NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
आंदोलन
भारत
राजनीति
किसानों की आय बढ़ाने में सहायक पी.एम.-किसान योजना चरमरा रही है
केवल 37 प्रतिशत किसानों को अभी तक मान्य माना गया है और केवल 21 प्रतिशत को ही दूसरी किस्त मिली है।
सुबोध वर्मा
24 Jul 2019
Translated by महेश कुमार
किसानों की आय बढ़ाने में सहायक पी.एम.-किसान योजना चरमरा रही है

जब इस साल फ़रवरी के अंतिम सप्ताह में इसकी घोषणा की गई थी, तो किसानों के लिए आय सहायता योजना (या पीएम-किसान) को मुख्यधारा के मीडिया ने इसे भारतीय जनता पार्टी का "गेम चेंजर" और "मास्टर स्ट्रोक" कहा था। आम चुनावों में मुश्किल से कुछ सप्ताह का वक्त था, और आदर्श आचार संहिता को भी कुछ ही दिनों में लागू होना था। कई लोग सोचते हैं कि नरेंद्र मोदी की जीत में इस योजना की बड़ी भूमिका हो सकती है। फिर से सत्ता संभालने के बाद, सरकार ने तुरंत घोषणा की कि इस योजना को सभी किसानों तक पहुंचाया जाएगा, न कि केवल छोटे और सीमांत किसानों तक।

लेकिन इसके कवरेज की हदों के बाद हालिया खुलासे से पता चलता है कि यह योजना बुरी तरह से चरमरा रही है। कृषि मंत्रालय द्वारा चलाए जा रहे आधिकारिक पोर्टल के अनुसार, अनुमानित 15,12 करोड़ किसानों में से सरकार ने इस साल 22 जुलाई तक केवल 5.6 करोड़ किसानों को ही मान्य पाया है जो कुल पात्रता का मात्र 37 प्रतिशत है जिन्हें 6,000 रुपये प्रति वर्ष अपने विस्तारित संस्करण में दिए जाना घोषित किया है।

farmer 1.JPG

इससे भी अधिक घातक उनके आंकड़े हैं जिन्हें यह लाभ दिया गया है। यह पैसा कुल 27 प्रतिशत पात्र किसानों को मिला – जो कुछ 4.15 करोड़ किसान बैठता है – जिसमें ठीक चुनावों से पहले 2,000 रुपये की पहली किस्त दी गयी थी। प्रति किसान रुपये की मात्रा ज़्यादा नहीं थी और एक तिहाई से भी कम थी, लेकिन उन्हें उम्मीदें थीं कि और पैसा आएगा, और हर किसी के लिए आएगा। नव नियुक्त कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के अनुसार,पहली किस्त में कुल राशि 8,290.61 करोड़ रुपये दी गयी थी, जिसे उन्होंने 19 जुलाई को राज्यसभा में प्रश्न संख्या 293 के जवाब में बताया था।

दूसरी किस्त के जारी होने से (प्रत्येक को 2,000 रुपए) लगभग 6,355.86 करोड़ रुपये वितरित किए गए हैं। यह पात्र किसानों का 21 प्रतिशत बैठता है। इसका मतलब यह है कि उन सभी को भी दुसरी किस्त नहीं मिली, जिन्हें पहली किस्त दी गयी थी। यह अजीब बात है क्योंकि इन किसानों के मामले में भूमि के पट्टे (शीर्षक) या बैंक खातों या आधार के सत्यापन की कोई समस्या नहीं होनी चाहिए थी। इसे तो पहले से ही जांच लिया गया होगा जब पहली किस्त भेजी गई थी।

इस वर्ष पूर्ण बजट में प्रस्तुत 2018-19 के लिए संशोधित अनुमान में 20,000 करोड़ ख़र्च किए हैं (संभवतः पहली किस्त के लिए) दिया गया है। लेकिन दोनों किश्तों के लिए कुल राशि केवल 14,647 करोड़ रुपये बैठती है!

farmer 2.JPG

इस बीच, उन्ही मंत्री ने प्रश्न संख्या 129 के जवाब में 21 जून को बताया कि सभी किसानों को कवर करने के लिए योजना के विस्तार के साथ, "वित्तीय वर्ष 2019 के लिए योजना का अपेक्षित खर्च- 87,217.50 करोड़ रुपये होगा जिसमे प्रशासनिक खर्च के 217.50 करोड़ रुपये तक शामिल हैं। ''सरकार ने शुरू में 2019-20 के बजट में रुपये 75,000 करोड़ का आवंटन किया था।

तो श्रीमान, लब्बोलुआब यह है कि: सरकार ने पीएम किसान योजना के तहत किसानों को संवितरण के लिए कुल 1.07 लाख करोड़ रुपये की राशि निर्धारित की है, लेकिन पांच महीने में सरकार कुल 14.647 करोड़ रुपये ही दे पाई है। जो कुल राशी का लगभग 14 प्रतिशत है।

