NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
किसने गढ़ी मोदी की छवि?
कैसे इंटरनेट जगत के एक माहिर खिलाड़ी को नरेंद्र मोदी ने गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए अपने साथ जोड़ा और अपनी एक अलग छवि गढ़ी।
सिरिल सैम, परंजॉय गुहा ठाकुरता
11 Mar 2019
सांकेतिक तस्वीर
Image Courtesy: Moneycontrol (File Photo)

राजनीतिक सोच को प्रभावित करने में फेसबुक और व्हाट्सएप की भूमिका का एहसास काफी समय तक नहीं हुआ था। 2002 के आखिरी दिनों में पश्चिम भारत के राज्य गुजरात में विधानसभा चुनाव होने वाले थे। उस वक्त गुजरात को भारतीय जनता पार्टी और वहां के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी का गढ़ माना जाता था।

2002 में ही गुजरात में मुस्लिम समाज के खिलाफ दंगे हुए थे। इससे मोदी की छवि खराब हुई थी। ऐसे में मोदी खुद की छवि ‘उद्योग जगत’ और ‘तकनीक’ के अनुकूल बनाने की कोशिश कर रहे थे। राजनीतिक लाभ लेने के लिए डिजिटल मीडिया की मदद लेने की दिशा में वे सोचने की शुरुआत कर चुके थे।

इसे भी पढ़ें : क्यों फेसबुक कंपनी को अलग-अलग हिस्सों में बांटने की मांग उठ रही है?

2010 में नरेंद्र मोदी की मुलाकात राजेश जैन से हुई। मुंबई में रहने वाले राजेश जैन इंटरनेट क्षेत्र के बड़े कारोबारी हैं। राजेश जैन ने मोदी के सामने एक पावर प्वाइंट प्रस्तुति दी। इसका शीर्षक था- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, 2014।

चार महीने बाद राजेश जैन को गुजरात सरकार की सूचना प्रौद्योगिकी कंपनी गुजरात इन्फॉर्मेटिक्स लिमिटेड का निदेशक बना दिया गया। इसके बाद के तीन सालों में राजेश जैन ने भारत के आधुनिक राजनीतिक इतिहास का सबसे विस्तृत राजनीतिक मार्केटिंग अभियान चलाया। इसके लिए उन्होंने अन्य कारोबारियों, बैंकरों, पत्रकारों और भाजपा के आईटी प्रकोष्ठ के लोगों का साथ लिया। जैन के इस अभियान के बारे में भाजपा के विरोधी यह कहते हैं कि इसके जरिये मोदी की छवि के आसपास मिथक गढ़ने का काम किया गया।

इसे भी पढ़ें : #सोशल_मीडिया : लोकसभा चुनावों पर फेसबुक का असर?

जैन की अपनी एक योजना थी। उन्होंने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, मुंबई से कम्युनिकेशंस इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है। बाद में उन्होंने न्यूयॉर्क के कोलंबिया विश्वविद्यालय में पढ़ाई की।

1993 में जैन तब खबरों में आए थे जब उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव का भारत सरकार द्वारा किए जा रहे बचाव के झूठ का पर्दाफाश किया था। राव पर रिश्वत के एक मामले में संलिप्त होने का आरोप था। उन पर यह आरोप लगा था कि उन्होंने मुंबई के स्टॉक ब्रोकर हर्षद मेहता से एक करोड़ रुपये की रिश्वत ली है। मेहता एक प्रमुख वित्तीय घोटाले के केंद्र में थे। 

प्रधानमंत्री कार्यालय ने नरसिम्हा राव के बचाव में एक तस्वीर जारी की थी। इसमें राव को पाकिस्तान के विदेश मंत्री से मिलते हुए दिखाया गया था। प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से यह दावा किया गया कि यह तस्वीर ठीक उसी वक्त की है जिस वक्त के बारे में हर्षद मेहता दावा कर रहे हैं कि उन्होंने राव को रिश्वत दी है।

