही कि इस बार महाराजा कॉलेज में एसएफआई सभी छोटी बड़ी सीटों पर जीता। बता दें कि यह वही विश्वविद्यालय है जहाँ एसएफआई के एक छात्र अभिमन्यु को कैंपस फ्रंट ऑफ़ इंडिया द्वारा क़त्ल कर दिया गया था, जो कि एक इस्लामिक कट्टरपंथी संगठन है। यह मामला जुलाई का है और इसके बाद से ही छात्रों में साम्प्रदायिक ताकतों के खिलाफ रोष है। यही वजह है कि यह परिणाम ऐतिहासिक है।

एसएफआई ने इस बार के चुनावों में छात्रों के स्थानीय मुद्दों के आलावा केंद्र के शिक्षा के निजीकरण के विरोध को लड़ाई का मुख्य मुद्दा बनाया और केंद्र की शिक्षा में निजीकरण की नीति के बरक्स सरकारी शिक्षा में खर्च बढ़ाये जाने की मांग की। इसके आलावा दूसरा मुद्दा था साम्प्रदायिकता। संगठन ने हिंदुत्ववादी और इस्लामिक कट्टरपंथी ताकतों के खिलाफ पूरा मोर्चा खोला। केरल में एक तरफ आरएसएस की ताक़त बढ़ रही है तो दूसरी तरह पीएफआई जैसी इस्लामिक कट्टरपंथी संगठनों की भी मौजूदगी है। देखा यह गया है कि यह दोनों ताक़तें वामपंथी आंदोलन को कमज़ोर करने का प्रयास कर रही हैं। लेकिन अब तक के चुनाव परिणाम बता रहे हैं कि समाज को तोड़ने वाली इन विचारधाराओं को छात्रों ने नाकारा है।

इसके साथ ही केरल में आयी बाढ़ और उसके बाद ज़ोर शोर से चल रहा राहत का काम भी इन चुनावों में एक मुद्दा बनकर उभरा। छात्रों ने यह भी देखा कि किस तरह संघ से जुडी ताकतों ने बाढ़ के दौरान दुष्प्रचार किया और दूसरी तरफ वामपंथी ताक़तों ने राहत का बेहतरीन काम किया। यह मुद्दा भी चुनावों के दौरान उभरकर आया।

केरल के छात्र आंदोलन की ताक़त का अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि कल, मंगलवार ही केरल विश्विद्यालय में 2500 छात्रों ने एक बहुत बड़ा प्रदर्शन किया। यह प्रदर्शन एक छात्र के गलत तरीके से निकाले जाने के खिलाफ था। केरल एसएफआई में करीबन 1500000 छात्र हैं।

एसएफआई का कहना है कि इस जीत के बाद वह ज़्यादा सरकारी कॉलेज और स्कूल बनाने की माँग करेगा। साथ ही वह शिक्षा में हो रहे निजीकरण के खिलाफ अपनी लड़ाई जारी रखेगा।

SFI
Kerala
University elections
student body

Related Stories

दिल्ली: रामजस कॉलेज में हुई हिंसा, SFI ने ABVP पर लगाया मारपीट का आरोप, पुलिसिया कार्रवाई पर भी उठ रहे सवाल

कोरोना अपडेट: केरल, महाराष्ट्र और दिल्ली में फिर से बढ़ रहा कोरोना का ख़तरा

डीवाईएफ़आई ने भारत में धर्मनिरपेक्षता को बचाने के लिए संयुक्त संघर्ष का आह्वान किया

दिल्ली: ''बुलडोज़र राजनीति'' के ख़िलाफ़ सड़क पर उतरे वाम दल और नागरिक समाज

एलएसआर के छात्रों द्वारा भाजपा प्रवक्ता का बहिष्कार लोकतंत्र की जीत है

बैठक में नहीं पहुंचे अधिकारी, छात्र बोले- जेएनयू प्रशासन का रवैया पक्षपात भरा है

सीपीआईएम पार्टी कांग्रेस में स्टालिन ने कहा, 'एंटी फ़ेडरल दृष्टिकोण का विरोध करने के लिए दक्षिणी राज्यों का साथ आना ज़रूरी'

‘जेएनयू छात्रों पर हिंसा बर्दाश्त नहीं, पुलिस फ़ौरन कार्रवाई करे’ बोले DU, AUD के छात्र

जेएनयू हिंसा: प्रदर्शनकारियों ने कहा- कोई भी हमें यह नहीं बता सकता कि हमें क्या खाना चाहिए

JNU: मांस परोसने को लेकर बवाल, ABVP कठघरे में !


बाकी खबरें

  • maliyana
    न्यूज़क्लिक टीम
    मलियाना कांडः 72 मौतें, क्रूर व्यवस्था से न्याय की आस हारते 35 साल
    23 May 2022
    ग्राउंड रिपोर्ट में वरिष्ठ पत्रकार भाषा सिंह न्यूज़क्लिक की टीम के साथ पहुंची उत्तर प्रदेश के मेरठ ज़िले के मलियाना इलाके में, जहां 35 साल पहले 72 से अधिक मुसलमानों को पीएसी और दंगाइयों ने मार डाला…
  • न्यूजक्लिक रिपोर्ट
    बनारस : गंगा में नाव पलटने से छह लोग डूबे, दो लापता, दो लोगों को बचाया गया
    23 May 2022
    अचानक नाव में छेद हो गया और उसमें पानी भरने लगा। इससे पहले कि लोग कुछ समझ पाते नाव अनियंत्रित होकर गंगा में पलट गई। नाविक ने किसी सैलानी को लाइफ जैकेट नहीं पहनाया था।
  • न्यूजक्लिक रिपोर्ट
    ज्ञानवापी अपडेटः जिला जज ने सुनवाई के बाद सुरक्षित रखा अपना फैसला, हिन्दू पक्ष देखना चाहता है वीडियो फुटेज
    23 May 2022
    सोमवार को अपराह्न दो बजे जनपद न्यायाधीश अजय विश्वेसा की कोर्ट ने सुनवाई पूरी कर ली। हिंदू और मुस्लिम पक्ष की चार याचिकाओं पर जिला जज ने दलीलें सुनी और फैसला सुरक्षित रख लिया।
  • अशोक कुमार पाण्डेय
    क्यों अराजकता की ओर बढ़ता नज़र आ रहा है कश्मीर?
    23 May 2022
    2019 के बाद से जो प्रक्रियाएं अपनाई जा रही हैं, उनसे ना तो कश्मीरियों को फ़ायदा हो रहा है ना ही पंडित समुदाय को, इससे सिर्फ़ बीजेपी को लाभ मिल रहा है। बल्कि अब तो पंडित समुदाय भी बेहद कठोर ढंग से…
  • राज वाल्मीकि
    सीवर कर्मचारियों के जीवन में सुधार के लिए ज़रूरी है ठेकेदारी प्रथा का ख़ात्मा
    23 May 2022
    सीवर, संघर्ष और आजीविक सीवर कर्मचारियों के मुद्दे पर कन्वेन्शन के इस नाम से एक कार्यक्रम 21 मई 2022 को नई दिल्ली के कॉन्स्टिट्यूशन क्लब ऑफ़ इंडिया मे हुआ।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License