कुछ राज्य बहुत पीछे हैं

अलग-अलग राज्यों पर नज़र डालते हुए, और संसद में उपलब्ध कराई गई जानकारी से पता चलता है कि कुछ राज्य दूसरों से बहुत पीछे हैं। एक प्रमुख राज्य, पश्चिम बंगाल ने इस योजना को पूरी तरह से लागू करने से इनकार कर दिया है। बिहार में, 1,07 करोड़ कुल पात्र किसानों में से केवल 11प्रतिशत को और मध्य प्रदेश में, 1 करोड़ पात्र किसानों में से केवल 14 प्रतिशत को ही मिला हैं। वास्तव में, केवल कुछ मुट्ठी भर राज्यों ने ही 50प्रतिशत से अधिक पात्र किसानों को मान्य किया है।

farmer 3.JPG

झारखंड, मणिपुर और नागालैंड में, सरकार ने इस समस्या के समाधान के लिए एक उच्च-स्तरीय समिति का गठन किया है - आदिवासी क्षेत्रों में भूमि रिकॉर्ड सामान्य तरीके से नहीं रखे जाते हैं। ज़मीनो की मूल मालिक पीढ़ियों पहले यहां रहते थे और काग़ज़ पर बिना कोई बदलाव किए भूमि को हस्तांतरित कर दिया गया - या शायद उस ज़मीन का कोई भी कागज नहीं है, यहां डिजिटल रिकॉर्ड को भूल जाएं तो वास्तव में, पूर्वोत्तर के कई राज्यों में यही स्थिति है। पंजाब में, भूमि के बार पट्टे बदलने की की उच्च डिग्री की ख़ासियत की वजह से वैध किसानों की संख्या अनुमानित संख्या से अधिक है।

सरकार स्वीकार करती है कि मुख्य रूप से भूमि रिकॉर्ड के सत्यापन के कारण देरी हो रही है, और इलेक्ट्रॉनिक वित्तीय हस्तांतरण में सामान्य गड़बड़ियों के कारण भी ऐसा हो रहा है – जिसमें बैंक खाते के विवरण बेमेल हैं, और नामों की वर्तनी का ठीक न होना शामिल है।

जिस दर से चीजें चल रही हैं, सभी परेशानियों को दुर करने में महीनों लग सकते हैं, अगर ठीक से कुछ किया जाता है तो। और इतनी बड़ी कसरत के बाद, अन्तत असहाय किसानों को एक मामूली सी राशि मिलेगी।

[पीयूष शर्मा ने डेटा मिलान और प्रोसेसिंग में सहायता की।]

PM-kisan
Modi government
agriculture ministry
PM-Kisan coverage
PM-kisan disbursals
farmers

Related Stories

गैर-लोकतांत्रिक शिक्षानीति का बढ़ता विरोध: कर्नाटक के बुद्धिजीवियों ने रास्ता दिखाया

हिसारः फसल के नुक़सान के मुआवज़े को लेकर किसानों का धरना

राम सेना और बजरंग दल को आतंकी संगठन घोषित करने की किसान संगठनों की मांग

विशाखापट्टनम इस्पात संयंत्र के निजीकरण के खिलाफ़ श्रमिकों का संघर्ष जारी, 15 महीने से कर रहे प्रदर्शन

सार्वजनिक संपदा को बचाने के लिए पूर्वांचल में दूसरे दिन भी सड़क पर उतरे श्रमिक और बैंक-बीमा कर्मचारी

झारखंड: केंद्र सरकार की मज़दूर-विरोधी नीतियों और निजीकरण के ख़िलाफ़ मज़दूर-कर्मचारी सड़कों पर उतरे!

दो दिवसीय देशव्यापी हड़ताल को मिला व्यापक जनसमर्थन, मज़दूरों के साथ किसान-छात्र-महिलाओं ने भी किया प्रदर्शन

देशव्यापी हड़ताल का दूसरा दिन, जगह-जगह धरना-प्रदर्शन

मोदी सरकार की वादाख़िलाफ़ी पर आंदोलन को नए सिरे से धार देने में जुटे पूर्वांचल के किसान

ट्रेड यूनियनों की 28-29 मार्च को देशव्यापी हड़ताल, पंजाब, यूपी, बिहार-झारखंड में प्रचार-प्रसार 


बाकी खबरें

  • भाषा
    ज्ञानवापी मामला : अधूरी रही मुस्लिम पक्ष की जिरह, अगली सुनवाई 4 जुलाई को
    30 May 2022
    अदालत में मामले की सुनवाई करने के औचित्य संबंधी याचिका पर मुस्लिम पक्ष की जिरह आज भी जारी रही और उसके मुकम्मल होने से पहले ही अदालत का समय समाप्त हो गया, जिसके बाद अदालत ने कहा कि वह अब इस मामले को…
  • चमन लाल
    एक किताब जो फिदेल कास्त्रो की ज़ुबानी उनकी शानदार कहानी बयां करती है
    30 May 2022
    यद्यपि यह पुस्तक धर्म के मुद्दे पर केंद्रित है, पर वास्तव में यह कास्त्रो के जीवन और क्यूबा-क्रांति की कहानी बयां करती है।
  • भाषा
    श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही मस्जिद ईदगाह प्रकरण में दो अलग-अलग याचिकाएं दाखिल
    30 May 2022
    पेश की गईं याचिकाओं में विवादित परिसर में मौजूद कथित साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ की संभावना को समाप्त करने के लिए अदालत द्वारा कमिश्नर नियुक्त किए जाने तथा जिलाधिकारी एवं वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक की उपस्थिति…
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    बेंगलुरु में किसान नेता राकेश टिकैत पर काली स्याही फेंकी गयी
    30 May 2022
    टिकैत ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘स्थानीय पुलिस इसके लिये जिम्मेदार है और राज्य सरकार की मिलीभगत से यह हुआ है।’’
  • समृद्धि साकुनिया
    कश्मीरी पंडितों के लिए पीएम जॉब पैकेज में कोई सुरक्षित आवास, पदोन्नति नहीं 
    30 May 2022
    पिछले सात वर्षों में कश्मीरी पंडितों के लिए प्रस्तावित आवास में से केवल 17% का ही निर्माण पूरा किया जा सका है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License