इंडिया टुडे में छपी उस तस्वीर का विश्लेषण करके राजेश जैन ने यह साबित किया कि प्रधानमंत्री कार्यालय झूठ बोल रहा है। उस रिपोर्ट में तस्वीर को झूठ साबित करने वाली कंपनी का नाम रावी डाटाबेस कंसल्टेंट्स प्राइवेट लिमिटेड बताया गया था। उस वक्त राजेश जैन इस कंपनी के प्रमुख थे।

राजेश जैन दूसरी बार 1994 में अमेरिका गए। इस बार उन्होंने पहली बार इंटरनेट की अपार संभावनाओं को समझा। इसके बाद मार्च, 1995 में उन्होंने इंडिया वर्ल्ड के नाम से एक कंपनी शुरू की। उनका दावा है कि यह भारत की पहली डिजिटल मीडिया कंपनी थी। 

इसे भी पढ़ें : मुफ्त इंटरनेट के जरिये कब्ज़ा जमाने की फेसबुक की नाकाम कोशिश?

पांच साल के अंदर ही राजेश जैन को जैकपॉट मिला। दिसंबर, 1999 में इंडिया वर्ल्ड कम्युनिकेशंस को सत्यम इंफोवे ने 499 करोड़ रुपये में खरीद लिया। तब तक इंडिया वर्ल्ड न सिर्फ वेबसाइट चलाने वाली कंपनी बल्कि इंटरनेट सेवा मुहैया कराने वाली, वेबसाइट होस्ट करने वाली, मेल सेवा देने वाली और सर्च ईंजन की सुविधा देने वाली कंपनी बन गई थी। यह कंपनी नौ वेबसाइट चला रही थी। इनमें खबरों, खेल, मनोरंजन, पर्सनल फायनांस, इतिहास और खान-पान से संबंधित वेबसाइट शामिल थे। उस दौर में इंडिया वर्ल्ड  के वेब पेज को देखने वालों की संख्या 1.3 करोड़ थे। इस वेबसाइट को देखने वालों में अधिकांश देश के बाहर रहने वाले भारतीय थे। इस सौदे के बाद अगले दो साल तक राजेश जैन ने सत्यम इंफोवे में काम किया। 

2001 में राजेश जैन ने नेटकोर सॉल्यूशंस को संभाल लिया। इंडिया वर्ल्ड  का सॉफ्टवेयर से संबंधित काम यही कंपनी देखती थी। आज नेटकोर का दावा है कि वह देश की सबसे बड़ी डिजिटल मार्केटिंग और कैंपेन मैनेजमेंट की सेवा देने वाली कंपनी है। अपनी दूसरी पारी में राजेश जैन ने भारतीय राजनीति में असरदार भूमिका निभाई। 

हमारे सोशल मीडिया सीरीज़ के अन्य आलेख पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें :-
क्या सोशल मीडिया पर सबसे अधिक झूठ भारत से फैलाया जा रहा है?

#सोशल_मीडिया : सत्ताधारियों से पूरी दुनिया में है फेसबुक की नजदीकी

जब मोदी का समर्थन करने वाले सुषमा स्वराज को देने लगे गालियां!

फेसबुक पर फर्जी खबरें देने वालों को फॉलो करते हैं प्रधानमंत्री मोदी!

फर्जी सूचनाओं को रोकने के लिए फेसबुक कुछ नहीं करना चाहता!

#सोशल_मीडिया : क्या सुरक्षा उपायों को लेकर व्हाट्सऐप ने अपना पल्ला झाड़ लिया है?

#सोशल_मीडिया : क्या व्हाट्सऐप राजनीतिक लाभ के लिए अफवाह फैलाने का माध्यम बन रहा है?

#सोशल_मीडिया : क्या फेसबुक सत्ताधारियों के साथ है?

#सोशल_मीडिया : क्या नरेंद्र मोदी की आलोचना से फेसबुक को डर लगता है?

