NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
कितना ठीक है? ‘...ठीके तो है नीतीश कुमार’
बिहार विधानसभा चुनाव की सरगर्मी से ठीक पहले जदयू कार्यालय की बाहरी दीवार पर चस्पां 'क्यों करें विचार, ठीके तो है नीतीश कुमार' पोस्टर कई संदेश लिए हुए है। 
उमेश कुमार राय
03 Sep 2019
nitish kumar
फोटो साभार : एनडीटीवी ख़बर

सोमवार को पटना के जदयू कार्यालय के बाहर अचानक लगाए गए एक पोस्टर ने सियासी हलकों में कानाफूसी तेज कर दी। बैंगनी पृष्ठभूमि वाले इस पोस्टर में एक तरफ नीतीश कुमार की तस्वीर है और दूसरी तरफ सफेद अक्षरों में लिखा है – क्यों करें विचार, ठीके तो है नीतीश कुमार।

पोस्टर की तस्वीर सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुई। बहुत लोगों ने इन पोस्टर की तस्वीर एडिट कर जदयू को ट्रोल भी कर दिया। खैर..ट्रोलिंग अपनी जगह है, लेकिन बिहार विधानसभा चुनाव की सरगर्मी से ठीक पहले जदयू कार्यालय की बाहरी दीवार पर चस्पां ये पोस्टर कई संदेश लिए हुए है।

दरअसल, इस पोस्टर के जरिए जदयू ने अपनी तरफ से सहयोगी पार्टी भाजपा को स्पष्ट कर दिया है कि आनेवाला विधानसभा चुनाव एनडीए को नीतीश कुमार के चेहरे पर ही लड़ना होगा। 

गौरतलब हो कि वर्ष 2013 में एनडीए से अलग होने के बाद जदयू ने वर्ष 2015 का चुनाव राजद के साथ मिलकर लड़ा था और शानदार जीत दर्ज की थी। राजद और जदयू का साथ दो वर्ष तक ही चल पाया। वर्ष 2017 के मध्य में जदयू ने राजद से नाता तोड़ लिया था और दोबारा भाजपा के साथ मिल कर सरकार बनाई थी। इस साल जब लोकसभा चुनाव की तैयारी शुरू हुई, तो जदयू ने अपनी तरफ से स्पष्ट कर दिया कि बिहार में चुनाव नीतीश कुमार के चेहरे पर लड़ना होगा और बराबर सीटों की भी मांग की।

जीत को लेकर सशंकित भाजपा ने जदयू की कीमत पर रालोसपा और जीतनराम मांझी की पार्टी हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा (सेकुलर) को भी छोड़ दिया। इतना ही नहीं, 2014 के आम चुनाव में महज दो सीट जीतने वाले जदयू को भाजपा ने अपनी पांच जीती हुई सीटें कुर्बान कर 17 सीटें दे दीं। लेकिन, 2019 के आम चुनाव में भाजपा ने 2014 के मुकाबले ज्यादा सीटें जीतीं और वोटों का मार्जिन भी बढ़ाया।

2019 की शानदार जीत से भाजपा के राज्य नेतृत्व को ये लगने लगा है कि बिहार में पार्टी अपने दम पर सरकार बना सकती है। जानकारों का मानना है कि जदयू का शीर्ष नेतृत्व इस मंशा को भांप चुका है और इसलिए उसने पोस्टर जारी कर अपनी तरफ से ये साफ कर दिया है कि जदयू के साथ चुनाव लड़ना है, तो नीतीश के चेहरे पर ही लड़ना होगा।

राजनीतिक विश्लेषक महेंद्र सुमन कहते हैं, “विधानसभा चुनाव होने में अभी वक्त है, इसलिए इतनी जल्दी इस तरह का पोस्टर जारी कर जदयू बिहार की जनता को कोई संदेश नहीं देना चाहती है। उसका संदेश अपनी सहयोगी पार्टी भाजपा के लिए है। 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा की बड़ी जीत से जदयू आशंकित है कि कहीं भाजपा सीएम पद के लिए कोई नया चेहरा न पेश कर दे। इसलिए जदयू ने भाजपा को साफ-साफ संदेश दे दिया है कि अगला चुनाव नीतीश कुमार के चेहरे पर लड़ा जाएगा और इससे कोई समझौता नहीं होगा।”
उन्होंने आगे कहा, “इतना वक्त भी इसलिए दिया गया है कि अगर भाजपा में इस पर असहमति हो और ऐसा माहौल बन जाए कि उन्हें भाजपा से अलग होकर चुनाव लड़ना पड़े, तो जदयू इसी शर्त पर (नीतीश कुमार को चेहरा बनाने पर) राजद व कांग्रेस के साथ गठबंधन कर सके। ”

