NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
नज़रिया
साहित्य-संस्कृति
भारत
राजनीति
किस किस को पसंद न किया मोदी जी के प्यार में!
जिन लोगों को न चाहते हुए भी मुझे लाइक करना पड़ रहा है उनमें से एक गोडसे भी हैं। नाथूराम गोडसे। मैं दायीं आंख से देखता हूँ तो मुझे बहुत सारे गोडसे भक्त दिखाई देते हैं।
डॉ. द्रोण कुमार शर्मा
28 Jul 2019
सांकेतिक तस्वीर
प्रतीकात्मक तस्वीर। साभार : TV9 Bharatvarsh

जब से मेरी दाहिनी आंख का आपरेशन हुआ है और मुझे दाईं ओर से अधिक दिखने लगा है और जब से मैं मोदी जी को पसंद करने लगा हूँ तब से मोदी जी के साथ साथ बहुत सारे ऐसे लोगों को पसंद करना पड़ रहा है जिन्हें मैं पहले पसंद करने की कल्पना भी नहीं कर सकता था। उनमें से एक हैं भाजपा की सांसद प्रज्ञा ठाकुर। क्या गजब की सांसद हैं। जब चुनाव लड़ रही थीं तब भी मन की बात बोलने से पीछे नहीं हटतीं थीं। मोदी जी ने तो मन की बात बोलना प्रधानमंत्री बनने के बाद ही शुरू किया पर प्रज्ञा जी तो चुनाव से पहले से ही मन की बात बोलती आ रही हैं।

प्रज्ञा ठाकुर महान हैं। भोपाल के लोगों का सौभाग्य है कि उन्हें इतनी महान सांसद मिली है। उनकी खासियत यह है कि जिन कार्यों को उन्होंने नहीं किया होता है वे उनका भी श्रेय ले लेती हैं और जिन्हें उन्होंने किया होता है उन्हें नकारती हैं। वे बाबरी मस्जिद के विध्वंस का श्रेय लेने के लिए तैयार हैं पर जो विस्फोट वास्तव में किये, जिनके लिए सरकारें और कोर्ट उन्हें जिम्मेदार ठहराते रहे हैं, उनसे मना करती हैं। महान लोगों की यही निशानी होती है कि अपने द्वारा किये गए कार्यों का श्रेय स्वयं नहीं लेते हैं, दूसरों को दे देते हैं। साध्वी हैं इसलिए देशभक्तों को भी श्राप दे सकती हैं। इसीलिए आतंकवादी गतिविधियों के खिलाफ लड़ने वाले हेमंत करकरे को श्राप दे दिया। साध्वी जी गोडसे की भक्त हैं यह वे सार्वजनिक कर चुकी हैं। और किस देवी देवता या भगवान की भक्त हैं, भक्त हैं भी या नहीं, यह उन्होंने अभी तक सार्वजनिक नहीं किया है।

tirchi najar after change new_25.png

जिन लोगों को न चाहते हुए भी मुझे लाइक करना पड़ रहा है उनमें से एक गोडसे भी हैं। नाथूराम गोडसे। मैं दायीं आंख से देखता हूँ तो मुझे बहुत सारे गोडसे भक्त दिखाई देते हैं। उनमें से कुछ ऐसे हैं जो खुले आम गोडसे की प्रशंसा करते हैं और कुछ ऐसे हैं जो, प्रशासनिक पदों पर रहने के कारण खुले आम ऐसा नहीं कर सकते हैं। वे गोडसे की प्रशंसा करने वालों को दिमाग से तो माफ कर देते हैं पर दिल से नहीं। वे गोडसे भक्तों को न दल से निकालते हैं और न दिल या दिमाग से। अब गोडसे कितना सिद्धांतवादी था ये तो उसके प्रशंसक ही जानते होंगे पर गोडसे ने गांधी की हत्या इसलिए भी की थी कि गांधी अपने वायदा निभाने के सिद्धांत के अनुरूप पचपन करोड़ रुपये पाकिस्तान को देने पर अड़े थे। पर मैं तो गोडसे का ही फैन हूँ, गांधी का नहीं, क्योंकि साध्वी प्रज्ञा गोडसे की फैन हैं और मोदी जी उन्हें दिमाग से (दिल से नही) माफ कर चुके हैं। वैसे यह दिल से माफ करना क्या होता है, सोचने समझने के सारे काम तो दिमाग ही करता है।

गोडसे का फैन होने पर पूजा शगुन पांडेय का भी फैन होना जरूरी है। आप कहेंगे कि यह पूजा पांडेय कौन हैं। ये वही हैं जिन्होंने अलीगढ़ में तीस जनवरी को गांधी जी के पुतले पर नकली गोलियां चलाई थीं। गोडसे इन्हें इतना पसंद है कि जिस दिन गोडसे ने गांधी की हत्या की, उसी दिन को पूजा पांडेय ने दोहराने/मनाने की कोशिश की। जैसे हम दशहरा मनाते हैं वैसे ही पूजा पांडेय ने तीस जनवरी मनाई। अब प्रज्ञा को पसंद करें, गोडसे को पसंद करें, तो यह कैसे हो सकता है कि पूजा शगुन पांडेय को पसंद न करें। जब आप दायीं ओर देखते हैं, दक्षिणपंथी हो जाते हैं तो आपकी पसंद नापसंद आपकी नहीं रहती है, यह आरएसएस की या भाजपा की पसंद बन जाती है। आप चाहे दिल्ली में रहते हों या मुम्बई में या फिर  कहीं और, नागपुर की पसंद आपकी पसंद बन जाती है।