#सोशल_मीडिया : कई देशों की सरकारें फेसबुक से क्यों खफा हैं?

सोशल मीडिया की अफवाह से बढ़ती सांप्रदायिक हिंसा

#socialmedia
Real Face of Facebook in India
WhatsApp
Social Media
Narendra modi

Related Stories

तिरछी नज़र: सरकार जी के आठ वर्ष

कटाक्ष: मोदी जी का राज और कश्मीरी पंडित

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

भारत के निर्यात प्रतिबंध को लेकर चल रही राजनीति

गैर-लोकतांत्रिक शिक्षानीति का बढ़ता विरोध: कर्नाटक के बुद्धिजीवियों ने रास्ता दिखाया

बॉलीवुड को हथियार की तरह इस्तेमाल कर रही है बीजेपी !

PM की इतनी बेअदबी क्यों कर रहे हैं CM? आख़िर कौन है ज़िम्मेदार?

छात्र संसद: "नई शिक्षा नीति आधुनिक युग में एकलव्य बनाने वाला दस्तावेज़"

भाजपा के लिए सिर्फ़ वोट बैंक है मुसलमान?... संसद भेजने से करती है परहेज़

हिमाचल में हाती समूह को आदिवासी समूह घोषित करने की तैयारी, क्या हैं इसके नुक़सान? 


बाकी खबरें

  • भाषा
    बच्चों की गुमशुदगी के मामले बढ़े, गैर-सरकारी संगठनों ने सतर्कता बढ़ाने की मांग की
    28 May 2022
    राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के हालिया आंकड़ों के मुताबिक, साल 2020 में भारत में 59,262 बच्चे लापता हुए थे, जबकि पिछले वर्षों में खोए 48,972 बच्चों का पता नहीं लगाया जा सका था, जिससे देश…
  • आज का कार्टून
    कार्टून क्लिक: मैंने कोई (ऐसा) काम नहीं किया जिससे...
    28 May 2022
    नोटबंदी, जीएसटी, कोविड, लॉकडाउन से लेकर अब तक महंगाई, बेरोज़गारी, सांप्रदायिकता की मार झेल रहे देश के प्रधानमंत्री का दावा है कि उन्होंने ऐसा कोई काम नहीं किया जिससे सिर झुक जाए...तो इसे ऐसा पढ़ा…
  • सौरभ कुमार
    छत्तीसगढ़ के ज़िला अस्पताल में बेड, स्टाफ और पीने के पानी तक की किल्लत
    28 May 2022
    कांकेर अस्पताल का ओपीडी भारी तादाद में आने वाले मरीजों को संभालने में असमर्थ है, उनमें से अनेक तो बरामदे-गलियारों में ही लेट कर इलाज कराने पर मजबूर होना पड़ता है।
  • सतीश भारतीय
    कड़ी मेहनत से तेंदूपत्ता तोड़ने के बावजूद नहीं मिलता वाजिब दाम!  
    28 May 2022
    मध्यप्रदेश में मजदूर वर्ग का "तेंदूपत्ता" एक मौसमी रोजगार है। जिसमें मजदूर दिन-रात कड़ी मेहनत करके दो वक्त पेट तो भर सकते हैं लेकिन मुनाफ़ा नहीं कमा सकते। क्योंकि सरकार की जिन तेंदुपत्ता रोजगार संबंधी…
  • अजय कुमार, रवि कौशल
    'KG से लेकर PG तक फ़्री पढ़ाई' : विद्यार्थियों और शिक्षा से जुड़े कार्यकर्ताओं की सभा में उठी मांग
    28 May 2022
    नई शिक्षा नीति के ख़िलाफ़ देशभर में आंदोलन करने की रणनीति पर राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में सैकड़ों विद्यार्थियों और शिक्षा से जुड़े कार्यकर्ताओं ने 27 मई को बैठक की।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License