हालांकि, इस पोस्टर को लेकर भाजपा की तरफ से अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। अलबत्ता जदयू नेता नीरज कुमार मानते हैं कि सीएम के चेहरे को लेकर एनडीए में कोई विवाद नहीं है। उन्होंने कहा, “सरकार का गठन विधानमंडल करता है। विधानमंडल में भाजपा के नेता सुशील मोदी हैं। उन्होंने पूर्व में ही ये स्पष्ट दिया है कि आगामी चुनाव नीतीश जी के नेतृत्व में लड़ा जाएगा।”

जदयू कार्यालय के बाहर लगे पोस्टर में एक दिलचस्प बात ये है कि इस पोस्टर पर न तो जदयू का सिंबल है और न ही किसी निवेदक का ही नाम लिखा गया है। यही नहीं, जदयू ट्विटर हैंडल पर भी ये तस्वीर नहीं है। ऐसे में माना जा रहा है कि एक सोची-समझी रणनीति के तहत ऐसा किया गया है। इस पोस्टर के जरिए जदयू, भाजपा को टटोलना चाह रहा है कि वह क्या सोच रही है। 

इस पोस्टर को लेकर अगर भाजपा की तरफ से विरोध का स्वर उभरता है और जदयू को हर सूरत में भाजपा के साथ ही चुनाव लड़ना पड़ता है, तो पार्टी ये कह कर इस पोस्टर को खारिज कर सकती है कि किसी कार्यकर्ता ने इसे लगा दिया होगा, पार्टी का इससे कोई सरोकार नहीं क्योंकि इसमें पार्टी का कोई सिंबल नहीं है। ये आशंका इसलिए भी गहरा रही है क्योंकि जदयू ने अभी से इस पोस्टर से कन्नी काटना शुरू कर दिया है। 

नीरज कुमार से जब हमने पोस्टर को लेकर पूछा, तो उन्होंने जदयू के किसी कार्यकर्ता की भावना का प्रकटीकरण करार दे दिया। उन्होंने कहा, “आपलोगों ने ही देखा होगा कि पोस्टर का निवेदक कौन है। मुझे अभी ध्यान में नहीं आ रहा है।” जब हमने उनसे ये कहा कि पोस्टर में किसी निवेदक या पार्टी का नाम नहीं है, तो उन्होंने कहा कि किसी कार्यकर्ता ने अपनी भावना प्रकट की होगी।

नीरज कुमार ने ये भी कहा कि पोस्टर को लेकर भाजपा व जदयू में किसी तरह का न तो मतभेद है और न ही मनभेद। लेकिन, ये भी सच है कि बिहार भाजपा के भीतर ही एक गुट है, जो चाहता है कि बिहार में भाजपा अकेले चुनाव लड़े। 

राजनीतिक विश्लेषक सुरूर अहमद कहते हैं, “2019 के लोकसभा चुनाव के परिणाम से भाजपा का आत्मविश्वास बढ़ा हुआ है, इसलिए इस अनुमान को पूरी तरह खारिज नहीं किया जा सकता है कि भाजपा बिहार में अकेले चुनाव लड़ सकती है। हां, ये जरूर है कि ऐसा होने पर पार्टी के भीतर अंदरूनी कलह शुरू हो जाएगी। क्योंकि भाजपा में एक गुट नीतीश कुमार को पसंद करता है जबकि दूसरे गुट को वह नापसंद हैं।”

बहरहाल, ‘क्यों करें विचार, ठीके तो है नीतीश कुमार’ नारे को सियासी मायनों से इतर देखा जाए, तो ये नारा न सिर्फ 2015 के विधानसभा चुनाव के वक्त चले नारे 'बिहार में बहार है, नीतीशे कुमार है’ से कमजोर है, बल्कि इसका अर्थ ये भी जाहिर हो रहा है कि नीतीश सरकार कामचलाऊ है। साथ ही पिछले एक डेढ़ साल के दौरान बिहार में घटी घटनाओं पर गौर करें, तो ये नारा उल्टा प्रभाव ही जगाता है। पिछले साल मुजफ्फरपुर शेल्टर होम में बच्चियों के यौन शोषण की घटना ने पूरे देश को हिला कर रख दिया था। इसमें जदयू की मंत्री के पति का नाम सामने आया था, जिसके बाद मंत्री को इस्तीफा देना पड़ा था।

