सरकार अपने ही लोगों से 'मनोवैज्ञानिक-जंग' करती नजर आ रही है. वह किसान-विरोधी और कारपोरेट पक्षी तीन कृषि क़ानूनों को वापस लेने की अपनी ज़िद छोड़ना नहीं चाहती. सरकार और सत्ताधारी पार्टी ने पूरे देश में किसान आंदोलन और उसके नेताओं के विरुद्ध प्रचार अभियान चला रही है. इसके जवाब में अब किसान नेता भी दूसरे प्रदेशों का दौरा करने लगे हैं. हरियाणा के आंदोलनकारी किसान नेता गुरुनाम सिंह का बिहार दौरा इसका उदाहरण है. इस बीच बिहार, राजस्थान, यूपी, छत्तीसगढ़, तमिलनाडु और महाराष्ट्र में किसानों ने आंदोलन के पक्ष में अभियान तेज कर दिया है. इस बारे में वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश का विश्लेषण: