NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
आंदोलन
मज़दूर-किसान
भारत
राजनीति
किसान एकबार फिर मुख्य विपक्ष की भूमिका में, 3 अगस्त को देशव्यापी विरोध प्रदर्शन
"इस साल एक गंभीर राष्ट्रव्यापी सूखे की संभावना है, जो देश के बड़े हिस्से में लगातार दूसरा सूखा हो सकता है। केंद्र के साथ ही राज्य सरकारों को तुरंत राहत कार्य शुरू करना चाहिए।"
मुकुंद झा
23 Jun 2019
अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति। (फाइल फोटो)

सूखे के बारे में चिंता जाहिर हुए, अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति (AIKSCC) ने दिल्ली में शनिवार को एक संवाददाता सम्मेलन करते हुए केंद्र सरकार से सूखे के संकट से निपटने के लिए सक्रिय कदम उठाने की मांग की। संघर्ष समिति के मुतबिक देश के इतिहास में पहली बार जून में इतनी कम वर्षा हुई है, जिससे किसान खरीफ फसलों की बुवाई नहीं कर पा रहे हैं।
इसके आलावा एआईकेएससीसी के नेताओ ने 6 जून, 2017 को मध्य प्रदेश के मंदसौर में छह किसानों की मौत के लिए जिम्मेदार पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई न करने और उलटे उनकी तरक्की करने को लेकर भी गुस्सा जाहिर किया। समिति ने मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ को उनके चुनाव से पहले किये गए वादों को भी याद दिलाया।
आपको बता दें कि 2017 में मंदसौर में किसानों की मौत के बाद में देश भर के दो सौ दस संगठनों वाली इस अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति का गठन किया गया था।

इसी समिति की ओर से आयोजित इस प्रेस कॉन्फ्रेंस को एआईकेएससीसी के संयोजक वीएम सिंह, पूर्व सांसद राजू शेट्टी, स्वराज अभियान के योगेंद्र यादव और अखिल भारतीय किसान सभा के महासचिव हन्नान मोल्ला ने संबोधित किया।

64664203_2482746075109237_3303929190453084160_n.jpg

AIKSCC की प्रेस कॉन्फ्रेंस

प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा गया कि “20 जून तक, आंध्र प्रदेश में प्रमुख जलाशयों में पानी का स्तर बहुत ही चिंताजनक रूप से  कम हुआ है (सामान्य से 83% नीचे), महाराष्ट्र (औसत से नीचे 71%), तमिलनाडु (43%), केरल (38%), तेलंगाना (36%) , झारखंड (26%), गुजरात (24%) और कर्नाटक (24%) । इसके अलावा आधिकारिक आंकड़ों में धान की बुवाई में 32% की कमी, दालों में 49% की कमी, तिलहन में 53% की कमी और मोटे अनाज में 29% की कमी पिछले साल की तुलना में दिखाई गई है।
राज्य और केंद्र सरकारों से सूखे के संकट पर तुरंत ध्यान  देने का अनुरोध करते हुए एआईकेएससीसी ने मांग की कि सूखे की घोषणा में कोई देरी नहीं होनी चाहिए और उन जिलों के लिए एक विशेष राष्ट्रीय पैकेज की मांग की जो पिछले साल भी सूखे से प्रभावित थे और इसबार भी मानसून में देरी हुई है। इस समय देश का करीब 85 फीसदी भाग सूखे जैसे हालात का सामना कर रहा है।  देश के कई राज्यों खासकर महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक, तमिलनाडु और राजस्थान आदि में पिछले साल भी मानसूनी बारिश कम थी। इसलिए इन राज्यों के जलाशयों में पानी का स्तर भी न्यूनतम स्तर पर चला गया है जिसका असर चालू खरीफ की बुवाई पर भी पड़ा है। सरकारों को इन राज्यों के लिए बिना किसी देरी के राहत पैकज देने की मांग की है। 
न्यूज़क्लिक से बात करते हुए किसान नेता वीएम सिंह ने कहा कि मध्य प्रदेश सरकार ने दो पुलिस अधिकारियों को उच्च रैंक तक पदोन्नत किया जो मंदसौर फायरिंग में शामिल थे। उन्होंने बताया कि एआईकेएससीसी ने मध्य प्रदेश के सीएम और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को इस मामले पर जवाब देने के लिए अलग-अलग पत्र लिखे हैं। इसके  साथ ही अन्य  किसान नेताओं ने भी सरकार के रवैये पर नाराजगी जाहिर करते हुए आरोपी पुलिस अफसरों व जवानों पर कार्रवाई न होने पर अपना गुस्सा जाहिर किया। साथ ही चेतावनी दी दोषियों पर कार्रवाई नहीं हुई तो वो राज्य की कमलनाथ सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करेंगे। 
एआईकेएससीसी ने केंद्र सरकार को सूखा नियमों में संशोधन कर सब्सिडी को बढ़ाकर 10,000 रुपये प्रति एकड़ असिंचित क्षेत्र के लिए करने की मांग की।
इसके आलावा भूमिहीन किसान जो खेती तो करते हैं, लेकिन उन्हें किसी भी प्रकार का कोई लाभ नहीं मिलता है। जिस कारण वो पलायन के लिए मज़बूर होते हैं। इसको रोकने के लिए  केंद्र सरकार को सूखा प्रभावित क्षेत्रों में मनरेगा के तहत काम के दिनों की संख्या 100 से 150 दिनों तक बढ़ाने के प्रावधान को लागू करने और प्रत्येक वयस्क के लिए, बल्कि हर घर के लिए, इकाई के रूप में विचार करने की मांग की। प्रत्येक ग्राम पंचायत में कम से कम एक सार्वजनिक  काम शुरू किया जाना चाहिए, जहाँ श्रमिकों को बिना पूर्व पंजीकरण के काम मिल सके। केंद्र सरकार को सूखा प्रभावित क्षेत्रों में मनरेगा कार्य को लगातार करने के लिए सभी अतिरिक्त वित्त प्रदान करना चाहिए और श्रमिकों को अग्रिम भुगतान की संभावना को भी तलाशना चाहिए।
किसान नेता हन्नान मोल्ला ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा, "पिछले कुछ वर्षों में किसान संगठनों ने कई आंदोलनों के माध्यम से अपने मुद्दों को उठाया, लेकिन विपक्षी दल कृषि संकट को चुनाव का केंद्रीय मुद्दा बनाने में विफल रहे। लेकिन किसान इससे हताश नहीं हैं। किसान एक बार फिर से इस सरकार का मुख्य विपक्षी की भूमिका में है।”  
वे कहते हैं कि देश में सूखे से किसान आज बदहाल हैं, आदिवासी किसानों को सरकार जमीन का मालिकाना हक नहीं दे रही है बल्कि उनके हक की ज़मीन उनसे गैरक़ानूनी रूप से छीन रही है।