इस साल चमकी बुखार ने 100 से ज्यादा बच्चों की जान ले ली। इन मौतों के पीछे भी  सरकारी मशीनरी की लापरवाही सामने आई। आपराधिक घटनाओं की बात करें, तो हत्या, बलात्कार और लिंचिंग जैसी घटनाओं में इजाफा हुआ है। अगस्त महीने में करीब आधा दर्जन रेप की वारदातें बिहार में हो चुकी हैं। इस महीने एक व दो सितंबर के बीच बिहार के अलग-अलग जिलों में 10 लोगों की हत्या कर दी गई। शिक्षकों से लेकर मिड डे मील बनानेवाले रसोइया तक मानदेय में इजाफे की मांग पर रोड पर आकर प्रदर्शन कर रहे हैं।
राजद नेता व विधायक तेजस्वी यादव ने ट्वीट कर नीतीश आड़े हाथों लेते हुए कहा, “बिहार में कानून व व्यवस्था पूरी तरह धराशाई हो गई है। दोषियों पर कार्रवाई करने में सरकार पूरी तरह विफल है। दिनदहाड़े लोगों की बेरहमी से हत्या हो रही है और हत्यारों को एनडीए सरकार ने पूरी छूट दे रखी है।”    

इधर, जदयू के नारे के खिलाफ राजद कार्यालय के बाहर भी पोस्टर लगाया गया है जिसमें सूबे की कानून-व्यवस्था, स्वास्थ्य, शिक्षा आदि पर सवाल उठेते हुए लिखा गया है – ‘क्यों न करें विचार, बिहार जो है बीमार।’

Nitish Kumar
Bihar
jdu
BJP
Nitish Kumar Government
Tejashwi Yadav

Related Stories

बिहार: पांच लोगों की हत्या या आत्महत्या? क़र्ज़ में डूबा था परिवार

भाजपा के इस्लामोफ़ोबिया ने भारत को कहां पहुंचा दिया?

कश्मीर में हिंसा का दौर: कुछ ज़रूरी सवाल

सम्राट पृथ्वीराज: संघ द्वारा इतिहास के साथ खिलवाड़ की एक और कोशिश

हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है

बिहार : जीएनएम छात्राएं हॉस्टल और पढ़ाई की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन धरने पर

मोहन भागवत का बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को क्लीनचिट

मंडल राजनीति का तीसरा अवतार जाति आधारित गणना, कमंडल की राजनीति पर लग सकती है लगाम 


बाकी खबरें

  • यमन पर सऊदी अत्याचार के सात साल
    पीपल्स डिस्पैच
    यमन पर सऊदी अत्याचार के सात साल
    30 Mar 2022
    यमन में सऊदी अरब के नेतृत्व वाला युद्ध अब आधिकारिक तौर पर आठवें साल में पहुंच चुका है। सऊदी नेतृत्व वाले हमले को विफल करने की प्रतिबद्धता को मजबूत करने के लिए हज़ारों यमन लोगों ने 26 मार्
  • imran khan
    भाषा
    पाकिस्तान में संकटग्रस्त प्रधानमंत्री इमरान ने कैबिनेट का विशेष सत्र बुलाया
    30 Mar 2022
    यह सत्र इस तरह की रिपोर्ट मिलने के बीच बुलाया गया कि सत्ताधारी गठबंधन के सदस्य दल एमक्यूएम-पी के दो मंत्रियों ने इस्तीफा दे दिया है। 
  • national tribunal
    राज वाल्मीकि
    न्याय के लिए दलित महिलाओं ने खटखटाया राजधानी का दरवाज़ा
    30 Mar 2022
    “नेशनल ट्रिब्यूनल ऑन कास्ट एंड जेंडर बेस्ड वायोंलेंस अगेंस्ट दलित वीमेन एंड माइनर गर्ल्स” जनसुनवाई के दौरान यौन हिंसा व बर्बर हिंसा के शिकार 6 राज्यों के 17 परिवारों ने साझा किया अपना दर्द व संघर्ष।
  • fracked gas
    स्टुअर्ट ब्राउन
    अमेरिकी फ्रैक्ड ‘फ्रीडम गैस’ की वास्तविक लागत
    30 Mar 2022
    यूरोप के अधिकांश हिस्सों में हाइड्रोलिक फ्रैक्चरिंग का कार्य प्रतिबंधित है, लेकिन जैसा कि अब यूरोपीय संघ ने वैकल्पिक गैस की आपूर्ति के लिए अमेरिका की ओर रुख कर लिया है, ऐसे में पिछले दरवाजे से कितनी…
  • lakhimpur kheri
    भाषा
    लखीमपुर हिंसा:आशीष मिश्रा की जमानत रद्द करने के लिए एसआईटी की रिपोर्ट पर न्यायालय ने उप्र सरकार से मांगा जवाब
    30 Mar 2022
    पीठ ने कहा, ‘‘ एसआईटी ने उत्तर प्रदेश सरकार के अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) को जांच की निगरानी कर रहे न्यायाधीश के दो पत्र भेजे हैं, जिन्होंने मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा की जमानत रद्द करने के वास्ते राज्य…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License