अब जिन्हें मैं हाल फिलहाल में पसंद करने लगा हूँ उनकी लिस्ट बहुत लम्बी है। मैं साक्षी महाराज को पसंद करने लगा हूँ, मेनका गांधी को भी पसंद करने लगा हूँ। वैसे अब मैं यह कह सकता हूँ कि गांधियों में सिर्फ मेनका ही ऐसी हैं जिन्हें आप पसंद कर सकते हैं। कैलाश विजयवर्गीय और उनके पुत्र आकाश को भी पसंद करने लगा हूँ। अब अमित शाह जी को भी पसंद करता हूँ। जब शाहबुद्दीन एनकाउंटर के बारे में पढा सुना था, जस्टिस लोया के बारे में पता चला था तब डर के कारण पसंद करता था पर अब तो दिल से पसंद करने लगा हूँ क्योंकि अब वे देश के गृहमंत्री हैं।

(इस व्यंग्य स्तंभ के लेखक पेशे से चिकित्सक हैं।)

tirchi nazar
Satire
Political satire
Narendra modi
Nathuram Godse
Pragya Singh Thakur
sakshi maharaj
Hindutva

Related Stories

PM की इतनी बेअदबी क्यों कर रहे हैं CM? आख़िर कौन है ज़िम्मेदार?

ख़बरों के आगे-पीछे: मोदी और शी जिनपिंग के “निज़ी” रिश्तों से लेकर विदेशी कंपनियों के भारत छोड़ने तक

कविता का प्रतिरोध: ...ग़ौर से देखिये हिंदुत्व फ़ासीवादी बुलडोज़र

यूपी में संघ-भाजपा की बदलती रणनीति : लोकतांत्रिक ताकतों की बढ़ती चुनौती

बात बोलेगी: मुंह को लगा नफ़रत का ख़ून

ख़बरों के आगे-पीछे: क्या अब दोबारा आ गया है LIC बेचने का वक्त?

मुस्लिम जेनोसाइड का ख़तरा और रामनवमी

नफ़रत की क्रोनोलॉजी: वो धीरे-धीरे हमारी सांसों को बैन कर देंगे

ख़बरों के आगे-पीछे: गुजरात में मोदी के चुनावी प्रचार से लेकर यूपी में मायावती-भाजपा की दोस्ती पर..

ख़बरों के आगे-पीछे: राष्ट्रीय पार्टी के दर्ज़े के पास पहुँची आप पार्टी से लेकर मोदी की ‘भगवा टोपी’ तक


बाकी खबरें

  • शारिब अहमद खान
    ईरानी नागरिक एक बार फिर सड़कों पर, आम ज़रूरत की वस्तुओं के दामों में अचानक 300% की वृद्धि
    28 May 2022
    ईरान एक बार फिर से आंदोलन की राह पर है, इस बार वजह सरकार द्वारा आम ज़रूरत की चीजों पर मिलने वाली सब्सिडी का खात्मा है। सब्सिडी खत्म होने के कारण रातों-रात कई वस्तुओं के दामों मे 300% से भी अधिक की…
  • डॉ. राजू पाण्डेय
    विचार: सांप्रदायिकता से संघर्ष को स्थगित रखना घातक
    28 May 2022
    हिंसा का अंत नहीं होता। घात-प्रतिघात, आक्रमण-प्रत्याक्रमण, अत्याचार-प्रतिशोध - यह सारे शब्द युग्म हिंसा को अंतहीन बना देते हैं। यह नाभिकीय विखंडन की चेन रिएक्शन की तरह होती है। सर्वनाश ही इसका अंत है।
  • सत्यम् तिवारी
    अजमेर : ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ की दरगाह के मायने और उन्हें बदनाम करने की साज़िश
    27 May 2022
    दरगाह अजमेर शरीफ़ के नीचे मंदिर होने के दावे पर सलमान चिश्ती कहते हैं, "यह कोई भूल से उठाया क़दम नहीं है बल्कि एक साज़िश है जिससे कोई मसला बने और देश को नुकसान हो। दरगाह अजमेर शरीफ़ 'लिविंग हिस्ट्री' है…
  • अजय सिंह
    यासीन मलिक को उम्रक़ैद : कश्मीरियों का अलगाव और बढ़ेगा
    27 May 2022
    यासीन मलिक ऐसे कश्मीरी नेता हैं, जिनसे भारत के दो भूतपूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और मनमोहन सिंह मिलते रहे हैं और कश्मीर के मसले पर विचार-विमर्श करते रहे हैं। सवाल है, अगर यासीन मलिक इतने ही…
  • रवि शंकर दुबे
    प. बंगाल : अब राज्यपाल नहीं मुख्यमंत्री होंगे विश्वविद्यालयों के कुलपति
    27 May 2022
    प. बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बड़ा फ़ैसला लेते हुए राज्यपाल की शक्तियों को कम किया है। उन्होंने ऐलान किया कि अब विश्वविद्यालयों में राज्यपाल की जगह मुख्यमंत्री संभालेगा कुलपति पद का कार्यभार।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License