कॉन्फ्रेंस में उन्होंने ऐलान किया कि किसान अपनी सभी मांगों को लेकर 3 अगस्त को केंद्र और राज्य सरकारों के खिलाफ हर राज्य में जिलास्तर पर विरोध प्रदर्शन करेंगे। इस दौरान सभी मांगों को लेकर जिलाधिकारियों को ज्ञापन भी सौंपा जाएगा। उन्होंने सभी से किसानों की मांगों के समर्थन में आगे आने की अपील की।

AIKSCC
kisan andolan
kisan sabha
farmers protest
farmer crises
drought in India
drought
किसान आंदोलन
सूखे की समस्या
मानसून

Related Stories

राम सेना और बजरंग दल को आतंकी संगठन घोषित करने की किसान संगठनों की मांग

मोदी सरकार की वादाख़िलाफ़ी पर आंदोलन को नए सिरे से धार देने में जुटे पूर्वांचल के किसान

ग़ौरतलब: किसानों को आंदोलन और परिवर्तनकामी राजनीति दोनों को ही साधना होगा

यूपी चुनाव: किसान-आंदोलन के गढ़ से चली परिवर्तन की पछुआ बयार

किसानों को आंदोलन और राजनीति दोनों को साधना होगा

किसानों ने 2021 में जो उम्मीद जगाई है, आशा है 2022 में वे इसे नयी ऊंचाई पर ले जाएंगे

ऐतिहासिक किसान विरोध में महिला किसानों की भागीदारी और भारत में महिलाओं का सवाल

पंजाब : किसानों को सीएम चन्नी ने दिया आश्वासन, आंदोलन पर 24 दिसंबर को फ़ैसला

लखीमपुर कांड की पूरी कहानी: नहीं छुप सका किसानों को रौंदने का सच- ''ये हत्या की साज़िश थी'’

किसान आंदोलन ने देश को संघर्ष ही नहीं, बल्कि सेवा का भाव भी सिखाया


बाकी खबरें

  • blast
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    हापुड़ अग्निकांड: कम से कम 13 लोगों की मौत, किसान-मजदूर संघ ने किया प्रदर्शन
    05 Jun 2022
    हापुड़ में एक ब्लायलर फैक्ट्री में ब्लास्ट के कारण करीब 13 मज़दूरों की मौत हो गई, जिसके बाद से लगातार किसान और मज़दूर संघ ग़ैर कानूनी फैक्ट्रियों को बंद कराने के लिए सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रही…
  • Adhar
    अनिल जैन
    ख़बरों के आगे-पीछे: आधार पर अब खुली सरकार की नींद
    05 Jun 2022
    हर हफ़्ते की तरह इस सप्ताह की जरूरी ख़बरों को लेकर फिर हाज़िर हैं लेखक अनिल जैन
  • डॉ. द्रोण कुमार शर्मा
    तिरछी नज़र: सरकार जी के आठ वर्ष
    05 Jun 2022
    हमारे वर्तमान सरकार जी पिछले आठ वर्षों से हमारे सरकार जी हैं। ऐसा नहीं है कि सरकार जी भविष्य में सिर्फ अपने पहनावे और खान-पान को लेकर ही जाने जाएंगे। वे तो अपने कथनों (quotes) के लिए भी याद किए…
  • न्यूज़क्लिक डेस्क
    इतवार की कविता : एरिन हेंसन की कविता 'नॉट' का तर्जुमा
    05 Jun 2022
    इतवार की कविता में आज पढ़िये ऑस्ट्रेलियाई कवयित्री एरिन हेंसन की कविता 'नॉट' जिसका हिंदी तर्जुमा किया है योगेंद्र दत्त त्यागी ने।
  • राजेंद्र शर्मा
    कटाक्ष: मोदी जी का राज और कश्मीरी पंडित
    04 Jun 2022
    देशभक्तों ने कहां सोचा था कि कश्मीरी पंडित इतने स्वार्थी हो जाएंगे। मोदी जी के डाइरेक्ट राज में भी कश्मीर में असुरक्षा का शोर मचाएंगे।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License