NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
किसान संसद का पहला दिनः आत्महत्या करने वाले किसानों के परिवार की महिलाओं ने लिया हिस्सा, घटनाओं का किया ज़िक्र
हज़ारों किसानों ने क़र्ज़ माफ़ी और न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाने की मांग को लेकर 'बिल' पारित किए
पी.जी आंबेडकर
21 Nov 2017
किसान मुक्ति संसद

हजारों किसानों ने राजधानी दिल्ली में दो दिवसीय किसान संसद का आयोजन किया। इस दौरान नाराज़ किसानों ने अपनी मांग को लेकर नारे लगाए। सभा में उन किसान के परिवार की महिलाओं ने भी हिस्सा लिया जिन्होंने क़र्ज़ के बोझ के चलते आत्महत्या कर ली थी। इन पीड़ित महिलाओं ने घटनाओं को क्रमानुसार बताया। बाद में किसान नेताओं ने किसानों के लिए पूर्ण ऋण माफी तथा न्यूनतम समर्थन मूल्य (उत्पादन लागत + 50%) के दो 'बिल' पारित किए।

हाल के दिनों में आत्महत्या करवाने वाले किसानों के परिवारों सहित अन्य किसानों ने अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति (एआईकेएससीसी) के बैनर के तले दिल्ली में इकट्ठा हुए हैं। एआईकेएससीसी, अखिल भारतीय किसान सभा, स्वराज अभियान, अखिल भारतीय किसान मंच, स्वाभिमान शेतकारी संगठन सहित180 से अधिक किसानों के संगठनों का एक सर्वसमावेशी मंच है।

इस आयोजन के पहले दिन सोमवार को सुबह में क़रीब 50,000 से अधिक किसानों ने संसद मार्च किया और संसद मार्ग पर किसान संसद शुरू किया। सुबह में एक महिला किसान संसद सत्र आयोजित किया गया। विभिन्न महिला नेताओं द्वारा संबोधित करने के अलावा इस सत्र के दौरान आत्महत्या करवाने वाले किसानों के परिवारों की महिलाओं ने भी किसानों को संबोधित किया।

तेलंगाना के नालगोंडा जिले की कविता ने उन घटनाओं को क्रमवार तरीक़े से ज़िक्र किया जिसके बाद उनके पति ने आत्महत्या कर ली। उन्होंने बताया कि उनके पति कपास बोया करते थे लेकिन फ़सल लगातार तीन साल से नहीं हो रहा था। उनका क़र्ज़ क़रीब 4 लाख रुपए तक पहुंच गया, जो कि उनकी चुकौती की क्षमता से काफ़ी ज़्यादा था। निराशा में कविता के पति ने आत्महत्या का रास्ता चुना और अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली।

इतना ही नहीं कविता को अपने पति खोने के बाद भी परेशानियों का सामना करना पड़ा। अपने पति की मृत्यु के बाद उन्हें अपने पति की जीवन बीमा पॉलिसी के लिए 75,000 रुपए का भुगतान मिलना था। लेकिन इस राशि को बैंक द्वारा लंबित ऋण के पुनर्भुगतान के रूप में ले लिया गया।

अब अपने परिवार के भरणपोषण के लिए कविता दैनिक मज़दूरी करती है। उनके दो बच्चे हैं। एक दो साल की बेटी और एक चार साल का बेटा है।महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक आदि राज्यों से कई अन्य महिला किसानों और मजदूरों ने ज़िंदगी गुज़ारने में होने वाली परेशानियों की इसी तरह की अपनी कहानियां बताईं।

गुजरात के एक महिला किसान पनीबेन सोलंकी ने विकास के तथाकथित गुजरात मॉडल को निशाने पर लेते हुए कहा कि वह 7 लाख रुपए की क़र्ज़दार हैं। वह कपास की खेती करती हैं।

उन्होंने अपनी नाराज़गी व्यक्त करते हुए कहा कि "कोई न्यूनतम समर्थन मूल्य उपलब्ध नहीं है, न ही कोई ऋण माफी है, कोई भी हमारे इस गहरे संकट में मदद करने को तैयार नहीं है। यह किस तरह का 'विकास मॉडल' है? "

दोपहर के सत्र में, किसान आंदोलन के दो नेताओं को मौजूद किसानों द्वारा सम्मानित किया गया। अखिल भारतीय किसान सभा (एआईकेएस) के किसान नेता अमरा राम को सम्मानित किया गया जिन्होंने 20,000 करोड़ रुपए के ऋण को माफ करने के लिए राजस्थान सरकार पर दबाव बनाने के लिए किसानों के एक उग्रवादी जन संघर्ष का सफलतापूर्वक नेतृत्व किया, वहीं इस सम्मान को पाने वाले दूसरे किसान महाराष्ट्र में स्वाभिमान शेतकारी संगठन (एसएसएस) के राजू शेट्टी थे जिन्होंने किसानों के अधिकारों को लेकर संघर्ष करने के लिए एनडीए छोड़ दिया था।

बाद में, दो मसौदा बिल किसानों के संसद के समक्ष पेश किया गया। किसानों के ऋण माफी पर बिल हन्नान मोल्लाह द्वारा पेश किया गया था। 8 बार सांसद रह चुके मोल्लाह एआईकेएस के नेता हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि मोदी के साढ़े तीन साल के शासन के दौरान किसानों की आत्महत्याओं में 42% की बढ़ोतरी हुई है। पुलिस की गोलीबारी में कई दर्जन किसान मारे गए। ये 'बिल' सभी स्रोतों से किसानों के क़र्ज़ के लिए संपूर्ण ऋण माफी की मांग करता है।

न्यूनतम समर्थन मूल्यों पर यह 'बिल' एसएसएस के राजू शेट्टी ने पेश किया। ये यह सुनिश्चित करने की मांग की गई कि किसानों को कम से कम लागत मूल्य के अलावा 50% अतिरिक्त बाजार मूल्य मिलना चाहिए। शेट्टी ने कहा कि यह प्रधानमंत्री मोदी का चुनावी वादा था। साथ ही उन्होंने कहा कि कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह को संसद में इस बिल को पेश करना चाहिए।

 

farmers protest
farmer
Modi
BJP

Related Stories

भाजपा के इस्लामोफ़ोबिया ने भारत को कहां पहुंचा दिया?

कश्मीर में हिंसा का दौर: कुछ ज़रूरी सवाल

सम्राट पृथ्वीराज: संघ द्वारा इतिहास के साथ खिलवाड़ की एक और कोशिश

हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है

मोहन भागवत का बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को क्लीनचिट

मंडल राजनीति का तीसरा अवतार जाति आधारित गणना, कमंडल की राजनीति पर लग सकती है लगाम 

बॉलीवुड को हथियार की तरह इस्तेमाल कर रही है बीजेपी !

गुजरात: भाजपा के हुए हार्दिक पटेल… पाटीदार किसके होंगे?


बाकी खबरें

  • शारिब अहमद खान
    ईरानी नागरिक एक बार फिर सड़कों पर, आम ज़रूरत की वस्तुओं के दामों में अचानक 300% की वृद्धि
    28 May 2022
    ईरान एक बार फिर से आंदोलन की राह पर है, इस बार वजह सरकार द्वारा आम ज़रूरत की चीजों पर मिलने वाली सब्सिडी का खात्मा है। सब्सिडी खत्म होने के कारण रातों-रात कई वस्तुओं के दामों मे 300% से भी अधिक की…
  • डॉ. राजू पाण्डेय
    विचार: सांप्रदायिकता से संघर्ष को स्थगित रखना घातक
    28 May 2022
    हिंसा का अंत नहीं होता। घात-प्रतिघात, आक्रमण-प्रत्याक्रमण, अत्याचार-प्रतिशोध - यह सारे शब्द युग्म हिंसा को अंतहीन बना देते हैं। यह नाभिकीय विखंडन की चेन रिएक्शन की तरह होती है। सर्वनाश ही इसका अंत है।
  • सत्यम् तिवारी
    अजमेर : ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ की दरगाह के मायने और उन्हें बदनाम करने की साज़िश
    27 May 2022
    दरगाह अजमेर शरीफ़ के नीचे मंदिर होने के दावे पर सलमान चिश्ती कहते हैं, "यह कोई भूल से उठाया क़दम नहीं है बल्कि एक साज़िश है जिससे कोई मसला बने और देश को नुकसान हो। दरगाह अजमेर शरीफ़ 'लिविंग हिस्ट्री' है…
  • अजय सिंह
    यासीन मलिक को उम्रक़ैद : कश्मीरियों का अलगाव और बढ़ेगा
    27 May 2022
    यासीन मलिक ऐसे कश्मीरी नेता हैं, जिनसे भारत के दो भूतपूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और मनमोहन सिंह मिलते रहे हैं और कश्मीर के मसले पर विचार-विमर्श करते रहे हैं। सवाल है, अगर यासीन मलिक इतने ही…
  • रवि शंकर दुबे
    प. बंगाल : अब राज्यपाल नहीं मुख्यमंत्री होंगे विश्वविद्यालयों के कुलपति
    27 May 2022
    प. बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बड़ा फ़ैसला लेते हुए राज्यपाल की शक्तियों को कम किया है। उन्होंने ऐलान किया कि अब विश्वविद्यालयों में राज्यपाल की जगह मुख्यमंत्री संभालेगा कुलपति पद का कार्यभार।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License